व्यापार तकनीक क्या है

क्या तकनीक मानवता के विनाश का कारण बनेगी?
ईशा इंस्टीट्यूट ऑफ इनर साइंसेज में एक दर्शन के इस स्पॉट वीडियो में, सद्गुरु आभासी वास्तविकता(वर्चुअल रियलिटी) और मानवता पर उसके प्रभाव से संबंधित एक प्रश्न का जवाब दे रहे हैं। वह तीन तत्वों की पहचान करते हैं, जो हमें विनाश या खुशहाली की ओर ले जा सकते हैं: वाणिज्य(कॉमर्स) और बाध्यता(मजबूरी) बनाम चेतनता। वह कहते हैं, ‘अगर इंसान चेतनता में जीते, अगर दुनिया का नेतृत्व करने वाले लोग जागरूक होते, तो इंसानी खुशहाली या किसी भी चीज की खुशहाली के विरुद्ध तकनीक के इस्तेमाल का प्रश्न ही नहीं उठता।’
प्रश्नकर्ता: आभासी वास्तविकता(वर्चुअल रियलिटी) आधुनिक दुनिया की सबसे प्रमुख तकनीकों में एक बन गई है। बहुत से शोधकर्ता इंसानों में खुशहाली लाने के लिए इस तकनीक को खंगाल रहे हैं मगर व्यापार तकनीक क्या है फिलहाल यह तकनीक बहुत सी समस्याएं पैदा कर रही है जैसे बदली हुई शख्सियत, पलायनवाद, असामाजिक व्यवहार और खासकर खेलों का व्यसन(वीडियो गेम्स की लत)। तो आभासी वास्तविकता(वर्चुअल रियलिटी) को इंसानों के लाभ के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है और मानव चेतना पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है?
सद्गुरु: हम इसे बहुत अच्छी तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। देखिए, अभी हम इसका इस्तेमाल कर रहे हैं – सद्गुरु अब भी भारत में हैं! कोई तकनीक हानिकारक नहीं होती। बस इतना है कि जब इंसानी दिमाग विनाश फैलाने के एक निश्चित स्तर पर होता है, तो हर तकनीक हानिकारक होती है – सब कुछ। आप अपना लैपटॉप लेकर किसी का सिर काट सकते हैं। क्या इसका मतलब है कि कंप्यूटर खतरनाक हैं? मान लीजिए, ऐसी कुछ घटनाएं हुई हैं, कई व्यापार तकनीक क्या है ऑफिसों में ऐसा हुआ है। मान लेते हैं, दस अलग-अलग ऑफिसों में ऐसा हुआ, किसी ने एक एप्पल एयर लेकर किसी का सिर काट डाला। क्या इसका मतलब है कि लैपटॉप खतरनाक हैं? नहीं।
हमें खुद को रोकना नहीं आता
इंसान मूर्ख हैं। उन्हें जो भी चीज़ मिलती है, वे जानते हैं कि उसे अपने खिलाफ कैसे करना है। जब उन्होंने अपने ही दिमाग को अपने खिलाफ कर लिया है, तो आप और क्या चाहते हैं? अब ‘तकनीक डि-एडिक्शन सेंटर’ भी आ गए हैं। आप जानते हैं? जैसे ड्रग्स और शराब छुड़ाने के लिए डि-एडिक्शन सेंटर होते हैं, अब तकनीक डि-एडिक्शन सेंटर हैं। सिर्फ इसलिए क्योंकि हम हर काम मजबूर होकर करने की हालत में हैं। अगर हम खाने लगते हैं, तो नहीं जानते कि खाना बंद कब करें। यह एक समस्या है, काफी बड़ी समस्या है। जब हम पीने लगते हैं तो नहीं जानते कि पीना बंद कब करना है। जब हम खरीददारी करने लगते हैं तो नहीं जानते कि खरीददारी बंद कब करें। जब हम फोन इस्तेमाल करने लगते हैं तो नहीं जानते कि फोन का इस्तेमाल कब बंद व्यापार तकनीक क्या है करना है।
मजबूर होकर कुछ करते जाना समस्या है
समस्या तकनीक की नहीं है। मजबूर होकर कोई काम करना ही समस्या है। मजबूर हो जाने का मतलब सिर्फ चेतनता की कमी है। अगर हम चेतन इंसान होते, तो हम हर चीज का इस्तेमाल अपनी और हर किसी की खुशहाली के लिए करते। हम मजबूर होकर काम करने लगते हैं, इसलिए हम कुछ करना शुरू करते हैं और नहीं जानते कि रुकना कब है। हम अंतहीन रूप से वही मूर्खतापूर्ण काम करते रहेंगे। तो चाहे वह आभासी वास्तविकता(वर्चुअल रियलिटी) हो या कृत्रिम बुद्धि(आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस) या कुछ और, समस्या तकनीक की नहीं है, कभी नहीं। क्योंकि वे बस उपकरण हैं जो हमने ही बनाए हैं। हमें अपनी खुशहाली के लिए उनका इस्तेमाल करना चाहिए, उनका मकसद यही है। मगर अधिकांश अत्याधुनिक तकनीकों को हमेशा दुनिया में सैन्य उपयोग में लाया जाता है। स्पष्ट है कि हम अपनी खुशहाली के लिए उनका इस्तेमाल करना नहीं जानते। हम हमेशा कुछ न कुछ नष्ट करने के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं। सिर्फ अभी नहीं, हमेशा से यही चीज रही है।
क्योंकि हमने कभी मानव चेतना पर कोई काम नहीं किया है। अगर इंसान चेतन होते, अगर दुनिया का नेतृत्व एक चेतन नेतृत्व होता, तो मानव खुशहाली या किसी की खुशहाली के खिलाफ तकनीक के इस्तेमाल का प्रश्न ही नहीं उठता। तकनीक का मतलब है हमारी क्षमता को बढ़ाना। देखिए अभी मेरे पास माइक्रोफोन है। यह हमारी क्षमता का संवर्धन(बढ़ाना) है। अगर मैं माइक्रोफोन के बिना बोलता, तो सिर्फ इतने लोग सुन पाते। यह बस क्षमता में वृद्धि है। तो मान लीजिए, मेरे पास माइक्रोफोन है और मैं चिल्लाना शुरू कर देता हूं, अब समस्या माइक्रोफोन की नहीं है। आपको लगता है कि समस्या माइक्रोफोन की है? ‘अरे यह माइक्रोफोन बहुत तेज चिल्ला रहा है’ – क्या ऐसा है? हम इसी की बात कर रहे हैं।
फिलहाल व्यवसाय(कॉमर्स) भी एक मजबूरी बना हुआ है
कोई तकनीक समस्या नहीं है, चाहे वह कुछ भी हो। सवाल है कि हम उसे चेतनता में इस्तेमाल करेंगे या मजबूर होकर या फिर व्यावसायिक रूप में? व्यवसाय फ़िलहाल एक मजबूरी का काम बना हुआ है। हमने इस तरह व्यापार करना शुरू किया: मेरे पास थोड़े चावल हैं, तुम्हारे पास थोड़ा व्यापार तकनीक क्या है चिकन है, हम थोड़ा-थोड़ा अदला-बदली कर लेते हैं, ठीक है? क्योंकि मेरे पास कुछ अतिरिक्त था, मेरे पास आलू ज्यादा थे, तुम्हारे पास अंडे ज्यादा थे, हमने अदला-बदली कर ली, व्यवसाय इसी तरह शुरू हुआ। हमारे पास कुछ ज्यादा है, उसे हम आपको देते हैं, जो आपके पास ज्यादा है, आप मुझे देते हैं - ताकि आप अपना जीवन जी सकें, मैं अपना।
हाल में, मुझे नहीं पता कि आपने यह खबर देखी या नहीं, करीब बीस दिन पहले एक रूसी मालवाहक जहाज, एक विशाल जहाज, लगभग 40000 टन के जहाज ने आर्कटिक के बर्फ को काटते हुए एक नया मार्ग बनाया।
धीरे-धीरे हमारी बाध्यता के कारण, हमने व्यवसाय को इस हद तक बढ़ा दिया है कि वह हमारे जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करता है। सरकार आपसे कहती है, कृपया आप सभी ज्यादा लोन लीजिए, वरना अर्थव्यवस्था मंद हो जाएगी, हां या ना? वे आपको प्रेरित करते हैं क्योंकि किसी ने मुझसे कहा, ‘सद्गुरु आपके पास कोई क्रेडिट योग्यता नहीं है क्योंकि आपने कभी कोई लोन नहीं लिया।’ मुझे लगा था कि यह अच्छी चीज है! मैंने सोचा कि यह बहुत अच्छी चीज है कि मैंने कभी लोन नहीं लिया, मगर वे मुझे बता रहे हैं कि यह बुरी चीज है। ‘आपकी कोई क्रेडिट योग्यता नहीं है। आपको कोई लोन लेना चाहिए।’ मैं क्या करूं? ‘बस कहीं एक घर खरीद लीजिए। कहीं पर एक घर खरीदकर उसे किराये पर लगा दीजिए, सद्गुरु। आपके पास क्रेडिट योग्यता हो जाएगी।’
यह मजबूरी है जिसने खुद को व्यवसाय में बदल लिया है, है न? लोग घर बनाते हैं क्योंकि वे वहां रहना चाहते हैं। मगर अब हमने इसे इतना बाध्यकारी बना दिया है कि व्यवसाय धरती को नष्ट कर रहा है। हाल में, मुझे नहीं पता कि आपने यह खबर देखी या नहीं, करीब बीस दिन पहले एक रूसी मालवाहक जहाज, एक विशाल जहाज, लगभग 40000 टन के जहाज ने आर्कटिक के बर्फ को काटते हुए एक नया मार्ग बनाया। इस मार्ग ने यात्रा के मार्ग को आठ हजार किलोमीटर कम कर दिया और इससे उन्हें काफी बचत होगी। मगर वे आर्कटिक की बर्फ से होकर जा पा रहे हैं क्योंकि वह पतली हो रही है, इसलिए वे उसे पार कर पा रहे हैं। और अब व्यावसायिक शिपिंग आर्कटिक के मार्ग से होगी। यह बाध्यकारी(मजबूरी से भरा) व्यवसाय है – आप समझ नहीं रहे कि आप कर क्या रहे हैं। हां या ना?
लोग आलसी हैं – इसलिए धरती बची हुई है
यह सिर्फ बाध्यता(मजबूरी) है। इसे व्यवसाय मत कहिए, यह बस इंसान की मजबूरी है। वे चुप नहीं रह सकते, उन्हें कुछ न कुछ करना है। इसीलिए हमने सोचा कि कम से कम अगर हम सारी आबादी को इक्कीस मिनट तक बस मौन बिठा पाएं, तो पृथ्वी बच जाएगी। चाहे वे व्यापार तकनीक क्या है ध्यान करना नहीं जानते। कल्पना कीजिए कि ये 7.6 अरब लोग दिन के बीस मिनट कुछ न करें। इसलिए मैं कहता रहा हूं - धरती को इंसान की बुद्धिमत्ता नहीं बचा रही, इंसान का प्रेम या करुणा पृथ्वी को नहीं बचा रहे – यह व्यापार तकनीक क्या है का मनुष्य की निष्क्रियता(आलस) कर रही है। आधे लोग आलसी हैं – वही पृथ्वी को बचा रहे हैं। अगर हर कोई पूरी तरह मेहनती हो गया, हमारे पास मौजूद हर तकनीक का इस्तेमाल करने लगा, तो मेरे ख्याल से पंद्रह बीस सालों में धरती साफ हो जागी। हां या ना?
इसका तरीका तकनीक पर काबू करना नहीं है, इसका तरीका इंसानों को अपने कामों के बारे में अधिक चेतन बनाना है।
हम वहीं पहुंच रहे हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तकनीक क्या है, कभी किसी तकनीक या क्षमता में किसी वृद्धि को समस्या नहीं होना चाहिए। अगर मनुष्य की क्षमता बढ़ जाए, तो क्या उसे समस्या बन जाता चाहिए? वह हमेशा किसी न किसी चीज के लिए समाधान होता है। मगर हम उसे समस्या बना देते हैं क्योंकि हम उसे बाध्यकारी(मजबूरी से भरे) तरीके से इस्तेमाल करते हैं। इसका तरीका तकनीक पर काबू करना नहीं है, इसका तरीका इंसानों को अपने कामों के बारे में अधिक चेतन बनाना है।
एरोपोनिक : अब मिट्टी नहीं बल्कि हवा में पैदा होंगे आलू, 10 गुणा अधिक होगी पैदावार
जानें, क्या है एरोपोनिक व्यापार तकनीक क्या है तकनीक और किस प्रकार होगा ज्यादा उत्पादन?
वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में कई नई तकनीकों का आविष्कार होने से खेती करना काफी आसान हो गया है। बदलते समय के साथ देश के किसान खेती के परंपरागत तरीकों के स्थान पर इन नई तकनीकों का प्रयोग कर काफी लाभ अर्जित कर रहे हैं। खेती की इन नई तकनीकों में से आज हम एक ऐसी तकनीक के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो आधुनिक खेती का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह आधुनिक तकनीक एरोपोनिक के नाम से जानी जाती है। यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से हवा में सब्जियां उगाई जा रही है। शायद बेहद कम लोग ही इस तकनीक के बारे में जानते होंगे। एरोपोनिक तकनीक से आलू की खेती बिना मिट्टी, पानी और सूर्य की रोशनी के किया जा रहा है। इस तकनीक की सहायता से आलू को कोहरे और हवा वाले वातावरण में उगाया जाता है। तो आइए ट्रैक्टर गुरू के इस लेख के माध्यम से एरोपोनकि तकनीक के बारे में विस्तार से जानते है।
क्या है एरोपोनिक विधि?
एरोपोनिक तकनीक खेती की आधुनिक विधि हैं। इस विधि में मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती। इस विधि में सब्जियोंके पौधों को कोहरे और हवा वाले वातावरण में उगाया जाता है। सबसे पहले एरोपोनिस तकनीक में बड़े-बड़े थर्माकोल और प्लास्टिक के बॉक्स में आलू के माइक्रोप्लांट लटका दिया जाता हैं और प्रत्येक बॉक्स में पौधौ को ग्रोथ के लिए पोषक तत्व और पानी डाला जाता है। जिससे जड़ों में नमी बनी रहती है और कुछ समय के बाद आलू के छोटे-छोटे टयूबर बनने शुरू हो जाते है। इस दौरान आलू के पौधों को सभी पोषक तत्व दिए जाते हैं, जिससे फसल का उत्पादन अच्छा होता है। इस विधि में आलू के पौधों के जो भी पोषक तत्व दिए जाते है वो मिट्टी के जरिए नहीं, बल्कि लटकती हुई जड़ों से दिए जाते हैं।
आलू की पैदावार 10 गुना तक बढ जाती हैं
कृषि विशेषज्ञों का कहना है इस तकनीक का इजाद हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा किया गया है। एरोपोनिक एक ऐसा तरीका है, जो हाल के दिनों में लोकप्रियता में लगातार बढ़ रहा है। कृषि की इस आधुनिक पद्धति से किसानों और नागरिकों के लिए कई लाभ हैं। इस टेक्निक से खेती करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें मिट्टी और भूमि की कमी होने के बावजूद फसलों का उत्पादन करना संभव है। आलू प्रौद्योगिकी केंद्र के विशेषज्ञों का कहना है इस तकनीक से खेती करने पर आलू की पैदावार 10 गुना तक बढ़ जाती है। सरकार द्वारा भी इस तकनीक से खेती करने के लिए किसानों को मंजूरी भी दे दी गई है। इससे किसान कम लागत और कम जगह में आलू की ज्यादा पैदावार हासिल कर सकते हैं। ज्यादा पैदावार होने की स्थिति में किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा।
बीज उत्पादन की बढ़ जाएगी क्षमता
आलू प्रौद्योगिकी केंद्र के सीनियर कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक आलू का बीज उत्पादन करने के लिए आमतौर पर ग्रीन हाउस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें पैदावार काफी कम आती है। किन्तु अब एरोपोनिक तकनीक से आलू का उत्पादन किया जाएगा, जिसमें बिना मिट्टी, बिना जमीन के आलू पैदा होंगे। इस तकनीक में एक पौधा 40 से 60 छोटे आलू देगा, जबकि पूर्व की ग्रीन हाउस वाली तकनीक से एक पौधे से पांच आलू ही निकलते थे। इससे आलू के बीज के उत्पादन की क्षमता 3 से 4 गुणा बढ़ जाएगी। एरोपोनिक तकनीक से तैयार हुए पौधे को खेत में बीज के तौर पर रोपित करने से करीब 10 से 12 गुना पैदावार बढ़ जाएगी। इस तकनीक से सिर्फ हरियाण ही नहीं, बल्कि देश के अन्य राज्यों के किसानों को भी लाभ मिलेगा।
एरोपोनिक तकनीक से कौन से पौधे उगा सकते हैं?
कृषि विशेषज्ञों के अुनासर यह प्रणाली उन सब्जियों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है, जिनकी जड़ें ऑक्सीजन और नमी जैसी सर्वोत्तम स्थिति को अपना सकती हैं। एरोपोनिस तकनीक के माध्यम से किसान पोषक तत्वों से परिपूर्ण फसलें प्राप्त कर सकते हैं। इस तकनीक से फसलों के उत्पादन में पानी के साथ-साथ पोषक तत्वों की भी बचत होती है। इस तकनीक का उपयोग करके पत्तेदार साग, स्ट्रॉबेरी, खीरे, टमाटर और जड़ी-बूटियों के उत्पादन के लिए किया जा रहा है। एरोपोनिक सिस्टम को किसानों के बीच प्रोत्साहित किया जा सके, इसके लिए हरियाणा के करनाल स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र का इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर साथ एक एमओयू साइन हो चुका है। इसके अलावा किसानों को इस तकनीक के बारे में बताने के लिए ट्रेनिंग प्रोगाम भी आयोजित किए जा रहे हैं। किसान इस तकनीक के इस्तेमाल से आलू की अच्छी पैदावार और पैदावार से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
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अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ, महत्व/लाभ, हानियां
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ (antarrashtriya vyapar ka arth)
antarrashtriya vyapar arth mahatva labha haniya;एक ही देश के विभिन्न क्षेत्रों, स्थानों या प्रदेशों के बीच व्यापार तकनीक क्या है होने वाला व्यापार "घरेलू" "आंतरिक व्यापार" कहलाता भै। इसके विपरीत, दो या अधिक देशो के बीच होने वाला व्यापार "अंतर्राष्ट्रीय व्यापार" या विदेशी व्यापार कहलाता है।
अन्य शब्दों मे," जब वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय-विक्रय दो भिन्न देशो के मध्य जल, थल तथा वायु मार्गों द्वारा होता है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते है। जैसे-- अगर भारत, इंग्लैंड के साथ व्यापार करे वह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार होगा।
फ्रेडरिक लिस्ट के अनुसार," घरेलू व्यापार हम लोगो के बीच होता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हमारे और उनके बीच होता है।"
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व/लाभ
1. श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण के लाभ
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भौगोलिक श्रम विभाजन के कारण कुल विश्व उत्पादन अधिकतम किया जा सकता है, क्योंकि प्रत्येक देश उन्ही वस्तुओं का उत्पादन करता है, जिसमे उसे अधिकतम योग्यता एवं कुशलता प्राप्त होती है। इसके फलस्वरूप उत्पादन की अनुकूलतम दशाएं प्राप्त हो जाती है और उत्पादन अधिकतम होता है।
2. साधनों का पूर्ण उपयोग
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे एक देश मे सिर्फ उन्ही उद्योग-धंधो की स्थापना की जाती है, जिनके लिए जरूरी साधन देश मे उपलब्ध होते है। इससे देश मे उपलब्ध साधनों का पूर्ण उपयोग होने लगता है एवं राष्ट्रीय आय मे वृद्धि होती है।
3. उत्पादन कुशलता मे वृद्धि
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र स्पष्ट से बढ़कर संपूर्ण विश्व हो जाता है। विश्वव्यापी प्रतियोगिता मे सिर्फ वे ही उद्योग जीवित रहते है जिनके उत्पादन की किस्म उच्च तथा कीमत कम होती है। अतः हर देश अपने उद्योग-धंधो को जीवित रखने तथा उनका विस्तार करने हेतु कुशलतम उत्पादन को अपनाता है। इससे देश की उत्पादन तकनीक मे सुधार होता है।
4. संकटकाल मे सहायता
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण कोई भी देश आर्थिक संकट का आसानी से सामना कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी देश मे अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तो वह देश, विदेशों से खाद्यान्न आयात करके अकाल का सामना कर सकता है।
5. रोगजार तथा आय मे वृद्धि
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे वस्तुओं का उत्पादन सिर्फ घरेलू मांग को पूरा करने के लिए ही नहीं होता है वरन् विदेशों मे बेचने हेतु भी वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। इससे राष्ट्रीय उत्पादन मे वृद्धि के कारण लोगो की आय बढ़ जाती है। ज्यादा उत्पादन के लिए ज्यादा मजदूरों की जरूरत होती है फलस्वरूप रोजगार स्तर मे भी वृद्धि हो जाती है।
6. एकाधिकारों पर रोक
विदेशी व्यापार के कारण देश मे एकाधिकारी व्यवसाय पनप नही सकते, क्योंकि उन्हे सदैव विदेशी प्रतियोगिता का खतरा बना रहता है। इसी प्रकार, विदेशी व्यापार के फलस्वरूप एकाधिकार की प्रवृत्ति को ठेस पहुंचती है।
7. उपभोक्ताओं को लाभ
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से उपभोक्ताओं को चार लाभ प्राप्त है। प्रथम, उन्हे उपभोग के लिए अच्छी तथा सस्ती वस्तुएं मिलती है। द्वितीय, चयन का क्षेत्र बढ़ जाने से सार्वभौमिकता मे वृद्धि होती है अर्थात् वे अपनी मनचाही वस्तुओं का उपयोग कर सकते है।
8. मूल्यों मे समता
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण सभी राष्ट्रो मे वस्तुओं के मूल्यों मे समानता होने की प्रवृत्ति पाई जाती है। इसका कारण यह है कि कम मूल्य वाले देश से ज्यादा मूल्य वाले देश मे वस्तुओं का निर्यात होने लगेगा जिससे प्रथम प्रकार के देशो मे मूल्यों मे वृद्धि और द्वितीय प्रकार के देशों मे मूल्यों मे कमी होने लगेगी। अंततः सभी देशों मे मूल्य एक समान हो जाएंगे।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार देश के औद्योगिक विकास मे भी सहायक होता है। उद्योगों के विकास हेतु जो साधन देश मे उपलब्ध नही है, उनका विदेशों से आयात किया जा सकता है। उदाहरण के लिए इंग्लैंड अपने उद्योगों के लिए कच्चा माल विदेशों से आयात करता है। इसी तरह भारत मे उत्पादन तकनीक का आयात करके औद्योगिक विकास किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रमुख हानियां
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रमुख हानियां इस प्रकार है--
1. विदेशों पर निर्भरता
विदेशी व्यापार के कारण एक देश की अर्थव्यवस्था दूसरे देश पर कुछ वस्तुओं के लिए निर्भर हो जाती है। परन्तु यह निर्भरता सदैव ही अच्छी नही होती, विशेषकर युद्ध के समय तो इस प्रकार की निर्भरता अत्यन्त हानिकारक सिद्ध हो सकती है।
2. कच्चे माल की समाप्ति
विदेशी व्यापार द्वारा देश के ऐसे बहुत से साधन समाप्त हो जाते है, जिनका प्रतिस्थापन संभव नही होता है। अनेक कोयला, पेट्रोल तथा अन्य खनिज पदार्थ इसी प्रकार समाप्त होते जा रहे है। यदि उन वस्तुओं का उपयोग देश के भीतर ही औद्योगिक वस्तुओं को तैयार करने मे किया जाए तो एक ओर तो इनके उपयोग मे बचत की जा सकती है और इनका अधिक लाभपूर्ण उपयोग हो सकता है।
3. विदेशी प्रतियोगिता से हानि
विदेशी व्यापार के कारण औद्योगिक इकाइयों को विदेशी उद्योगों से प्रतियोगिता व्यापार तकनीक क्या है करनी पड़ती है, किन्तु विशेष रूप से अल्पविकसित देश इनके सामने टिक नहीं सकते है और उनका ह्रास होने लगता है। 19 वीं सदी मे विदेशी प्रतियोगिता के कारण भारतीय लगु और कुटरी उद्योगों को भारी आघात लगा।
4. अंतर्राष्ट्रीय द्वेष
विदेशी व्यापार ने प्रारंभ मे तो अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना और सहयोग को बढ़ाया, किन्तु वर्तमान समय मे यह अंतर्राष्ट्रीय द्वेष और युद्ध का आधार बना हुआ है। इसी ने उपनिवेशवाद को जन्म दिया और अनेक राष्ट्रो को दास बनाया।
5. देश का एकांगी विकास
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे प्रत्येक देश केवल उन्ही वस्तुओं का उत्पादन करता है, जिनमें उसे तुलनात्मक लाभ प्राप्त होता है। इस प्रकार, देश मे सभी उद्योग-धन्धों का विकास न होकर, केवल कुछ ही उद्योग धन्धों का विकास संभव होता है। इस प्रकार के एकांगी विकास से देश के कई साधन बेकार ही पड़े रहते है।
6. राशिपातन का भय
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से कभी-कभी विकसित देशों द्वारा पिछड़ें हुए देशो मे वस्तुओं का राशिपातन किया जाता है, अर्थात् विकसित देश पिछड़े हुए देशो मे अपने माल को बहुत ही कम मूल्यों पर बेचना शुरू करते है। कभी-कभी तो वे अपने माल को उत्पादन लागत से भी कम मूल्यों पर बेचना शुरू कर देते है। स्पष्ट है कि इस प्रकार के राशिपातन से देशी उद्योगों पर बड़ा घातक प्रभाव पड़ता है और शीघ्र ही वे ठप्प हो जाते है। जब एक बार देशी उद्योग-धंधे समाप्त हो जाते है तो विदेशी उद्योगपतियों द्वारा पुनः अपने माल का मूल्य बढ़ा दिया जाता है।
7. हानिकारक वस्तुओं के उपभोग की आदत
विदेशी व्यापार के कारण एक देश मे ऐसी वस्तुओं का आयात किया जा सकता है जो हानिकारक होती है। चीन मे अफीम के आयात के फलस्वरूप वहां के लोग अफीमची हो गए।
8. कृषि प्रधान देशों को हानि
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण कृषि प्रधान देशों को औद्योगिक देशों की तुलना मे हानि उठानी पड़ती है। इसका कारण यह है कि कृषि प्रधान देश उन वस्तुओं का निर्यात करता है जिनका उत्पादन घटती हुई लागत के नियम के अंतर्गत होता है।
विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति : कक्षा 8 विज्ञान भारती पाठ 1
SCERT की कक्षा 8 आओ सीखें विज्ञान के पाठ 1 “विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति ” के अभ्यास प्रश्नों का हल | MasterJEE Online Solutions for Class-8 Science Chapter-1 . SCERT up board soutions .
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विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति
Exercise ( अभ्यास )
प्रश्न ( 1 ) : सही विकल्प के सामने सही (✓) का चिन्ह अपनी उत्तर पुस्तिका में लगाइए व्यापार तकनीक क्या है –
( क ) आधुनिक संचार का माध्यम है –
( i) इन्टरनेट ✓ ( ii ) पत्र
( iii ) कबूतर ( iv ) इनमें से कोई नहीं
( ख ) भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक हैं –
( i ) डॉ. हारवर्ड माइकल ( ii ) आर्यभट्ट
( iii ) डॉ. विक्रम साराभाई ✓ ( iv ) इनमें से कोई नहीं
( ग ) सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ( ICT ) का आरम्भ हुआ –
( i) वर्ष 2003 में ( ii ) वर्ष 2004 में ✓
( iii ) वर्ष 2005 में ( iv ) वर्ष 2006 में
( घ ) ऊर्जा के नवीकरण स्रोत हैं –
( i) पेट्रोल ( ii ) डीजल
( iii ) एल.पी.जी. ( iv ) सौर ऊर्जा ✓
प्रश्न ( 2 ) : रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
( क ) व्यापार का अर्थ है क्रय और विक्रय |
( ख ) मेट्रो रेल , बुलेट ट्रेन और मोनो रेल परिवहन के नवीन साधन हैं |
( ग ) स्नैपडील , फ्लिपकार्ट आदि ई-कामर्स कम्पनियाँ हैं |
( घ ) आई.सी.टी. योजना का आरम्भ दिसंबर 2004 में हुआ |
( ड ) थ्री-जी और फोर जी संचार तकनीकी के साधन हैं |
प्रश्न ( 3 ) : निम्नलिखित के सही जोड़े बनाइये –
क . विडियो कांफ्रेंसिंग संचार का साधन
ख. आई.सी.टी. शिक्षा के स्तर में सुधार
ग. आई.आर.एस. भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह
घ. रक्षा एवं प्रतिरक्षा डी.आर.डी.ओ.
ड. भूरी क्रांति उर्वरक के क्षेत्र में
प्रश्न ( 4 ) : निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए –
( क ) राष्ट्रीय अनुसंधान समिति का गठन कब हुआ ?
उत्तर : 1962 में
( ख ) प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम के अंतर्गत किसका प्रक्षेपण किया गया ?
उत्तर : बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र , आकाश मिसाइल , ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल
( ग ) बीसवीं सदी के सर्वाधिक सफल ऊर्जा के स्रोत क्या थे ?
उत्तर : अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत
( घ ) व्यापार एवं वाणिज्य की नवीनतम तकनीक कौन सी है ?
( ड ) एन.ई.जी.पी. की शुरुआत कब हुई व्यापार तकनीक क्या है थी ?
उत्तर : 2006 में
( छ ) इसरो ( ISRO ) का गठन कब हुआ था ?
उत्तर : नवम्बर 1969
प्रश्न ( 5 ) विनिर्माण से आप क्या समझते हैं ? सविस्तार समझाइये |
उत्तर : कच्चे माल को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण या वस्तु निर्माण कहते हैं | विनिर्माण से तैयार माल उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग किया जाता है , साथ ही यह किसी भी अर्थव्यवस्था की सम्पन्नता का जनक होता है | इसका विकास हमारे प्राकृतिक और कृषि संसाधनों के मूल्य संवर्धन के लिए भी महत्त्वपूर्ण है |
प्रश्न ( 6 ) शिक्षा के क्षेत्र में आई.सी.टी.की क्या भूमिका है ?
उत्तर : ICT का उद्देश्य युवाओं को इसके प्रयोग द्वारा वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा तथा संस्थापन , जीविका और ज्ञान आधारित समाज की बढ़ोत्तरी में सृजनात्मक दृष्टि से तैयार करना है | यह शिक्षा के क्षेत्र में सहायक सामग्री के रूप में एक नयी क्रान्ति है , जो बच्चों को खुशनुमा वातावरण एवं मनोरंजक तरीके से शिक्षा प्राप्त करने एवं विषय के प्रति भय को दूर करने में सहायक सिद्ध हो रही है |
प्रश्न ( 7 ) ई-गवर्नेंस क्या है ?
उत्तर : सरकार की आम नागरिकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं को इन्टरनेट के माध्यम से उपलब्ध कराना ई-गवर्नेंस या ई-शासन कहलाता है , इसके अंतर्गत शासकीय सेवाएं और सूचनाएं ऑनलाइन उपलब्ध होती हैं | ई-गवर्नेंस के उपयोग से शासन प्रणाली अधिक पारदर्शी , कुशल तथा जवाबदेह बनायी जा सकती है |
प्रश्न ( 8 ) ई-गवर्नेंस की आम जीवन में क्या उपलब्धियां हैं ?
उत्तर : इसके अंतर्गत साझा सेवा केंद्र (CAC) आम आदमी को सीधे तौर पर लाभान्वित कर सहज ,सुलभ और उनके घर तक सरकारी सुविधाएँ उपलब्ध कराने का अथक प्रयास कर रहे हैं |
प्रश्न ( 9 ) व्यापार एवं वाणिज्य के क्षेत्र में ई-कामर्स की क्या भूमिका रही ?
उत्तर : ई-कामर्स के अंतर्गत न केवल खरीदना और बेचना बल्कि ग्राहकों के लिए सेवाएँ और व्यापार के भागीदारों के साथ सहयोग भी शामिल है | इन्टरनेट के माध्यम से व्यापार से सम्बंधित उत्पादों का प्रचार – प्रसार भी किया जाता है | फ्लिपकार्ट , स्नैपडील ,अमेजन , आदि ई-कामर्स कंपनियां हैं जो आम जनजीवन में काफी प्रचलित हैं एवं अच्छा व्यवसाय कर रही हैं |
प्रोजेक्ट कार्य :
छात्र स्वयं करें |
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ई-कॉमर्स, FDI से ऑर्गनाइज्ड रिटेलर्स को गुरेज नहीं
ई-कॉमर्स और एफडीआई के खिलाफ देश के छोटे व्यापार संगठन भले ही लामबंद होते रहे हों, लेकिन ऑर्गनाइज्ड रिटेलर इन दोनों को चुनौती के बजाय मौके के रूप में देखने लगे हैं। उनका कहना है कि तकनीक और ग्लोबल एक्सेस मिलने से घरेलू व्यापार भी आगे बढ़ेगा।
उन्होंने बताया कि वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने समिट में भेजे वीडियो मेसेज में साफ संकेत दिए हैं कि केंद्र सरकार रिटेल पॉलिसी पर गंभीरता से काम कर रही है, लेकिन अच्छी बात यह है कि कई राज्यों ने पहले ही इस पर अमल शुरू कर दिया है।
राजगोपालन ने कहा कि हमें सरकार से कोई प्रोत्साहन पैकेज या अनुकूल नीतियां नहीं चाहिए, बस वह व्यापार के आड़े आ रहीं दिक्कतें हटा ले। मसलन, आज देश में एक मॉल बनाने में औसत 4 साल का समय लग जाता है। करीब तीन दर्जन विभागों से मंजूरियां लेनी होती हैं। 500 करोड़ का शुरुआती व्यापार तकनीक क्या है बजट 1000 करोड़ तक पहुंच जाता है। अगर सभी मंजूरियां 45 दिनों के भीतर मिल जाएं तो यह काम 18 महीने में हो सकता है और बजट भी कम हो जाएगा। उन्होंने कहा, एक मॉल 6000 से 12000 लोगों को रोजगार देता है, ऐसे में अगर रिटेल पॉलिसी तीन दर्जन मंजूरियों के लिए कोई सिंगल विंडो मुहैया कराती है तो वह हजारों लोगों को जल्द रोजगार दिलाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि पॉलिसी में शॉप्स एंड इस्टैब्लिशमेंट और लेबर कानूनों में संशोधन कर 24 घंटे सातों दिन प्रतिष्ठान खोलने और महिलाकर्मियों को देर रात तक काम की छूट देनी चाहिए।
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