विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है

29 जुलाई तक 56 अरब डॉलर की कमी
Reserve bank के अध्ययन के मुताबिक, निरपेक्ष रूप से 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves of india) में 70 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई. जबकि कोविड-19 अवधि के दौरान इसमें 17 अरब डॉलर की ही कमी हुई. वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस वर्ष 29 जुलाई तक 56 अरब डॉलर की कमी आई है. अध्ययन में कहा गया है कि उतार-चढ़ाव को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों में ब्याज दर, मुद्रास्फीति, सरकारी कर्ज, चालू खाते का घाटा, जिंसों पर निर्भरता राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर घटनाक्रम शामिल हैं.
रुपए के मूल्य में गिरावट के मायने
व्यापक व्यापार घाटे के साथ हाल ही में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण भारतीय रुपए के मूल्य में गिरावट दर्ज़ की गई और कुछ ही समय पहले यह अब तक के निचले स्तर पर पहुँच गया। रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था तक सभी के लिये चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में यह जानकारी होना आवश्यक है कि रुपए के मूल्य में हो रही गिरावट के मायने क्या हैं?
- विदेशी मुद्रा भंडार के घटने या बढ़ने का असर किसी भी देश की मुद्रा पर पड़ता है। चूँकि अमेरिकी डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा माना गया है जिसका अर्थ यह है कि निर्यात की जाने वाली सभी वस्तुओं की कीमत डॉलर में अदा की जाती है।
- अतः भारत की विदेशी मुद्रा में कमी का तात्पर्य यह है कि भारत द्वारा किये जाने वाले वस्तुओं के आयात मूल्य में वृद्धि तथा निर्यात मूल्य में कमी।
- उदहारण के लिये भारत को कच्चा तेल आदि खरीदने हेतु मूल्य डॉलर के रूप में चुकाना होता है, इस प्रकार भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से जितने डॉलर खर्च कर तेल का आयात किया उतना उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ इसके लिये भारत उतने ही डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करे तो उसके विदेशी मुद्रा भंडार में हुई कमी को पूरा किया जा सकता है। लेकिन यदि भारत से किये जाने वाले निर्यात के मूल्य में कमी हो तथा आयात कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही हो तो ऐसी स्थिति में डॉलर खरीदने की ज़रूरत होती है तथा एक डॉलर खरीदने के लिये जितना अधिक रुपया खर्च होगा वह उतना ही कमज़ोर होगा।
रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है विदेशी मुद्रा प्रवाह से जुड़े मानकों को उदार बनाया
आरबीआई ने वित्तीय बाजारों के बंद होने के बाद शाम को जारी एक बयान में इन कदमों की घोषणा की। उसने कहा कि पोर्टफोलियो निवेश को छोड़कर बाकी सभी पूंजी प्रवाह स्थिर बना हुआ है और विदेशी मुद्रा का समुचित भंडार होने से बाहरी झटकों को झेलने की सुरक्षा भी मिलती है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 24 जून को 593.3 अरब डॉलर था।
रिजर्व बैंक ने बयान में कहा, ‘‘विदेशी मुद्रा बाजार में व्याप्त अस्थिरता कम करने और वैश्विक झटके को झेलने के लिए विदेशी मुद्रा वित्तपोषण के स्रोतों के विस्तार और विविधीकरण करने के लिए पांच कदम उठाने का फैसला लिया गया है।’’
इन कदमों में ऋण बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश मानकों को सरल करना और एक वित्त वर्ष में स्वचालित मार्ग से ईसीबी सीमा को 75 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 1.5 अरब डॉलर करना शामिल है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटा, जानें अब खजाने में कितना रह गया है?
TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा
Updated on: Sep 29, 2022 | 1:44 PM
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12 अगस्त को खत्म हफ्ते में 2.23 अरब डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर रह गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने यह जानकारी दी. इससे पहले पांच अगस्त को खत्म हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.97 अरब डॉलर रहा था. रिजर्व बैंक द्वारा जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 12 अगस्त को खत्म हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट की मुख्य वजह विदेशी मुद्रा आस्तियों का कम होना है, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं.
देश का सोने का भंडार बढ़ा
साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन हफ्ते में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 2.65 अरब डॉलर घटकर 506.99 अरब डॉलर रह गईं हैं. डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि या मूल्य में गिरावट के असर को शामिल किया जाता है. आंकड़ों के मुताबिक, बीते हफ्ते में स्वर्ण भंडार का मूल्य 30.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.61 अरब डॉलर हो गया है.
समीक्षाधीन हफ्ते में, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.13 अरब डॉलर हो गया है. जबकि, आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 70 लाख डॉलर बढ़कर 4.99 अरब डॉलर से अधिक हो गया है.
क्या कहता है रिजर्व बैंक?
आपको बता विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है दें कि भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है. आरबीआई विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है. अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है. केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है. केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने अभी तक रुपये के किसी स्तर को लेकर अपना कोई लक्ष्य नहीं दिया है.
आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था. यूक्रेन-रूस विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है. अध्ययन में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय बैंक की सोच से मेल खाए.
RBI ने किया हस्तक्षेप तो विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर हुई कम, रिजर्व बैंक अधिकारियों की स्टडी में आया सामने
Foreign Exchange Reserves of India: 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था. यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है.
Foreign Exchange Reserves of India: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है. आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है. अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार (foreign exchange reserves) में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है. केंद्रीय बैंक अगर बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है. हालांकि, रिजर्व बैंक मुद्रा को लेकर कभी भी लक्षित स्तर नहीं देता है.
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