एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है?

क्यों भारतीय अर्थव्यवस्था कम दूरी की रेस तो जीत सकती है, लेकिन माराथन नहीं
अर्थव्यवस्था फिलहाल उम्मीद से बेहतर काम कर रही है लेकिन बेरोजगारी, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवा की बदहाली जैसे मसले भावी श्रम शक्ति के विकास को अवरुद्ध कर रहे हैं.
प्रज्ञा घोष का चित्रण | ThePrint
एक समय था जब संघर्षरत भारतीय अर्थव्यवस्था के शुभचिंतक प्रेक्षक कहा करते थे कि वे देश के भविष्य को लेकर अल्पकालिक निराशावादी मगर दीर्घकालिक आशावादी हैं. लेकिन आज यह स्थिति अप्रत्याशित रूप से उलट गई है. कई लोग अल्पकालिक आशावादी लेकिन दीर्घकालिक निराशावादी बन गए हैं. आप कह सकते हैं कि अगर हम कई अल्पकालिक बातों पर ध्यान दें तो दीर्घकालिक बातें खुद सुधर जाएंगी. लेकिन इस बात पर गौर करना पड़ेगा.
फिलहाल तो भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है. एक मुश्किल समय में वह सबसे तेजी से वृद्धि कर रही बड़ी अर्थव्यवस्था है (जैसी कि वह एक बार पहले भी थी), जबकि जापानी और ब्रिटिश अर्थव्यवस्थाएं सिकुड़ रही हैं, जैसी अमेरिकी अर्थव्यवस्था ताजा तिमाही तक थी और यूरो क्षेत्र चपाती की तरह सपाट है.
पश्चिम की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के मुक़ाबले भारत में मुद्रास्फीति कम है. और व्यापार के मोर्चे पर भारत के चालू खाते का घाटा अमेरिका या ब्रिटेन के इस घाटे के मुक़ाबले नीचा है. डॉलर के मुक़ाबले रुपया दूसरी मुद्राओं से कम कमजोर पड़ा है. इसलिए बात आर्थिक वृद्धि से परे की है; आर्थिक स्थिरता के लिहाज से भी भारत दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर प्रदर्शन का रहा है.
भारत को पीछे छोड़ने वाला चीन अपने गति खो चुका है. अनुमान है कि उसकी आर्थिक वृद्धि भारत की वृद्धि की तुलना में आधी है. और वह ढांचागत समस्याओं से परेशान है, खासकर वित्तीय सेक्टर में. भारत को अनुभव से पता है कि वह बिगड़ चुकी बैलेंसशीट को कैसे दुरुस्त कर सकता है.
इस बीच, जापान एक अलग तरह का एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है? देश है, जिसके यहां मुद्रास्फीति कम है और दीर्घकालिक चालू खाता में सरप्लस जमा है, लेकिन उसमें गतिशीलता के कमी है.
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कहने की जरूरत नहीं कि इन सभी देशों की तुलना में भारत प्रति व्यक्ति आय के काफी निचले स्तर के साथ विकास के अलग चरण में है. लेकिन निकट भविष्य के लिहाज से देखें तो इसकी आर्थिक वृद्धि इसके वैश्विक औसत के दोगुने के बराबर है, जबकि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को नीचे लाने पर ज़ोर दे रहा है, और पूंजी की आवक व विदेशी मुद्रा का सरप्लस चालू खाते के घाटे से निपटने के लिए पर्याप्त से ज्यादा है.
इन सबके उलट मंदी का साया है जो पश्चिम की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंडरा रहा है. ब्रिटेन करीब एक दशक से जो गलत कदम उठा रहा है उसके कारण वहां जीवन स्तर गिरा है और उसे दर्दनाक विकल्पों को अपनाना पड़ रहा है. चीन की वृद्धि दर इसके वैश्विक औसत से नीचे जा सकता है, जबकि अमेरिका अपने राजनीति में उलझा है.
भारत में सक्रिय सरकार निरंतर नये कदम उठा रही है, मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनने के एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है? लिए प्रोत्साहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, और परिवहन व दूरसंचार के इन्फ्रास्ट्रक्चर में अभूतपूर्व निवेश किया जा रहा है. इन प्रयासों के साथ अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इसके प्रदर्शन को जोड़ दीजिए—यूक्रेन संकट पर सटीक प्रतिकृया, जलवायु परिवर्तन से निपटने के इसके प्रयासों में तेजी, और इस सप्ताह जी-20 शिखर सम्मेलन की प्रभावशाली भूमिका. इस सबसे एक ऐसे देश की छवि बनती है, जो ज्यादा अमीर कुछ देशों के विपरीत यह जानता है कि वह क्या कर रहा है.
लेकिन कई प्रेक्षकों को लगता है कि ऐसा क्यों है कि वर्तमान स्थिति को लेकर जो उम्मीद जागती है वह नज़र में आ रहे क्षैतिज से आगे क्यों नहीं बढ़ती? ले-देकर वही पुराने मसले उभर आते हैं, जिनमें सबसे अहम है बेरोजगारी की ढांचागत समस्या जिससे निपटना है और जिसके अंदर सामाजिक असंतोष का बीज छिपा है. इसके साथ ही जुड़ा है शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा की बदहाली और कुपोषण का मसला जिसके कारण बच्चों यानी भावी श्रम शक्ति का विकास अवरुद्ध हो रहा है.
यह व्याख्या करने की जरूरत नहीं है कि पीछे खींचने वाले इतने तत्व सक्रिय हों तो कोई देश अपने उत्कर्ष की गति न तो बनाए रख सकता है और न उसे तेज कर सकता है. इसके अलावा तीसरे किस्म के मसले भी हैं जो व्यवस्थागत बचावों के सीमा से संबंधित हैं, जो शुरुआती चूकों को रोकते हैं.
ऐसे मसलों को लेकर चिंतित प्रेक्षकों में दीर्घ काल को लेकर जो नाउम्मीदी है उसे सरकार के राजनीतिक तथा सामाजिक लक्ष्यों से जुड़े प्रेक्षक खारिज करते हैं. इन दूसरे प्रेक्षकों का पूरा विश्वास है कि यह दशक भारत का है क्योंकि मौजूदा उछाल को प्रभावित करने वाले तत्व अस्थायी नहीं हैं इसलिए ‘उच्च-मध्य वर्गीय आय (मौजूदा 2400 डॉलर के प्रति व्यक्ति आय की जगह 4000 से ऊपर की प्रति व्यक्ति आय) का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
लेकिन यह भी उतना ही सच है कि बेहतर संतुलन और रफ्तार हासिल करने के लिए व्यवस्था की कुंजियों को पहले के मुक़ाबले अलग तरह से घुमाना होगा. इसके बिना व्यवस्थागत अवरोध बढ़ेंगे और क्षितिज के आगे उथलपुथल से सामना हो सकता है.
अमेरिका ने भारत को करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से निकाला, इसका मतलब क्या है?
अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने अपनी भारत यात्रा के साथ शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की. इसी दिन अमेरिका के वित्त विभाग ने यह कदम उठाया है.
अमेरिका के वित्त विभाग ने इटली, मेक्सिको, थाईलैंड, वियतनाम के साथ भारत को प्रमुख व्यापारिक भागीदारों की मुद्रा निगरानी सूची (Currency एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है? Monitoring List) से हटा दिया है. भारत पिछले दो साल से इस सूची में था.
अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने अपनी भारत यात्रा के साथ शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक की. इसी दिन अमेरिका के वित्त विभाग ने यह कदम उठाया है.
वित्त विभाग ने संसद को अपनी छमाही रिपोर्ट में कहा कि चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान सात देश हैं, जो मौजूदा निगरानी सूची में हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटाया गया है उन्होंने लगातार दो रिपोर्ट में तीन में से सिर्फ एक मानदंड पूरा किया है.
क्या है करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट?
मुद्रा निगरानी सूची व्यवस्था के तहत प्रमुख व्यापार भागीदारों के मुद्रा को लेकर गतिविधियों तथा वृहत आर्थिक नीतियों पर करीबी नजर रखी जाती है.
मुद्रा निगरानी सूची के तहत किसी देश को रखने का अर्थ यह होगा कि वह देश दूसरों पर अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए अपनी मुद्रा के मूल्य को कृत्रिम रूप से कम कर रहा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि मुद्रा के कम मूल्य से उस देश से निर्यात लागत में कमी आएगी.
इस रिपोर्ट में, अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने जून 2022 तक की चार तिमाहियों के दौरान प्रमुख अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों की नीतियों की समीक्षा की और उनका आकलन किया, जिसमें माल और सेवाओं में लगभग 80 प्रतिशत अमेरिकी विदेशी व्यापार शामिल था.
भारत के लिए इसका मतलब क्या है?
अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची में किसी देश को 'करेंसी मैनिपुलेटर' माना जाता है. एक करेंसी मैनिपुलेटर एक डेजिगनेशन है जो अमेरिकी सरकार के अधिकारियों द्वारा उन देशों पर लागू किया जाता है जो व्यापार लाभ के लिए "अनुचित मुद्रा प्रथाओं" में संलग्न हैं.
ग्रांट थॉर्नटन भारत में पार्टनर और लीडर (वित्तीय सेवा जोखिम) विवेक अय्यर ने कहा कि अब मुद्रा मैनिपुलेटर के रूप में टैग हुए बिना अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से हटाने का मतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अब विनिमय दरों को प्रबंधित करने के लिए मजबूत उपाय कर सकता है. यह बाजार के नजरिए से एक बड़ी जीत है और वैश्विक विकास में भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है."
बता दें कि, रुपये में गिरावट के बीच विनिमय दरों को प्रबंधित करने के लिए, आरबीआई ने हाल ही में अतिरिक्त इनफ्लो के समय डॉलर खरीदने और आउटफ्लो के समय डॉलर बेचने जैसी कार्रवाई की.
चीन अभी भी निगरानी में
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपने विदेशी विनिमय हस्तक्षेप को प्रकाशित करने में विफल रहने और अपनी विनिमय दर तंत्र में पारदर्शिता की कमी के चलते वित्त विभाग की नजदीकी निगरानी में है. चीन के साथ ही जापान, एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है? कोरिया, एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है? जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान भी इस लिस्ट में बने हुए हैं.
Twitter: परमानेंट के बाद अब कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों पर गिरी गाज, बिना नोटिस दिए हजारों को निकाला गया
कंगाली के कगार पर पाकिस्तान! राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आर्थिक संकट और गहराया
राजनीतिक उथल-पुथल और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ बातचीत को लेकर अनिश्चितता के बीच पाकिस्तान का आर्थिक संकट गहराता जा रहा है।
राजनीतिक उथल-पुथल और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ बातचीत को लेकर अनिश्चितता के बीच पाकिस्तान का आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। डॉन न्यूज ने अनुसंधान फर्म आरिफ हबीब लिमिटेड द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि क्रेडिट डिफाल्ट स्वैप (सीडीएस) एक दिन पहले के 56.2 प्रतिशत से बढ़कर बुधवार को 75.5 प्रतिशत हो गया।
वाशिंगटन में आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पिछले हफ्ते पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच बातचीत के कार्यक्रम में बदलाव किया गया था। हालांकि मीडिया रिपोर्ट ने दावा किया गया है कि नवंबर की शुरुआत में शुरू होने वाली वार्ता को इस महीने के तीसरे सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
इन रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान द्वारा पेट्रोलियम उत्पादों पर बिक्री कर को समायोजित करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने और इस वर्ष की शुरुआत में हुए ऋण समझौते के तहत आवश्यक उपाय करने के बाद वार्ता फिर शुरू होगी।
लेकिन आधिकारिक सूत्रों ने डॉन न्यूज को बताया कि पिछले महीने पाकिस्तान में बाढ़ से हुए नुकसान पर विश्व बैंक की रिपोर्ट जारी होने के बाद वार्ता को पुनर्निर्धारित किया गया है। पाकिस्तान 5 दिसंबर को पांच साल के सुकुक या इस्लामिक बांड की परिपक्वता के खिलाफ 1 अरब डॉलर एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है? का एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है? भुगतान करने वाला है।
डॉन की खबर के मुताबिक वित्त मंत्री इशाक डार ने सुकुक भुगतान के लिए आश्वासन दिया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार आश्वासनों पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर रही है।
सीडीएस में दिन-प्रतिदिन की वृद्धि एक गंभीर स्थिति को दर्शाता है। सरकार के लिए बांड या वाणिज्यिक उधारी के माध्यम से बाजारों से विदेशी मुद्रा जुटाना लगातार कठिन होता जा रहा है।
देश को अपने विदेशी दायित्वों को पूरा करने के लिए इस वित्तीय वर्ष में 32 बिलियन डॉलर से 34 बिलियन डॉलर की आवश्यकता है। वित्तीय विशेषज्ञों ने कहा कि शेष वित्तीय वर्ष में देश को अभी भी लगभग 23 बिलियन डॉलर की आवश्यकता है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है?
मुंबई। पुलिस ने देह व्यापार (prostitution) के दल दल से एक नाबालिग (minor) को मुक्त करवाया है और केस दर्ज कर मामले की जांच में जुटी है। पुलिस ने एक जानकारी के बाद एक लॉज पर छापा मारा और पीड़ित लड़की को वेश्यावृत्ति के धंधे से छुड़ा लिया। पीड़िता ने बताया कि लक्ष्मण शेट्टी नाम का एक दलाल लड़की से एक विदेशी मुद्रा व्यापारी क्या है? अलग-अलग जगहों पर देह व्यापार करवा रहा था। लड़की को दलाल लक्ष्मण शेट्टी द्वारा अर्नाला स्थित एक लॉज में बुलाया गया और वहीं रखा गया। साथ ही 29 अक्टूबर को लॉज चलाने वाले आकाश गुप्ता ने उसे देह व्यापार के लिए एक विदेशी के पास जाने को मजबूर किया। इसी लॉज में एक अन्य आरोपी सुशांत पुजारी ने उसकी मर्जी के खिलाफ उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए। पुलिस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर जांच में जुटी है।
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Forex Reserves India : आठ जुलाई को समाप्त सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 1.236 अरब डॉलर घटकर 39.186 अरब डॉलर रह गया। समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) 12.2 करोड़ डॉलर घटकर 18.012 अरब डॉलर रह गया। आईएमएफ में रखा देश का मुद्रा भंडार भी 4.9 करोड़ डॉलर घटकर 4.966 अरब डॉलर रह गया।
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