रुझान रेखा

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रश्मि रेखा प्रियतम, तव अग राग गमक उठा है स्मृति म प्रियतम तव नासा में लहर रहा वह तब मादक पराग । अग-राग भेजी है क्या तमने यह रस मय निज सुगन्ध अनिल-लहर लाई है परिरम्भण-गध मद मम गत आया सम्मख तोड कठिन काल वध जाग उठा है फिर से मेरा विगतानराग प्रियतम तव अग-राग । काई इक गध लहर कोह मृदु एक तान कोई सी एक झलक मन की कोई रुझान कर दत्ती है क्षण में अति गत रुझान रेखा को बत्त मान मानों सवेदन है स्मरण सुमन माल ताग 1 प्रियतम तष अग राग। १
लखनऊ: रेखा एस चौहान बनी केजीएमयू की नई रजिस्ट्रार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शनिवार देर रात चार आईएएस अधिकारियों का स्थानान्तरण हुआ है,वहीं चार पीसीएस अफसरों की तैनाती में भी फेरबदल किया गया है। इसी के तहत केजीएमयू के रजिस्ट्रार आशुतोष कुमार द्विवेदी का तबादला हो गया है। आशुतोष द्विवेदी को लोक निर्माण विभाग का विशेष सचिव बनाया गया है। वहीं उनकी जगह पर …
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शनिवार देर रात चार आईएएस अधिकारियों का स्थानान्तरण हुआ है,वहीं चार पीसीएस अफसरों की तैनाती में भी फेरबदल किया गया है। इसी के तहत केजीएमयू के रजिस्ट्रार आशुतोष कुमार द्विवेदी का तबादला हो गया है। आशुतोष द्विवेदी को लोक निर्माण विभाग का विशेष सचिव बनाया गया है। वहीं उनकी जगह पर औरैया की अपर जिलाधिकारी रेखा एस चौहान को केजीएमयू के रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी मिली है।
उत्तर प्रदेश की भाषा विभाग के विशेष सचिव पवन कुमार को लोक निर्माण विभाग का विशेष सचिव बनाया गया है। खाद्य एवं रशद विभाग के विशेष सचिव रवीन्द्र कुमार -1 को आबकारी विभाग के विशेष सचिव की जिम्मेदारी मिली है। प्रशासनिक सुधार विभाग के विशेष सचिव धीरेन्द्र सिंह सचान को चिकित्सा,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के विशेष सचिव की जिम्मेदारी मिली है।
इसके अलावा एटा के अपर जिलाधिकारी सुनील कुमार सिंह को आवास एवं शहरी विकास नियोजन विभाग का विशेष सचिव बनाया गया है। उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबन्धन अकादमी की अपर निदेशक डॉ. अल्का वर्मा को आवास एवं शहरी नियोजन विभाग का विशेष सचिव के तौर पर नवीन तैनाती दी गयी है। वहीं सिद्धार्थ नगर के उपजिलाधिकारी रुझान रेखा अभिषेक पाठक को लखनऊ के सहकारी चीनी मिल संघ का प्रधान प्रबन्धक तैनात किया गया है।
रुझान रेखा
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Jhabua news: फूलों की खेती में रुझान रेखा बढ़ा किसानों का रुझान, कम लागत में मिल रहा ज्यादा मुनाफा
Jhabua news: क्षेत्र में किसानों का रुझान परंपरागत फसलों की बजाय फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहा है। इन दिनों गेंदा फूल की खेती से ज्यादा मुनाफे की खुशबू आ रही है। एक बीघा में करीब 10 हजार रुपये की लागत आती है।
Jhabua news: लोकेंद्रसिंह परिहार, पेटलावद। क्षेत्र में किसानों का रुझान परंपरागत फसलों की बजाय फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहा है। इन दिनों गेंदा फूल की खेती से ज्यादा मुनाफे की खुशबू आ रही है। इसकी खेती में एक बीघा में 25 से 30 हजार का मुनाफा हो रहा है। विवाह, स्वागत समारोह, धार्मिक समेत अन्य कार्यक्रमों में गेंदा फूलों की सबसे ज्यादा मांग रहती है। इसी से पेटलावद क्षेत्र में लगातार इसका रकबा बढ़ रहा है। परंपरागत खेती के बजाए उद्यानिकी खेती को अपनाकर अन्य फसलों से ज्यादा लाभ कमा रहे हैं।
प्रति बीघा 30 हजार का मुनाफा
जामली के किसान विजय पाटीदार ने बताया कि वे पिछले तीन वर्षों से गेंदा के फूलों की खेती कर रहे हैं। एक बीघा में 10 हजार रुपये की लागत आती है। करीब 10 क्विंटल उत्पादन मिल जाता है। 40 से 100 रुपये किलो तक फूल बिक जाते हैं। इस खेती से 25 से 30 हजार रुपये प्रति बीघा मुनाफा हो जाता है, लेकिन भाव में कमी के कारण यह मुनाफा कभी-कभी बराबर भी हो जाता है। एक तरह देखा जाए तो इस खेती से नुकसान नहीं होता है।
अन्य शहरों में भी होती है बिक्री
यहां का फूल रतलाम, झाबुआ, धार, उज्जैन भी जाता है। दीपावली पर तो यह फूल बड़ी मंडियों तक भी जाता है। गुजरात में यहां से ज्यादा फूल भेजे जाते हैं। किसान फूलों को कई बड़ी मंडियों में बेच रहे हैं। जिन किसानों के यहां सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी है, वे इन्हें निकालकर गेहूं-चने की खेती भी कर लेते हैं। जिनके यहां पानी की कमी है, वे सिर्फ फूलों की खेती पर ही निर्भर हैं। यही वजह है कि कई किसान गेंदे के फूलों की खेती करने लगे हैं।
फायदे का सौदा है गेंदे की खेती
किसान जितेंद्र पाटीदार बावड़ी ने बताया कि गेंदे की खेती फायदे रुझान रेखा का सौदा है। हर वर्ष गेंदे के फूल से दोगुनी कमाई हो जाती थी। इस वर्ष इससे थोड़ा नुकसान भी किसानों को हुआ है। जो भाव होने चाहिए थे, वह नहीं मिले। व्यापारियों ने कम भाव में किसानों से फूल लिए रुझान रेखा और अच्छे दामों में बेचे। व्यापारियों को जरूर फायदा हुआ, लेकिन किसानों को हर वर्ष की तरह इस वर्ष अधिक फायदा नहीं हुआ।
लागत कम और मुनाफा ज्यादा
उद्यान अधिकारी सुरेश ईनवाती का कहना है कि विभाग से वैसे गेंदे की खेती वर्षभर की जा सकती है, लेकिन जाड़े के मौसम के लिए नवंबर के अंतिम सप्ताह तक नर्सरी डाल देनी चाहिए। फूलों की खेती फायदे का सौदा है। इसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है। पेटलावद में फूलों की खेती पहले से हो रही है। बीते वर्ष इसका रकबा 120 हेक्टेयर था, लेकिन इस वर्ष इसका रकबा बढ़कर 130 हेक्टेयर हो गया। पेटलावद के रायपुरिया, झकनावदा, मोहनकोट, कुंभाखेडी, रूपगढ़, बावड़ी, रामगढ़, करवड़, बरवेट आदि गांवों में इसकी खेती की जा रही है। वहीं अब और कुछ जगह फूलों की खेती की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है।
गेंदे की खेती से जुड़ी कुछ खास बातें
-गेंदा की खेती विभिन्ना प्रकार की मृदाओं में की जा सकती है, लेकिन इसके अच्छे उत्पादन के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमद भूमि अच्छी मानी जाती है, जिसका पीएच मान 7.7.5 होना चाहिए।
-गेंदे के अच्छे उत्पादन के लिए शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु अच्छी मानी जाती है। अधिक गर्मी एवं अधिक सर्दी पौधों के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। इसके उत्पादन के लिए तापमान 15.30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
-विशेषज्ञों के मुताबिक, गेंदे की बुआई वर्ष में तीन बार की जा सकती है। खरीफ सीजन में गेंदे की रोपाई आमतौर पर जून-जुलाई में करते हैं, लेकिन जहां पानी की उपलब्धता है, वे किसान अगस्त तक कर सकते हैं। अक्टूबर से फरवरी तक इसके फूलने का समय आ जाता है। यानि नवरात्र और दीपावली पर फूलों की आवक आ जाती है। इसकी खेती सर्दी, गर्मी एवं वर्षा तीनों मौसम में आसानी से की जा सकती है।
-इसकी नर्सरी के लिए ऊंचे स्थान का चयन करना चाहिए। जिसमें समुचित जलनिकास हो और नर्सरी का स्थान छाया रहित होना चाहिए। जिस जगह पर नर्सरी लगानी हो, वहां की मिट्टी को समतल किया जाता है।
-उच्च तापमान, रुझान रेखा अधिक ठंड एवं पाला का गेंदे की फसल पर विपरीत प्रभाव डालता है। इसलिए इससे फसल को बचाना बेहद जरूरी होता है।