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शुरुआती के लिए आदर्श सुझाव

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भारत के लिए टी20 में ऋषभ पंत के आदर्श बल्लेबाजी पोजीशन को लेकर दिग्गज ने दिया अहम सुझाव

भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत (Rishabh Pant) का रूतबा टेस्ट क्रिकेट में बहुत ज्यादा लेकिन बात जब टी20 की आती है, तो इस बल्लेबाज के आंकड़े काफी खराब हैं। पंत को अभी तक इस प्रारूप में भारत के लिए कामयाबी नहीं मिली है। इस बीच पूर्व भारतीय खिलाड़ी वसीम जाफर (Wasim Jaffer) ने पंत की बल्लेबाजी पोजीशन को लेकर अहम सुझाव दिया है। जाफर के मुताबिक छोटे प्रारूप में बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए ओपनिंग करना सबसे सही रहेगा।

आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप से पहले भारत के लिए हर एक सीरीज काफी अहम है और अभी से चयनकर्ता अलग-अलग खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर नजर रखना शुरू कर देंगे। ऐसे में 7 जुलाई से इंग्लैंड के खिलाफ शुरू हो रही 3 मैचों की टी20 सीरीज भी काफी अहम है। इस सीरीज में पंत भी नजर आएंगे। उन्हें आखिरी के दो मैचों के लिए टीम में जगह मिली है।

सीरीज की शुरुआत से पहले रोहित शर्मा के जोड़ीदार के रूप में जाफर ने ऋषभ पंत के नाम का सुझाव दिया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा,

भारतीय थिंक टैंक को T20I में ऋषभ पंत के साथ ओपनिंग के बारे में सोचना चाहिए। मुझे लगता है कि यही वह जगह है जहां वह अच्छा कर सकता है।

Indian think tank should think about opening with Rishabh Pant in T20Is. I think that's the spot where he can blossom. #ENGvIND

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भारत के लिए खेलते हुए ऋषभ पंत के टी20 आंकड़ों पर एक नजर

ऋषभ पंत ने भारत के लिए 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ टी20 डेब्यू किया था। वह अब तक अपने करियर में 48 टी20 मुकाबले खेल चुके हैं। इस दौरान उन्होंने 23.15 की साधारण औसत और 123.91 के स्ट्राइक रेट से 741 रन बनाये हैं। उनके बल्ले से एक भी अर्धशतक नहीं आया है।

भारत के लिए पंत ने छोटे प्रारूप में अभी तक एक बार भी ओपनिंग नहीं की है। उन्होंने कुछ मैचों में नंबर 3 पर बल्लेबाजी की है लेकिन पारी की शुरुआत नहीं की है। टीम में दिनेश कार्तिक और इशान किशन लगातार अच्छा कर रहे हैं और अगर पंत इंग्लैंड के खिलाफ अपना प्रभाव छोड़ने में असफल रहते हैं तो उनकी जगह पर भी खतरा हो सकता है।

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प्रॉडक्ट्स

जेलो फ्लैश कार्ड

आप जेलो के पॉकेट फ्लैश कार्ड किट (प्रिंट करने योग्य) का उपयोग कर सकते हैं। शुरुआती के लिए आदर्श सुझाव फ्लैश कार्ड का इस्तेमाल कर के, आप शुरुआती स्तर के प्रयोगकर्ताओं को जेलो के आकर्षक आइकॉन और उनके संबंधित नाम सीखा सकते हैं।
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जिन बच्चों को शारीरिक तकलीफों के वजह से जेलो का इस्तेमाल करने में तकलीफ होती हैं, उनके लिए जेलो एप्लीकेशन एक्सटर्नल हार्डवेयर स्विच के साथ उपलब्ध है।

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जेलो कस्टमाइज़्ड संस्करण में हम अनेक विकसित सुविधाएं उपलब्ध करेंगे। उदहारण- आप मौजूदा कंटेंट को बदल सकते हैं, बच्चे के लिए दिन भर की सूची बना सकते हैं, बच्चे के लिए कस्टमाइज़्ड बोर्ड बना सकते हैं। जल्द आ रहा है! -->

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जेलो एंड्रॉइड एप्लिकेशन फिलहाल में ८ भाषाओं (अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, बंगाली, तमिल, जर्मन, स्पेनिश, फ्रेंच) और कई बोलियाँ (भारतीय, अमेरिकी और ब्रिटिश) में उपलब्ध है।

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जेलो का आई ओ एस संस्करण अब उपलब्ध है; जिसे आईफ़ोन और आईपैड पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

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सामान्य प्रश्न

    जेलो फिलहाल शुरुआती के लिए आदर्श सुझाव कौनसे अलग अलग माध्यम में उपलब्ध हैं? मेरे बच्चे के लिए मुझे जेलो के कौनसे माध्यम का इस्तेमाल करना चाहिए?
    जेला एक संपूर्ण संवाद सहायक उपाय हैं, जो अलग अलग माध्यमों मे उपलब्ध हैं। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, जेलो फ्लैश कार्ड , बुकलेट, ई- बुक, डेस्कटॉप और टैबलेट/मोबाइल संस्करण में उपलब्ध हैं। आपके बच्चे के क्षमताओं के मुताबिक आप सबसे योग्य माध्यम चुन सकते हैं। उदहारण- शुरुआती स्तर के प्रयोगकर्ताओं के साथ आप फ्लैश कार्ड का इस्तेमाल कर के उन्हें जेलो के आकर्षक आइकॉन और संबंधित नाम सीखा सकते हैं।

  • क्या जेलो एप्लिकेशन ऑफ़लाइन चल सकता हैं?
    जेलो एप्लिकेशन को आप अपने उपकरण पर ऑफ़लाइन चला सकते हैं। एप्लिकेशन के डाउनलोड के समय और मौजूदा भाषाओं को अपडेट करने या एप्लिकेशन में नई भाषाओं को जोड़ने के लिए इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता हैं।

२१ से अधिक ए पी आई स्तर (लॉलीपॉप और ऊपर) वाले उपकरणों में, जेलो एप्लिकेशन का नया संस्करण (१.२ या उससे अधिक ) गूगल टेक्स्ट-टू-स्पीच इंजन को डिफ़ॉल्ट रूप से उपयोग करता है, इस कारण प्रयोगकर्ता को अतिरिक्त स्टेप करनेकी आवश्यकता नहीं है।
हालांकि, जिन उपकरणों का एपीआई स्तर २१ से कम हैं, उन उपकरणों के लिए इस प्रक्रिया को मैनुअल रूप से करना हैं। इसके लिए एप्लिकेशन की "भाषा" सेटिंग्स में निर्देश दिए गए हैं। (प्रयोगकर्ता एप्लिकेशन के शीर्ष दाएं कोने पर क्लिक करके "भाषा" सेटिंग्स जा सकता हैं)।

सांसद आदर्श ग्राम योजना : 96,996 परियोजनाओं में से 60 फीसद ही पूरी

सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत अक्तूबर 2014 में हुई थी।

सांसद आदर्श ग्राम योजना : 96,996 परियोजनाओं में से 60 फीसद ही पूरी

संसद (सोर्स- फाइल)

केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी सांसद आदर्श ग्राम योजना के शुरू होने के बाद से अब तक योजनाबद्ध 96,996 परियोजनाओं में से 60 फीसद ही पूरी की जा सकी हैं। सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत अक्तूबर 2014 में हुई थी। लोकसभा में कोमती वेंकट रेड्डी, एम श्रीनिवास रेड्डी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने यह जानकारी दी। सदस्यों ने सांसद आदर्श ग्राम योजना की प्रगति की जानकारी मांगी थी।

मंत्री ने बताया कि इस योजना के पोर्टल पर दिए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत पंचायतों में ग्राम विकास के लिए योजनाबद्ध 96,996 परियोजनाओं में से 58,228 परियोजनाओं का कार्यान्वयन हुआ है जो कुल परियोजनाओं का 60 फीसद है।
क्या देश में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत आदर्श गांव योजना के संबंध में कुछ गांव प्रगति करने में पिछड़ गए हैं, सिंह ने कहा, ‘जी, नहीं। सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत निर्धारित ग्राम पंचायतों का निरंतर विकास हो रहा है। ग्राम पंचायतें, ग्राम विकास योजनाएं तैयार करती हैं जिनमें प्रस्तावित कार्यकलापों को केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं राज्यों की योजनाओं के तालमेल से कार्यान्वित किया जाता है।’

मंत्री ने बताया कि राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र समय-समय पर केंद्र सरकार को अपने सुझाव भेजते हैं। इन सुझावों पर ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता वाली सांसद आदर्श ग्राम योजना संबंधी राष्ट्रीय स्तर की समिति संबंधित मंत्रालयों/विभागों के प्रतिनिधियों के साथ आवधिक रूप से चर्चा करती है। उन्होंने बताया कि 17 मंत्रालयों/विभागों ने सांसद आदर्श ग्राम योजना संबंधी ग्राम पंचायतों को प्राथमिकता देने के लिए योजनाओं एवं कार्यक्रमों के दिशानिर्देशों में संशोधन किया है।

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सरकार द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, सांसद आदर्श ग्राम कार्यक्रम में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्राम विकास के 15,698 कार्यकलाप तय किए गए जिनमें से अब तक 8,806 पूरे हुए हैं। इसी प्रकार से, स्वच्छ भारत मिशन के तहत निर्धारित 3,686 कार्यकलापों में से 2,612 पूरे हुए। सांसद निधि (एमपीलैड) के तहत तैयार किए गए 3,396 कार्यक्रमों में से 1,882 पूरे हुए।

सांसद आदर्श ग्राम योजना में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 2,194 कार्यक्रम बनाए गए जिनमें से 1,324 पूरे हुए। इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के 1,847 कार्यकलाप निर्धारित किए गए और 1,246 पूरे हुए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सांसद आदर्श ग्राम योजना में राज्य योजना निधि के तहत 1,794 कार्यकलाप तय किए गए जिनमें से 1,158 पूरे हुए हैं।

इसमें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 1,599 कार्यकलापों में से 1,332 का काम पूरा हो गया है। इसमें एकीकृत कृषि विकास योजना के तहत 1,644 कार्यकलापों में से 989, सर्व शिक्षा अभियान के तहत 1,543 में से 807 कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत 986 में से 502 परियोजनाएं और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 904 में से 388 कार्यकलाप पूरे हो गए हैं।

गौरतलब है कि गांवों के विकास के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में किया था। 11 अक्तूबर 2014 को यह योजना शुरू की गई थी। इसके तहत सांसदों को अपने क्षेत्र में एक ‘आदर्श ग्राम’ का चयन करके उसका विकास करना है।

5 त्वरित सुझाव आपको एक अच्छा मकान मालिक बनाने के लिए

घरों में परिवर्तन करना दर्दनाक है। हम में से अधिकांश एक किराए पर जगह से दूसरे स्थान पर जाना पसंद नहीं करेंगे। हालांकि, जब आप जमींदारों के बारे में सोचते हैं, तो आप यह महसूस करते हैं कि किरायेदारों को बदलना कोई आसान नहीं है या नहीं पूरी प्रक्रिया के माध्यम से फिर से और फिर बहुत भारी हो सकता है। इसलिए, यह कैसे सुनिश्चित कर सकता है कि किसी के किरायेदारों को लंबे समय तक रहने की ज़रूरत है? इसका उत्तर एक अच्छा मकान मालिक बनकर होता है यहां पांच तरीके हैं- अधिक से अधिक बातचीत न करें आप अपनी यूनिट को एक निश्चित दर से पेश कर रहे हैं। अब, यह सभी पार्टियों के सर्वोत्तम हित में है, जो कि आप शुरुआत में क्या प्रस्ताव देते हैं। एक किरायेदार को ऐसा महसूस नहीं करना चाहिए कि आपने कीमत को अतिरंजित किया हो और भारी बातचीत करके, वह आपको मासिक शुल्क को नीचे ला सकता है यह जरूरी है कि आप केवल उचित के लिए पूछें और उस पर कोई अस्थिरता न दें। अधिक-वार्ताएं एक मकान मालिक के रूप में आपकी विश्वसनीयता को भी प्रभावित करती हैं। यह भी पढ़ें: किरायेदार समस्याएं जमींदारों के चेहरे उनकी गोपनीयता का सम्मान करते हैं, निश्चित रूप से, आप संपत्ति के मालिक हैं। लेकिन अब कोई और उसमें रहने के लिए भुगतान कर रहा है और शो के रूप में उन्हें पसंद कराना चाहते हैं। आपके किरायेदार की जीवनशैली और अन्य आदतों पर किए गए टिप्पणियां और सुझाव, भली भांति भी अच्छे हैं, हो सकता है कि वह उसी गर्मी से नहीं प्राप्त हो जिसके साथ वे विस्तारित हो। जब तक आवश्यक नहीं हो, एक अच्छा मकान मालिक अपने किरायेदार के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। जिम्मेदारी के अपने हिस्से पर कंधे आप अपने घर में नए बदलाव करने के लिए अपने किरायेदार पर निर्भर नहीं होना चाहिए आप पैसे बनाने के लिए इस निवेश का उपयोग कर रहे हैं, और आप इसे से कितना प्राप्त करेंगे संपत्ति की स्थिति पर पूरी तरह से निर्भर करेगा एक अच्छी तरह से बनाए रखी गई संपत्ति खराब स्थिति में किसी समान संपत्ति की तुलना में किसी भी दिन आपको अधिक किराया देगी। यह भी पढ़ें: 10 चीजें मकान मालिक, किरायेदारों को अवधारणा के बारे में अवश्य जाना चाहिए आदर्श किरायेदारी अधिनियम सौदा साफ रखें आप शायद अपने विज्ञापन में कुछ मुफ्त सुविधाओं के लिए किरायेदारों का वादा कर सकते हैं। बाद में, आपको लगता है कि उसी के लिए पैसे चार्ज करके, आप कुछ अतिरिक्त नकद जेब कर सकते हैं यह निश्चित रूप से एक बुरा विचार है कुछ अतिरिक्त रुपये कमाने के अपने प्रयास में, आप अपने किरायेदार को बंद कर सकते हैं। सौदा की शुरुआत में आपको अपना किरायेदार देना होगा उन्हें व्यवस्थित करने में मदद करें आपका किरायेदार एक प्रवासी हो सकता है, जो शहर के लिए नया है और निर्धारित करने में आपकी सहायता का उपयोग कर सकता है। यदि आप इस प्रक्रिया में उनकी मदद करते हैं, तो संभावना है कि वे आपके साथ लंबे समय तक रहेंगे और अपनी संपत्ति की रक्षा करेंगे। एक अच्छा मकान मालिक भी परेशान नहीं होगा यदि किरायेदार कुछ कारणों से भुगतान का विलंब करता है। ऐसे कई तरीके हैं जिनमें आप केवल अपने किरायेदार के लिए एक मकान मालिक की संख्या से अधिक मोड़ सकते हैं। इसके अलावा पढ़ें: किराए पर खोज रहे हैं? एक अच्छा किरायेदार कैसे खोजें

असम में स्थानों के शुरुआती के लिए आदर्श सुझाव नाम बदलने के लिए सुझाव लेने को ‘पोर्टल’ शुरू किया जाएगा: मुख्यमंत्री

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि जल्द ही एक पोर्टल शुरू किया जाएगा, जिसमें पूरे राज्य के उन स्थानों के नाम बदलने के लिए सुझाव मांगे जाएंगे जो कि राज्य की संस्कृति और सभ्यता को नहीं दर्शाते हैं. विपक्ष के साथ ट्विटर पर कई लोगों शुरुआती के लिए आदर्श सुझाव ने स्थानों के नाम बदलने की आवश्यकता पर सवाल उठाया और सरकार को राज्य में सड़कों और बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण जैसे कामों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया. The post असम में स्थानों के नाम बदलने के लिए सुझाव लेने को ‘पोर्टल’ शुरू किया जाएगा: मुख्यमंत्री appeared first on The Wire - Hindi.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि जल्द ही एक पोर्टल शुरू किया जाएगा, जिसमें पूरे राज्य के उन स्थानों के नाम बदलने के लिए सुझाव मांगे जाएंगे जो कि राज्य की संस्कृति और सभ्यता को नहीं दर्शाते हैं. विपक्ष के साथ ट्विटर पर कई लोगों ने स्थानों के नाम बदलने की आवश्यकता पर सवाल उठाया और सरकार को राज्य में सड़कों और बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण जैसे कामों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया.

हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो साभार: पीटीआई)

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने बुधवार को कहा कि जल्द ही एक पोर्टल शुरू किया जाएगा, जिसमें पूरे राज्य के उन स्थानों के नाम बदलने के लिए सुझाव मांगे जाएंगे, जो कि राज्य की संस्कृति और सभ्यता को नहीं दर्शाते हैं.

मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी के दूसरे मेडिकल कॉलेज के भूमिपूजन के मौके पर सोमवार को कहा था कि गुवाहाटी में काला पहाड़ समेत कुछ जगहों का नाम बदला जाएगा.

उन्होंने कहा कि किसी शहर, कस्बे या गांव का नाम उसकी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता का प्रतिनिधित्व करना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, शुरुआती के लिए आदर्श सुझाव ‘नाम में बहुत कुछ है. किसी शहर, कस्बे या गांव के नाम में उसकी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता की झलक मिलनी चाहिए. हम पूरे असम में ऐसी जगहों के नाम बदलने को लेकर सुझाव आमंत्रित करने के लिए एक पोर्टल की शुरुआत करेंगे, जो कि हमारी सभ्यता, संस्कृति के विपरीत है और किसी भी जाति या समुदाय के लिए अपमानजनक है.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शर्मा ने काला पहाड़ क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा, ‘काला पहाड़ ने कामाख्या मंदिर को नष्ट कर दिया है और कोई वजह नहीं है कि किसी भी जगह का नाम उनके नाम पर रखा जाए. हम लोगों से सलाह मशविरा करके इसका नाम बदलेंगे.’

काला पहाड़ का नाम बंगाल सल्तनत के एक सेनापति (जिनका जन्म राजीबलोचन रॉय के रूप में हुई थी, जो बाद में इस्लाम में परिवर्तित हो गए थे) के नाम पर रखा गया है, जिनके आदेश के तहत कामाख्या मंदिर को आंशिक रूप से नष्ट कर दिया गया था.

हालांकि, ट्विटर पर कई लोगों ने स्थानों के नाम बदलने की आवश्यकता पर सवाल उठाया और सरकार को राज्य में सड़कों और बेहतर बुनियादी ढांचे के निर्माण जैसे कामों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया.

द हिंदू के मुताबिक, ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने डिगबोई और मार्गरिटा जैसे कुछ ब्रिटिश-युग के नामों को न बदलने की सलाह दी, जो 1800 के दशक में असम में तेल और कोयला उद्योग के जन्म से जुड़े हैं.

डिगबोई दुनिया की सबसे पुरानी ऑपरेशन ऑयल रिफाइनरियों में से एक होने के लिए जाना जाता है. इसके बारे में कहा जाता है कि इसका नाम ‘डिग, बॉय, डिग’ (Dig Boy Dig) से आया है. कुछ स्थानीय इतिहासकारों का मानना है कि इस शहर से बहने वाले डिबोई नाले से यह नाम पड़ा था.

ऐसा ही एक और नाम है मार्गरिटा, एक शहर जिसका नाम इतालवी रेलवे इंजीनियर शेवेलियर रॉबर्टो पगनिनी ने अपने देश की रानी के सम्मान में रखा था.

विपक्षी दलों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने नाम बदलने की राजनीति में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश के अपने समकक्ष योगी आदित्यनाथ से प्रेरणा ली है.

कांग्रेस नेता बोबीता शर्मा ने कहा, ‘हर नाम जो किसी विशेष समय पर दिया गया था, उसके पीछे एक इतिहास है. इसकी कुछ प्रासंगिकता है. दिए गए नाम किसी ऐतिहासिक शख्सियत या स्थानीय मान्यताओं से संबंधित हो सकते हैं या यहां तक ​​कि इससे जुड़ी कोई मजेदार घटना भी हो सकती है. मैं इतिहास बदलने के ऐसे प्रयासों की निंदा करती हूं.’

उन्होंने कहा, ‘उन्हें (भाजपा) राज्य और देश के लिए कुछ प्रासंगिक अच्छे काम करके नया इतिहास बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो पहले से मौजूद चीजों से छेड़छाड़ करने के बजाय लोगों की याद में बना रहेगा.’

असम जातीय परिषद के नेता जगदीश भुइयां ने कहा, ‘उन्हें केवल उन मूलभूत समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए जो लोग भाजपा शासन के दौरान दैनिक जीवन में सामना कर रहे हैं. नाम बदलना आजकल कोई मूलभूत समस्या नहीं है. यदि हम मुख्यमंत्री के तर्क पर विचार करें तो दीनदयाल उपाध्याय असम की परंपरा और सभ्यता के लिए कैसे प्रासंगिक हैं?’

मालूम हो कि पिछले साल सितंबर में हिमंता बिस्वा शर्मा सरकार ने राज्य के सबसे पुराने वन अभयारण्य राजीव गांधी ओरंग राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलकर ओरंग राष्ट्रीय उद्यान कर दिया था.

ब्रह्मपुत्र के उत्तरी तट पर स्थित ओरंग राष्ट्रीय उद्यान गुवाहाटी से 140 किलोमीटर दूर स्थित है. यह उद्यान 78.80 वर्ग किमी में फैला राज्य का सबसे पुराना वन अभयारण्य है.

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