ETF क्या है?

उद्योग या सेक्टर ईटीएफ ऐसे फंड हैं जो किसी विशिष्ट क्षेत्र या ETF क्या है? उद्योग पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उदाहरण के लिए, एक ऊर्जा क्षेत्र ईटीएफ में उस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियां शामिल होंगी। उद्योग ईटीएफ के पीछे का विचार उस क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करके उस उद्योग के ऊपर की तरफ एक्सपोजर हासिल करना है।
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इस ETF की इन 10 हाई अल्फा स्टॉक्स पर है नजर, आपको भी कर सकते हैं मालामाल, क्या इनमें से कोई है आपके पास?
Angel One: यह स्टॉक 28 फरवरी 2022 तक 26 म्यूचुअल फंड स्कीमों के पोर्टफोलियो में शामिल था। HDFC securities ने इस स्टॉक में 'buy' कॉल दी है.
निफ्टी अल्फा 50 (Nifty Alpha 50) एक स्ट्रेटजी इंडेक्स है जो NSE पर लिस्टेड हाई अल्फा वाली सिक्यूरिटीज के प्रदर्शन को आंकता है। इस इंडेक्स में ऐसे टॉप 50 स्टॉक शामिल होते हैं जिनका अल्फा सबसे ज्यादा होता है। इसकी गणना पिछले 1 साल के प्राइस डेटा के आधार पर की जाती है। इनका चुनाव एवरेज फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन और पिछले 6 महीनों के औसत दैनिक टर्न ओवर के आधार पर किया जाता है। सरल शब्दों में कहें तो अल्फा किसी स्टॉक के उस अतिरिक्त रिटर्न को कहते ETF क्या है? हैं मार्केट की तुलना में ज्यादा होता है। इस इंडेक्स में सारे मार्केट कैप में एलोकोशन डाइवर्सिफाइड होता है।
Types of ETFs
निवेशकों के लिए विभिन्न प्रकार के ईटीएफ ETF क्या है? उपलब्ध हैं जिनका उपयोग आय सृजन, अनुमान और मूल्य वृद्धि के लिए और निवेशक ETF क्या है? के पोर्टफोलियो में जोखिम को हेज या आंशिक रूप से ऑफसेट करने के लिए किया जा सकता है। आज बाजार में उपलब्ध कुछ ईटीएफ का संक्षिप्त विवरण यहां दिया गया है।
- Passive and Active ETFs
- Bond ETFs
- Stock ETFs
- Industry/Sector ETFs
- Commodity ETFs
- Currency ETFs
Passive and Active ETFs
ईटीएफ को आम तौर पर या तो निष्क्रिय या सक्रिय रूप से प्रबंधित किया जाता है। निष्क्रिय ईटीएफ का उद्देश्य व्यापक सूचकांक के प्रदर्शन को दोहराना है – या तो एक विविध सूचकांक जैसे NIFTY50 या specific targeted sector या trend।
सक्रिय रूप से प्रबंधित ईटीएफ आमतौर पर प्रतिभूतियों के सूचकांक को लक्षित नहीं करते हैं, बल्कि पोर्टफोलियो प्रबंधक निर्णय लेते हैं कि कौन सी प्रतिभूतियों को पोर्टफोलियो में शामिल किया जाए। इन फंडों में निष्क्रिय ईटीएफ पर लाभ होता है लेकिन निवेशकों के लिए यह अधिक महंगा होता है।
Bond ETFs
बॉन्ड ईटीएफ का उपयोग निवेशकों को नियमित आय प्रदान करने के लिए किया जाता है। उनका आय वितरण अंतर्निहित बांडों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। इनमें सरकारी बॉन्ड, कॉरपोरेट बॉन्ड और राज्य और स्थानीय बॉन्ड शामिल हो सकते हैं उनके underlying instruments के विपरीत, बॉन्ड ईटीएफ की maturity date नहीं होती है।
वे आम तौर पर वास्तविक बांड मूल्य से प्रीमियम या छूट पर व्यापार करते हैं। बॉन्ड ईटीएफ सिंपल फिक्स्ड इनकम प्रोडक्ट है. यहां एक निवेशक पूरे विश्वास के साथ अपना फंड रख ETF क्या है? सकता है. इसके रिटर्न का अनुमान लगाना आसान है. इससे होने वाली इनकम टैक्स-फ्री तो नहीं होगी, लेकिन इसमें इंडेक्सेशन का बेनिफिट मिलेगा.
Gold ETF : अच्छा रिटर्न चाहिए तो ऐसे करें सोने में निवेश, दिवाली तक बढ़ सकती है कीमत
Gold ETF दुनियाभर के बाजार जहां हर क्षेत्र में नकारात्मक रिटर्न दे रहे हैं, वहीं कोरोना काल में सोना चर्चा का विषय बन गया है। सोने के दाम लगातार बढ़ रहे हैं और फिलहाल सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 50 हजार रुपए के भी पार हैं। बीते दो माह की ही बात की जाए तो सोने में निवेश करने वाले निवेशकों को शानदार रिटर्न मिला है और बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि दीपावली तक सोने के दाम 60 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम तक ETF क्या है? पहुंच सकता है। गोल्ड एक्सपर्ट्स की माने तो यह समय सोने में निवेश के लिए बहुत अच्छा है और आने वाले दो से तीन माह में अच्छा रिटर्न मिल सकता है। ऐसे में यदि सोने की कीमतों में गिरावट भी आती है तो गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना सुरक्षित हो सकता है। आइए जानते हैं क्या होता है गोल्ड ईटीएफ
गोल्ड ईटीएफ क्या है (What Is Gold ETF)
Gold ETF Kya Hai- गोल्ड ईटीएफ अर्थात गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold Exchange Traded Fund) के माध्यम से सोने में निवेश किया जाता है| वर्तमान समय में गोल्ड ईटीएफ की ट्रेडिंग देश के सभी बड़े एक्सचेंज के ऊपर हो रही है| यहां निवेशक इलेक्ट्रॉनिक रुप में सोने में निवेश कर सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ एक्सचेजों पर लिस्टेड होते हैं। यहां इसे डीमेट अकाउंट के जरिए खरीदा और बेचा जा सकता है।
गोल्ड ईटीएफ्स 99.5 फीसद शुद्धता वाला वास्तविक भौतिक सोना खरीद कर अपने एसेट्स बनाते हैं। यह भौतिक सोना बैंकों के संरक्षण में रहता है और सेबी के दिशानिर्देशों के अनुसार समय-समय पर इसका मूल्य लगता है। गोल्ड ईटीएफ का भौतिक रूप से सोना रखना निवेशकों को एक अलग विश्वास देता है। खास बात यह है कि निवेशक भी सोने की भौतिक डिलीवरी ले सकते हैं।
गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करते है (How To Invest In Gold ETF)
Gold ETF Me Nivesh Kaise Kare- गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड अर्थात गोल्ड ईटीएफ में निवेशक को निवेश करनें के लिए सबसे पहले ट्रेंडिंग और डीमैट अकाउंट खुलवाना होता है। अकाउंट खुलवानें के बाद ब्रोकर के ऑनलाइन पोर्टल पर लॉगिन कर ईटीएफ विकल्प को चुनें। आप जितनी यूनिट खरीदना चाहें, उतनी यूनिट के लिए खरीद का ऑर्डर दे सकते हैं। कुछ समय पश्चात यूनिट्स आपके डिमेट अकाउंट में आ जायेंगे और आपके खाते से पैसा कट जाएगा। निवेशक एकमुश्त या एसआईपी द्वारा भी निवेश कर सकते हैं।
Gold Bond Aur Gold ETF Me Antar- निवेश के दृष्टिकोण से सोने को हमेशा से निवेश का एक अच्छा साधन माना जाता है| लेकिन अधिकांश लोग भौतिक रूप से सोना खरीदना ही पसंद करते हैं, जैसे ज्वैलरी, कॉइन्स, बिस्किट आदि| यदि हम गोल्ड में निवेश को लेकर बात करे तो गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड इटीएफ भी माध्यम हैं| ETF क्या है? ऐसे में सोने में निवेश के लिए कौन सा जरिया फायदेमंद है, इसके लिए हम आपको गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड इटीएफ में अंतर बता रहे है, जो इस ETF क्या है? प्रकार है-
गोल्ड बॉन्ड (Gold Bond)
1. कोई भी व्यक्ति गोल्ड बॉन्ड के रूप में 1 ग्राम से लेकर 4 किलो तक ही सोना खरीद सकते है
2. गोल्ड बॉन्ड में पांच वर्षों का लॉक-इन पीरियड है, इसके बाद ही इसे भुनाया जा सकता है
3. गोल्ड बॉन्ड खरीदने के 3 साल बाद बेचने पर इंडेक्सेशन बेनिफिट ETF क्या है? के साथ 20 फीसदी LTCG टैक्स लगता है| यदि तीन वर्ष से पहले विक्रय करते है, तो एप्लीकेबल स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगेगा
4. गोल्ड बॉन्ड पर कैपिटल ETF क्या है? गेन और ब्याज दोनों का लाभ लिया जा सकता है, साथ ही इस पर सॉवरेन गारंटी भी रहती है
5. गोल्ड बॉन्ड की सबसे बड़ी कमी यह है कि इसे सेकंडरी मार्केट में बेचने पर लिक्विडिटी का इश्यू आता है
गोल्ड इटीएफ (Gold ETF)
1. गोल्ड इटीएफ के रूप में कोई भी व्यक्ति न्यूनतम 1 ग्राम सोने से लेकर कितना भी निवेश कर सकता है, क्योंकि इसमें कोई अपर लिमिट नहीं है|
2. Gold ETF में कोई लॉक इन पीरियड नहीं है
3. गोल्ड इटीएफ पर भी 3 साल का होल्डिंग पीरियड पूरा करने के बाद बेचने पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20 फीसदी LTCG टैक्स लगता है, वहीं 3 साल से पहले बेचने पर एप्लीकेबल स्लैब रेट से टैक्स लगता है
4. Gold ETF में खरीद और बिक्री कभी भी की जा सकती है
5. गोल्ड इटीएफ की सबसे बड़ा माईनस पॉइंट यह है कि डीमैट चार्ज देना अनिवार्य है और कभी-कभी इसका वॉल्यूम बहुत लो रहता है