क्रिप्टो करेंसी से पैसा कैसे कमाए?

दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर

दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर
साथ में अगर तकनीकी तौर पर देखा जाए तो साल 1944 में ब्रेटनवुड समझौते के बाद पूरी दुनिया में डॉलर को मानक के तौर अपनाने की शुरुआत हुई। साल 1944 से पहले सोने की मांग के आधार पर देश अपनी मुद्रा की कीमत तय करते थे। साल 1944 के बाद ने देशों अपनी मुद्रा के पीछे डॉलर को अपनाना शुरू कर दिया। यह सब बताता है कि पूरी दुनिया में ग्लोबल करेंसी के तौर पर डॉलर का राज चलता है।

USD/INR - अमरीकी डॉलर भारतीय रुपया

USD INR (अमरीकी डॉलर बनाम भारतीय रुपया) के बारे में जानकारी यहां उपलब्ध है। आपको ऐतिहासिक डेटा, चार्ट्स, कनवर्टर, तकनीकी विश्लेषण, समाचार आदि सहित इस पृष्ठ के अनुभागों में से किसी एक पर जाकर अधिक जानकारी मिल जाएगी।

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USD/INR - अमरीकी डॉलर भारतीय रुपया समाचार

मालविका गुरुंग द्वारा Investing.com - मिले-जुले वैश्विक संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार की सोमवार को नरम शुरुआत दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर हुई। बेंचमार्क सूचकांकों निफ्टी50 में 0.3% और सेंसेक्स में 0.29% या.

मालविका गुरुंग द्वारा Investing.com - घरेलू बाजार ने मंगलवार को मिले-जुले बाजार संकेतों के बीच नरम शुरुआत की, क्योंकि निवेशक चीन द्वारा कोविड-19 महामारी के सबसे गंभीर परीक्षण को.

अंबर वारिक द्वारा Investing.com-- अधिकांश एशियाई मुद्राएं मंगलवार को थोड़ी बढ़ीं क्योंकि वे हाल के सत्रों में तेज गिरावट से उबर गईं, हालांकि फेडरल रिजर्व के कुछ अधिकारियों की.

USD/INR - अमरीकी डॉलर भारतीय रुपया विश्लेषण

# USDINR दिन के लिए ट्रेडिंग रेंज 81.57-82.05 है।# रुपए में गिरावट डॉलर इंडेक्स के उछाल और चीनी युआन की कमजोरी से प्रभावित हुई।# गोल्डमैन सैश (एनवाईएसई:जीएस) अगले साल भारत की विकास.

भारत का बेंचमार्क स्टॉक इंडेक्स निफ्टी सोमवार को शुरुआती कारोबार में 18209.80 के आसपास फिसल गया, जो उच्च फेड टर्मिनल दर की चिंता के बीच नकारात्मक वैश्विक संकेतों पर लगभग -140 अंक.

# USDINR दिन के लिए ट्रेडिंग रेंज 81.41-81.97 है।# रुपए में संघर्ष हुआ, क्योंकि फेड अधिकारियों की टिप्पणियां मोटे तौर पर इस संदेश में सुसंगत थीं कि अमेरिकी दरों को और बढ़ने की.

तकनीकी सारांश

Morning Star1D Three Outside Up1W Engulfing Bullish1W Three Black Crows1D Abandoned Baby Bullish5H

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डॉलर इंडेक्स क्या दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर है?

डॉलर इंडेक्स दुनिया की 6 प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती या कमजोरी का संकेत देने वाला इंडेक्स है. इस इंडेक्स में उन देशों की मुद्राओं को शामिल किया गया है, जो अमेरिका के सबसे प्रमुख ट्रे़डिंग पार्टनर हैं. इस इंडेक्स शामिल 6 मुद्राएं हैं – यूरो, जापानी येन, कनाडाई डॉलर, ब्रिटिश पाउंड, स्वीडिश क्रोना और स्विस फ्रैंक. इन सभी करेंसी को उनकी अहमियत के हिसाब से अलग-अलग वेटेज दिया गया है. डॉलर इंडेक्स जितना ऊपर जाता है, डॉलर को उतना मजबूत माना जाता है, जबकि इसमें गिरावट का मतलब ये है कि अमेरिकी करेंसी दूसरों के मुकाबले कमजोर पड़ रही है.

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डॉलर इंडेक्स में किस करेंसी का कितना वेटेज?

डॉलर इंडेक्स पर हर करेंसी के एक्सचेंज रेट का असर अलग-अलग अनुपात में पड़ता है. इसमें सबसे ज्यादा वेटेज यूरो का है और सबसे कम स्विस फ्रैंक का.

  • यूरो : 57.6%
  • जापानी येन : 13.6%
  • कैनेडियन डॉलर : 9.1%
  • ब्रिटिश पाउंड : 11.9%
  • स्वीडिश क्रोना : 4.2%
  • स्विस फ्रैंक : 3.6%

हर करेंसी के अलग-अलग वेटेज का मतलब ये है कि इंडेक्स में जिस करेंसी का वज़न जितना अधिक होगा, उसमें बदलाव का इंडेक्स पर उतना ही ज्यादा असर पड़ेगा. जाहिर है कि यूरो में उतार-चढ़ाव आने पर डॉलर इंडेक्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है.

डॉलर इंडेक्स का इतिहास

डॉलर इंडेक्स की शुरुआत अमेरिका के सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने 1973 में की थी और तब इसका बेस 100 था. तब से अब तक इस इंडेक्स में सिर्फ एक बार बदलाव हुआ है, जब जर्मन मार्क, फ्रेंच फ्रैंक, इटालियन लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियन फ्रैंक को हटाकर इन सबकी की जगह यूरो को शामिल किया गया था. अपने इतने वर्षों के इतिहास में डॉलर इंडेक्स आमतौर पर ज्यादातर समय 90 से 110 के बीच रहा है, लेकिन 1984 में यह बढ़कर 165 तक दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर चला गया था, जो डॉलर इंडेक्स का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. वहीं इसका सबसे निचला स्तर 70 है, जो 2007 में देखने को मिला था.

डॉलर इंडेक्स में भले ही सिर्फ 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इस पर दुनिया के सभी देशों में नज़र रखी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर की सबसे महत्वपूर्ण करेंसी है. न सिर्फ दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल ट्रेड डॉलर में होता है, बल्कि तमाम देशों की सरकारों के विदेशी मुद्रा भंडार में भी डॉलर सबसे प्रमुख करेंसी है. यूएस फेड के आंकड़ों के मुताबिक 1999 से 2019 के दौरान अमेरिकी महाद्वीप का 96 फीसदी ट्रेड डॉलर में हुआ, जबकि एशिया-पैसिफिक रीजन में यह शेयर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर 74 फीसदी और बाकी दुनिया में 79 फीसदी रहा. सिर्फ यूरोप ही ऐसा ज़ोन है, जहां सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय व्यापार यूरो में होता है. यूएस फेड की वेबसाइट के मुताबिक 2021 में दुनिया के तमाम देशों में घोषित विदेशी मुद्रा भंडार का 60 फीसदी हिस्सा अकेले अमेरिकी डॉलर का था. जाहिर है, इतनी महत्वपूर्ण करेंसी में होने वाला हर उतार-चढ़ाव दुनिया भर के सभी देशों पर असर डालता है और इसीलिए इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है.

Rupee vs Doller: इन पांच कारणों की वजह से टूट रहा रुपया, इस तरह हल्की होगी आम आदमी की जेब

डॉलर के मुकाबले लुढ़कता जा रहा है रुपया

डॉलर के मुकाबले लुढ़कता जा रहा है रुपया

gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2022,
  • (Updated 15 जुलाई 2022, 1:21 PM IST)

डॉलर के मुकाबले लुढ़कता जा रहा है रुपया

भारतीय रुपया टूटकर अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. गुरुवार को रुपया 79.87 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह रुपया के लिए अबतक का सबसे निचला स्तर है. रुपया इस साल करीब 7.5 फीसदी कमजोर हुआ है. यह 74 प्रति डॉलर से 79.85 प्रति डॉलर पर आ गया है. रुपये में आ रही लगातार गिरावट को थामने की आरबीआई हर मुमकिन कोशिश कर रहा है.

क्यों टूट रहा रुपया

वैश्विक बाजार में डॉलर की मांग में तेजी- दुनियाभर में 85 प्रतिशत व्यापार अमेरिकी डॉलर से होता है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की जरूरत होती है. अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वह इसी मुद्रा में अन्य देशों को ऋण देता है और वसूलता है. इसके अलावा दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता है उसमें 64 प्रतिशत अमेरिकी डॉलर होते हैं. इसलिए दिन प्रतिदिन डॉलर की मांग बढ़ रही है और Dollar के आगे रुपया पस्त हो रहा है. यदि अमेरिकी डॉलर की मांग ज्यादा है, तो भारतीय रुपये का गिरना तय है.

Rupees Vs Dollar: रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी, जानें कहां पहुंच गई भारतीय करेंसी

Rupees Vs Dollar: रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी, जानें कहां पहुंच गई भारतीय करेंसी

TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा

Updated on: Nov 21, 2022 | 6:34 PM

घरेलू Share Market में कमजोरी के रुख और विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सात पैसे टूटकर 81.81 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया तेजी के साथ 81.84 पर खुला. कारोबार के दौरान Rupee 81.74 के दिन के उच्च स्तर और 81.91 के निचले स्तर को छूने के बाद आखिर में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले सात पैसे की गिरावट के साथ 81.81 प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

कच्चे तेल में भी गिरावट

इस दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर बीच दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दिखाने वाला डॉलर सूचकांक 0.83 फीसदी की तेजी के साथ 107.81 हो गया है. वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.76 फीसदी घटकर 86.95 डॉलर प्रति बैरल रह गया है. वहीं, बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 518.64 अंक की गिरावट के साथ 61,144.84 अंक पर बंद हुआ.

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर निवेशक (FII) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे. उन्होंने शुक्रवार को 751.20 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.

आपकी जिंदगी पर कैसे असर डालता है रुपया?

बता दें कि रुपये में तेजी और गिरावट का असर आम जन जीवन पर देखा जा सकता है. हाल के दिनों में महंगाई दर के रूप में यह देखा भी जा रहा है. रुपये में कमजोरी से अंतररराष्ट्रीय बाजार से आयात की गई कमोडिटी में किसी भी कमी का असर घट जाती है. इस वजह से कच्चे तेल में गिरावट का फायदा पाने में और समय लगता है, क्योंकि कीमतों में गिरावट के बीच रुपये में कमजोरी से आयात बिल बढ़ जाता है और इससे सरकारी खजाने पर बोझ बना रहता है.

वहीं, आम आदमी को फायदा उस स्थिति में मिलता है, जब वैश्विक बाजार में कमोडिटी के दाम गिरता है और रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत स्थिति में आता है. आम लोगों को महंगाई के मोर्चे पर राहत तभी मिलती है, दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर जब वैश्विक बाजार में कमोडिटी की कीमतें गिरें और रुपया मजबूत होता है.

रूस पर लगे प्रतिबंध से उठे सवाल (Questions raised by sanctions on Russia)

डॉलर जारी करने वाला देश भी यही वायदा करता है कि जब भी कोई देश अपनी विदेशी मुद्रा से डॉलर की मांग करेगा तो उसे डॉलर मिल जायेगा। लेकिन रूस पर लगे प्रतिबंध (sanctions on Russia) से यह सवाल उठता है कि क्या वाकई विदेशी मुद्रा भंडार के तौर पर डॉलर का दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर इस्तेमाल करना उचित है? डॉलर को विदेशी मुद्रा भंडार के तौर पर इस्तेमाल करने का मतलब कहीं अप्रत्यक्ष तौर पर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर अमेरिका की गुलामी स्वीकारना तो नहीं है?

क्या डॉलर ग्लोबल करेंसी है? | Is Dollar a Global Currency?

यह कैसे न्यायोचित हो सकता है कि कोई देश अपने ही पैसा का इस्तेमाल नहीं कर पाए?

मान लिया जाए कि भारत और पाकिस्तान के बीच लम्बे समय तक युद्ध चले, भारत के विदेशी भंडार पर अमेरिका प्रतिबंध लगा दे, तब क्या होगा? यह कुछ जरूरी सवाल है जो डॉलर को ग्लोबल करेंसी के तरह इस्तेमाल करने पर खड़ा हुए हैं?

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