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तरलता निर्धारण

तरलता निर्धारण
ब्याज का तरलता पसन्दगी सिद्धान्त | Liquidity Preference Theory of Interest in Hindi

म्यूचुअल फंड निवेश में शामिल जोखिम - कंसंट्रेशन, ब्याज दर, तरलता और क्रेडिट जोखिम

म्यूचुअल फंड निवेश में किस प्रकार का जोखिम शामिल है

म्यूचुअल फंड को सुरक्षित निवेश माध्यम माना जाता है, लेकिन उनका प्रदर्शन सामान्य बाजार की अस्थिरता पर निर्भर करता है। किसी भी सिस्टम की तरह, म्यूचुअल फंड में निवेश करना जोखिम भरा होता है। म्यूचुअल फंड में निवेश फंड मैनेजरों के माध्यम से कई फाइनेंसियल प्रोडक्ट्स से रिलेटेड होता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश का जोखिम कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है जो इन वस्तुओं के मूल्य को प्रभावित करते हैं, जैसे कि सरकारी आर्थिक नीतियां, देश में वर्तमान आर्थिक स्थिति और आउटपुट गैप। निवेश पर अपने रिटर्न को अधिकतम करने के लिए, आपको अपने म्यूचुअल फंड को समझदारी से चुनना होगा।

म्यूचुअल फंड निवेश में शामिल जोखिम

बाजार ज़ोखिम
बाजार जोखिम वह जोखिम है जिसके परिणामस्वरूप अंडरडेवेलप बाजारों के कारण निवेशकों को नुकसान हो सकता है। बाजार को प्रभावित करने वाले कई फैक्टर्स हैं। कुछ उदाहरणों में नेचुरल डिज़ास्टर, इन्फ्लेशन, मंदी, राजनीतिक अस्थिरता और ब्याज दर में उतार-चढ़ाव शामिल हैं। बाजार जोखिम को व्यवस्थित जोखिम के रूप में भी जाना जाता है। किसी व्यक्ति के पोर्टफोलियो में विविधता लाने से इन परिदृश्यों में मदद नहीं मिलेगी। केवल एक चीज जो एक निवेशक कर सकता है, वह है चीजों के सही होने का इंतजार करना।

कंसंट्रेशन जोखिम

आमतौर पर कंसंट्रेशन का मतलब सिर्फ एक चीज पर ध्यान केंद्रित करना होता है। किसी विशेष योजना में किसी व्यक्ति के निवेश की काफी मात्रा को केंद्रित करना कभी भी एक अच्छा विकल्प नहीं होता है। भाग्यशाली होने पर लाभ बड़ा होगा, लेकिन कई बार नुकसान भुगतना पड़ सकता है। इस जोखिम को कम करने का सबसे अच्छा तरीका अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना है। एक क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करना और भारी निवेश करना भी जोखिम भरा है। पोर्टफोलियो जितना विविध होगा, जोखिम उतना ही कम होगा।

ब्याज दर जोखिम

उधारदाताओं के पास उपलब्ध ऋण और उधारकर्ताओं की मांग के आधार पर ब्याज दर में परिवर्तन होता है। वे एक दूसरे से विपरीत रूप से संबंधित हैं। निवेश अवधि के दौरान ब्याज दरों में वृद्धि से प्रतिभूतियों की कीमतें कम हो सकती हैं।

तरलता जोखिम

तरलता जोखिम प्रोडक्ट के मूल्य को कम किए बिना निवेश की वसूली की कठिनाई को दिखाता है। साथ ही, विक्रेता को सुरक्षा के लिए खरीदार नहीं मिल सकता है। ELSS जैसे निवेश फंडों के लिए, ब्लॉक अवधि से तरलता जोखिम हो सकता है। आप प्रतिबंध के दौरान कुछ नहीं कर सकते।

अन्य मामलों में, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) तरलता जोखिम से सफर हो सकते हैं।

क्रेडिट जोखिम

क्रेडिट जोखिम का मतलब है कि सिस्टम जारीकर्ता वादा किए गए ब्याज का भुगतान करने में असमर्थ है। एक सामान्य नियम के रूप में, इन क्राइटेरिया के अनुसार रेटिंग एजेंसियों द्वारा निवेश संस्थानों का मूल्यांकन किया जाता है। नतीजतन, उच्च श्रेणी निर्धारण कंपनियां कम भुगतान करती हैं और इसके विपरीत। म्युचुअल फंड, विशेष रूप से डेट फंड, भी क्रेडिट जोखिम से ग्रस्त हैं। फिक्स्ड इनकम फंड के लिए, फंड मैनेजर को केवल इन्वेस्टमेंट ग्रेड सिक्योरिटीज को शामिल करना चाहिए। हालांकि, उच्च रिटर्न प्राप्त करने के लिए, फंड मैनेजर कम रेटिंग वाली प्रतिभूतियों को शामिल कर सकते हैं। इससे पोर्टफोलियो का क्रेडिट रिस्क बढ़ जाता है। डेट फंड में निवेश करने से पहले, आपको अपने पोर्टफोलियो स्ट्रक्चर की क्रेडिट रेटिंग की जांच करनी चाहिए।

Cash Withdraw: दिवाली पर खर्च के लिए लोगों ने बैंकों से निकाले 69000 करोड़, जमा घटकर 172.03 लाख करोड़ रहा

आंकड़ों के अनुसार, लोगों ने 29,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की उधारी भी ली, जिससे बैंकों का कुल कर्ज 128.60 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 128.89 लाख करोड़ पर पहुंच गया। त्योहारी सीजन बीतने के बाद बैंकों के पास नवंबर के पहले तीन दिनों में 71,090 करोड़ की तरलता बढ़ी है।

पैसा निकासी के लिए लगी लोगों की भीड़ (सांकेतिक तस्वीर)।

त्योहारी सीजन में लोगों की खरीदी का सीधा असर बैंकों के जमा पर दिखा है। 21 अक्तूबर के हफ्ते में बैंकों का जमा 69,000 करोड़ रुपये घटकर 172.03 लाख करोड़ रह गया, जो सात अक्तूबर को 172.72 लाख करोड़ रुपये था।

आंकड़ों के अनुसार, लोगों ने 29,000 तरलता निर्धारण करोड़ रुपये से ज्यादा की उधारी भी ली, जिससे बैंकों का कुल कर्ज 128.60 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 128.89 लाख करोड़ पर पहुंच गया। त्योहारी सीजन बीतने के बाद बैंकों के पास नवंबर के पहले तीन दिनों में 71,090 करोड़ की तरलता बढ़ी है। बैंकों का कुल कर्ज सालाना आधार पर 17.9% बढ़ा है। जबकि जमा में केवल 9.5 फीसदी की बढ़त आई है। वैसे इस साल जनवरी से देखें तो जमा की तुलना में बैंकों का कर्ज ज्यादा बढ़ा है।

बैंक खुदरा कर्ज बढ़त
एसबीआई 10.74 18.84%
केनरा बैंक 1.34 12.52%
बैंक ऑफ बड़ौदा 1.58 28.40%
पीएनबी 1.55 16.95%
एचडीएफसी 5.80 20.20%
आईसीआईसीआई 4.78 25.00%
(आंकड़े लाख करोड़ रु. में, वृद्धि पिछले साल की तुलना में)

13 लाख करोड़ बढ़ा जमा
जनवरी में बैंकों का कुल जमा 159.82 लाख करोड़ रुपये था जबकि कर्ज 112.76 लाख करोड़ था। अप्रैल में जमा बढ़कर 167.42 लाख करोड़ और कर्ज 119.88 लाख करोड़ हो गया। जून तक जमा में गिरावट आई और यह 165.69 लाख करोड़ रुपये रहा। कर्ज में लगातार बढ़ोतरी जारी रही और यह 121.49 लाख करोड़ रुपये रहा। जुलाई के बाद जमा और कर्ज दोनों में जमकर तेजी आई। सितंबर में जमा जहां 170.56 लाख करोड़ हो गया वहीं कर्ज बढ़कर 125.51 लाख करोड़ रुपये हो गया।

जोखिम से बचने को उपाय नहीं कर रहे बैंक : एसबीआई
आरबीआई द्वारा रेपो रेट में वृद्धि के कारण कम होती तरलता के बीच एसबीआई ने एक रिपोर्ट में कहा कि बैंक संपत्ति और तरलता निर्धारण देनदारी में जोखिम का सही निर्धारण नहीं कर रहे हैं। ये ऐसे समय पर किया जा रहा है जब उधारी की मांग एक दशक के उच्च स्तर 18% पर पहुंच गई है। जमा की वृद्धि दर काफी पीछे है। तरलता कम होने का प्रमुख कारण आरबीआई की ओर से ब्याज दर बढ़ाना है। महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई ने मई से अब तक ब्याज दरों में 1.90 फीसदी की वृद्धि की है।

सरकार ने दिवाली में नकदी का बड़ा हिस्सा खर्च किया
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्याज दर बढ़ने से पहले बैंकिंग प्रणाली में अप्रैल, 2022 में एवरेज नेट ड्यूरेबल लिक्विडिटी 8.3 लाख करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 3 लाख करोड़ रुपये के करीब रह गया है। सरकार ने दिवाली के हफ्ते में कैश बैलेंस का एक बड़ा हिस्सा खर्च कर दिया है, जिससे कुछ सुधार हुआ है।

विस्तार

त्योहारी सीजन में लोगों की खरीदी का सीधा असर बैंकों के जमा पर दिखा है। 21 अक्तूबर के हफ्ते में बैंकों का जमा 69,000 करोड़ रुपये घटकर 172.03 लाख करोड़ रह गया, जो सात अक्तूबर को 172.72 लाख करोड़ रुपये था।

आंकड़ों के अनुसार, लोगों ने 29,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की उधारी भी ली, जिससे बैंकों का कुल कर्ज 128.60 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 128.89 लाख करोड़ पर पहुंच गया। त्योहारी सीजन बीतने के बाद बैंकों के पास नवंबर के पहले तीन दिनों में 71,090 करोड़ की तरलता बढ़ी है। बैंकों का कुल कर्ज सालाना आधार पर 17.9% बढ़ा है। जबकि जमा में केवल 9.5 फीसदी की बढ़त आई है। वैसे इस साल जनवरी से देखें तो जमा की तुलना में बैंकों का कर्ज ज्यादा बढ़ा है।

बैंक खुदरा कर्ज बढ़त
एसबीआई 10.74 18.84%
केनरा बैंक 1.34 12.52%
बैंक ऑफ बड़ौदा 1.58 28.40%
पीएनबी 1.55 16.95%
एचडीएफसी 5.80 20.20%
आईसीआईसीआई 4.78 25.00%
(आंकड़े लाख करोड़ रु. में, वृद्धि पिछले साल की तुलना में)

13 लाख करोड़ बढ़ा जमा
जनवरी में बैंकों का कुल जमा 159.82 लाख करोड़ रुपये था जबकि कर्ज 112.76 लाख करोड़ था। अप्रैल में जमा बढ़कर 167.42 लाख करोड़ और कर्ज 119.88 लाख करोड़ हो गया। जून तक जमा में गिरावट आई और यह 165.69 लाख करोड़ रुपये रहा। कर्ज में लगातार बढ़ोतरी जारी रही और यह 121.49 लाख करोड़ रुपये रहा। जुलाई के बाद जमा और कर्ज दोनों में जमकर तेजी आई। सितंबर में जमा जहां 170.56 लाख करोड़ हो गया वहीं कर्ज बढ़कर 125.51 लाख करोड़ रुपये हो गया।

जोखिम से बचने को उपाय नहीं कर रहे बैंक : एसबीआई
आरबीआई द्वारा रेपो रेट में वृद्धि के कारण कम होती तरलता के बीच एसबीआई ने एक रिपोर्ट में कहा कि बैंक संपत्ति और देनदारी में जोखिम का सही निर्धारण नहीं कर रहे हैं। ये ऐसे समय पर किया जा रहा है जब उधारी की मांग एक दशक के उच्च स्तर 18% पर पहुंच गई है। जमा की वृद्धि दर काफी पीछे है। तरलता कम होने का प्रमुख कारण आरबीआई की ओर से ब्याज दर बढ़ाना है। महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई ने मई से अब तक ब्याज दरों में 1.90 फीसदी की वृद्धि की है।


सरकार ने दिवाली में नकदी का बड़ा हिस्सा खर्च किया
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्याज दर बढ़ने से पहले बैंकिंग प्रणाली में अप्रैल, 2022 में एवरेज नेट ड्यूरेबल लिक्विडिटी 8.3 लाख करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 3 लाख करोड़ रुपये के करीब रह गया है। सरकार ने दिवाली के हफ्ते में कैश बैलेंस का एक बड़ा हिस्सा खर्च कर दिया है, जिससे कुछ सुधार हुआ है।

ब्याज का तरलता पसन्दगी सिद्धान्त | Liquidity Preference Theory of Interest in Hindi

ब्याज का तरलता पसन्दगी सिद्धान्त | Liquidity Preference Theory of Interest in Hindi

ब्याज का तरलता पसन्दगी सिद्धान्त | Liquidity Preference Theory of Interest in Hindi

ब्याज के तरलता पसंदगी सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए। Explain critically the liquidity preference theory of Interest.

ब्याज का तरलता पसन्दगी सिद्धान्त (Liquidity Preference Theory of Interest)

ब्याज के तरलता पसंदगी सिद्धान्त का प्रतिपादन लार्ड जॉन मेनार्ड कीन्स ने किया है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘रोजगार, व्याज और द्रव्य का सामान्य सिद्धान्त’ में इस सिद्धान्त का उल्लेख किया है। लार्ड कीन्स के अनुसार ब्याज एक विशुद्ध मौद्रिक घटना है। इसका कारण यह है-प्रथम, ब्याज दर की गणना मुद्रा के रूप में की जाती है और द्वितीय, ब्याज की दर का निर्धारण मुद्रा की माँग एवं मुद्रा की पूर्ति के द्वारा होता है।

कीन्स के अनुसार, ब्याज बचत का पुरस्कार न होकर तरलता पसंदगी के परित्याग का पुरस्कार है। उनके शब्दों में, “ब्याज एक निश्चित अवधि के लिए तरलता के परित्याग का पुरस्कार है।” लोगों को नकदी के रूप में अपनी आय को रखने की प्रवृत्ति को त्यागने के लिए उन्हें कुछ न कुछ पुरस्कार अवश्य ही देना होगा। इस तरलता पसंदगी के परित्याग के लिए दिए जाने वाले पुरस्कार को ही कीन्स ने ब्याज कहा है। यदि लोगों में अपनी आय को नगदी के रूप में रखने की प्रवृत्ति अधिक है तो ब्याज की दर ऊँची होगी, जिससे लोग ऊँची ब्याज के में अपनी नगदी का परित्याग करने के लिए तैयार हो जायेंगे। इसके विपरीत यदि लोगों में लालच अपनी आय को तरल या नगदी के रूप में रखने की प्रवृत्ति कम है तो ब्याज की दर भी कम हो जायेगी।

कीन्स तरलता निर्धारण के अनुसार जिस प्रकार वस्तु का मूल्य उसकी माँग एवं पूर्ति की सापेक्षिक शक्तियों द्वारा निर्धारित होता है, ठीक उसी प्रकार ब्याज की दर का निर्धारण भी मुद्रा की माँग एवं पूर्ति की सापेक्षिक शक्तियों द्वारा होता है। मुद्रा में माँग लोग अपनी आय को तरल रूप में रखने के लिए करते हैं, जबकि मुद्रा की पूर्ति एक समय विशेष में अर्थव्यवस्था में उपलब्ध मुद्रा की मात्रा से होती है। जहाँ माँग व पूर्ति बराबर होती हैं वहीं ब्याज दर का निर्धारण होता है।

मुद्रा की माँग (Demand of Money)

कीन्स के अनुसार मुद्रा की माँग का अर्थ लोगों द्वारा अपनी आय को नगदी के रूप में रखने से है। लोग मुद्रा की माँग तीन उद्देश्यों के लिए करते हैं-

(1) लेन-देन के उद्देश्य – व्यक्ति अपनी आय का एक भाग दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं को खरीदने के लिए नकदी के रूप में रखना चाहता है। इसे ही लेन-देन के उद्देश्य से की गयी मुद्रा की माँग कहा जाता है। लेन-देन के उद्देश्य से मुद्रा की माँग ब्याज दर से प्रभावित नहीं होती।

(2) सावधानी उद्देश्य — लोग अपनी आय का एक भाग आकस्मिक रूप से आने वाले संकटों; जैसे बीमारी, दुघर्टना, बेरोजगारी, मृत्यु, मुकदमा आदि से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए नकदी के रूप में रखते हैं। यह लोगों की आय पर निर्भर होता है तथा ब्याज दर से प्रभावित नहीं होता है ।

(3) सट्टा उद्देश्य – कीन्स के अनुसार लोग अपनी आय का एक भाग नगदी के रूप में इसलिए भी रखते हैं कि पूँजी बाजार में आये उतार-चढ़ाव से लाभ कमा सकें। नकदी के रूप में मुद्रा की इस माँग को सट्टा उद्देश्य के लिए तरलता की माँग कहते हैं। बॉण्डों एवं प्रतिभूतियों को खरीदने से लोगों को ब्याज मिलता है। लोग इस आशा से कि भविष्य में इनके मूल्य बढ़ेंगे, इन्हें वर्तमान में ही अपनी नगदी आय से खरीद लेते हैं। परन्तु जब वे अनुभव करते हैं कि भविष्य में बॉण्डों और प्रतिभूतियों की कीमतें गिर जायेंगी तो वे इन्हें वर्तमान में ही बेचकर अपनी आय को नकदी के रूप में रखना चाहते हैं। अतः सट्टा उद्देश्य के लिए नकदी की माँग ब्याज की दरों में होने वाले परिवर्तनों पर निर्भर होती है।

मुद्रा की पूर्ति (Supply of Money)

मुद्रा की कुल पूर्ति के अन्तर्गत मुद्रा के सिक्के तथा साख मुद्रा सभी को सम्मिलित किया जाता है। मुद्रा की पूर्ति देश के मुद्रा अधिकारी अथवा देश के केन्द्रीय बैंक द्वारा की जाती है।

कीन्स के अनुसार एक निश्चित समय अवधि में मुद्रा की पूर्ति स्थिर रहती है। अतः मुद्रा की पूर्ति रेखा एक खड़ी रेखा होती है। मुद्रा की पूर्ति एवं वस्तु की पूर्ति में एक महत्वपूर्ण अन्तर यह है कि जहाँ मुद्रा की पूर्ति एक स्टाक है, वहीं वस्तु की पूर्ति एक प्रवाह होती है। मुद्रा की पूर्ति ब्याज की दर को प्रभावित करती है; किन्तु ब्याज की दर मुद्रा की पूर्ति को प्रभावित नहीं करती। उसका कारण यह है कि मुद्रा की पूर्ति सरकार के नियन्त्रण में होती है। यह एक निश्चित अवधि में स्थिर रहती है।

ब्याज की दर का निर्धारण (Determination of Interest Rate)

ब्याज की दर उस बिन्दु पर निर्धारित होती है जहाँ पर द्रव्य की माँग रेखा तथा द्रव्य की पूर्ति रेखा एक-दूसरे को काटती हैं।

रेखाचित्र में मुद्रा की माँग का वक्र LP मुद्रा की पूर्ति के वक्र MM को A बिन्दु पर काटता है। अतः ब्याज की दर OR निर्धारित होगी। मुद्रा की पूर्ति स्थिर रहने पर यदि तरलता पसंदगी बढ़ जाती है तो ब्याज दर बढ़ जायेगी। इसके विपरीत तरलता पसंदगी कम हो जाने पर ब्याज दर भी कम हो जायेगी।

सिद्धान्त की आलोचनाएँ (Criticism)

(1) पूँजी की उत्पादकता पर ध्यान नहींकीन्स का सिद्धान्त द्रव्य की माँग के अन्तर्गत पूँजी की उत्पादकता पर ध्यान नहीं देता, यह उचित नहीं है। द्रव्य की माँग केवल द्रव्य को नकद रूप में रखने के लिए नहीं की जाती बल्कि उत्पादक द्रव्य की माँग पूँजीगत वस्तुओं में विनियोग करने के लिए भी करते हैं। चूँकि पूँजी में उत्पादकता होती है अतः माँग पक्ष में पूँजी की उत्पादकता पर विचार न करना सही नहीं है।

(2) एकपक्षीय एवं अपर्याप्त— यह सिद्धान्त एकपक्षीय एवं अपर्याप्त है, क्योंकि यह ब्याज निर्धारण में केवल माँग पक्ष को ही महत्व देता है। कीन्स तो द्रव्य की पूर्ति को एक स्वतंत्र परिवर्तनशील तत्व मान लेते हैं। किसी समय पर द्रव्य की पूर्ति मौद्रिक अधिकारी द्वारा निर्धारित होती है। इस प्रकार द्रव्य की पूर्ति बाहरी शक्ति द्वारा निश्चित होती है।

(3) आपातकालीन निर्धारण – यह सिद्धान्त केवल अल्पकाल में ब्याज निर्धारण को बताता है। यह व्याज निर्धारण की दीर्घकालीन शक्तियों पर प्रकाश नहीं डालता।

(4) अनिर्धारण दर— कीन्स के सिद्धान्त की सबसे महत्वपूर्ण तथा गम्भीर आलोचना यह है कि इस सिद्धान्त के अनुसार ब्याज की दर अनिर्धारणीय है।

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तरलता प्रीमियम

में अर्थशास्त्र , एक तरलता प्रीमियम के दो प्रकार के बीच एक अंतर के लिए विवरण है वित्तीय प्रतिभूतियों (जैसे शेयरों), के अलावा सभी एक ही गुण हैं कि तरलता । [१] यह तीन-भाग सिद्धांत का एक खंड है जो ब्याज दरों के लिए उपज घटता के व्यवहार को समझाने का काम करता है । तरलता प्रीमियम द्वारा ब्याज उपज के ऊपर की ओर घुमावदार घटक को समझाया जा सकता है। इसके पीछे कारण यह है कि परिपक्वता तिथियों में अंतर के कारण लंबी अवधि की दरों की तुलना में अल्पकालिक प्रतिभूतियां कम जोखिम वाली होती हैं । इसलिए निवेशक प्रीमियम की उम्मीद करते हैं, या जोखिम भरी सुरक्षा में निवेश के लिए जोखिम प्रीमियम । चलनिधि जोखिम प्रीमियमों को लंबी अवधि के निवेशों के साथ उपयोग करने की अनुशंसा की जाती है, जहां वे विशेष निवेश अतरल हैं।

एक संगठित बाजार में कारोबार करने वाली संपत्तियां अधिक तरल होती हैं। उद्धृत कंपनियों के लिए वित्तीय प्रकटीकरण आवश्यकताएं अधिक कठोर हैं । किसी दिए गए आर्थिक परिणाम के लिए, संगठित तरलता और पारदर्शिता उद्धृत शेयर के मूल्य को एक गैर-उद्धृत शेयर के बाजार मूल्य से अधिक बनाती है।

प्रैक्टिशनर अतरल प्रतिभूतियों के मूल्यांकन के साथ संघर्ष करते हैं। लॉन्गस्टाफ (१९९५) [२] इस प्रीमियम के लिए ऊपरी सीमा की गणना यह मानकर करता है कि व्यापार प्रतिबंधों के बिना, सही बाजार-समय की क्षमता वाला एक निवेशक उस अवधि के दौरान अपनी अधिकतम कीमत पर सुरक्षा बेच सकता है जिसमें सुरक्षा व्यापार से प्रतिबंधित है। इस प्रकार, चलनिधि प्रीमियम के लिए ऊपरी सीमा प्रतिबंधित ट्रेडिंग अवधि के दौरान इस अधिकतम मूल्य और इस अवधि के अंत में सुरक्षा मूल्य के बीच के अंतर के रूप में निर्धारित की जाती है। अबुडी और रविव (२०१६) [३] कॉर्पोरेट सुरक्षा के मूल्य निर्धारण के लिए एक संरचनात्मक दृष्टिकोण का उपयोग करके कॉर्पोरेट बॉन्ड के विशेष मामले के लिए इस ढांचे का विस्तार करते हैं। अनुभवजन्य साहित्य के अनुरूप चलनिधि प्रीमियम सकारात्मक रूप से जारीकर्ता फर्म के परिसंपत्ति जोखिम और उत्तोलन अनुपात से संबंधित है और बांड की क्रेडिट गुणवत्ता के साथ बढ़ता है। तरलता प्रसार की शब्द संरचना में एक कूबड़ आकार होता है, जहां इसका अधिकतम स्तर फर्म के उत्तोलन अनुपात पर निर्भर करता है।

  1. ^ बोयर, जैरी. "तरलता प्रीमियम क्या है? इसका क्या अर्थ है?" . 2015-08-30 को लिया गया ।
  2. ^
  3. लॉन्गस्टाफ, फ्रांसिस ए. (1995-12-01)। "मार्केटेबिलिटी सुरक्षा मूल्यों को कितना प्रभावित कर सकती है?"। वित्त का जर्नल५० (५): १७६७-१७७४। डोई : 10.1111/जे.1540-6261.1995 . tb05197.x । आईएसएसएन1540-6261 ।
  4. ^
  5. अबुडी, मेनाकेम मेनी; रविव, एलोन (2016-08-01)। "अचलता कॉर्पोरेट ऋण उपज प्रसार को कितना प्रभावित कर सकती है?" वित्तीय स्थिरता के जर्नल25 : 58-69। डीओआई : 10.1016/जे.जेएफएस.2016.06.011 । आईएसएसएन1572-3089 ।

वित्तीय सिद्धांत से संबंधित यह लेख एक आधार है । आप विकिपीडिया का विस्तार करके उसकी मदद कर सकते हैं ।

रिजर्व बैंक 22 अक्टूबर को करेगा ओएमओ के जरिए एसडीएल की पहली खरीद

रिजर्व बैंक 22 अक्टूबर 2020 को दस हजार करोड़ रुपये में राज्य विकास ऋण यानि एसडीएल की पहली बार खुले बाजार परिचालन के जरिये (ओएमओ) खरीद करेगा। नीलामी का परिणाम 22 अक्टूबर को ही घोषित कर दिया जायेगा।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 16, 2020 19:27 IST

22 अक्टूबर को ओएमओ के. - India TV Hindi News

Photo:FILE PHOTO

22 अक्टूबर को ओएमओ के जरिए एसडीएल की पहली खरीद

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि वह 22 अक्टूबर 2020 को दस हजार करोड़ रुपये में राज्य विकास ऋण (एसडीएल) की पहली बार खुले बाजार परिचालन के जरिये (ओएमओ) खरीद करेगा। रिजर्व बैंक ने नौ अक्टूबर को मौद्रिक नीति की बैठक के बाद विकास और विनियामक नीतियों पर दिये बयान में ओएमओ के बारे में घोषणा की थी, जिसमें राज्य सरकारों के द्वारा जारी बॉन्ड को ओपन मार्केट ऑपरेशन के जरिए खऱीदने की बात थी। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के दौरान तरलता में सुधार और कुशल मूल्य निर्धारण को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से एसडीएल में ओएमओ का संचालन करने का निर्णय लिया था। उसने कहा, ‘‘22 अक्टूबर 2020 को 10 हजार करोड़ रुपये की कुल राशि के लिये ओएमओ के तहत एसडीएल की खरीद नीलामी आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। बाजार से मिलने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर नीलामी के आकार को बाद में बढ़ाया जा सकता है।’’ नीलामी का परिणाम 22 अक्टूबर को ही घोषित कर दिया जायेगा।

केंद्र सरकार की सिक्योरिटीज के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशन सामान्य है, हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है जब रिजर्व बैंक ने राज्यों के बॉन्ड्स के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशन के जरिए खरीद का ऐलान किया है। इकरा रेटिंग्स के मुताबिक राज्य सरकारों ने अप्रैल से लेकर अक्टूबर के पहले हफ्ते तक एसडीएल के जरिए करीब 3.76 लाख करोड़ रुपये उठाए हैं। ये रकम पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 53 फीसदी ज्यादा है। वहीं रिजर्व बैंक के कर्ज उठाने की योजना के मुताबिक राज्य अक्टूबर से लेकर दिसंबर के बीच अतिरिक्त 2 लाख करोड़ रुपये और जुटा सकते हैं।

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