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एक अभ्यास व्यापारी से सुझाव

एक अभ्यास व्यापारी से सुझाव
नई दिल्‍ली। डायबिटीज (Diabetes) वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, डायबिटीज को मैनेज करने में लाइफस्‍टाइल का अहम रोल होता है। यदि व्‍यक्ति की लाइफस्‍टाइल (lifestyle) अच्‍छी है तो ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। आज भारत में ढाई करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज (Diabetes) की समस्या से पीडि़त हैं, साल-दर साल यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, हालांकि इन आकड़ों की संख्‍या में उतार-चढ़ाव का दा दौर बना रहता है।

आत्म विकास

एक दिलचस्प सवाल यह है कि किसी व्यक्ति ने किस क्षण से सोचना शुरू किया? शायद महानतम वैज्ञानिक इसका सटीक उत्तर नहीं दे पाएंगे। लेकिन, आज, उनका पहले से ही पूरी तरह से अध्ययन किया जा चुका है .

गाड़ी चलाने से डरते हैं। अधिकांश नौसिखिए मोटर चालकों के लिए, डर जल्दी से गुजरता है। लेकिन कई लोगों के लिए ड्राइविंग एक बड़ा इमोशनल इश्यू होता है। क्या यह डर के लायक है .

सफल होने के लिए (चाहे कहीं भी हो) आपको अपनी क्षमताओं पर भरोसा होना चाहिए। कम आत्मसम्मान वाले व्यक्ति के लिए सफल होना बेहद मुश्किल है और यहां तक ​​कि.

किसी व्यक्ति की सफलता में आत्म-छवि और आत्मविश्वास एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। किसी व्यक्ति का बढ़ा हुआ आत्म-सम्मान अक्सर सेट को प्राप्त करने में एक प्रमुख कारक बन जाता है .

प्रत्येक व्यक्ति के लिए, पढ़ना सीखना अक्षरों की पहचान से शुरू होता है, फिर शब्दांश, समय के साथ, हमारी दृष्टि पहले से ही पूरे शब्दों को कवर करने और उनसे वाक्य बनाने में सक्षम है .

क्या आप जानते हैं कि इच्छाशक्ति को उसी तरह प्रशिक्षित किया जा सकता है जैसे आप जिम में मांसपेशियों को प्रशिक्षित करते हैं? विलपावर में, स्टैनफोर्ड के प्रोफेसर केली मैकगोनिगल के बारे में बात करते हैं .

आधुनिक तकनीक और शाश्वत भागदौड़ के युग में, आप अपने व्यक्तिगत समय का एक मिनट या एक सेकंड बर्बाद नहीं करना चाहते हैं। इसलिए वयस्क हर जगह सब कुछ करने की कोशिश करते हैं, और उन्हें ऐसा करना सिखाते हैं .

विलंब क्या है, इसके प्रकार और विकास का तंत्र। अपने आप में एक विलंब करने वाले को कैसे पहचानें। आप चीजों को बाद तक क्यों टालना चाहते हैं और इससे कैसे निपटें .

इस लेख में, मैं आपको बताऊंगा कि आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास कैसे बढ़ाया जाए। आत्मविश्वास बहुत ही फजी चीज है। यहां तक ​​कि सबसे सफल व्यक्ति भी डर जाता है और अपना सब कुछ खो देता है.

जीवन कितना दिलचस्प है: हम में से प्रत्येक को अलग-अलग समय पर यह समझने और महसूस करने का समय आता है कि समय आ गया है कि हम अपने आप में, अपने जीवन में, अपने पेशेवर में कुछ बदलें।

- एक जन्मजात चरित्र विशेषता। इस कारण से, कुछ ऊंचाइयों तक पहुंचते हैं, जबकि अन्य कम से संतुष्ट होते हैं। हालाँकि, यह राय पूरी तरह से गलत है। वसीयत को प्रशिक्षित किया जा सकता है, इसलिए वे कहते हैं .

एक धारणा है कि हमारे प्राचीन पूर्वज एक दुश्मन, एक खतरनाक जानवर के दृष्टिकोण को दूर से महसूस कर सकते थे और कुछ घटनाओं की भविष्यवाणी कर सकते थे। शारीरिक रूप से लोग जंगली लोगों से कमजोर होते हैं.

भारत को फिर से विश्व गुरु के पद पर अधिष्ठित करेगी नई शिक्षा नीति : नरेंद्र सिंह तोमर

भारत को फिर से विश्व गुरु के पद पर अधिष्ठित करेगी नई शिक्षा नीति : नरेंद्र सिंह तोमर

नई दिल्ली, 17 नवंबर । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि नई शिक्षा नीति आने वाले कल में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान देगी। साथ ही जब देश की आजादी 100 वर्ष की होगी तब यही शिक्षा नीति पुन: भारत को विश्वगुरु के पद पर अधिष्ठित करने में भी सफल होगी।

केंद्रीय मंत्री तोमर यहां भारतीय कृषि संस्थान (पूसा) में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत की थीम पर आयोजित तीन दिवसीय ज्ञानोत्सव-2079 के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

अध्यक्षीय उद्बोधन में केंद्रीय मंत्री ने मनुष्य के जीवन में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि शिक्षा प्रगति का उपकरण है, लेकिन यदि एक अभ्यास व्यापारी से सुझाव इसकी दिशा ठीक न हो तो उसका नुकसान भी देश और समाज को उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आजादी के तत्काल बाद जो दिशा निश्चित होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई। इसके चलते हमारा निज गौरव, देशज पद्धतियां व परंपराएं प्रभावित हुईं। उन्होंने कहा कि शिक्षा रोजगारोन्मुखी के साथ-साथ राष्ट्रोन्मुखी और संस्कारोन्मुखी भी होनी चाहिए। इस दिशा में भारतीय मनीषियों ने समय-समय पर मंथन किया और जरूरी सुझाव दिए हैं।

उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के गठन से पहले शिक्षा बचाओ आंदोलन कार्य कर रहा था। शिक्षा का दीप जलाने वाला यह आंदोलन शिक्षा नीति में आमूलचूल परिवर्तन कर पाया है। अब उसका क्रियान्वयन होगा। यह नई शिक्षा नीति हमें विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित करेगी।

अपने उद्बोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार ने भारत की 1000 वर्षों की यात्रा, स्वाधीनता से स्वतंत्रता की 75 वर्ष की यात्रा और देश में हो रहे परिवर्तन की चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की शिक्षा कैसी हो इसका चिंतन बहुत समय से चल रहा है। चिंतन समग्र हो यह सब चाहते हैं, लेकिन इसकी प्रक्रिया नहीं है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने यह काम किया। देशभर में घूमकर विभिन्न विषयों पर काम करने वाले लोगों को चिन्हित कर एकत्रित किया। दूसरे चरण में सभी ने एक साथ मिलकर सोचने का काम किया। यह तीसरा चरण है। सभी लोगों ने जब सोचना शुरू किया और जो निष्कर्ष निकले उसका अनुभव लेकर क्रियान्वयन करना। उन्होंने कहा कि सरकार ने नीति बना दी लेकिन क्रियान्वयन समाज को करना है। इस दिशा में आगे बढऩा है तो प्रयोग करना पड़ेगा। आज का ज्ञानोत्सव इस दिशा में परिणीति की ओर पहुंचाते हुए परिणाम की ओर आगे बढ़ेगा। यह कार्यक्रम विशिष्ट पृष्टभूमि में हो रहा है। देश में निरंतरता है। समान मूल्य, समान संस्कृति, समान जीवन पद्धति। एक राष्ट्र, एक जीवन। एक राष्ट्र, एक संस्कृति। एक राष्ट्र, एक समाज दिखाई देगा। इसके लिए हम सभी को अपनी शिद्दता बढ़ानी होगी। परिवर्तन की इच्छा रखिए, परिवर्तन के लिए काम मत करिए, क्योंकि प्रक्रिया पूरी किए बिना हम काम करते हैं तो परिणाम नहीं आता। यह बीज से वृक्ष की यात्रा है। पेड़ से पेड़ उगाने की नहीं। जब प्रक्रिया पूर्ण होगी तो परिवर्तन को कोई रोक नहीं सकता है।

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित समाजसेवी कैलाश सत्यार्थी ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह ज्ञानोत्सव नहीं, बल्कि ज्ञान यज्ञ है। यहां मौजूद लोग नई शिक्षा नीति को लोगों तक पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं। ये नए भारत के निर्माता हैं। आत्मनिर्भर, स्वाभिमानी, समावेशी, उद्यमी और जगतगुरु भारत के निर्माता हैं। यह शिक्षा पद्धति बड़े बदलाव वाली शिक्षा पद्धति है। हमारी शिक्षा सिर्फ जानकारी, सूचना, डेटा तक सीमित नहीं। हमारा शिक्षक गुरु है और गुरु का अर्थ अंधरे से उजाले की ओर ले जाने वाला। हमारी शिक्षा के साथ संस्कार जुड़े हैं। संस्कृति जुड़ी है, सांस्कृतिक मूल्य जुड़े हैं और धर्म जुड़ा है। यह किसी धर्म या मजहब की बात नहीं है। शिक्षा हमारे धर्म का हिस्सा है। धार्मिक होने के लिए शिक्षित होना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कार की विशेषता है कि अहं (मैं) की जगह हम वयं (हम सब) कहते हैं। हमारी पूरी यात्रा वैश्विक यात्रा है और इसमें शिक्षा का योगदान प्रमुख है। हमारी शिक्षा और संस्कार जोडऩे का काम करते हैं। हजारों साल पहले से यह परंपरा चली आ रही है। हजारों साल पहले हमारे ऋषियों ने यह ज्ञान दिया है। आज दुनिया में सब चीजों का वैश्वीकरण कर दिया गया है। लेकिन गंगा, यमुना, कावेरी, हिमालय, कन्याकुमारी वाला भारत वो भूमि है, जहां से करुणा का वैश्वीकरण होगा।

प्रारंभ में स्वागत भाषण ज्ञानोत्सव आयोजन प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने दिया। उन्होंने कहा कि हम सब शिक्षा के क्षेत्र में ताकतवर फसल के निर्माण का कार्य कर रहे हैं। शिक्षा में परिवर्तन लाने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन ज्ञानोत्सव के माध्यम से सार्थक सिद्ध होगा।

ज्ञानोत्सव की संकल्पना प्रस्तुत करते हुए न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि न्यास का ध्येय वाक्य है- देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा। जैसा देश, समाज, नागरिक चाहिए, वैसी ही शिक्षा होना चाहिए। उन्होंने एक अभ्यास व्यापारी से सुझाव कहा कि सरकार ने जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई है उसके क्रियान्वयन में समाज की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। लोकतंत्र में सरकार और समाज मिलकर सामूहिक प्रयास करेंगे तो सफलता निश्चित है।

World Diabetes day: 40 की उम्र से पहले भी हो सकते है Diabetes के शिकार, जानिए लक्षण

नई दिल्‍ली। डायबिटीज (Diabetes) वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, डायबिटीज को मैनेज करने में लाइफस्‍टाइल का अहम रोल होता है। यदि व्‍यक्ति की लाइफस्‍टाइल (lifestyle) अच्‍छी है तो ब्‍लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। आज भारत में ढाई करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज (Diabetes) की समस्या से पीडि़त हैं, साल-दर साल यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, हालांकि इन आकड़ों की संख्‍या में उतार-चढ़ाव का दा दौर बना रहता है।

अगर एक रिपोर्ट पर ध्‍यान दें तो यूके में 40 से कम उम्र के डायबिटीज रोगियों की संख्या 2016-17 में 1.20 लाख के करीब थी, जोकि 2020-21 में 23 फीसदी बढ़कर 1.48 से अधिक हो गई है। इसी तरह के आंकड़े भारत में भी देखे जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, मौजूदा समय में डायबिटीज के हर चार नए रोगियों में एक की आयु 40 साल से कम की है। कई प्रकार के जोखिम कारक युवाओं को इस गंभीर बीमारी का शिकार बनाते जा रहे हैं।

वैश्विक स्तर पर बढ़ते डायबिटीज के खतरे को लेकर लोगों को अलर्ट करने और इससे बचाव के लेकर आवश्यक सावधानियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 14 नबंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। डॉक्टर्स कहते हैं, लाइफस्टाइल को ठीक रखकर इंसुलिन के इंजेक्शन के बिना भी डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि डायबिटीज (Diabetes) के मरीज अगर अच्छी डाइट नहीं लेंगे तो शरीर में कमजोरी आने लगती है। शरीर को हेल्दी और फिट बनाए रखने के लिए ड्राईफ्रूट्स जरूर खाएं, हालांकि सभी ड्राईफ्रूट्स (Dry Fruits) डायबिटीज के मरीज के लिए फायदेमंद नहीं होते हैं। कई ऐसे ड्राईफ्रूट्स हैं जिन्हें खाने से ब्लड शुगर (blood sugar) बढ़ सकता है।

डॉक्टर्स कहते हैं, कम उम्र में डायबिटीज होने का मुख्य कारण मोटापा भी माना जा सकता है। अस्वास्थ्यकर खाने की आदतों, विशेषरूप से जंक फूड, अधिक कैलोरी, चीनी और फैट वाली चीजों का अधिक सेवन मोटापा एक अभ्यास व्यापारी से सुझाव और डायबिटीज दोनों के जोखिम को बढ़ा देता है। अधिक वजन वाले लोगों में मेटाबॉलिज्म की समस्याओं का खतरा भी अधिक देखा गया है, जिससे इंसुलिन का उत्पादन और इसकी कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। डायबिटीज से बचाव के लिए वजन को नियंत्रित रखना सबसे आवश्यक माना जाता है।

डायबिटीज भले ही रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने की समस्या हो पर इसका असर पूरे शरीर पर हो सकता है। किडनी, आंखों, लिवर और प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित समस्याएं डायबिटीज रोगियों में काफी सामान्य मानी जाती हैं। डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है, इसके लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए रोगियों की स्थिति के आधार पर दवाइयां और इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं।

आपको बता दें कि गंभीर और अनियंत्रित ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन की आवश्यकता होती है। डायबिटीज के रोगियों में इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन प्रभावित हो जाता है, इस कमी को पूरा करने के लिए इंसुलिन के शॉट्स देने की आवश्यकता होती है। हालांकि कुछ अध्ययनों में लंबे समय तक इंसुलिन के भी नुकसान बताए गए हैं।

डॉक्टर्स बताते हैं, इंसुलिन रक्त शर्करा को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करती है ताकि इसका उपयोग ऊर्जा के लिए किया जा सके। इंसुलिन, लिवर को रक्त शर्करा को स्टोर करने के लिए भी संकेत देती है, जिससे इसका बाद में भी इस्तेमाल किया जा सके।
डायबिटीज रोगियों में चूंकि इस हार्मोन का उत्पादन प्रभावित हो जाता है, ऐसे में बाहर से इंजेक्शन के रूप में इंसुलिन देकर इस कार्य को व्यवस्थित किया जाता है।

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आहार और व्यायाम जरूरी
डायबिटीज से पीड़ित लोगों को ऐसी जीवनशैली का पालन करते रहने की सलाह दी जाती है जो ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने में आपके लिए मददगार हो। इसके लिए शारीरिक सक्रियता, आहार, व्यायाम और अच्छी नींद बहुत आवश्यक है। मधुमेह रोगियों के लिए वजन को कंट्रोल रखना बहुत जरूरी माना जाता है। मोटापा को डायबिटीज के जोखिम कारकों में से एक माना जाता है, इससे अन्य जटिलताओं का भी खतरा हो सकता है।

पौष्टिक आहार का सेवन जरूरी
डायबिटीज रोगियों को खान-पान पर विशेष ध्यान देते रहने की सलाह दी जाती है। इसके लिए मीठी और अधिक कार्ब्स वाले चीजों से परहेज करना अच्छा विकल्प हो सकता है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजों का सेवन किया जाना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, प्रोटीन, विटामिन्स वाले फल, साबुत अनाज आदि के सेवन की आदत इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या को कंट्रोल करने में आपके लिए सहायक हो सकती है।

डायबिटीज रोगियों के लिए व्यायाम जरूरी
डायबिटीज रोगियों के लिए नियमित व्यायाम बहुत आवश्यक है। रोजाना कम से कम 30-40 मिनट तक व्यायाम करना चाहिए। वॉक करना, तैराकी या साइकिलिंग जैसे सामान्य अभ्यास भी आपके लिए सहायक हो सकते हैं। व्यायाम, वजन कम करने और कैलोरी बर्न करने में मदद करते हैं। नियमित व्यायाम करने वालों में तेजी से ब्लड शुगर लेवन बढ़ने का खतरा भी अन्य लोगों की तुलना में कम होता है।

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के उद्देश्‍य से पेश की गई है हम इसकी पुष्टि या इनकी सटीकता का दावा नहीं करते हैं. इन्‍हें अपनाने से पहले डॉक्‍टर की सलाह जरूर लें.

मुख्यमंत्री धामी 19 और 20 नवम्बर को अल्मोड़ा में, यह रहेगा कार्यक्रम

अल्मोड़ा। अपर जिलाधिकारी चन्द्र सिंह मर्तोलिया ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस जनपद के दो दिवसीय भ्रमण पर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री 19 नवम्बर, 2022 को 12ः45 बजे आई0टी0बी0पी0 हैलीपैड बिमौला अल्मोड़ा पहुॅचेंगे। वहाँ से प्रस्थान कर हवालबाग में 01ः00 बजे से 02ः30 बजे तक आजीविका महोत्सव एवं अन्य आयोजित कार्यक्रमों में प्रतिभाग करेंगे। 02ः30 बजे से 3ः00 बजे का समय आरक्षित रहेगा। 03ः00 बजे से 04ः30 बजे मुख्य सेवक आपके द्वार कार्यक्रम अन्तर्गत जन संवाद एवं महिला संगठनों व स्वयं सहायता समूहों के साथ संवाद करेंगे। 04ः45 बजे आई0टी0बी0पी0 बिमौला हैलीपैड से प्रस्थान कर 05ः00 बजे सर्किट हाउस अल्मोड़ा पहुॅचेंगे।

उन्होंने बताया कि 05ः05 बजे से 06ः00 बजे तक भाजपा कार्यकर्ताओं/पदाधिकारियों के साथ भेंटवार्ता एवं सूक्ष्म जलपान करेंगे। 06ः00 बजे से 06ः15 बजे व्यापार मण्डल व अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों से भेंटवार्ता करेंगे। 06ः15 से 06ः25 बजे बार एसोशिएसन के प्रतिनिधियों से भेंटवार्ता करेंगे। 06ः25 से 06ः50 बजे प्रबुद्व नागरिकों के साथ संवाद/सुझाव लेंगे। 06ः50 बजे से 07ः10 बजे का समय आरक्षित रहेगा। 07ः15 बजे से 08ः30 बजे तक मल्ला महल पुराना कलेक्ट्रेट अल्मोड़ा में आजीविका महोत्सव सांस्कृतिक संध्या में प्रतिभाग करेंगे तथा रात्रि विश्राम सर्किट हाउस अल्मोड़ा में करेंगे।
उन्होंने बताया कि दिनॉंक 20 नवम्बर, 2022 को मुख्यमंत्री द्वारा प्रातः 09ः00 बजे राजकीय पुस्तकालय अल्मोड़ा का लोकार्पण एवं एन0सी0सी0 कैडेट्स व अन्य प्रतिभाशाली स्कूली छात्र-छात्राओं के साथ ‘‘उत्तराखण्ड राज्य श्रेष्ठ राज्य होगा‘‘ विषय पर संवाद करेंगे। वहॉ से प्रस्थान कर सर्किट हाउस पहुॅचकर 09ः30 बजे से 10ः00 बजे तक पंचायत प्रतिनिधियों के साथ भेंटवार्ता करेंगे। 10ः00 बजे से 11ः15 बजे तक जनपद स्तरीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे। 11ः20 बजे आर्मी हैलीपैड अल्मोड़ा से छडौजा हैलीपैड लमगड़ा अल्मोड़ा के लिए प्रस्थान करेंगे। 12ः00 बजे से 12ः45 बजे से तक डोल आश्रम अल्मोड़ा में राष्ट्र सेविका समिति द्वारा आयोजित अखिल भारतीय प्रचारिका अभ्यास वर्ग के समापन कार्यक्रम में प्रतिभाग करेंगे। 01ः30 बजे डोल आश्रम हैलीपैड अल्मोड़ा से पंतनगर एयरपोर्ट के लिए प्रस्थान करेंगे।

Shraddha Murder Case: केंद्रीय मंत्री कोशल किशोर ने कहा- “पढ़ी लिखी लड़कियां ही होती हैं लिव इन का शिकार”

Shraddha Murder case

Shraddha Murder Case: दिल्ली में श्रद्धा मर्डर केस में कोर्ट ने आरोपी आफताब की पुलिस कस्टडी 5 दिन बढ़ा दी है और साथ ही उसके नार्को टेस्ट की परमिशन भी पुलिस को दे दी है। वहीँ श्रद्धा मर्डर केस को लेकर केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर का बयान आया की ‘ पढ़ी लिखी लड़कियां ही होती हैं लिव इन का शिकार ‘ । उनके बयान की काफी आलोचना भी हो रही है और इस क्रम में शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कमल कोशोर पर जोरदार हमला करते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।

Shraddha Murder Case: केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर आज बिहार के गया पहुंचे, जहां महान वीरांगना ऊदा देवी के श्रंद्धाजलि सभा में शामिल हुए और इस दौरान ही केंद्रीय मंत्री ने श्रद्धा मर्डर केस पर कहा कि “लिव-इन रिलेशनशिप अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं और उन्होंने ज्ञान देते हुए ये भी कहा कि “पढ़ी-लिखी लड़कियों को अनपढ़ लड़कियों से सीख लेनी चाहिए और लिव इन से तौबा करनी चाहिए।”

श्रद्धा हत्याकांड की जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “पढ़ी-लिखी लड़कियां लिव-इन के लिए अपने मां-बाप को छोड़ देती हैं। इससे अपराध बढ़ता है। किसी को भी लिव इन में नहीं रहना चाहिए।

Shraddha Murder Case: कौशल किशोर ने ये भी सुझाव दिया कि “लड़कियों को लिव इन की बजाय कोर्ट में शादी करनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि ” ये लड़कियों की भी जिम्मेदारी है, क्योंकि वे अपने माता-पिता को छोड़ देती हैं, जिन्होंने उन्हें वर्षों तक पाला है। एक अभ्यास व्यापारी से सुझाव वे लिव-इन संबंध में क्यों रह रही हैं? अगर उन्हें कोई लड़का पसंद है और उसके साथ रहना है तो इसके लिए उचित कागजी कार्रवाई करानी चाहिए। अगर मां-बाप सार्वजनिक रूप से लिव इन के रिश्ते के लिए तैयार नहीं हैं, तो आपको कोर्ट में शादी करनी चाहिए और फिर साथ रहना चाहिए।

Shraddha Murder Case:केंद्रीय मंत्री कौशल ने श्रद्धा वाकर हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि ‘ऐसी घटनाएं उन सभी लड़कियों के साथ हो रही हैं जो पढ़ी-लिखी हैं और सोचती हैं कि वे बहुत खुले विचारों की हैं, अपने भविष्य के बारे में निर्णय लेने की क्षमता रखती हैं। ऐसी लड़कियां लिव-इन में फंस जाती हैं। लड़कियों को ध्यान रखना चाहिए कि वे ऐसा क्यों कर रही हैं। पढ़ी-लिखी लड़कियां जिम्मेदार हैं क्योंकि पिता और मां दोनों ही ऐसे रिश्ते के लिए मना करते हैं। पढ़ी-लिखी लड़कियों को ऐसे रिश्तों में नहीं रहना चाहिए।”

Shraddha Murder Case: शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कौशल किशोर के बयान को लेकर जोरदार हमला करते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। शिवसेना सांसद चतुर्वेदी ने एक ट्वीट में पीएम मोदी से किशोर को मंत्रिमंडल से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने का आग्रह किया है।

प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट करते हुए ये भी लिखा कि “आश्चर्य की बात है कि उन्होंने (कमल किशोर) यह नहीं कहा कि इस देश में पैदा होने के लिए लड़कियां जिम्मेदार हैं। बेशर्म, हृदयहीन और क्रूर, सभी समस्याओं के लिए महिलाओं को दोष देने की मानसिकता लगातार पनपती रहती है।”
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