स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है

Published - Thursday, 01 December, 2022
यूनिपार्ट्स इंडिया के आईपीओ को दूसरे दिन दो गुना अभिदान मिला
गैर-संस्थागत निवेशकों की श्रेणी को 3.41 गुना अभिदान मिला और खुदरा व्यक्तिगत निवेशक (आरआईआई) के खंड में दो गुना अभिदान मिला। वहीं पात्र संस्थागत खरीदार (क्यूआईबी) के मामले में 97 प्रतिशत अभिदान मिला है।
कुल 14,481,942 शेयरों के आईपीओ के लिए मूल्य दायरा 548-577 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है।
शेयर बाजार की वो गलती…जिससे डूब जाती है आम आदमी की पूरी रकम
Stock Market Tips-शेयर बाजार में कई बार पैसा लगाने वालों के लिए ये खबर बेहद जरूरी है. क्योंकि अक्सर कुछ गलतियां लोगों की पूरी कमाई को डूबो देती है.
मनोज कुमार | Edited By: अंकित त्यागी
Updated on: Jan 17, 2022 | 1:22 PM
सोशल मीडिया पर मिली एक स्टॉक टिप (Stock Market Tips)ने रजत के लाखों रुपये डुबो दिए हैं. आप सोच रहे होंगे कि शायद उनके साथ कोई ऑनलाइन फ्रॉड हुआ होगा, लेकिन, ऐसा नहीं है रजत तो शेयर बाजार (Share Bazaar) में ऊंचा रिटर्न कमाने के चक्कर में बर्बाद हो गए. अब पूरी कहानी आप भी जानना चाहते होंगे तो हुआ दरअसल यूं कि शेयर बाजार में तेजी से मोटा मुनाफा कूटने के लिए रजत भी बेकरार थे. वे बस इस स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है इंतजार में थे कि स्टॉक्स (Stocks) की कंही से कोई ऐसी टिप मिले कि वे पैसा लगाएं और पूंजी धड़ाधड़ दोगुनी-तिगुनी हो जाए. रजत के दिमाग में अभी खलबली चल ही रही थी स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है कि किसी ने एक व्हॉट्सऐप ग्रुप पर उन्हें जोड़ लिया और इस ग्रुप में एक स्टॉक में पैसा लगाने की राय दी गई. मोटे मुनाफे का पूरा गणित बता दिया गया.बस रजत ने आगापीछा सोचे बगैर झोंक दी मोटी पूंजी और बैठ गए कि अब होगा पैसा डबल, लेकिन ऐसा हुआ नहीं एक-दो दिन चढ़ने के बाद स्टॉक बुरी तरह गिरने लगा.
रजत की लगाई पूंजी का 80 फीसदी हिस्सा खत्म हो चुका है तो इससे ये सबक मिलता है कि बिना जांचे-परखे सोशल मीडिया के जरिए मिलने वाली टिप्स पर पैसा न लगाएं, लेकिन तमाम लोग इन हथकड़ों का शिकार हो जाते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बाजार की कम जानकारी होती है.
सेबी ने 6 लोगों को प्रतिबंधित किया
शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी ने हाल में ही एक ऐसा मामला पकड़ा है जिसमें कुछ लोग अपने फायदे के लिए सोशल मीडिया के जरिए लोगों का पैसा शेयर बाजार में फंसाते थे. सेबी स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है ने इस मामले में 6 लोगों को पूंजी बाजार में प्रतिबंधित भी कर दिया है.
सेबी ने जिस मामले में यह कार्रवाई की है, उसे लेकर जुलाई और अक्टूबर में शिकायत मिली थी. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि कुछ लोग गैरकानूनी तरीके से पैसा कमाने के लिए ट्विटर और टेलीग्राम पर सलाह देकर शेयरों की कीमतों को बनावटी तौर पर प्रभावित कर रहे हैं तो आप समझ लीजिए कि कुछ इस तरह से आपको चूना लगाने की तैयारी होती है.
मोटे मुनाफे के नाम पर आपका पैसा डुबोने वाले लोग छोटी-छोटी कंपनियों को चुनकर उनके शेयरों को बड़ी मात्रा में खरीदने की सोशल मीडिया के जरिए सलाह देते हैं.
आमतौर पर सोशल मीडिया पर सलाह देने से पहले ये लोग कंपनी के शेयर खुद खरीदकर रख लेते हैं और सोशल मीडिया पर सलाह के बाद जब शेयर भागता था तो मुनाफा बटोर अपने शेयर बेचकर निकल जाते हैं.
इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, व्हाट्सऐप, ईमेल, ट्विटर, फेसबुक जैसे हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तरह से ठगी का मायाजाल चलाया जा रहा है.
आपके पैसे के साथ खिलवाड़ करने वाले ये लोग अपने यहां एनालिस्ट्स और रिसर्चर्स के होने का भी दावा करते हैं..बस लोग यहीं फंस जाते हैं. झटपट पैसा कमाने के लालच में तमाम निवेशक इनके झांसे में फंस जाते हैं और अपनी गाढ़ी कमाई डुबा बैठते हैं.
बाजार के जानकार आम निवेशकों को इस तरह के लोगों से बचने की सलाह दे रहे हैं जो अपने फायदे के लिए किसी और को फंसा देते हैं. सैमको सिक्योरिटीज में इक्विटी रिसर्च हेड येशा शाह का कहना है कि महामारी के दौर में शेयर बाजार अच्छा रिटर्न दे रहा है और कई लोग खुद को मार्केट एक्सपर्ट मानने लगे है.
ऐसे स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है ही कुछ तथाकथित मार्केट एक्सपर्ट जो सेबी में रजिस्टर भी नहीं हैं, सोशल मीडिया के माध्यम से स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है निवेशकों को शेयर खरीदने या बेचने का ज्ञान दे रहे हैं. कुछ लोग तो अपने फायदे के लिए निवेशकों को ठग रहे हैं.
निवेशक भी मुनाफा चूकने के डर से ऐसे लोगों के झांसे में फंसकर नुकसान उठा रहे हैं. निवेशकों को ठगने वालों के खिलाफ सेबी तो कार्रवाई कर ही रहा है स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है लेकिन निवेशकों को भी सावधान रहने की जरूरत है.
मनी 9 की भी यही सलाह है, लालच में आकर ऐसे लोगों के जाल में न फंसें जो अपने फायदे के लिए आपका पैसा मार्केट में फंसा दें. सोशल मीडिया से मिली सलाह पर शेयर बाजार में पैसा लगाना भी ठीक नहीं है. पैसा लगाने से पहले या तो निवेशक खुद रिसर्च करें या सेबी से मान्यता प्राप्त सलाहकार की मदद लें.
Global Economy में गिरावट के आसार, क्या भारत पर पड़ेगा असर, जानें एक्सपर्ट की राय
by अभिषेक शर्मा
Published - Thursday, 01 December, 2022
नई दिल्लीः वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) में इस वक्त कई पश्चिमी देशों में इस वक्त हाहाकार मचा हुआ है. दुनिया पहले कोविड महामारी और उसके बाद रूस द्वारा यूक्रेन पर किए आक्रमण की वजह से काफी पीछे चली गई है और स्लोडाउन के बीच कई देशों में इस वक्त मंदी की आहट सुनाई दे रही है. इसका असर भारत जैसे विकासशील देश और पाकिस्तान व श्रीलंका जैसे संकटग्रस्त देशों में भी देखने को मिल रहा है.
अमेरिका, इंग्लैंड की हालत ज्यादा खराब
अमेरिका और ब्रिटेन जैसे अमीर देश मुद्रास्फीति को कम करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) के फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने नवंबर में अपनी प्रमुख अल्पकालिक ब्याज दरों में 75 आधार अंकों (0.75 प्रतिशत) की बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है. वर्तमान में, कई पश्चिमी देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं.
भारत में रुपया कमजोर हुआ
अमीर देशों में बड़ी कंपनियों का पहले से ही भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. वर्ष की शुरुआत के बाद से, भारतीय रुपये में तेजी से गिरावट आई है जबकि अमेरिकी डॉलर में काफी मजबूती आई है. अरुण सिंह, ग्लोबल चीफ इकोनॉमिस्ट, डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया ने कहा, “ग्लोबल इकोनॉमी मुद्रास्फीति, बिगड़ते विकास दृष्टिकोण और मंदी की आशंकाओं का मुकाबला करने के लिए पिछली आधी सदी की मौद्रिक नीति के सबसे समकालिक एपिसोड में से एक देख रही है। डॉलर के मजबूत होने से भारत सहित उभरती अर्थव्यवस्थाओं से पूंजी का बहिर्वाह हुआ है। इसके अलावा, वित्तीय संपत्ति की कीमतों में गिरावट आई है, बॉन्ड प्रतिफल बढ़ रहे हैं, उधार की लागत एक दशक के उच्च स्तर पर बढ़ रही है."
आयात से रुपये में कमजोरी बढ़ती है
आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अनंत सिंघानिया ने कहा, भारत की मुद्रास्फीति काफी हद तक आयात की जाती है। "कमजोर रुपया हमारे आयात को और अधिक महंगा बना देता है, और आयात हमारे देश के लिए आवश्यक है। कच्चे तेल, खाद्य तेल, उर्वरक, सोना आदि की हमारी खपत की जरूरतों को पूरा करने के लिए, हम आयात पर निर्भर हैं."
सिंघानिया ने कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए जहां ब्याज दरों में बढ़ोतरी जरूरी हो सकती है, वहीं ऐसी बढ़ोतरी को नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। यदि नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो दर वृद्धि संभावित रूप से और संभवतः अनिवार्य रूप से आर्थिक गतिविधियों की मंदी का परिणाम हो सकती है क्योंकि धन महंगा हो जाता है।
यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री, इंद्रनील पैन ने बीडब्ल्यू बिजनेसवर्ल्ड को बताया कि भारत अभी तक मुद्रास्फीति वृद्धि चक्र के अंत के करीब नहीं है, भले ही यूएस फेड वृद्धि की धीमी गति के लिए तैयार है, लेकिन टर्मिनल दर पर कोई आम सहमति नहीं है।
"हालांकि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का एक महत्वपूर्ण अनुपात घरेलू रूप से संचालित है, वैश्विक विकास मंदी निर्यात स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है चैनल के माध्यम से भारत को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी. यह ज्यादातर सामान्य ज्ञान है कि वैश्विक आय स्तर भारतीय रुपये की तुलना में भारत के निर्यात की मात्रा का एक बड़ा निर्धारक है," पैन ने कहा.
अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां ने कम की भारत की रेटिंग
कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भारत की ग्रोथ को कम कर रही हैं. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है जीडीपी) के विकास के अनुमान को 30 बीपीएस से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया. इससे पहले, अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, जिसमें गिरावट का जोखिम था.
यहां तक कि डेलॉइट इंडिया ने एक रिपोर्ट में कहा कि देश को वित्तीय वर्ष (FY) 2022-23 के दौरान 6.5 से 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करनी है. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री सुवोदीप रक्षित ने कहा, "बाहरी वातावरण सभी 'खुली' अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करता है. मंदी के लिए भारत का सबसे बड़ा जोखिम व्यापार चैनल के माध्यम से होगा. हालांकि भारत का निर्यात सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 11-12 प्रतिशत है. औसतन कम निर्यात, फिर भी वृद्धि पर दबाव डालेगा."
भारत की जीडीपी इतनी रहने की उम्मीद
रक्षित ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 2023 की जीडीपी वृद्धि लगभग 6.8 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2024 के लिए स्टॉक का मूल्य कैसे तय किया जाता है लगभग 6 प्रतिशत रहेगी. हालांकि, चिंता अपेक्षित वैश्विक मंदी की अवधि और यूएस, यूके और यूरोप में मंदी की गहराई है. इसके अतिरिक्त, कैलेंडर वर्ष 2023 में कोविड-19 के प्रति चीन की रिकवरी और उसकी नीतियों की सीमा भी वैश्विक मांग पर प्रभाव डालेगी.
जैसा कि कई एजेंसियां अब अगले वित्तीय वर्ष के लिए भारत की जीडीपी को 6 प्रतिशत के करीब आंक रही हैं, अब एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार पिछले कुछ वर्षों में विकास दर को बनाए रखने में सक्षम होगी.
अनिश्चितता वाला वर्ष रहेगा 2023
जैसा कि रूस-यूक्रेन संकट अभी भी जारी है, वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता की लंबी अवधि में प्रवेश करने जा रही है. विशेषज्ञों ने कहा कि 2023 में 2022 की तुलना में धीमी विश्व वृद्धि देखी जा सकती है जो भारत के निर्यात को प्रभावित करेगी. पैन ने कहा कि मूल्य के संदर्भ में भारतीय निर्यात में जो वृद्धि देखी गई थी (वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण) वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण कम हो रही है.
रक्षित ने कहा, "मंदी, ब्याज दर चक्र, वित्तीय बाजार अव्यवस्थाओं, ऊर्जा की कीमतों आदि की निकट अवधि की अनिश्चितताओं के अलावा विश्व अर्थव्यवस्था में चल रहे अधिक मौलिक बदलाव कैलेंडर वर्ष 2023 में अनिश्चितता और अस्थिरता को बढ़ाएंगे."