एक सीमा आदेश क्या है?

पाकिस्तान की तरफ से आ रहे एक घुसपैठिए को आज सुबह 2:30 बजे जम्मू के आर. एस. पुरा सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास मार गिराया। उसे सैनिकों द्वारा चेतावनी दी गई थी लेकिन वह भारत की सीमा की ओर बढ़ता रहा: BSF के एक वरिष्ठ अधिकारी (तस्वीरें मौजूदा समयानुसार एक सीमा आदेश क्या है? नहीं हैं।) pic.twitter.com/ytiowICNhp — ANI_HindiNews (@AHindinews) November 22, 2022
शिव शंकर बाबा के खिलाफ प्राथमिकी एक सीमा आदेश क्या है? रद्द करने का आदेश वापस लिया गया
मूल रूप से, बाबा की एक याचिका को स्वीकार करते हुए, न्यायमूर्ति एक सीमा आदेश क्या है? मंजुला ने उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि मामला समय सीमा से बाधित था। बाबा द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ने वाले एक लड़के की मां, शिकायतकर्ता द्वारा लगाया गया यौन उत्पीड़न का आरोप गंभीर प्रकृति का था।
हालांकि, शिकायत के साथ दायर की गई देरी को माफ करने के लिए सीआरपीसी की धारा 473 के तहत किसी याचिका के अभाव में, मामला समय सीमा से बाधित हो जाता है। इसलिए, जांच किसी भी उपयोगी उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर सकी और तकनीकी खामियों के कारण, प्राथमिकी को रद्द करने के लिए उत्तरदायी है, न्यायाधीश ने कहा था।
जिन्ना ने कहा कि 17 अक्टूबर को जब आदेश पारित किया गया था तब प्राथमिकी का चरण पहले ही समाप्त हो चुका था। अदालत ने अनजाने में इस मामले की सुनवाई की और बाद के विकास पर ध्यान दिए बिना प्राथमिकी को रद्द कर दिया। शिकायतकर्ता/पीड़ित को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया और इसलिए उसे अपने मामले को समझाने का कोई अवसर नहीं दिया गया। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों ने कई मामलों में यह माना था कि रद्द करने की याचिका की अनुमति देने से पहले मुखबिर/शिकायतकर्ता को सुना जाना चाहिए/प्रतिवेदन करने का अवसर दिया जाना चाहिए। शिकायतकर्ता/पीड़ित को बिना किसी नोटिस के पारित किया गया आदेश, विशेष रूप से इस प्रकृति के यौन अपराध के आरोप वाले मामले में, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। इस प्रकृति के मामले में पीड़ित/शिकायतकर्ता से शिकायत दर्ज करने की समय सीमा के बारे में जानकारी होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है, और यही कारण है कि Cr.PC की धारा 473 Cr.PC की धारा 468 में ओवरराइडिंग प्रावधान के रूप में कार्य करती है। पीपी ने बताया कि बाबा के खिलाफ ऐसे छह और मामले लंबित हैं।
जनता से रिश्ता इस खबर की पुष्टि नहीं करता है ये खबर जनसरोकार के माध्यम से मिली है और ये खबर सोशल मीडिया में वायरलहो रही थी जिसके चलते इस खबर को प्रकाशित की जा रही है। इस पर जनता एक सीमा आदेश क्या है? से रिश्ता खबर की सच्चाई को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं करता है।
भारतीय जवानों ने नाकाम की पाकिस्तानी घुसपैठ, 1 घुसपैठिया ढेर, एक जिंदा गिरफ्तार
जम्मू | Pakistani Infiltration: सर्दी का मौसम शुरू होते ही पाकिस्तान की नापाक हरकतें भी बढ़ गई हैं। सीमा पर भारी बर्फजमने से पहले ही पाकिस्तान की एक सीमा आदेश क्या है? ओर से आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश जोर पकड़ रही है। ऐसे में भारतीय सेना को कश्मीर घाटी में बड़ी सफलता मिली है। मंगलवार को बीएसएफ के जवानों ने जम्मू-कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा में पाकिस्तानी घुसपैठ को नाकाम कर दिया है। बॉर्डर पर तैनात बीएसएफ के जवानों ने घाटी के दो अलग-अलग जगहों पर पाक की नापाक हरकत का जवाब देते हुए एक पाकिस्तानी घुसपैठिया को मार गिराया है और एक अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया है।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अनुसार, बॉर्डर पर निगरानी कर रहे मस्तैद भारतीय जवानों ने आधी रात के बाद जम्मू के अरनिया सेक्टर और सांबा जिले के रामगढ़ सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठ की दोनों कोशिशों को नाकाम कर दिया। बीएसएफ ने बताया कि जम्मू के अरनिया सेक्टर में पाकिस्तान से आतंकियों का एक दल सीमा पार करने की कोशिश में था।
जानकारी के अनुसार, अरनिया सेक्टर की जब्बोंवाल बीएसएफ पोस्ट के पास जवानों कुछ संदिग्ध गतिविधियां होते हुए देखे जाने के बाद फायरिंग शुरू की। जिसमें एक पाक घुसपैठिए को ढेर कर दिया गया जबकि, एक को जवानों ने धर दबोचा। अभी पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जारी है। ये घटना रात करीब 2:30 बजे की बताई गई है।
पाकिस्तान की तरफ से आ रहे एक घुसपैठिए को आज सुबह 2:30 बजे जम्मू के आर. एस. पुरा सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास मार गिराया। उसे सैनिकों द्वारा चेतावनी दी गई थी लेकिन वह भारत की सीमा की ओर बढ़ता रहा: BSF के एक वरिष्ठ अधिकारी
(तस्वीरें मौजूदा समयानुसार नहीं हैं।) pic.twitter.com/ytiowICNhp
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 22, 2022
पाकिस्तानी सेना ध्यान एक सीमा आदेश क्या है? बंटाने के लिए की फायरिंग
बताया जा रहा है कि, जब सीमा पार से घुसपैठ की कोशिश की जा रही थी तब पाकिस्तानी सेनी की ओर से बीएसएफ का ध्यान बंटाने के लिए फायरिंग भी की गई। लेकिन बीएसएफ ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी घुसपैठिए को मार गिराया। जिसका शव तारबंदी के पास पड़ा हुआ मिला है।
Pakistani Infiltration: वहीं दूसरी ओर, बीएसएफ ने एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को जिंदा धर एक सीमा आदेश क्या है? दबोचा है। यह घुसपैठिया रामगढ़ सेक्टर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करने के बाद बाड़ के पास पहुंच गया था। तभी बीएसएफ ने उसे पकड़ लिया। हालांकि, उसके पास से कुछ भी आपत्तिजनक चीज बरामद नहीं हुई है।
एक सीमा आदेश क्या है?
नई दिल्ली: असम-मेघालय सीमा पर मंगलवार को एक हैरान घटना सामने आई है। मंगलवार सुबह पुलिस फायरिंग में 6लोगों की मौत हो गई है। मरने वालों में एक एक सीमा आदेश क्या है? असम का फॉरेस्ट गार्ड भी है। बताया गया है कि सीमा से सटे जंगल से कुछ लोग ट्रक से तस्करी करके लकड़ी ले जा रहे थे। असम पुलिस और फॉरेस्ट विभाग ने उन्हें पश्चिम जयंतिया हिल्स में मुकरोह में रोका तो फायरिंग हो गई।मेघालय सरकार ने मुकोह में गोलीबारी की घटना के एक सीमा आदेश क्या है? बाद मंगलवार से 48 घंटे के लिए सात जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी है।
48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद
आपको बता दे कि, इस घटना में मरने वाले पांच लोग मेघायल के हैं। खबर फैलते ही मेघायल के 7 जिलों में हिंसा भड़क गई। इसके बाद मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा के आदेश पर इन जिलों में 48 घंटे के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया है। इनमें पश्चिम जयंतिया पहाड़ियां, पूर्वी जयंतिया पहाड़ियां, पूर्वी खासी पहाड़ियां, री-भोई, पूर्वी पश्चिम खासी पहाड़ियां, पश्चिम खासी पहाड़ियां और दक्षिण पश्चिम खासी पहाड़ियां शामिल हैं।
वहीं मेघायल के CM ने हादसे को दुखद बताते हुए मरने वालों के परिवार के प्रति संवेदनाएं जताई हैं। उन्होंने बताया कि घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जो भी हुआ बहुत दुखद है। घटना की FIR मेघायल पुलिस ने दर्ज कर ली है। इसकी जांच कराई जाएगी।
मेघायल के सात जिलों में हिंसा
मंगलवार सुबह हुई फायरिंग में छह लोगों की मौत की सूचना सोशल मीडिया से फैली। इसके बाद मेघायल के सात जिलों में हिंसा होने लगे। कानून व्यवस्था बिगड़ती देख इंटरनेट बंद कर दिया गया। अगले 48घंअे तक वॉट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब आदि सब बंद रहेंगे। पुलिस ने इन जिलों में फोर्स बढ़ा दी है।
हाईकोर्ट कोर्ट ने कहा- किसी भी भर्ती पर नहीं लगाई रोक, ओबीसी आरक्षण की याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने को चुनौती देने के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि इस मुद्दे से जुड़ी कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। उनमें आदेश पारित होने तक यहां से आदेश नहीं दे सकते हैं। हाईकोर्ट के न्यायाधीश शील नागू तथा न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भर्ती पर रोक नहीं लगाई गई है।
अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी। मामले की सुनवाई तक ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण का अंतरिम आदेश बरकरार रहेगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी, अंशुमान सिंह, सुयष ठाकुर व अन्य ने पक्ष रखा। वहीं ओबीसी के विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक शाह ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक याचिका वापस लिए जाने का आवेदन 11 नवंबर 2022 को दाखिल कर दिया गया है और शेष तीन याचिकाएं लंबित हैं। उन्होंने तर्क दिया कि 7 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण के मामले में कुल आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा मान्य किया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में ओबीसी की 51 प्रतिशत जनसंख्या है। इसे दृष्टिगत रखते हुए 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाना संवैधानिक है। संविधान में आरक्षण की अधिकतम सीमा क्या होगी यह राज्य सरकार का क्षेत्राधिकार है। सरकार की ओर से एडीशनल एडवोकेट जनरल हरप्रीत रूपराह व आशीष बर्नार्ड ने पक्ष रखा।
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कर्नाटक सरकार महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में लड़ने के लिए तैयार: CM बोम्मई
बेंगलुरु: कर्नाटक सीमा विवाद के मामले की कानून लड़ाई की प्रक्रिया में समन्वय के लिए प्रदेश के उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील और राज्य के उत्पादन शुल्क मंत्री शंभुराज देसाई की नियुक्ति की एक सीमा आदेश क्या है? गई है। जी दरअसल बीते सोमवार को राज्य अतिथि गृह सह्याद्री में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद संबंधी उच्चाधिकार समिति की बैठक हुई। इस दौरान कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि, 'उनकी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में महाराष्ट्र के साथ अपने सीमा विवाद पर कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने की पूरी तैयारी कर ली है।' इसी के साथ इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि, 'सुप्रीम कोर्ट में चल रही कानून लड़ाई में तालमेल के लिए दो मंत्रियों की नियुक्ति की गई है।'
आगे उन्होंने कहा कि, 'कर्नाटक के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले मराठी भाषियों को भी मुख्यमंत्री सहायता निधि और महात्मा जोतिबा फुले जनआरोग्य योजना का लाभ दिया जाएगा। इसके साथ ही सीमा आंदोलन में मृत हुए लोगों के परिजनों को स्वतंत्रता सैनिकों की तरह दोगुना पेंशन दिया जाएगा।'
क्या है महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद?- आपको बता दें कि महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के बीच में बेलगावी, खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार की सीमा को लेकर विवाद है। भाषाई आधार साल 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के दौरान महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने मराठी भाषी बेलगावी सिटी, खानापुर, निप्पानी, नांदगाड और कारवार को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की मांग की थी। जी हाँ और आगे चलकर जब यह मामला बढ़ा तो केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मेहर चंद महाजन के नेतृत्व में एक आयोग के गठन का फैसला लिया। इसको लेकर कर्नाटक में विवाद शुरू हो गया और कर्नाटक को तब मैसूर कहा जाता था।
क्यों और कैसे शुरू हुआ विवाद- आपको बता दें कि दोनों राज्यों के बीच विवाद इसलिए शुरू हुआ, क्योंकि मैसूर के तत्कालीन मुख्यमंत्री एस निजालिंग्पा, प्रधानमंत्री इंदिरा गांदी और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी नाइक के साथ बैठक में इसके लिए तैयार हो गए थे। हालांकि, बाद में जब आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी, तो महाराष्ट्र ने इसे भेदभावपूर्ण और अतार्किक बताते हुए खारिज कर दिया था।