हड़ताल मूल्य

हड़ताल मूल्य
कर योग्य प्रतिभूति लेनदेन का मूल्य.
99. कर योग्य प्रतिभूति लेनदेन के मूल्य -
14 [(एक) | प्रतिभूतियों में एक विकल्प से संबंधित एक कर योग्य प्रतिभूति लेनदेन के मामले में, होंगें |
(i) | खंड 98 में टेबल के सीरियल नंबर 4 के मद (क) में लेन - देन के संबंध में विकल्प प्रीमियम,; |
(ii) | निपटान खंड 98 में टेबल के सीरियल नंबर 4 के मद में लेन - देन के संबंध में कीमत, (ख);] |
(ख) | "वायदा" किया जा रहा है, एक व्युत्पन्न से संबंधित एक कर योग्य प्रतिभूति लेनदेन के मामले में, इस तरह के "वायदा" कारोबार कर रहा है, जिस पर कीमत होगी; और |
(ग) | किसी भी अन्य कर योग्य प्रतिभूति लेनदेन के मामले में, ऐसी प्रतिभूतियों खरीदा या बेचा जाता है, जिस पर कीमत होगी: |
बशर्ते कि बोर्ड सकता, कर योग्य प्रतिभूतियों के लेनदेन किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज या, नियमों से, निर्दिष्ट ऐसी प्रतिभूतियों की कीमत का निर्धारण करने के प्रयोजनों के लिए प्रासंगिक हो सकता है, जो इस तरह के अन्य कारकों में बसे हुए हैं जिस तरीके को ध्यान में रखते हुए 15 यह द्वारा बनाई गई इस खंड के प्रयोजनों के लिए इस तरह की प्रतिभूतियों की कीमत निर्धारित करने की विधि.
प्र.14. वित्त अधिनियम, 2008 से प्रभावी द्वारा प्रतिस्थापित 2008/01/06. : पहले अपने प्रतिस्थापन के लिए, खंड (क) के तहत के रूप में पढ़ा
'(एक) एक योग्य प्रतिभूतियों के लेनदेन के मामले में "प्रतिभूतियों में विकल्प" किया जा रहा है, एक व्युत्पन्न से संबंधित, हड़ताल कीमत की कुल और इस तरह के "प्रतिभूतियों में विकल्प" का विकल्प प्रीमियम होगा;'
प्र.15. नियम 3 और प्रतिभूति लेनदेन कर नियम, 2004 के 4 देखें.
एलआईसी के कर्मचारी आईपीओ के विरोध में मंगलवार को करेंगे ‘वॉकआउट’ हड़ताल
मुंबई, चार फरवरी (भाषा) भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के कर्मचारी संगठन मंगलवार को एक घंटे ‘वॉक आउट’ हड़ताल करेंगे। वह सरकार के एलआईसी में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिए हिस्सेदारी बेचने के विरोध में हैं। यह ‘वॉक आउट हड़ताल’ कंपनी के देशभर में स्थित सभी कार्यालयों में होगी। शनिवार को आम बजट 2020-21 पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि सरकार एलआईसी में आईपीओ के जरिए हिस्सेदारी बिक्री करेगी। अभी इसमें सरकार की 100 प्रतिशत भागीदारी है। कर्मचारी संगठन ने एक बयान में कहा, ‘‘ एलआईसी को सूचीबद्ध कराने के प्रस्ताव पर तत्काल
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एमएसपी गारंटी के लिए दबाव बनाने के लिए टिकैत ने दी ‘‘कृषि हड़ताल’’ की चेतावनी
पटना, 18 जुलाई (भाषा) किसान नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार द्वारा कानूनी रूप से गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को पूरा नहीं करने पर ‘‘देशव्यापी कृषि हड़ताल’’ की चेतावनी दी। बिहार के तीन दिवसीय दौरे पर आए टिकैत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ‘‘मंडियों’’ की व्यवस्था को बहाल करने के लिए भी कहा और राज्य में मजबूत किसान निकायों की अनुपस्थिति पर खेद व्यक्त किया। भारतीय किसान संघ के नेता टिकैत ने कहा, ‘‘मैं मंडियों की बहाली की मांग पर दबाव बनाने के लिए नीतीश कुमार से मिलने की कोशिश करूंगा। जब
बिहार के तीन दिवसीय दौरे पर आए टिकैत ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ‘‘मंडियों’’ की व्यवस्था को बहाल करने के लिए भी कहा और राज्य में मजबूत किसान निकायों की अनुपस्थिति पर खेद व्यक्त किया।
भारतीय किसान संघ के नेता टिकैत ने कहा, ‘‘मैं मंडियों की बहाली की मांग पर दबाव बनाने के लिए नीतीश कुमार से मिलने की कोशिश करूंगा। जब से इन्हें भंग किया गया है राज्य के किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और मोदी सरकार के नया कृषि कानून लाने पर इसको लेकर आशंकाएं अन्य राज्यों के किसानों को भी थी।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि 2006 में कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम को खत्म करने से बिहार के किसानों को अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा।
टिकैत ने यह भी कहा कि किसानों को अब ‘‘हरी खाद’’ (प्राकृतिक उर्वरक) पर वापस जाने पर विचार करना चाहिए क्योंकि रासायनिक रूप से हड़ताल मूल्य विकसित उर्वरक पर्यावरण के लिए खतरनाक और महंगे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर इससे उत्पादकता में गिरावट आती है तो ऐसा ही हो। सरकार एमएसपी गारंटी की हमारी मांग पर ध्यान नहीं दे रही है क्योंकि वह जानती है कि किसान उत्पादन करना बंद नहीं करेंगे और बेचने के रास्ते तलाशेंगे।’’
टिकैत ने चेतावनी दी, ‘‘लेकिन सरकार को कोई गलतीफहमी नहीं पालनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर देश के किसान कृषि हड़ताल पर चले जा सकते हैं जो कि सरकार को घुटनों पर ला देगा।’’
टिकैत ने यह भी दावा किया कि राजग द्वारा उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल एक ‘‘किसान के बेटा’’ जगदीप धनखड़ का चयन राष्ट्रीय राजनीति पर दिल्ली के आसपास के किसानों के आंदोलन के प्रभाव का परिणाम है।
चुनावी राजनीति से दूर रहने वाले किसान नेता का यह भी विचार था कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू को सहयोगी भाजपा के खिलाफ सतर्क रहना चाहिए।
टिकैत ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा शातिर है। यह नेहरू-गांधी परिवार को निशाना बना रही है और इसने शिवसेना जैसी पार्टियों को तोड़ दिया है।’’
भट्ठा मालिकों की हड़ताल से ईंटों का संकट
आकाश राज सिंह, हाथरस : बढ़ते टैक्स व कोयले की आपूर्ति नहीं मिलने से भट्ठा संचालकों ने ईंटों का उत्पादन बंद कर दिया है। प्रदेशीय आह्वान पर अनिश्चितकालीन हड़ताल भी शुरू कर दी है। भट्ठे बंद होने से भवन निर्माण के लिए ईंटों की किल्लत शुरू हो जाएगी। निर्माण कार्यों से जुड़े कारोबार भी प्रभावित होंगे। जिले में 175 ईंट भट्ठे संचालित हैं। अखिल भारतीय व उत्तर प्रदेश ईंट निर्माता समिति लखनऊ के आह्वान पर भट्ठों पर एक जुलाई से काम बंद हो गया है। अब भट्ठों पर स्टाक की गई ईंटों को ही खपाने का काम किया जा रहा है। भट्ठों की चिमनियों से धुआं निकलना बंद हो गया है। आल इंडिया स्तर की बैठक में निर्णय सरकार की नीतियों से सभी भट्ठा संचालक परेशान थे। इसे लेकर निर्णय लेने के लिए सभी प्रदेशों में जिला स्तर पर बैठकें की गईं। जिले में यह बैठक हाथरस जिला ब्रिक क्लिन एसोसिएशन जून में हुई। इसके बाद दिल्ली में देशव्यापी बैठक में अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया गया। भट्ठा संचालकों की मांगें भट्ठा संचालकों की मांगों में जीएसटी की दरों को वापस लेते हुए उसे एक फीसद करने, मूल्य वृद्धि को रोकते हुए कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने, लाल ईंट भट्ठों के लिए अलग से श्रमिक कानून बनाने, खनन प्रक्रिया से हस्तचालन शब्द हटाने व खनन से मिट्टी को हटाने की मांग शामिल है। भट्ठा संचालकों का कहना है कि मिट्टी पर रायल्टी की जगह अब विनियमित शुल्क वसूला जा हड़ताल मूल्य रहा है। 15 पायों के भट्ठों से पूर्वी क्षेत्र में अनुमानित शुल्क 67,500 रुपये है। यही मध्य क्षेत्र में 94,500 जबकि यही शुल्क पश्चिमी क्षेत्र में 1,21,500 रुपये है, जो पूर्वी क्षेत्र से लगभग दोगुना हो जाता है। इसमें भी पलोथन मिट्टी का शुल्क 10 फीसद अलग से देना होता है। ठप होंगे कई कारोबार देश में विकास का आधार लाल ईंटें हैं। ईंट से भवनों के निर्माण का कार्य शुरू होता है। लाल ईंट के सहारे ही सीमेंट, बजरी, लोहा, लकड़ी, पेंट सहित कई कारोबार संचालित होते हैं। ईंट ही नहीं मिलेगी तो यह कारोबार पूरी तरह से ठप हो जाएंगे। साथ ही इस कारोबार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से व्यापार बुरी तरह से प्रभावित होगा। इससे आर्थिक विकास की दर भी प्रभावित होगी। वहीं स्थानीय स्तर पर ईंट की ढुलाई करने वाले, मुनीम व मजदूरों से रोजगार छिन जाएगा। एक भट्ठे से सौ परिवारों को रोजगार मिलता है। भट्ठा बंद होने से बेरोजगारी बढ़ जाएगी। वर्जन-- भट्ठा संचालकों को ई-आक्शन और कंट्रोल रेट पर कोयला उपलब्ध कराया जाता था, जो भाड़े से अलग आठ से नौ हजार रुपये प्रति टन निर्धारित था। उसे अब 22 से 23 हजार रुपये प्रति टन कर दिया गया है। उस पर पांच से छह फीसद जीएसटी भी लगा दी गई है। यह कोयला दो साल से नहीं मिल रहा है। इसी को लेकर प्रदेशीय आह्वान पर भट्ठों की हड़ताल की गई है। -कमल गोयल, जिला महामंत्री, जिला ब्रिक क्लिन एसोसिएशन हाथरस