मुद्रा दरें

विदेशी मुद्रा दरों ऑनलाइन, लाइव मुद्रा विनिमय
क्रिप्टोक्यूचरेंसी कैलकुलेटर, डिजिटल मुद्रा कनवर्टर
विज्ञापन के बिना और वेबसाइट के साथ सीधा लिंक के लिए एम्बेड कोड
विज्ञापनों के साथ और बिना वेबसाइट के सीधा लिंक के लिए एम्बेड कोड
इस कोड को कॉपी और पेस्ट करें अपनी साइट में जहाँ आप कैलकुलेटर प्रदर्शित करना चाहते हैं ।
सिकुड़ता विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल खतरे की घंटी नहीं, मगर RBI को संभलकर चलना होगा
अमेरिकी फेडरल बैंक दरें बढ़ा रहा है, तो रिजर्व बैंक को भी रुपये में गिरावट और विदेशी मुद्रा के भंडार को सिकुड़ने से रोकने के लिए दरें बढ़ानी पड़ेंगी लेकिन इससे आर्थिक वृद्धि की रफ्तार थम सकती है.
ग्राफिक्स: प्रज्ञा घोष/ दिप्रिंट
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार सातवें मुद्रा दरें हफ्ते गिरावट दर्ज की गई और 16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में यह गिरकर 45.6 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. यह 2 अक्तूबर 2020 के बाद का न्यूनतम स्तर है. इसका बड़ा कारण यह है कि रिजर्व बैंक ने रुपये की कीमत में गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा बाजार में बढ़चढ़कर दखल दी. कुछ दिनों पहले तक तो रिजर्व बैंक ने रुपये की कीमत को 80 डॉलर की सीमा पर रोके रखा.
डॉलर की कीमत में निरंतर उछाल के कारण रिजर्व बैंक को रुपये को बाजार के फंडामेंटल्स से जुड़ने की छूट देनी पड़ेगी और उसे संभालने के लिए दूसरे उपाय अपनाने पड़ेंगे. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि रिजर्व चालू खाते में सरप्लस की वजह से नहीं बना है बल्कि पूंजी की आवक के कारण बना है, और इस पूंजी में हाल के महीनों में काफी उथल पुथल मची है.
डॉलर में तेजी
कैलेंडर वर्ष के शुरू से, अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरों में वृद्धि की घोषणाएं कर रहा है. फेडरल फंड रेट अब 3 से 2.25 प्रतिशत के बीच है. फेडरल ओपेन मार्केट कमिटी (एफओएमसी) के सदस्यों का कहना है कि फेडरल फंड रेट 2022 के अंत तक 4.4 फीसदी और 2023 में 4.6 फीसदी होगी. इसका अर्थ हुआ कि अभी दरों में और वृद्धि होगी.
इससे डॉलर ज्यादा आकर्षक बन जाता है. दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक भी दरों में वृद्धि कर रहे हैं लेकिन अमेरिकी फेड की तुलना में धीमी गति से.
अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक
दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी मुद्रा दरें चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं
हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.
उदाहरण के लिए, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने दरों में 1.5 फीसदी की वृद्धि की, ऑस्ट्रेलियन सेंट्रल बैंक ने 2.25 फीसदी की वृद्धि की, यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने 1.25 फीसदी की वृद्धि की. नतीजतन, कई मुद्राओं के बीच डॉलर की ताकत का अंदाजा देने वाले डॉलर इंडेक्स में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई. अमेरिकी फेड ने ब्याज दरों में हाल में 75 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की तो डॉलर इंडेक्स दो दशक में सबसे ऊंचे स्तर, 111.8 पर पहुंच गया.
ग्राफिक्स: रमनदीप कौर/ दिप्रिंट
रुपये में गिरावट
डॉलर इंडेक्स में उछाल से रुपये में गिरावट का दबाव बनता है. यूक्रेन युद्ध के बाद से रुपये की कीमत में 8.9 फीसदी की गिरावट आई है. वैसे, समकक्ष देशों की मुद्राओं की तुलना में रुपया बेहतर हाल में है. लेकिन यह स्थिति उसकी गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री के कारण है.
ग्राफिक्स: रमनदीप कौर/ दिप्रिंट
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 86 अरब डॉलर की कमी आई है. जुलाई में रिजर्व बैंक ने 19 अरब डॉलर बेची. डॉलर की वास्तविक बिक्री के अलावा, डॉलर के तुलना में यूरो और येन जैसी मुद्राओं में गिरावट से भी रिजर्व पर असर पड़ता है.
डॉलर में उछाल डॉलर के सिवा दूसरी मुद्राओं के डॉलर मूल्य को गिराता है.
इसके उलट, अप्रैल 2013 से सितंबर 2013 के बीच हुए ‘टेपर टैंट्रम’ प्रकरण के दौरान रुपये की कीमत करीब 16 फीसदी कम हो गई. उस दौरान रिजर्व में मामूली, 21.5 अरब डॉलर की कमी आई.
कितना रिजर्व पर्याप्त है
अधिकतर देश विदेशी मुद्रा भंडार को अपनी अर्थनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं. बाजार में उथलपुथल का सामना करने, मुद्रा में भरोसा कायम करने, विनिमय दर को प्रभावित करने जैसे कई कारणों से उन्हें रोक कर रखा जाता है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश (आइएमएफ) ने कई शोधपत्रों के जरिए बताया है कि रिजर्व की पर्याप्तता को मापने के तीन पारंपरिक पैमाने हैं. जिन देशों में कैपिटल एकाउंट्स पर नियंत्रण रखा जाता है उनमें आयात को प्रासंगिक पैमाना माना जाता है. यह बताता है कि झटके के मद्देनजर आयात के लिए कितने समय तक वित्त उपलब्ध कराया जा सकता है. विकासशील देशों में तीन महीने तक आयात करने लायक रिजर्व को पर्याप्त मानने का नियम चलता है. लेकिन वित्तीय समेकीकरण में वृद्धि के कारण इस पैमाने को अब कम उपयोगी माना जाता है.
उभरती अर्थव्यवस्थाओं में दूसरा पैमाना बकाया अल्पकालिक बाहरी कर्ज की 100 फीसदी कवरेज मुद्रा दरें है. यह खासकर उन देशों के लिए लागू है जो दूसरे देशों के साथ बड़े अल्पकालिक लेन-देन करते हैं. तीसरा पैमाना है व्यापक धन में रिजर्व के अनुपात का. इसका उपयोग पूंजी के बाहर जाने से उभरे संकट में रिजर्व की पर्याप्तता का आकलन करने के लिए किया जाता है. हाल के संकट के साथ स्थानीय डिपॉजिट के भी बाहर जाने से संकट पैदा हुआ. इस जोखिम से बचने के लिए रिजर्व व्यापक धन (जनता के पास और डिपॉजिट में मुद्रा) के 20 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए.
भारत के पास पर्याप्त रिजर्व
भारत में रिजर्व अब तक 3 महीने से ज्यादा के आयात बिल भरने लायक रहता आया है. अक्तूबर 2021 में रिजर्व 642 अरब डॉलर के शिखर पर था और 16 महीने के आयात खर्च को पूरा कर सकता था. अब यह 545.6 अरब डॉलर पर आ गया है और 9 महीने के आयात खर्च को पूरा कर सकता है. विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के के बीच आयात में वृद्धि ने आयात कवर को घटा दिया है. हालांकि फिलहाल रिजर्व तीन महीने के आयात कवर की सीमा से ज्यादा है, लेकिन रिजर्व की पर्याप्तता का आकलन उथलपुथल को रोकने के लिए रिजर्व बैंक की पहल से किया जाएगा.
उपरोक्त दूसरे पैमाने के हिसाब से भारत का रिजर्व अल्पकालिक बाहरी कर्ज से ज्यादा है. हाल के अनुमानों के मुताबिक, अल्पकालिक बाहरी कर्ज उसके रिजर्व के अनुपात में आधे से भी कम के बराबर है. रिजर्व व्यापक धन के 20 प्रतिशत की सीमा से ठीक ऊपर है. रिजर्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक, ऐसे भी समय आए जब रिजर्व इस सीमा से नीचे था.
नीति का हासिल और चुनौतियां
डॉलर में तेज उछाल ने न केवल रुपये को बल्कि पाउंड, यूरो, येन जैसी मुद्राओं को भी कमजोर किया है. चालू खाते के घाटे के बीच पूंजी की विस्फोटक आवक ने रिजर्व में वृद्धि की गति को धीमा मुद्रा दरें किया. जुलाई में, रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा की आवक को बढ़ाने और रुपये में गिरावट को रोकने के उपायों की घोषणा की थी. इन उपायों में, सरकारी तथा कॉर्पोरेट बॉन्डों में विदेशी निवेश की शर्तों को ढीला करना, विदेशी मुद्रा में उधार की सीमा में छूट देना, और बैंक आप्रवासियों से बड़े डिपॉजिट ले सकें इसकी छूट देना शामिल है. लेकिन डॉलर में तेजी के कारण इन उपायों का विदेशी मुद्रा की आवक पर फर्क नहीं पड़ा.
रिजर्व बैंक को शायद रुपये को सहारा देने के लिए दरों में शायद अतिरिक्त 50 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि करनी पड़ेगी. यह चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि इससे बैंकिंग सिस्टम में तरलता पर ऐसे समय में दबाव बढ़ेगा जब क्रेडिट की मांग बढ़ रही है. और ज्यादा विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए बॉन्डों को उभरते बाजार के बॉन्ड सूचकांक में शामिल करना बेहतर होगा.
SBI सहित कई बैंकों ने बढ़ाया विदेशी मुद्रा जमा पर ब्याज, नई दरें प्रभावी
SBI समेत कई बैंकों ने अनिवासी की ओर से जमा की जाने वाली विदेशी मुद्रा पर मिलने वाला ब्याज बढ़ा दिया है। आरबीआइ की ओर से विदेशी मुद्रा निवेश बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों के तहत बैंकों ने यह फैसला किया है। एसबीआइ ने विदेशी मुद्रा अनिवासी (एफसीएनआर) जमा दर को संशोधित करके विभिन्न अवधि के लिए बढ़ाकर 2.85 से 3.25 प्रतिशत तक किया है। यह ब्याज डालर जमा करने पर मिलेगा और 10 जुलाई से प्रभावी हो गया है। एक वर्ष की अवधि के लिए ब्याज को 1.80 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.85 प्रतिशत किया गया है। इसकी प्रकार तीन से चार वर्ष और पांच वर्ष की अवधि के जमा पर ब्याज दर क्रमशः 3.10 प्रतिशत और 3.25 प्रतिशत किया गया है। पहले इस अवधि पर 2.30 प्रतिशत और 2.45 प्रतिशत ब्याज मिलता था। इसके अलावा एचडीएफसी बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक आइडीएफसी फर्स्ट बैंक, इक्विटास मुद्रा दरें स्माल फाइनेंस बैंक ने विभिन्न अवधि की ब्याज दरों में वृद्धि की है।
इसलिए पड़ी यह जरूरत
एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने विदेशी मुद्रा दरें मुद्रा प्रवाह को बढ़ाने के लिए पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक की छूट के जवाब में विदेशी मुद्रा अनिवासी जमा पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के ऋणदाता एचडीएफसी बैंक ने भी विदेशी मुद्रा (अनिवासी) जमा पर दरों में संशोधन किया है। हालांकि, इसने स्पष्ट किया कि संशोधन आरबीआई के नवीनतम कदम के जवाब में नहीं है और यह आगे चलकर दरों में संशोधन पर फैसला मुद्रा दरें करेगा। सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े ऋणदाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने 10 जुलाई से अमेरिकी डॉलर पर विदेशी मुद्रा अनिवासी जमा (एफसीएनआर) दरों में 2.85-3.25 प्रतिशत प्रति वर्ष की विभिन्न अवधि के अमेरिकी डॉलर जमा पर संशोधन किया है।
यह थी पिछली दरें
एसबीआई ने एक साल के कार्यकाल के लिए एफसीएनआर यूएसडी जमा पर दर 1.80 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.85 कर दी है। 3-4 साल और 5 साल की जमा राशि के लिए इसे बढ़ाकर क्रमश: 3.10 फीसदी और 3.25 फीसदी कर दिया गया है। पिछली दरें 2.30 फीसदी और 2.45 फीसदी थीं। आईसीआईसीआई बैंक ने 12-24 महीने की अवधि के लिए 350,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक और उसके बराबर जमा पर एफसीएनआर को 0.15 प्रतिशत बढ़ाकर 3.50 प्रतिशत कर दिया है। नई दर 13 जुलाई 2022 से लागू हो गई है।
मुद्रा दरें
Q. Consider the following statements:1. Real exchange rate denotes the actual purchasing power of a currency with respect to another मुद्रा दरें currency2. Nominal exchange rate does not take inflation into account3. Exchange rates cannot be fixed by governments Which of the statements given above are मुद्रा दरें correct?Q. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:1. वास्तविक विनिमय दर एक मुद्रा के अन्य मुद्रा के सापेक्ष वास्तविक क्रय शक्ति को दर्शाती है2. सांकेतिक विनिमय दर में मुद्रास्फीति पर विचार नहीं किया जाता है।3. विनिमय दरों को सरकारों द्वारा तय नहीं किया जा सकता है। ऊपर दिए गए कौन से कथन सही हैं?
Q. Consider the following statements:
1. Real exchange rate denotes the actual purchasing power of a currency with respect to another currency
2. Nominal exchange rate does not take inflation into account
3. Exchange rates cannot be fixed by governments
Which of the statements given above are correct?
Q. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. वास्तविक विनिमय दर एक मुद्रा के अन्य मुद्रा के सापेक्ष वास्तविक क्रय शक्ति को दर्शाती है।
2. सांकेतिक विनिमय दर में मुद्रास्फीति पर विचार नहीं किया जाता है।
3. विनिमय दरों को सरकारों द्वारा तय नहीं किया जा सकता है।
ऊपर दिए गए कौन से कथन सही हैं?
मुद्रा लोन की इतनी होती है ब्याज दर! जानिए पूरा ब्यौरा
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुवात 2015 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी द्वारा की गई है। इस योजना को PMMY योजना के नाम से भी जाना जाता है। इस योजना का मूल मकसद ही देश में अधिक से अधिक कारोबार शुरू करना है तथा जो पहले व्यापार चल रहे है उनको प्रोत्साहन देकर उनका स्केल बड़ा करना है।
इस योजना के जरिए एक साथ दो तरह के फायदों की लक्षित करने की कोशिश की गई है। एक तो देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल सकेगी दुसरे, अधिक से अधिक लोगों लोगों को रोजगार प्राप्त हो सकेगा। योजना में MSME सेक्टर यानी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम बिजनेस को शुरू करने के लिए तथा पुराने बिजनेस का विस्तार करने के लिए सरकार के तरफ से बिजनेस लोन के रूप मदद किया जाता है।
Table of Contents
कई तरह के लोन
योजना में कई तरह के बिजनेस लोन देने की व्यवस्था की गई है। पहला लोन पहले से चल रहे बिजनेस/कारोबार को बढ़ावा देने के लिए है। यह लोन 10 लाख रूपये तक दिए जाते है। नए बिजनेस शुरू करने के लिए तीन तरह के लोन की कैटेगरी बने गई है। यह लोन की कैटेगरी इस तरह है:
- शिशु योजना : इसमें 50 हजार तक के लोन दिए जाते है
- किशोर योजना: इसमें 50 हजार से 5 लाख तक का लोन दिया जाता है
- तरुण योजना: इस योजना में 5 लाख से 10 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है
See also चीन-अमेरिका के ट्रेड वॉर से भारत के इन निर्यातकों के आएंगे अच्छे दिन- केन्द्रीय मंत्री शेखावत
मुद्रा लोन योजना की जरूरत
अक्सर ऐसा होता है की लघु एवं मध्यम स्तर के कारोबारियों को अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने यानी विस्तार करने में धन संबंधित समस्या का समाना करना पड़ता है, और लोन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसी समस्या को समाप्त करने के लिए यह योजना लाई गई है।
योजना के सुविधाओं की बात करें तो इसमें टर्म लोन, ओवरड्राफ्ट सुविधा या कैश क्रेडिट जैसी सुविधा भी प्रदान की जाती है। मुद्रा योजना के जरिए देश में बेरोजगारी भी कम करने में मदद मिल रही है। समान्यता अगर कोई व्यक्ति 20 लाख योजना के जरिए लोन लेकर बिजनेस शुरू कर रहा है, तो वह खुद तो रोजगार प्राप्त करेगा ही साथ ही साथ 2 से 4 और लोगों को रोजगार दे सकता है।
मुद्रा योजना पर ब्याज दर कितना हैं?
योजना के जरिए लिए जाने वाले लोन पर ब्याज दर आपके बिजनेस और जिस बैंक से आप लोन लेते है, उसके नियम पर निर्भर करते है। सामान्य तौर पर बात करें तो प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के जरिए लिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें 10 से 12 प्रतिशत वार्षिक से शुरु होती है। खास बात यह कि अगर कोई कारोबारी मुद्रा लोन के जरिए मुद्रा दरें लोन लेता है तो, जो ब्याज दर एक बार तय हो जाती है, वह हमेशा रहती है। बिजनेस लोन लेने के बाद बीच में ब्याज दरों में बैंक बदलाव नही कर सकते है।
मुद्रा लोन की ब्याज दर
जानिए विभिन्न फाइनेंशियल संस्थाओं द्वारा दिये जाने वाले बिजनेस लोन की ब्याज दर-