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इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुनें

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Liquid Stock क्या है और लिक्विड स्टॉक कैसे चुनें?

लिक्विड स्टॉक क्या है? अगर आपने शेयर बाजार में ट्रेडिंग के बारे में कहीं पढ़ा या सुना होगा। तो वहां हमेशा liquid stock को खरीदने व बेचने के लिए कहा जाता है। आज बड़े बड़े ट्रेडर्स लिक्विड स्टॉक में ट्रेड करने को कहते हैं। साथ ही जिस स्टॉक में liquidity नहीं होती है। तो उसमे ट्रेडिंग करने के लिए आपको हमेशा 'ना' ट्रेड करने की सलाह देते हैं।

आज के समय कई नये ट्रेडर्स शेयर मार्केट में एंट्री लिए है। जो ट्रेडिंग करके financial independent होना चाहते हैं। ट्रेडिंग के लिहाज से आपको liquidity का मतलब जानना बहुत जरूरी होता है।

खासकर यह लेख उन retail trader's के लिए फायदमंद है जो नॉन कॉमर्स बैकग्राउंड के है। शेयर मार्केट में liquidity शब्द उनके लिए थोड़ा टेक्निकल हो जाता है। इसलिए आज के लेख "liquid stock क्या होते हैं और liquid stock कैसे चुने?" के बारे में आसान शब्दो में जानेंगे। आइए तो फिर पहले जानते हैं कि मार्केट में liquidity शब्द का क्या अर्थ होता है।

Liquidity क्या है?

Liquidity का हिंदी में अर्थ "तरलता" होता है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी भी asset को कितनी आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। यानी कि कोई भी asset जितना liquid होगा, उसकी उतनी आसानी से खरीद और बिक्री की जा सकता है। वहीं अगर कोई asset जितना illiquid होगा उसे बेचना और खरीदना उतना ही मुश्किल होता है।

Liquid Stock क्या है?

Liquid Stock का मतलब किसी भी शेयर को आसानी से कभी भी खरीदा और बेचा जा सकता है। यानी कि आपके पास जो भी शेयर है, उसे सही समय आने पर कैश में आसानी से बदला जा सके। अच्छी लिक्वडिटी वाले शेयरों में नजर रखना और उसमे ट्रेड या निवेश करने से आपको यह मदद मिलती है कि जब भी आपको एक मोटा प्रॉफिट हो तो उसे आसानी से बेच सके।

यदि आप illiquid stock में ट्रेड या निवेश करते हैं तो शायद यह भी हो सकता है, कि आपको कभी भी उस share को बेचना हो लेकिन कोई खरीदने वाला ना मिले। इसलिए प्रोफेशनल ट्रेडर्स और निवेशक आपको इस तरह के स्टॉक में ट्रेड या निवेश करने से मना करते है। क्योंकि stock illiquid होने के कारण आपको बेचने में दिक्कत आ सकती है।

लिक्विड शेयरों के चार्ट में आपको हर एक मिनट कि कैंडल में बॉडी मिल जाती है। इस तरह के स्टॉक में हर एक मिनट में अच्छा वॉल्यूम होता है। Liquidity होने के कारण हर एक मिनट में शेयरों के प्राइस में उतार चढ़ाव होता रहता है। ज्यादातर penny stocks और कम प्राइस वाले शेयरों में लिक्वडिटी नहीं होती है।

Trading के लिए Liquid Stock क्यों महत्वपूर्ण है?

लिक्वडिटी का अर्थ आप लोग जान गए होगे। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा कि trading के लिए लिक्विड स्टॉक क्यों जरूरी होते हैं। आइए जानते हैं कि लिक्वडिटी बाजार को दो मुख रूप से कैसे प्रभावित करती है:-

1. मूल्य प्रसार ( Price Spread )

Finance में स्प्रेड का मतलब दो प्राइस, रेट्स, या यील्ड का अंतर होता है। अगर आसान शब्दो में बताए तो मूल्य प्रसार मार्केट के खरीदार और विक्रेता के ऑर्डर्स का अंतर होता है। यह हमें बताने की कोशिश करता है कि एक खरीदार और विक्रेता के खरीद और बिक्री के प्राइस में क्या अंतर है।

Liquid Stock खरीद प्राइस और बिक्री प्राइस के बीच में आने वाले गैप को कम करने की कोशिश करता है। यानी कि लिक्विड स्टॉक में low price spread होता है। वहीं illiquid stock में खरीद प्राइस और बिक्री प्राइस के बीच में आने वाला गैप बहुत ज्यादा होता है। यानी कि illiquid स्टॉक में high price spread होता है। इसलिए illiquid स्टॉक में किसी भी शेयर को खरीदना और बेचना मुश्किल हो जाता है।

2. Slippage

Slippage का हिंदी में अर्थ "फिसलन" या " गिरावट" होता है। वहीं ट्रेडिंग slippage का मतलब अपेक्षित कीमत (expected इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुनें price) और उस कीमत के बीच का अंतर जो ट्रेड निष्पादित (executed) हो चुका है। वैसे तो बाजार में शेयरों के प्राइस में तेजी से उतार चढ़ाव आता है। इसलिए slippage कभी भी हो सकता है। लेकिन ज्यादातर समय slippage होने कारण शेयर में high volatility होती है। दूसरी तरफ इसके होने का कारण यह भी है कि जब कोई बड़े मात्रा में ऑर्डर को executed किया जाता है, लेकिन उस समय bid/ask प्राइस के बीच में स्प्रेड बनाए रखने के लिए चयन किए गए प्राइस में वॉल्यूम नहीं होता है। बता दू कि liquid stock में illiquid stock में मुकाबले slippage कम होती है।

Slippage को हम दो प्रकार में भिवाजित कर सकते हैं। एक सकारात्मक गिरावट और दूसरा नकारात्मक गिरावट है। सकारात्मक गिरावट तब होती है जब लॉन्ग ट्रेड में ask price का कम होना और इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुनें शॉर्ट ट्रेड में bid price का बढ़ना होता है। वहीं नकारात्मक गिरावट तब होती है जब लॉन्ग ट्रेड में ask price का बढ़ना होना और शॉर्ट ट्रेड में bid price का कम होना होता है।

Trading के लिए Liquid Stocks को कैसे चुने?

Trading के लिए लिक्विड स्टॉक का होना आवश्यक है। खासकर intraday trading के लिए highly liquid stocks का होना जरूरी है। स्टॉक में वॉल्यूम के साथ साथ volatility होने से शेयर कि लिक्विडिटी बढ़ जाती है। आइए तो फिर जानते हैं की ट्रेडिंग के लिए लिक्वड स्टॉक्स कैसे चुने?

1. High Trade Volume

किसी भी स्टॉक में high volume होने का मतलब उस स्टॉक पर एक दिन में कितनी खरीद और बिक्री हुई है। हाई वॉल्यूम यानी कि उस स्टॉक में हाई लिक्विडिटी का होना है।

2. Bid/Ask प्राइस में कम अंतर होना

Bid/Ask प्राइस में कम अंतर होने का मतलब यह हुआ की उस स्टॉक को खरीदने के लिए अनेकों खरीददार मौजूद है। वहीं दूसरी तरफ अनेकों विक्रेता उस स्टॉक को बेचने के लिए मौजूद है। इससे slippage कि कमी और high liquidity होना दर्शाता है।

3. मध्य volatility वाले शेयरों को चुने

अगर किसी स्टॉक में कम लिक्विडिटी यानी कि वोलैटिलिटी बिल्कुल भी नहीं है। वह स्टॉक जो पूरी तरह से choppy है। उनसे हमेशा दूर रहना चाहिए। लेकिन वही दूसरी तरफ अगर स्टॉक ज्यादा वोलेटाइल होगा, तो उसमे नुकसान भी उतना ही ज्यादा हो सकता है। इसलिए ट्रेडिंग के लिए मध्य volatility वाले शेयरों को चुने। मध्य volatility वाले शेयरों में रिस्क, हाई volatility वाले शेयरों से कम होता है।

निष्कर्ष

ट्रेडर्स के नजरिए से स्टॉक में लिक्विडिटी होना बहुत जरूरी होता है। हाई लिक्विडिटी वाले स्टॉक को आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। इस तरह के स्टॉक को जल्दी से नकदी में बदला जा सकता है। अगर किसी स्टॉक में लिक्विडिटी नहीं है तो शायद आप एक अच्छी ऑपर्च्युनिटी खो दे।

डे ट्रेडर्स को हाई लिक्विडिटी वाले स्टॉक का चयन करना चाहिए। क्योंकि उन्हें एक दिन में कई सौदे करने पड़ते हैं। अगर दूसरी तरफ देखे तो स्टॉक में लिक्विडिटी नहीं होने के कारण आप एक दिन में कई ट्रेड ना ले पाए। Illiquid stocks में आपके रिस्क कैपेसिटी से भी ज्यादा का नुकसान हो सकता है।

उम्मीद करता हूं कि आपको आज का लेख "liquid stocks क्या है? लिक्वड स्टॉक कैसे चुने?" पसंद आया होगा। ऐसे ही वित्तीय बाजार के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे ब्लॉग से जुड़े रहे। हम यहां आपको वित्तीय बाजार के साथ साथ टेक्नोलॉजी से जुड़ी अन्य जानकारियां भी साझा करते हैं।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे करें इन हिंदी, शेयर बाज़ार, शेयर ट्रेडिंग, इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग, ट्रेडिंग टिप्स

दोस्तों, आजकल शेयर बाज़ार में कमाई (share market me kamai) का आकर्षण सर चढ़कर बोल रहा है। आज का हर इंसान ये जाने बग़ैर कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे करते हैं? (share market me trading kaise karte hain?) शेयर बाज़ार (share market) में आकर्षक फ़ायदा देखकर ख़ुद भी शेयर मार्केट में पैसा लगाकर मनचाहा पैसा कमाना चाहता है। वाक़ई शेयर मार्केट का लालच इतना मज़ेदार है कि आजकल लाखों लोग इस मार्केट का हिस्सा बनना चाहते हैं। आज हम इस अंक में जानेंगे शेयर मार्केट में पैसा कैसे कमाया जाता है? (share market me paisa kaise kamaya jata hai?)


आज मैं आपकी इस समस्या का आसान समाधान करने वाला हूँ बस आप इस लेख के अंत तक बने रहिये। निश्चित तौर पर आप जान जायेंगे कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे करें? (Share market me trading kaise kare?) मुझे पूरा यक़ीन है कि आप इस अंक में बताए गए तरीक़ों से अच्छा ख़ासा पैसा कमाने वाले हैं।

शेयर बाज़ार में आने वाले हर आदमी का यही उद्देश्य होता है कि वह शेयर मार्केट में प्रवेश करने के बाद कम से कम ₹1000 से ₹2000 रोज़ाना तो कमा ही ले, वैसे भी आजकल हर व्यक्ति अपनी जॉब के साथ-साथ कुछ पार्ट टाइम काम करना चाहता है। फ़िर ऐसे में शेयर मार्केट से बेहतर भला कौन सा रास्ता हो सकता है? क्योंकि शेयर बाज़ार का रिटर्न भी काफी आकर्षक होता है।

कितने निवेश की आवश्यकता पड़ेगी?

सबसे पहले तो आप यह जानना चाह रहे होंगे कि शेयर मार्केट में इस तरह के रिटर्न्स पाने के लिए आपको कम से कम कितने amount की ज़रूरत होगी। तो मैं आपको बता दूँ कि लगभग ₹1000 कमाने के लिए आपको कम से कम ₹25000 के निवेश करने की आवश्यकता होगी। इससे भी आप ज़्यादा कमाना चाहते हैं तो इसकी कोई सीमा नही। बल्कि यदि आप अधिक निवेश investment करते हैं तो आपके नुक़सान के चांस उतने ही कम होते चले जायेंगे। यदि आपको पता है कि ट्रेडिंग कैसे किया जाता है? (trading kaise kiya jata hai?) तो निश्चित रूप से आप अच्छे इन्वेस्टर के साथ-साथ अच्छे ट्रेडर भी साबित हो सकते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है? | Intraday trading in hindi

शेयर बाज़ार में पूरे दिन में, कुछ घंटो के लिए या किसी एक ट्रेडिंग सेशन के लिए पैसा लगाने को इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है। मान लीजिये बाज़ार खुलने के समय आपने एक शेयर में पैसा लगाया और देखा की आपको आपके मन मुताबिक़ मुनाफ़ा मिल रहा है तो आप उसी समय square off यानि कि उस शेयर को बेचकर निकल सकते हैं।


इंट्राडे में अगर आपने उस ख़रीदे हुए शेयर को नहीं भी बेचा। तब भी वह अपने आप सेल ऑफ हो जाता है। अर्थात आपको मुनाफ़ा हो या घाटा, हिसाब उस दिन के अंत तक हो जाता है। जबकि डिलीवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को जब तक चाहें होल्ड hold करके रख सकते हैं। इंट्रा डे की एक विशेषता यह है कि आपको ब्रोकरेज ज़्यादा देनी पड़ती है। लेकिन इस ट्रेडिंग की एक ख़ासियत यह भी है कि इसमें आप जब चाहे तभी मुनाफ़ा कमाकर निकल सकते हैं।

इंट्राडे में ट्रेड करने के फ़ायदे | Intraday trading in hindi

आप कम पैसे लगाकर ज़्यादा आकर्षक कमाई की सोच रहे हैं तो आपके लिए इंट्राडे ट्रेडिंग intraday इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुनें trading एक बेहतर मौक़ा बनकर आ सकता है। क्योंकि इसमें आपको अच्छा मार्जिन मिलता है वो भी काफ़ी आकर्षक। यह मार्जिन आपको आपके ब्रोकर के द्वारा दिया जाता है जिसका आपसे कोई चार्ज भी नहीं लिया जाता है। यानि कि इंट्राडे में ट्रेडिंग के फ़ायदे (intraday trading ke fayde) बहुत अच्छे हैं।

वैसे आपको अधिक से अधिक फ़ायदा और कम से कम नुक़सान यानि कि कम से कम रिस्क पर ट्रेडिंग करनी हो तो मेरी सलाह यही रहेगी कि आप जितना हो सके इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday trading) ही करें। क्योंकि कम पैसा लगाकर ज़्यादा कमाई करने के लिये इंट्राडे ट्रेंडिंग बेहतर माध्यम हो सकता है।


तो चलिये अब देर न करते हुए मैं आपको कुछ ऐसे टिप्स दे देता हूँ जिसे अपनाकर आप इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday trading) में अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग टिप्स | Intraday trading tips in hindi

दोस्तों शेयर मार्केट के जानकारों के मुताबिक़, आप इंट्राडे ट्रेडिंग में निवेश करें या डिलीवरी ट्रेडिंग में। सबसे पहले तो आपको इस मार्केट के लिए ख़ुद को तैयार करना होगा। यही कि आप किसलिए इस share market में निवेश (investment) करना चाहते हैं? आपका लक्ष्य क्या है? ताकि आप उसी हिसाब से अपनी रणनीति बना सकें। और अपनी कमाई कर सकें।


इंट्राडे ट्रेडिंग में वैसे तो कमाई बहुत अच्छी हो सकती है। लेकिन इसमें बहुत सारा रिस्क भी है। इसीलिये अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो कुछ अहम बातें ध्यान में रखनी होगी। चाहे परिस्थितियाँ जैसी भी हों।


इसलिए मैं आपको इंट्राडे ट्रेडिंग में मनचाहा पैसा कमाने के लिए इंट्राडे ट्रेडिंग टिप्स इन हिंदी बताना चाहता हूँ। जिन्हें फॉलो करके आप इंट्रा डे ट्रेडिंग से अपने मुताबिक़ मुनाफ़ा कमा सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं intraday me trading kaise kare? इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें? कुछ महत्वपूर्ण टिप्स-

1. सबसे पहले हाई लिक्विड वाले शेयर का चुनाव करना है तथा उन पर पैनी नज़र रखना होगा। पैनी नज़र का अर्थ है पिछले कुछ दिनों से कुछ चुनिंदा शेयरों की चाल को ध्यान में रखना। ताकि उन शेयरों के उतार-चढ़ाव को देखकर आप अपना सटीक अनुमान लगा सकें। वोलेटाइल स्टॉक से दूरी बनाए रखें। इसी में आपकी भलाई है।


2. शुरुआती दिनों में इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय ज़्यादा रिस्क लेना जायज़ नहीं होगा। यह आपके लिए बेहद ख़तरनाक हो सकता है। इसके लिए न्यूज़ वगैरह में एनालिसिस देखते रहें।

3. आपको 10 से 12 स्टॉक की एक सूची बना लेनी चाहिए ताकि जब भी कोई ट्रेड करना हो। इन्हीं 10-12 स्टॉक की सूची में से किसी शेयर को चुन सकें। कभी भी दूसरे के विश्लेषण से काम न करें पहले अपना दिमाग़ अवश्य लगाएं। इंट्राडे ट्रेडिंग में अंधाधुंध 8-10 स्टॉक में ट्रेडिंग करने के बजाय अच्छे वाले 2-3 शेयर्स का चुनाव करते हुए उनमें ट्रेड करना बेहतर होता है।


4. शेयर चुनते वक्त बाज़ार का इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुनें ट्रेंड देखना ज़्यादा बेहतर होता है। साथ ही कंपनी की पोर्टफोलियो भी चेक करते रहें। आप चाहे तो किसी शेयर को के बारे में किसी ट्रेडिंग एक्सपर्ट की राय भी ले सकते हैं।

5. इंट्राडे ट्रेडिंग में अचानक किसी भी स्टॉक में उछाल अथवा गिरावट तेज़ी से आने लगते हैं। इसलिए ज़्यादा लालच नहीं करना चाहिए और पैसा लगाने के पहले उसका लक्ष्य और स्टॉप लॉस ज़रूर तय कर लेना चाहिए। जिससे टारगेट पूरा होते देख स्टॉक को सही समय पर बेचा जा सके। यही इंट्राडे ट्रेडिंग का मूल मंत्र है।


6. इंट्राडे ट्रेडिंग में जितना हो सके अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों की ही ख़रीदारी करें। ताकि इन शेयरों के बारे में आप अच्छी तरह अनुमान लगा सकें। इस तरह के शेयरों की प्रकृति एक दूसरे से मिलती जुलती होती है। ऐसे शेयर्स का ट्रेंड भी मिलता जुलता होता है।


7. इंट्राडे ट्रेड के लिये उतनी ही धनराशि में निवेश करें जितना आप नुक़सान सहने यानि कि जोख़िम उठाने में सक्षम हों। ख़ुद को जितना हो सके, भावनात्मक रूप से प्रभावित होने से बचाएँ। अपने आपको इस तरह नियंत्रित करने से किसी भी वित्तीय संकट से बचने में मदद मिलती है।

8. इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सबसे ख़ास बात होती है सही समय में एंट्री। सही समय में मार्केट में entry करना ही उस दिन की ट्रेड की दिशा निश्चित करती है। ग़लत समय में की गयी entry आपके मुनाफ़े को नुक़सान में बदल सकती है। चूँकि बाज़ार शुरू होने से लगभग 1 घंटे तक अस्थिर होता है। इसलिए बेहतर अवसर का इंतज़ार करें। अतिउत्साह में market में entry लेने से बचें।


9. किसी भी ट्रेड को करने से पहले उस ट्रेड का target और stop loss तय कर लें। स्टॉप लॉस (stop loss) लगाने से आप किसी संभावित नुक़सान को सीमित कर सकते हैं।

10. डर, लालच और घबराहट और अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखें। क्योंकि अगर आप नियंत्रित करने में क़ामयाब हो जाते हैं तो यूँ समझिए कि आपको शेयर मार्केट में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। अगर ऐसा नहीं है तो समझिए शेयर मार्केट आपके लिए नहीं है।


उम्मीद है इस अंक में आपने शेयर बाज़ार से पैसा कमाने का तरीका जान लिया होगा। मैं आशा करता हूँ आप इस इंट्राडे ट्रेडिंग फार्मूला को ज़रूर फॉलो करेंगे। और इंट्राडे ट्रेडिंग में अपना मनचाहा मुनाफ़ा सुनिश्चित करेंगे।

Liquid Stock क्या है और लिक्विड स्टॉक कैसे चुनें?

लिक्विड स्टॉक क्या है? अगर आपने शेयर बाजार में ट्रेडिंग के बारे में कहीं पढ़ा या सुना होगा। तो वहां हमेशा liquid stock को खरीदने व बेचने के लिए कहा जाता है। आज बड़े बड़े ट्रेडर्स लिक्विड स्टॉक में ट्रेड करने को कहते हैं। साथ ही जिस स्टॉक में liquidity नहीं होती है। तो उसमे ट्रेडिंग करने के लिए आपको हमेशा 'ना' ट्रेड करने की सलाह देते हैं।

आज के समय कई नये ट्रेडर्स शेयर मार्केट में एंट्री लिए है। जो ट्रेडिंग करके financial independent होना चाहते हैं। ट्रेडिंग के लिहाज से आपको liquidity का मतलब जानना बहुत जरूरी होता है।

खासकर यह लेख उन retail trader's के लिए फायदमंद है जो नॉन कॉमर्स बैकग्राउंड के है। शेयर मार्केट में liquidity शब्द उनके लिए थोड़ा टेक्निकल हो जाता है। इसलिए आज के लेख "liquid stock क्या होते हैं और liquid stock कैसे चुने?" के बारे में आसान शब्दो में जानेंगे। आइए तो फिर पहले जानते हैं कि मार्केट में liquidity शब्द का क्या अर्थ होता है।

Liquidity क्या है?

Liquidity का हिंदी में अर्थ "तरलता" होता है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी भी asset को कितनी आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। यानी कि कोई भी asset जितना liquid होगा, उसकी उतनी आसानी से खरीद और बिक्री की जा सकता है। वहीं अगर कोई asset जितना illiquid होगा उसे बेचना और खरीदना उतना ही मुश्किल होता है।

Liquid Stock क्या है?

Liquid Stock का मतलब किसी भी शेयर को आसानी से कभी भी खरीदा और बेचा जा सकता है। यानी कि आपके पास जो भी शेयर है, उसे सही समय आने पर कैश में आसानी से बदला जा सके। अच्छी लिक्वडिटी वाले शेयरों में नजर रखना और उसमे ट्रेड या निवेश करने से आपको यह मदद मिलती है कि जब भी आपको एक मोटा प्रॉफिट हो तो उसे आसानी से बेच सके।

यदि आप illiquid stock में ट्रेड या निवेश करते हैं तो शायद यह भी हो सकता है, कि आपको कभी भी उस share को बेचना हो लेकिन कोई खरीदने वाला ना मिले। इसलिए प्रोफेशनल ट्रेडर्स और निवेशक आपको इस तरह के स्टॉक में ट्रेड या निवेश करने से मना करते है। क्योंकि stock illiquid होने के कारण आपको बेचने में दिक्कत आ सकती है।

लिक्विड शेयरों के चार्ट में आपको हर एक मिनट कि कैंडल में बॉडी मिल जाती है। इस तरह के स्टॉक में हर एक मिनट में अच्छा वॉल्यूम होता है। Liquidity होने के कारण हर एक मिनट में शेयरों के प्राइस में उतार चढ़ाव होता रहता है। ज्यादातर penny stocks और कम प्राइस वाले शेयरों में लिक्वडिटी नहीं होती है।

Trading के लिए Liquid Stock क्यों महत्वपूर्ण है?

लिक्वडिटी का अर्थ आप लोग जान गए होगे। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा कि trading के लिए लिक्विड स्टॉक क्यों जरूरी होते हैं। आइए जानते हैं कि लिक्वडिटी बाजार को दो मुख रूप से कैसे प्रभावित करती है:-

1. मूल्य प्रसार ( Price Spread )

Finance में स्प्रेड का मतलब दो प्राइस, रेट्स, या यील्ड का अंतर होता है। अगर आसान शब्दो में बताए तो मूल्य प्रसार मार्केट के खरीदार और विक्रेता के ऑर्डर्स का अंतर होता है। यह हमें बताने की कोशिश करता है कि एक खरीदार और विक्रेता के खरीद और बिक्री के प्राइस में क्या अंतर है।

Liquid Stock खरीद प्राइस और बिक्री प्राइस के बीच में आने वाले गैप को कम करने की कोशिश करता है। यानी कि लिक्विड स्टॉक में low price spread होता है। वहीं illiquid stock में खरीद प्राइस और बिक्री प्राइस के बीच में आने वाला गैप बहुत ज्यादा होता है। यानी कि illiquid स्टॉक में high price spread होता है। इसलिए illiquid स्टॉक में किसी भी शेयर को खरीदना और बेचना मुश्किल हो जाता है।

2. Slippage

Slippage का हिंदी में अर्थ "फिसलन" या " गिरावट" होता है। वहीं ट्रेडिंग slippage का मतलब अपेक्षित कीमत (expected price) और उस कीमत के बीच का अंतर जो ट्रेड निष्पादित (executed) हो चुका है। वैसे तो बाजार में शेयरों के प्राइस में तेजी से उतार चढ़ाव आता है। इसलिए slippage कभी भी हो सकता है। लेकिन ज्यादातर समय slippage होने कारण शेयर में high volatility होती है। दूसरी तरफ इसके होने का कारण यह भी है कि जब कोई बड़े मात्रा में ऑर्डर को executed किया जाता है, लेकिन उस समय bid/ask प्राइस के बीच में स्प्रेड बनाए रखने के लिए चयन किए गए प्राइस में वॉल्यूम नहीं होता है। बता दू कि liquid stock में illiquid stock में मुकाबले slippage कम होती है।

Slippage को हम दो प्रकार में भिवाजित कर सकते हैं। एक सकारात्मक गिरावट और दूसरा नकारात्मक गिरावट है। सकारात्मक गिरावट तब होती है इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुनें जब लॉन्ग ट्रेड में ask price का कम होना और शॉर्ट ट्रेड में bid price का बढ़ना होता है। वहीं नकारात्मक गिरावट तब होती है जब लॉन्ग ट्रेड में ask price का बढ़ना होना और शॉर्ट ट्रेड में bid price का कम होना होता है।

Trading के लिए Liquid Stocks को कैसे चुने?

Trading के लिए लिक्विड स्टॉक का होना आवश्यक है। खासकर intraday trading के लिए highly liquid stocks का होना जरूरी है। स्टॉक में वॉल्यूम के साथ साथ volatility होने से शेयर कि लिक्विडिटी बढ़ जाती है। आइए तो फिर जानते हैं की ट्रेडिंग के लिए लिक्वड स्टॉक्स कैसे चुने?

1. High Trade Volume

किसी भी स्टॉक में high volume होने का मतलब उस स्टॉक पर एक दिन में कितनी खरीद और बिक्री हुई है। हाई वॉल्यूम यानी कि उस स्टॉक में हाई लिक्विडिटी का होना है।

2. Bid/Ask प्राइस में कम अंतर होना

Bid/Ask प्राइस में कम अंतर होने का मतलब यह हुआ की उस स्टॉक को खरीदने के लिए अनेकों खरीददार मौजूद है। वहीं दूसरी तरफ अनेकों विक्रेता उस स्टॉक को बेचने के लिए मौजूद है। इससे slippage कि कमी और high liquidity होना दर्शाता है।

3. मध्य volatility वाले शेयरों को चुने

अगर किसी स्टॉक में कम लिक्विडिटी यानी कि वोलैटिलिटी बिल्कुल भी नहीं है। वह स्टॉक जो पूरी तरह से choppy है। उनसे हमेशा दूर रहना चाहिए। लेकिन वही दूसरी तरफ अगर स्टॉक ज्यादा वोलेटाइल होगा, तो उसमे नुकसान भी उतना ही ज्यादा हो सकता है। इसलिए ट्रेडिंग के लिए मध्य volatility वाले शेयरों को चुने। मध्य volatility वाले शेयरों में रिस्क, हाई volatility वाले शेयरों से कम होता है।

निष्कर्ष

ट्रेडर्स के नजरिए से स्टॉक में लिक्विडिटी होना बहुत जरूरी होता है। हाई लिक्विडिटी वाले स्टॉक को आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। इस तरह के स्टॉक को जल्दी से नकदी में बदला जा सकता है। अगर किसी स्टॉक में लिक्विडिटी नहीं है तो शायद आप एक अच्छी ऑपर्च्युनिटी खो दे।

डे ट्रेडर्स को हाई लिक्विडिटी वाले स्टॉक का चयन करना चाहिए। क्योंकि उन्हें एक दिन में कई सौदे करने पड़ते हैं। अगर दूसरी तरफ देखे तो स्टॉक में लिक्विडिटी नहीं होने के कारण आप एक दिन में कई ट्रेड ना ले पाए। Illiquid stocks में आपके रिस्क कैपेसिटी से भी ज्यादा का नुकसान हो सकता है।

उम्मीद करता हूं कि आपको आज का लेख "liquid stocks क्या है? लिक्वड स्टॉक कैसे चुने?" पसंद आया होगा। ऐसे ही वित्तीय बाजार के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे ब्लॉग से जुड़े रहे। हम यहां आपको वित्तीय बाजार के साथ साथ टेक्नोलॉजी से जुड़ी अन्य जानकारियां भी साझा करते हैं।

स्कैनिंग ब्रेकआउट स्ट्रैटेजीएस 2- प्राइज़ वॉल्यूम ब्रेकआउट्स

यह एक ईओडी स्कैन है जो आपको ऐसे स्टॉक खोजने में मदद करता है जो पिछले एक सप्ताह में ट्रेडिंग के पिछले 120 दिनों (~6 महीने) के उच्च के पार गया है,ट्रेडिंग वॉल्यूम में काफी वृद्धि दिखाई है और पिछले दिन की ट्रेडिंग में मजबूती से बंद हुआ है।

मैं आपको स्कैनर परिणामों से स्टॉक्स को शोर्त्लिस्त कर उनका आगे चार्ट्स पर विश्लेषण कर उन स्टॉक्स तक पहुँचने की सलाह देता हूँ जो स्पष्ट रूप से पहचाने जाने वाले पैटर्न्स दिखा रहे हो।

प्रारंभिक अवस्था में इसकी पुष्टि होने के बाद पोज़िशनल व्यापारी लंबे समय के रुझानों में प्रवेश करने के लिए इस स्कैन का उपयोग कर सकते हैं। आप अपने स्टॉप लॉस को पिछली स्विंग के नीचे डिफ़ाइन कर सकते हैं जैसा कि फिगर 1 में दिखाया गया है और स्टॉप को पीछे छोड़ते हुए स्टॉक को पिछले स्विंग हाई से पार करते हैं। जैसा कि फिगर में देखा गया है। एक बार जब स्टॉक 2, 3, 4 और 5 को पार कर जाता है, तो स्टॉप लॉस क्रमशः SL2, SL3, SL4 और SL5 पर आ जाता है।

यह उन व्यापारियों के लिए एक आदर्श स्कैन है जिनके पास फुल-टाइम नौकरियां हैं और वे बाजारों को ट्रैक करने के लिए एक दिन में एक घंटे से अधिक खर्च नहीं कर सकते हैं। हालांकि ट्रेडों को खोने के लिए जीतने वाले ट्रेडों की संख्या का अनुपात कम होगा (<1), जीतने वाले ट्रेडों पर लाभ नुकसान का कई गुना होना इसे एक उत्कृष्ट रणनीति बनाता है।

दिन के व्यापारी,ऐसे शेयरों में अपने लंबे ट्रेडों के लिए कम जोखिम वाली प्रविष्टियों को खोजने के लिए इंट्रा डे पुलबैक और सुधार का उपयोग कर सकते हैं। कीमतों का पीछा नहीं करना और धैर्य रखना महत्वपूर्ण है। एक चूका हुआ अवसर एक खोने वाले व्यापार से बेहतर है।

2 महीने का प्राइज़ वॉल्यूम ब्रेकाउट
यह स्कैन केवल ब्रेकाउट के टाइम को छोडकर प्राइज़ वॉल्यूम ब्रेकआउट के समान है। जैसा इसके नाम से पता चलता है, इसके आउटपुट वे स्टॉक्स हैं जो पिछले 2 महीने (50 दिन सटीक) में अपने उच्च के पार निकले हैं।

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इंट्राडे ब्रेकआउट्स

बड़ी वॉल्यूम्स पर तीव्र प्राइज़ गेन/फॉल
यह एक सरल स्कैन है जो उन स्टॉक्स को देखता है जो बड़ी वॉल्यूम्स के साथ तेजी से बढ़ रहे हैं या गिर रहे हैं। प्राइज़ गेन को पेर्सेंटेजेस में डिफ़ाइन किया जाता है और वॉल्यूम को एक सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) की तुलना में देखा जाता है।

पसंदीदा टाइमफ्रेम, सुबह 9.30 बजे 15/30 मिनट या दिन के मूवर्स चुनने के लिए 10 बजे 60 मिनट।

निर्णय लेने से पहले इस स्कैन के परिणामों का विश्लेषण किया जाना चाहिए।
मैं सुझाव दूँगा कि आप इस विडियो वॉक-थ्रु को देखकर यह समझें कि मैं कैसे इस स्कैन का उपयोग करता हूँ।

हम आने वाले हफ्तों में आपको ब्रेकआउट्स के लिए स्कैनर्स के उपयोग के बारे में अधिक जानकारी देते रहेंगे।

Note: This article is for educational purposes only. Kindly learn from it and build your knowledge. We do not advice or provide tips. We highly recommend to always trade using stop loss.

Arshad Fahoum

Arshad Fahoum

Arshad इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुनें is an Options and Technical Strategy trader and is currently working with Market Pulse as a Product strategist. He is authoring this blog to help traders learn to earn.

Stocks चुनने से लेकर इससे होने वाले फायदे यहां जानिए

Stocks चुनने से लेकर इससे होने वाले फायदे यहां जानिए

यह शेयर बाजार खुलने से लेकर बंद होने की बीच की गई शेयर की खरीदी बिक्री की प्रक्रिया होती है . यहां पैसा लगाने वाले निवेशकों का मुख्य उद्देश्य लंबे समय तक शेयर को होल्ड करना नहीं बल्कि उसी दिन बाजार बंद होने के पहले बेचकर फायदा कमाना होता है .

इन बातों का रखे ध्यान

इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय ध्यान रखने वाली सबसे जरूरी बात इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए संबंधित ऑर्डर ठीक ढंग से तैयार करना होता है . यदि कोई ऐसा करने में विफल रहता है, तो उनका ब्रोकर आपकी स्थिति को चौपट कर सकता है यदि आप स्वयं से ट्रेडिंग कर रहे हैं तो हानि उठा सकते हैं .

चाहे कोई आदमी अनुभवी हो या नया निवेशक, उसे इंट्राडे ट्रेडिंग में एक साथ होने वाली कई घटनाओं पर नजर रखना पड़ता है . इसलिए हिंदुस्तान में इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय रुझानों और संकेतकों पर नज़र रखने से बहुत सहायता मिल सकती है . यहां कुछ संकेतक दिए गए हैं, जिन पर दिन के कारोबार के दौरान विचार किया जा सकता है, जो अच्छी कमाई में सहायता कर सकते हैं .

इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ

  • नियमित आय अर्जित करने का मौका
  • कम कमीशन शुल्क
  • अधिक लाभ
  • लिक्विडिटी
  • बाजार में उतार-चढ़ाव के माध्यम से पूंजीगत लाभ

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुनें?

इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें यह समझने के लिए निवेश करते समय सर्वोत्तम इंट्राडे ट्रेडिंग स्टॉक की पहचान करना आवश्यक होता है, क्योंकि इसमें अपेक्षाकृत अधिक जोखिम होता है . ऐसे शेयर चुनें, जिन्हें बेचना भी आसान हो . जिन शेयरों की लिक्विडिटी अधिक होती है, उन्हें आदमी सरलता से जब चाहे बाजार खुले रहने तक सेल कर सकता है . यदि आपके शेयर का कोई बॉयर नहीं होगा तो आप उसे किसको बेचेंगे, ऐसे में आपको हानि उठाना पड़ जाएगा .

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