कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं

कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं
अहमदाबाद स्थित नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) नियामकीय दिशा-निर्देशों को पूरा करने की विस्तारित सीमा 31 मार्च 2012 से पहले वर्तमान शेयरधारकों की हिस्सेदारी कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं बेचने के लिए 5 प्राइवेट इक्विटी (पीई) कंपनियों और निजी बैंकों से बातचीत कर रहा है।
वर्तमान में एक्सचेंज के पास कुल 19.12 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी है। इसे नए दिशा-निर्देशों के तहत 31 मार्च, 2012 से पहले इसे न्यूनतम 50 करोड़ रुपये किया जाना है। इसकी पुष्टि करते हुए एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अनिल मिश्रा ने कहा, 'कुछ प्रमुख पीई कंपनियों और निजी क्षेत्र के बड़े बैंकों सहित 5 कंपनियों ने एनएमसीई में हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जाहिर की है। हम इनमें कुछ सबसे प्रतिस्पर्धी कंपनियों को चुनने की प्रक्रिया में हैं।' हालांकि मिश्रा ने संभावित बोली लगाने वालों के नाम के बारे में कोई खुलासा नहीं किया।
जुलाई 2009 में शुरू हुए राष्ट्रीय स्तर के जिंस वायदा कारोबार प्लेटफार्मों में हिस्सेदारी को लेकर जारी किए गये संशोधित दिशा-निर्देशों में बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग(एफएमसी) ने नेटवर्थ की सीमा 100 करोड़ रुपये तय की थी, जिसमें इक्विटी पूंजी की सीमा 50 करोड़ रुपये जरूरी की गई थी। ये दिशा-निर्देश राष्ट्रीय स्तर के 3 एक्सचेंजों मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एमसीएक्स), नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) और एनएमसीई पर लागू किये गए थे। इन तीनों एक्सचेंजों ने वर्ष 2003 में कारोबार शुरू किया था, उस समय इक्विटी पूंजी की सीमा 10 करोड़ रुपये की थी, जिसे वर्ष 2009 में बाजार के बढ़ते कारोबार को देखते हुए संशोधित किया गया था।
इन तीनों में से एमसीएक्स और एनसीडीईएक्स इस शर्त को पिछली समय सीमा 31 अक्टूबर 2011 से पहले ही पूरी कर चुके हैं। जबकि एनएमसीई ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं थी, जिसे उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 6 महीने बढ़ाकर 31 मार्च, 2012 कर दिया है। मिश्रा ने कहा, 'हमने फिर से समय सीमा में विस्तार की कोई मांग नहीं की है क्योंकि हमें उम्मीद है कि हम समय से पहले ही इस शर्त को पूरा कर लेंगे।'
राष्ट्रीय स्तर के नए एक्सचेंज इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (आईसीईएक्स) और ऐश डेरिवेटिव्ज ऐंड कमोडिटी एक्सचेंज(एसीई) ने न्यूनतम 100 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी के साथ कारोबार शुरू किया था जिसमें से 50 करोड़ रुपये शेयर इक्विटी पूंजी के लिए आवंटित किए गये थे। इसलिए ये नये एक्सचेंज कारोबार शुरू करने से पहले ही इस शर्त को पूरा कर रहे थे। एनएमसीई में रबर, कॉफी और मसालों का वायदा कारोबार होता है।
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कमोडिटी व्यापार इक्विटी, बॉन्ड और रियल एस्टेट के पारंपरिक अवसरों से अलग, निवेश के लिए विविध अवसरों को लाता है। ऐतिहासिक डेटा के आधार पर, अपने मौजूदा पोर्टफोलियो में कमोडिटी एक्सपोज़र जोड़ने से जोखिम कम करते हुए आपको रिटर्न बढ़ाने में मदद मिलती है। अन्य परिसंपत्ति वर्गों के साथ वस्तुओं का बहुत कम या नकारात्मक सहसंबंध है।
- बुलियन, ऊर्जा, कृषि में व्यापार
- कम मार्जिन पर व्यापार करना
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कमोडिटी के एफ.ए.क्यू
क्या किसी भी समय किसी भी कमोडिटी पर व्यापार / धारण की मात्रा की कोई सीमा है?
हाँ, उस मात्रा की अधिकतम अनुमेय सीमा है जिसे किसी विशेष कमोडिटी में कारोबार या आयोजित किया जा सकता है। यह सीमा संबंधित एक्सचेंजों और रेगुलेटर द्वारा निर्धारित की जाती है और कमोडिटी के अनुसार भिन्न होती है।
मैं कमोडिटी व्यापारों का निपटान कैसे करता हूँ?
कमोडिटी व्यापार प्रक्रिया के दो भाग हैं: ऑर्डर संसाधित करना और मार्क टू मार्केट (एम.टी.एम) निपटान। आप मोतीलाल ओसवाल के डीलिंग डेस्क या किसी अन्य ब्रोकर को फ़ोन पर एक आदेश दे सकते हैं, जिसके साथ आपका खाता है और यह व्यापार शुरू करता है। डीलर एक मूल्य देता है और आपको प्रारंभिक मार्जिन जमा करने के लिए कहता है।
क्या किसी कमोडिटी की कीमत एक दिन में बढ़ सकती है या गिर सकती है?
हां, अचानक और चरम मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए सर्किट सीमाएं (ऊपरी और निचले) या दैनिक मूल्य सीमाएं (डीपीआर) हैं। जब एक सर्किट सीमा हिट होती है, तो व्यापार को पंद्रह मिनट के लिए रोक दिया जाता है।
कमोडिटी व्यापार क्या होता है?
कमोडिटी ट्रेडिंग दुनिया भर में कमोडिटी एक्सचेंजों में वस्तुओं के व्यवहार की प्रक्रिया है। कमोडिटी को 4 प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है: धातुएँ - चाँदी, सोना, प्लेटिनम, और तांबा, ऊर्जा - कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, गैसोलीन, और तेल गरम करना, कृषि - मक्का, फलियाँ, चावल, गेहूँ, आदि और पशुधन और मांस - अंडे , सूअर का मांस, मवेशी, आदि।
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग कैसे शुरू करें?
भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग निम्नलिखित एक्सचेंजों पर की जाती है: मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज (UCX) नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (NMCE) इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (ICEX) ACE डेरिवेटिव्स एंड कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड (ACE) भारत में वस्तुओं का व्यापार करने के लिए, आपको एक भरोसेमंद ब्रोकर चुनने और उनके साथ एक डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलने की आवश्यकता है। ट्रेडिंग शुरू करने के लिए शुरुआती निवेश राशि का चयन करें। सिमुलेशन पर अभ्यास करना शुरू करें और बाजार की समझ, जोखिम कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं की भूख, पूंजी की उपलब्धता आदि के आधार पर एक व्यापारिक रणनीति बनाएं।
कमोडिटी बाज़ार में निवेश कैसे करें?
कमोडिटी बाजार में निवेश करने का सबसे आम तरीका एक वायदा अनुबंध के माध्यम से है, जो बाद के समय में एक निर्धारित मूल्य पर कमोडिटी की एक विशिष्ट मात्रा को खरीदने या बेचने के लिए एक समझौता है।
कमोडिटी विनिमय क्या है?
कमोडिटी बाजार एक संगठित, विनियमित बाजार है जो वस्तुओं और संबंधित निवेश उत्पादों के व्यापार और विनिमय के लिए मंच, नियम, विनियम और प्रक्रिया प्रदान करता है। कई प्रकार के आधुनिक जिंस एक्सचेंज हैं, जिनमें धातु, ईंधन और कृषि जिंस एक्सचेंज शामिल हैं। ट्रेडर्स ट्रेड फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स एक पूर्व निर्धारित तारीख तक एक सहमति पर वस्तुओं को खरीदने या बेचने के लिए सहमत हैं। भारत में छह कमोडिटी एक्सचेंज हैं, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX), नेशनल कमोडिटीज एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX), नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज, इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज, ACE डेरिवेटिव्स एक्सचेंज और यूनिवर्सल कमोडिटी एक्सचेंज।
मैं किस कमोडिटी का व्यापार कर सकता हूँ?
जिन कमोडिटी का व्यापार किया जा सकता है, वे निम्नलिखित 4 श्रेणियों में से किसी एक में हो सकती हैं: • धातु और सामग्री जैसे सोना, चांदी, प्लैटिनम, तांबा, लौह अयस्क, एल्युमिनियम, निकल, जस्ता, टिन, स्टील, सोडा ऐश, दुर्लभ पृथ्वी धातु आदि। • कच्चे तेल, ताप तेल, प्राकृतिक गैस, और गैसोलीन, थर्मल कोयला, वैकल्पिक ऊर्जा जैसी ऊर्जा। • एग्री-कमोडिटी (सोयाबीन, अरंडी के बीज, काली मिर्च, धनिया, हल्दी, चना, उड़द, तोर दाल, कच्चा पाम तेल, मूंगफली का तेल, सरसों के बीज आदि) • तेल सेवाओं, खनन सेवाओं और अन्य जैसी सेवाएं।
कमोडिटी स्पॉट और फ्यूचर्स मार्केट में क्या अंतर है?
कमोडिटी स्पॉट और फ्यूचर्स मार्केट के बीच मुख्य अंतर डिलीवरी की तारीखों और कीमतों में हैं। स्पॉट प्राइस एक स्पॉट कॉन्ट्रैक्ट की वर्तमान कीमत है, जिस पर एक विशेष वस्तु को तत्काल डिलीवरी के लिए निर्दिष्ट स्थान पर खरीदा या बेचा जा सकता है। फ्यूचर्स मार्केट दो पक्षों के बीच एक अनुबंध है, जिसमें एक पक्ष एक निश्चित मूल्य पर एक निश्चित मात्रा में वस्तु या वित्तीय उपकरण खरीदने के लिए सहमत होता है, और सामान की डिलीवरी भविष्य में बाद की तारीख (पूर्व-निर्दिष्ट) पर की जाती है। किसी कमोडिटी की फ्यूचर्स प्राइस का निर्धारण उसके वर्तमान स्पॉट प्राइस, डिलीवरी तक के समय, जोखिम मुक्त ब्याज दर और भविष्य की तारीख में स्टोरेज लागत के संबंध में कमोडिटी की कीमत पर किया जाता है।
कमोडिटी बाजार के लिए नए नियम
- 28 सितंबर को एफएमसी का सेबी में होगा विलय- शेयर बाजारों की तर्ज पर जिंस डेरिवेटिव बाजार का भी नियमन करेगा सेबीभाषा, मुंबई:पूंजी बाजार नियामक सेबी.
- 28 सितंबर को एफएमसी का सेबी में होगा विलय
- शेयर बाजारों की तर्ज पर जिंस डेरिवेटिव बाजार का भी नियमन करेगा सेबी
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के विलय के लिए 28 सितंबर की तारीख तय करते हुए जिंस डेरिवेटिव्स बाजारों के लिए नए नियमों की घोषणा की। इसके तहत जिंस बाजारों तथा इनमें काम करने वाले ब्रोकरों को भी उन नियमों का पालन करना होगा जो शेयर बाजारों कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं पर लागू होते हैं। नए नियम 28 सितंबर को अमल में आ जाएंगे। उसी दिन सेबी एकीकृत नियामक के रूप में शेयर बाजारों के साथ साथ जिंस डेरिवेटिव्स बाजारों का भी नियमन शुरू करेगा। सेबी निदेशक मंडल ने इन नियमों को मंजूरी दी।
जिंस डेरिवेटिव्स बाजार, ब्रोकर कर सकेंगे काम
इससे सेबी नियमों के तहत जिंस डेरिवेटिव्स बाजार तथा उसके ब्रोकर काम कर सकेंगे और जिंस डेरिवेटिव्स तथा प्रतिभूति कारोबार में व्यवस्थित तरीके से समन्वय हो सकेगा। सेबी ने कहा कि नए नियमन प्रतिभूति अनुबंध नियमन (शेयर बाजार तथा क्लियरिंग कॉर्पोरेशन) नियमन, 2012 के अनुपालन के लिए हैं। फिलहाल इसका अनुपालन शेयर बाजारों को ही करने की जरूरत होती थी। बड़े अनुपालनों में नेटवर्थ, शेयरहोल्डिंग नियम, निदेशक मंडल का गठन, 'निगमीकरण' तथा विभिन्न समितियों का गठन, कारोबार, बुनियादी सुविधाओं आदि से जुड़े नियम शामिल हैं। प्रक्रिया को निर्बाध रूप से संपन्न करने के लिए सेबी ने एसईसीसी नियमनों के विभिन्न प्रावधानों को जोड़ने के लिए समय सीमा का निर्धारण किया है। क्षेत्रीय जिंस डेरिवेटिव्स एक्सचेंज के 'निगमीकरण' तथा उसके ढांचे में बदलाव कर एक संयुक्त कंपनी में परिवर्तित करने की प्रक्रिया एफएमसी के सेबी में विलय की तारीख से तीन साल के भीतर करने की जरूरत होगी। क्लियरिंग कॉर्पोरेशन की सेवा लेने के लिए सेबी ने तीन साल की समयसीमा का निर्धारण किया है। तब तक क्लियरिंग मौजूदा व्यवस्था के तहत जारी रह सकता है।
हालांकि, जिंस एक्सचेंज को व्यापार के निपटान के लिए गारंटी सुनिश्चित करने की जरूरत होगी। नेटवर्थ के मामले में राष्ट्रीय जिंस डेरिवेटिव्स एक्सचेंजों के लिए समय सीमा पांच मई 2017 है जैसा कि एफएमसी द्वारा व्यवस्था की गई थी। वहीं क्षेत्रीय एक्सचेंजों के लिए समयसीमा विलय की तारीख से तीन साल होगी। शेयरहोल्डिंग के लिए एफएमसी समयसीमा 5 मई 2019 है और राष्ट्रीय एक्सचेंजों पर लागू होगी जबकि क्षेत्रीय एक्सचेंजों के लिए समय अवधि तीन साल है।
संचालन मंडल नियमों को राष्ट्रीय एक्सचेंजों को विलय की तारीख से एक साल के भीतर तथा क्षेत्रीय एक्सचेंजों के लिए तीन साल के भीतर लागू करना होगा। सेबी ने कहा,'प्रस्तावित नियमों में एक्सचेंज के जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने पर जोर है। साथ ही, निवेशक सुरक्षा नियम शेयर बाजार के समरूप होगा। यह मध्यस्थता प्रणाली तथा निवेशक शिकायत निपटान प्रणाली को मजबूत कर किया जाएगा।'
कराना होगा रजिस्ट्रेशन
इन एक्सचेंजों के सदस्यों को सेबी के पास रजिस्ट्रेशन के लिए 2 सितंबर को अधिसूचना की तारीख से तीन महीने के भीतर आवेदन देने होंगे। सेबी अगर उनके आवेदन को खारिज नहीं करता है तो उन्हें पूर्व की तरह काम करने की अनुमति होगी। नए सदस्यों के लिए नया नियम शुरुआत से लागू होगा।
नेशनल मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज आफ इंडिया लिमिटेड
नेशनल मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एन.एम.सी.ई) भारत का प्रथम अनअन्योन्य इलेक्ट्रॉनिक मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज हैं। इसे भारत सरकार द्वारा स्थायी आधार पर राष्ट्रीय दर्जा प्रदान किया गया। इसने 24 सामग्रियों में भावी व्यापार के साथ 26 नवम्बर 2002 को कार्य करना प्रारम्भ किया। तब से सामग्रियों के इस समूह (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) में काफी वृद्धि हुई है जिसमें शामिल है: तिलहन, खली, तेल, मिर्च मसाले, दालें, धातुएं तथा नकदी फसलें। भारतीय किसान एवं कृषि उत्पाद के निचले स्तर के प्रयोक्ताओं को उच्च जोखिम का सामना करना पड़ता है तथा सामग्री व्युत्पत्ति बाजार की रचना उन्हें कीमतों के उतार-चढाव के विपरीत अपनी सुरक्षा करने का विकल्प प्रदान करती हैं। .
भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक कमोडिटी एक्सचेंजों की सीमाएं नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लि.
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लि. (एमसीएक्स) भारत का अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक कमोडिटी एक्सचेंज है। इसका मुख्यालय मुंबई में है। यह फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लि. (एफटीआईएल) द्वारा स्थापित डिम्युच्युलाइज्ड एक्सचेंज है जो पूरे भारत में कमोडिटी वायदा व्यापार के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग, क्लियरिंग एवं निपटान परिचालन की सुविधा प्रदान करने वाली भारत सरकार से स्थायी रूप से मान्यताप्राप्त है। नवंबर, 2003 में अपने परिचालन की शुरुआत से आज एमसीएक्स भारतीय जिंस वायदा बाजार का 80 प्रतिशत से अधिक का हिस्सेदार हो गया है और उसके पास पूरे देश में 1,00,000 से अधिक ट्रेडर वर्क-स्टेशनों के माध्यम से व्यापार करने वाले 2000 से अधिक पंजीकृत सदस्य हैं। वर्ष 2009 में ट्रेडिंग किए गए कांट्रेक्ट्स की संख्या के मामले में एक्सचेंज विश्व के सबसे तेज विकसित होने वाले कमोडिटी फ्यूचर्स एक्सचेंजों में छठां सबसे बडा़ एक्सचेंज बन कर उभरा है। .
कमोडिटी एक्सचेंज
अमेरिका के 'शिकागो बोट' में कमोडिटी कारोबार का दृष्य कमोडिटी एक्सचेंज (commodities exchange) यानि वस्तुओं के विनिमय का कारोबार, वह विनिमय है, जहाँ विभिन्न जिंसों (कमोडिटीज) एवं उनके व्युत्पन्न वस्तुओं का व्यापार होता है। विश्व के अधिकांश जींस बाजार कृषि उत्पादों एवं अन्य कच्चे उपादों (जैसे गेहूँ, चीनी, दाल, तेल, कपास, धातुएँ आदि) का व्यापार करते हैं। इनके व्यापार में तरह-तरह के सौदे (कांट्रैक्ट) होते हैं जैसे स्पॉट मूल्य (spot prices), फारवर्ड (forwards), वायदा (futures) आदि। .
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