शेयर मार्केट में निवेश के तरीकें

Q: NFO क्या है?
Ans: जब भी कोई एसेट मैनेजमेंट कंपनी पहली बार निवेशकों के लिए किसी भी नए फंड की यूनिट्स जारी करती है तो उसे एक नया फंड ऑफर (NFO ) कहा जाता है।
निवेश के तरीके
आज के समय जब महंगाई लगातार बढ़ रही है, ऐसे में यदि हम अपनी कमाई औऱ बचत भी उसके साथ ना बढ़ाएं तो धीरे धीरे हमारी कमाई बहुत कम लगने लगेगी। समय के साथ पैसे की कम होती कीमत को रोकने और बढाने के लिए कुछ पैसे लगाकर ज्यादा पैसे कमाने को ही investment या निवेश कहा जाता है।
Investment क्यों जरूरी है
महंगाई को Silent Killer बोला जाता है जो धीरे धीरे आपके पैसे को खा जाती है। उदाहरण के लिए जनवरी 2004 में एक लीटर डीजल खरीदने के लिए आपको सिर्फ 24 रुपये खर्च करने पडते जबकि जुलाई 2021 में एक लीटर डीजल आपको लगभग 97 रुपये में मिलेगा। पूरी 4 गुणा महंगाई। यही हाल अलग अलग वस्तुओं का है।
भारत मे औसत महंगाई दर 4% के आसपास रही है और भविष्य में भी इसी के आस पास रहने का अनुमान है। इसके अनुसार आपके ₹100 रुपये अगले साल ₹96 रह जाएंगे। इसलिए जरूरी है कि आपको पैसे को ऐसी जगह invest करना है जिसमें कम से कम 4% का return मिलता हो, जिससे आप बढ़ने वाली महंगाई से अपने पैसे को बचा सकें। अतः आपको यह जानना जरूरी है कि निवेश कहाँ करें?
Fixed Deposit या FD
भारत मे निवेश का यह सबसे पसंदीदा और आसान तरीका है। भारत की आधे ज्यादा जनसंख्या अब भी निवेश के इसी तरीके पर निर्भर करती है। क्योंकि इसमें आपको वृद्धि की गारंटी मिलती है जो लगभग 7 से 8% तक होती है। FD से मिलने वाला ब्याज इनकम टैक्स के अंतर्गत आता है, इसलिए आपको मिलने वाले ब्याज पर आपकी कमाई के हिसाब से टैक्स लगता है। हर बैंक आपको आजकल इंटरनेट बैंकिंग के द्वारा FD कराने की सुविधा दे रहा है। FD मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं:
Cumulative FD :
इस तरह की FD में आपको चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है और यह एक निर्धारित समय सीमा के लिए होती है। समय अवधि 1 साल से लेकर 10 साल तक आप खुद चयन कर सकते हैं। इसका नुकसान यह है कि यदि आप निर्धारित समय सीमा से पहले अपने पैसे निकलते हैं तो ब्याज में कटौती होती है जो 1 से 2% तक हो सकती है। साथ ही सबसे बड़ा फायदा है कि आपको चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है जो आपके पैसे बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण है।
PPF और EPF
PPF यानी Public Provident Fund में आप 500 रुपये से लेकर सालाना 1.5 लाख तक जमा कर सकते हैं। इस स्कीम में 15 साल तक पैसा बंद हो जाता है। शेयर मार्केट में निवेश के तरीकें वितीय वर्ष 2021-22 के लिए भारतीय सरकार के वित्त मंत्रालय ने PPF पर 7.1% ब्याज की घोषणा की है। भारतीय सरकार हर साल औऱ तिमाही के हिसाब से ब्याज की दरों में कटौती या बढ़ोतरी करती है।
PPF के पैसे पर लगने वाला ब्याज टैक्स रहित होता है। EPF यानी Employee Provident Fund में हर कर्मचारी चाहे वह सरकारी हो या प्राईवेट हो पैसे जमा करता है। भारतीय सरकार के नियम के अनुसार आपकी बेसिक सैलरी का 12% EPF खाते में जमा होता है और आपके नियोक्ता का 3.8% कर्मचारी के खाते में जमा होता है। EPF खाते से आप नोकरी शेयर मार्केट में निवेश के तरीकें छोड़ने, सेवानिवृत्त होने या आपात्काल स्थिति में आंशिक पैसे निकाल सकते हैं।
NPS (National Pension Scheme)
जैसा कि नाम से ही लगता है कि इस स्कीम में सिर्फ रिटायरमेंट के लिए पैसे निवेश किये जाते हैं। NPS को 2004 में सरकारी कर्मचारियों तथा 2009 में सबके लिए खोल दिया गया था। आपका NPS में जमा किया हुआ पैसा अलग तरीके से निवेश किया जाता है। इस निवेश के लिए अलग अलग फंड मैनेजर काम करते हैं। NPS में दो तरीके से निवेश होता है:
Tier 1 NPS Scheme:
इस स्किम में मिलने वाला फायदा ब्याज से मुक्त होता है अर्थात आपका स्किम पूरी होने पर मिलने वाले पैसे में से कोई टैक्स नहीं कटेगा। Tier 1 NPS खाते से पैसा सिर्फ रिटायरमेंट के बाद ही निकाला जा सकता है। इसमें लगभग 60% पैसा आपको एक साथ और बाकी का पेन्शन के रूप में मिलता है।इस स्कीम में आपका पैसा शेयर बाजार, कॉरपोरेट बॉन्ड औऱ ऋण के रूप में निवेश किया जाता है। सरकारी NPS को सम्भालने के लिए LIC, SBI औऱ IDBI तीन फंड मैनेजर काम करते हैं तथा प्राइवेट NPS के लिए HDFC, Reliance, ICICI आदि फंड मैनेजर काम करते हैं।
स्टॉक चुनने का सही तरीका क्या है?
इसके संदर्भ में, हम महत्वपूर्ण तरीकों के बारे में समझतें हैं:
१. टॉप डाउन दृष्टिकोण
२. बॉटम-अप दृष्टिकोण
टॉप डाउन दृष्टिकोण
- निवेश की इस पद्धति में, निवेशक देखकर विश्लेषण शुरू करता है
- व्यक्तिगत स्टॉक पर काम करने से पहले आर्थिक नीति जैसे इन्फ्लेशन, अर्थशास्रीय विकास, आर्थिक विकास, जैसी व्यापक घटनाएं।
निवेशक बाजार में प्रचलित कारणों, घटनाओं की तलाश करता है और उस अवसर को समझने की कोशिश करता है जो उससे प्राप्त किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, द इलेक्शन इन इंडिया सबसे ज्यादा चर्चित घटना है। इसलिए, चुनाव वह घटना / विषय है जिसे निवेशक इस दृष्टिकोण से प्रभावित निवेश के अवसर को पकड़ने के लिए देखेंगे ।
अधिकांश टॉप-डाउन निवेशक मैक्रोइकॉनॉमिक निवेशक हैं, जो व्यक्तिगत इक्विटी मार्किट के बजाय बड़े चक्रीय रुझानों को भुनाने पर केंद्रित होते हैं।
इसका मतलब यह है शेयर मार्केट में निवेश के तरीकें कि उनकी रणनीति किसी भी प्रकार के मूल्य-आधारित निवेश की दृष्टिकोण की तुलना में अल्पकालिक लाभ को कमाने के लिए है, ना कि मुल्यवान कंपनियों को खोजने के लिए है।
बॉटम-अप दृष्टिकोण
निवेश की इस पद्धति में, निवेशक:
- व्यक्तिगत कंपनियों को देखकर और फिर उनकी खूबी और विशेषताओं के आधार पर एक पोर्टफोलियो का निर्माण करके उनका विश्लेषण शुरू करते है ।
- निवेशक इस तरीके के निवेश में सूक्ष्म आर्थिक कारणों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- वे अपने स्टॉक चयन मापदंडो के आधार पर अपने शेयरों का चयन करते हैं जैसे कीमत से आय कई गुना, इक्विटी अनुपात में ऋण कम, नकद प्रवाह, प्रबंधन की गुणवत्ता आदि।
- निवेश निर्णय लेने से पहले उन स्टॉक पर उपलब्ध विश्लेषण रिपोर्टों और अन्य शोध पत्रों का मूल्यांकन करता है ।
- क्यूंकि व्यक्तिगत निवेशक अपना काफी समय निवेश के ऊपर शोध करने में व्यतीत करते है इसलिए वे अपने निवेश को लम्बे समय तक खरीद कर रखने की प्रवृत्ति रखते हैं। इसका मतलब यह है कि उनके निवेश को लाभ देने में अधिक समय लग सकता है, लेकिन संकट प्रबंधन में अधिक प्रभावी हो सकता है और अंततः निवेश से होने वाले संकट की तुलना में ये बुनियादी शोधपूर्ण होने के कारण इसमें इतना खतरा नहीं होता ।
निष्कर्ष
- सभी निवेशकों के लिए कोई एक दृष्टिकोण नहीं होता है
- टॉप-डाउन या बॉटम-अप निवेश के बीच का निर्णय काफी हद तक व्यक्तिगत पसंद का मामला है।
- इन तकनीकों का सफलतापूर्वक उपयोग करने की कुंजी सही मापदंडो की पहचान करना और व्यापक संदर्भ में स्टॉक का विश्लेषण करना है। यह आप StockEdge App की मदद से भी कर सकते है
- टॉप-डाउन निवेश मापदंड, मैक्रोज़ के चारों ओर घूमता है इसलिए इस बात को ध्यान में रखता है कि कौन सा क्षेत्र कौन से समय की अवधि में रिटर्न देगा। उदाहरण के लिए, फार्म सेक्टर के स्टॉक चक्रीय प्रकृति के होने के कारण मॉनसून के दौरान ही रिटर्न देते हैं।
- बॉटम-अप निवेश, किसी भी स्टॉक के सूक्ष्म अनुपात या वित्तीय विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए निवेश करते हैं और इसलिए किसी भी मैक्रोज़ से प्रभावित नहीं होते हैं।
Investment Tips : शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में शेयर मार्केट में निवेश के तरीकें कौन है सही विकल्प? निवेश पर मोटा रिटर्न हासिल करने अपनाएं एक्टिव या पैसिव फंड सिस्टम! समझें अंतर
व्यापर, डेस्क रिपोर्ट। निवेश (Investment Tips) का बाजार प्रतिदिन बदलता रहता है। पिछले कुछ महीनों से निवेशकों का झुकाव पैसिव म्यूच्यूअल फंड (mutual fund) की तरफ अधिक देखने को मिल रहा है। दरअसल पेसिव म्युचुअल फंड (passive mutual fund) रिस्क कम है और मार्केट इंडेक्स में शामिल कंपनियों के शेयर में निवेश करने पर लंबे और मोटे रिटर्न हासिल होते हैं। वहीँ कुछ निवेशक शेयर (share market) और म्यूच्यूअल फंड निवेश की कार्यशैली पर चिंतित होते हैं, आज बात करेंगे इन दोनों जगहों होने वाले निवेश और उनके रिटर्न्स पर
सोने-चांदी में निवेश में भारतीयों की कम हो रही दिलचस्पी! क्या है लेटेस्ट Saving Trend?
डीएनए हिंदी: भारत में निवेश करने के बहुआयामी तरीके हैं. पहले निवेशक सुरक्षित और भारी रिटर्न के लिए रियल एस्टेट और सोने-चांदी में निवेश करते थे. धीरे-धीरे निवेशकों का रुझान इस सेक्टर से कम होता जा रहा है.
वित्त वर्ष 2021 में सोना (Gold) और चांदी (Silver) के आभूषणों के सेविंग में गिरावट दर्ज की गई है.यह इस ओर सूचित करता है कि लोग अब फाइनेंशियल असेट्स के रूप में बचत का विकल्प चुन रहे हैं. SBI की रिपोर्ट के मुताबिक लोगों के बचत करने के व्यवहार में बदलाव देखा जा रहा है.
New Fund Offer कैसे काम करता है?
नया फण्ड ऑफर जारी करने से पहले फंड हाउस जारी होने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए नई यूनिट्स बनाता है। बनाये गए प्रत्येक इकाई की कीमत आमतौर पर 10 रुपये राखी जाती है। अगर कोई निवेश कंपनी एनएफओ जरिये 100 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है तो वह दस करोड़ इकाइयां बनाएगी। न्यू फण्ड ऑफर को बाजार में लेन से पहले फंड हाउस अपने निवेशकों को एक योजना की जानकारी से जुड़े दस्तावेज प्रदान करना होता है। इस दस्तावेज़ में निम्नलिखित चीजें शामिल होती है।
- फंड का उद्देश्य
- प्रबंधकों का अनुभव
- जोखिम स्तर
- भविष्य के रिटर्न
- शुल्क और खर्च
NFO में निवेश का तरीका
अगर आप NFO में निवेश करना चाहते है तो फंड हाउस इस म्यूचुअल जारी फंड स्कीम के लिए बनाई गई यूनिट्स में से किसी भी यूनिट की सदस्यता ले सकते हैं। मान लीजिये अगर आप 1 लाख रुपये NFO यानी न्यू फंड ऑफर (शेयर मार्केट में निवेश के तरीकें New Fund Offer) में निवेश करना चाहते हैं तो आपको 10000 यूनिट आवंटित की जाएंगी। आपको बता दें की NFO का परिचालन शुरू होने के बाद प्रत्येक इकाई का मूल्य गिर या बढ़ सकता है।
मान लीजिये अगर न्यू फण्ड के ऑफर(NFO ) परिचालन के बाद प्रत्येक यूनिट की कीमत 10 से बढ़कर 20 रुपये हो गई तो आपके निवेश की वैल्यू 2,00,000 रुपये हो जाएगी और आपको 1,00,000 रुपये का शुद्ध लाभ होगा।
अब मान लीजिए यदि न्यू फण्ड के ऑफर(NFO ) परिचालन के बाद आपके प्रत्येक यूनिट की कीमत घटकर 8 रुपये हो गई तो आपके निवेश की वैल्यू 80000 हो जाएगी और आपको आपको 20,000 रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा।
आपको बता दें क़ि अगर न्यू फण्ड के ऑफर(NFO ) को निवेशक सब्सक्राइब करने से मना करते हैं तो वह रद्द भी किया जा सकता है। म्यूचुअल जारी फंड स्कीम के लिए बनाई गई यूनिट्स भी केवल 30 दिनों की सीमित अवधि के लिए खुली हैं।
म्युचुअल फण्ड और NFO में अंतर
म्युचुअल फण्ड की अपेक्षा एनएफओ में निवेश करना थोड़ा जोखिम भरा जरूर होता है। क्योकि NFO एक नया फण्ड ऑफर है जिसके बारे में पहले से कोई डेटा मौजूद नहीं होता है। जबकि म्युचुअल फण्ड में निवेश से पहले आप उसके पिछले कई साल का रिटर्न देख सकते है। लेकिन एनएफओ में सोच समझ कर सही तरीके से निवेश से शेयर मार्केट में निवेश के तरीकें आप म्युचुअल फण्ड की अपेक्षा ज्यादा पैसे बना सकते है। क्योकि इसमें रिस्क के साथ साथ बढ़िया रिटर्न की भी शेयर मार्केट में निवेश के तरीकें संभावना होती है।
नए फण्ड ऑफर में निवेश से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
- फंड हाउस की प्रतिष्ठा
- फंड के उद्देश्य
- बाजार में पहले से मौजूद उसी तरह के फंड की रिटर्न क्षमता
- निवेश लक्ष्य
- लॉक-इन अवधि
- संबंधित एएमसी के बारे में रिसर्च
FAQs: NFO क्या है? (What is NFO in Hindi)
Q: क्या NFO एक IPO है?
Ans: जी नहीं! लेकिन न्यू फंड ऑफर (NFO) IPO की तरह ही मार्केट में लॉन्च किया जाता है। NFO और IPO में यह अंतर है कि NFO नेट एसेट वैल्यू पर बेचा जाता है और IPO में शेयर के प्राइस बैंड होते हैं।
Q: क्या NFO में निवेश फायदेमंद है?
Ans: अगर कोई निवेशक फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMPs) में निवेश करना चाहते है तो उनके लिए न्यू फंड ऑफर (NFO) का क्लोज्ड एंडेड फंड्स एकदम सही फैसला साबित हो सकता है।
Q: NFO क्यों लाया जाता है?
Ans: म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा बाजार से पैसा जुटाने के उद्देश्य से न्यू फंड ऑफर लाया जाता है। NFO को निवेशकों के लिए भी पेश किया जाता है।
Q: न्यू फण्ड ऑफर कितने प्रकार के होते है?
Ans: एनएफओ (NFO) दो प्रकार के हो सकते हैं। पहला क्लोज-एंडेड फंड स्किम और दूसरा ओपन-एंडेड फंड स्किम।