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Options Trading: क्‍या होती है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग? कैसे कमाते हैं इससे मुनाफा और क्‍या हो आपकी रणनीति

Options Trading: निश्चित ही ऑप्‍शंस ट्रेडिंग एक जोखिम का सौदा है. हालांकि, अगर आप बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं और कुछ खास रणनीति बनाकर चलते हैं तो इससे मुनाफा अर्जित कर सकते हैं.

By: मनीश कुमार मिश्र | Updated at : 18 Oct 2022 03:40 PM (IST)

ऑप्‍शंस ट्रेडिंग ( Image Source : Getty )

डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) भारतीय बाजार के दैनिक कारोबार में 97% से अधिक का योगदान देता है, जिसमें ऑप्शंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है. निवेशकों के बीच बाजार की जागरूकता बढ़ने के साथ, ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में रिटेल भागीदारी में उछाल आया है. इसकी मुख्‍य वजह उच्च संभावित रिटर्न और कम मार्जिन की आवश्यकता है. हालांकि, ऑप्शंस ट्रेडिंग में उच्च जोखिम शामिल है.

क्‍या है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग?

Options Trading में निवेशक किसी शेयर की कीमत में संभावित गिरावट या तेजी पर दांव लगाते हैं. आपने कॉल और पुष ऑप्‍शंस सुना ही होगा. जो निवेशक किसी शेयर में तेजी का अनुमान लगाते हैं, वे कॉल ऑप्‍शंस (Call Options) खरीदते हैं और गिरावट का रुख देखने वाले निवेशक पुट ऑप्‍शंस (Put Options) में पैसे लगाते हैं. इसमें एक टर्म और इस्‍तेमाल किया जाता है स्‍ट्राइक रेट (Strike Rate). यह वह भाव होता है जहां आप किसी शेयर या इंडेक्‍स को भविष्‍य में जाता हुआ देखते हैं.

जानकारी के बिना ऑप्शंस ट्रेडिंग मौके का खेल है. ज्‍यादातर नए निवेशक ऑप्शंस में पैसा खो देते हैं. ऑप्शंस ट्रेडिंग में जाने से पहले कुछ बुनियादी बातों से परिचित होना आवश्यक है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड - इक्विटी स्ट्रैटेजी, ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन हेमांग जानी ने ऑप्‍शंस ट्रेडिंग को लेकर कुछ दे रहे हैं जो आपके काम आ सकते हैं.

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धन की आवश्यकता: ऑप्शंस की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है, ज्यादातर एक महीने की, इसलिए व्यक्ति को किसी भी समय पूरी राशि का उपयोग नहीं करना चाहिए. किसी विशेष व्यापार के लिए कुल पूंजी का लगभग 5-10% आवंटित करना उचित होगा.

ऑप्शन ट्रेड का मूल्यांकन करें: एक सामान्य नियम के रूप में, कारोबारियों को यह तय करना चाहिए कि वे कितना जोखिम उठाने को तैयार हैं यानी एक एग्जिट स्‍ट्रेटजी होनी चाहिए. व्यक्ति को अपसाइड एग्जिट पॉइंट और डाउनसाइड एग्जिट पॉइंट को पहले से चुनना होगा. एक योजना के साथ कारोबार करने से व्यापार के अधिक सफल पैटर्न स्थापित करने में मदद मिलती है और आपकी चिंताओं को अधिक नियंत्रण में रखता है.

जानकारी हासिल करें: व्यक्ति को ऑप्शंस और उनके अर्थों में आमतौर पर ट्रेडिंग विचार इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ जार्गन्स से परिचित होने का प्रयास करना चाहिए. यह न केवल ऑप्शन ट्रेडिंग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि सही रणनीति और बाजार के समय ट्रेडिंग विचार के बारे में भी निर्णय ले सकता है. जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, सीखना संभव हो जाता है, जो एक ही समय में आपके ज्ञान और अनुभव दोनों को बढ़ाता है.

इलिक्विड स्टॉक में ट्रेडिंग से बचें: लिक्विडिटी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को ट्रेड में अधिक आसानी से आने और जाने की अनुमति देता है. सबसे ज्यादा लिक्विड स्टॉक आमतौर पर उच्च ट्रेडिंग विचार ट्रेडिंग विचार मात्रा वाले होते हैं. कम कारोबार वाले स्टॉक अप्रत्याशित होते हैं और बेहद स्पेक्युलेटिव होते हैं, इसलिए यदि संभव हो तो इससे बचना चाहिए.

होल्डिंग पीरियड को परिभाषित करें: वक्‍त ऑप्शंस के मूल्य निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रत्येक बीतता दिन आपके ऑप्शंस के मूल्य को कम करता है. इसलिए व्यक्ति को भी पोजीशन को समय पर कवर करने की आवश्यकता होती है, भले ही पोजीशन प्रॉफिट या लॉस में हो.
मुख्‍य बात यह जानना है कि कब प्रॉफिट लेना है और कब लॉस उठाना है. इनके अलावा, व्यक्ति को पोजीशन की अत्यधिक लेवरेज और एवरेजिंग से भी बचना चाहिए. स्टॉक ट्रेडिंग की तरह ही, ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑप्शंस खरीदना और बेचना शामिल है या तो कॉल करें या पुट करें.

ऑप्शंस बाइंग के लिए सीमित जोखिम के साथ एक छोटे वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है अर्थात भुगतान किए गए प्रीमियम तक, जबकि एक ऑप्शंस सेलर के रूप में, व्यक्ति बाजार का विपरीत दृष्टिकोण रखता है. ऑप्शंस को बेचते वक्त माना गया जोखिम मतलब नुकसान मूल निवेश से अधिक हो सकता है यदि अंतर्निहित स्टॉक (Underlying Stocks) की कीमत काफी गिरती है या शून्य हो जाती है.

ऑप्शंस खरीदते या बेचते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:

  • डीप-आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) विकल्प केवल इसलिए न खरीदें क्योंकि यह सस्ता है.
  • समय ऑप्शन के खरीदार के खिलाफ और ऑप्शन के विक्रेता के पक्ष में काम करता है. इसलिए समाप्ति के करीब ऑप्शन खरीदना बहुत अच्छा विचार नहीं है.
  • अस्थिरता ऑप्शन के मूल्य को निर्धारित करने के लिए आवश्यक कारकों में से एक है. इसलिए आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि जब बाजार में अस्थिरता बढ़ने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस खरीदें और जब अस्थिरता कम होने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस बेचें.
  • प्रमुख घटनाओं या प्रमुख भू-राजनीतिक जोखिमों से पहले ऑप्शंस बेचने के बजाय ऑप्शंस खरीदना हमेशा बेहतर होता है.

नियमित अंतराल पर प्रॉफिट की बुकिंग करते रहें या प्रॉफिट का ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस रखें. अगर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो ऑप्शंस ट्रेडिंग से कई गुना रिटर्न्स प्राप्‍त किया जा सकता है.

(डिस्‍क्‍लेमर : प्रकाशित विचार एक्‍सपर्ट के निजी हैं. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्‍य लें.)

Published at : 18 Oct 2022 11:42 AM (IST) Tags: Options Trading Derivatives Call Option Put Option Trading in Options Stop loss हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in ट्रेडिंग विचार Hindi

Diwali Picks: मुहूर्त ट्रेडिंग पर कमाई वाले 5 तगड़े शेयर, दिला सकते हैं 43% तक दमदार रिटर्न, चेक करें टारगेट

Diwlai Picks 2022: ब्रोकिंग फर्म सिस्टमैटिक्स ग्रुप (Systematix Group) ने पोर्टफोलियो के लिए 5 बेहतर फंडामेंटल वाले शेयर चुने हैं. मुहूर्त ट्रेडिंग के लिए बेहतर स्टॉक्स की तलाश है, तो इन पर दांव खेल सकते हैं.

Muhurat Trading Picks: शेयर बाजार पूरे दिवाली मूड में नजर आ रहा है. दिवाली के पहले के कारोबारी हफ्ते में बाजार में तगड़ी तेजी देखने को मिली. बीते हफ्ते बेंचमार्क इंडेक्‍स सेंसेक्‍स-निफ्टी में 2.5 फीसदी से ज्‍यादा का उछाल देखने को मिला. 5 दिनों के सेशन में निवेशकों की वेल्‍थ 4 लाख करोउ़ रुपये बढ़ गई. दिवाली पर मुहूर्त ट्रेडिंग के साथ संवत 2079 की शुरुआत हो जाएगी. नए संवत 2079 के लिए एक्‍सपर्ट और ब्रोकरेज हाउस पॉजिटिव दिख रहे हैं. मार्केट एनॉलिस्‍ट मानते हैं कि संवत 2079 में बाजार में अच्‍छी रिकवरी देखने को मिलेगी. भारतीय इक्विटी बाजार अन्य ग्लोबल मार्केट की तुलना में अपना बेहतर प्रदर्शन जारी रखेगा. ब्रोकिंग फर्म सिस्टमैटिक्स ग्रुप (Systematix Group) ने पोर्टफोलियो के लिए 5 बेहतर फंडामेंटल वाले शेयर चुने हैं. मुहूर्त ट्रेडिंग के लिए बेहतर स्टॉक्स की तलाश है, तो इन पर दांव खेल सकते हैं.


Canara Bank Ltd

Canara Bank के स्‍टॉक पर ब्रोकरेज फर्म ने निवेश की सलाह दी है. प्रति शेयर टारगेट प्राइस 325 रुपये का है. 21 अक्‍टूबर 2022 को शेयर का भाव 268 रुपये रहा. इस तरह, निवेशकों को आगे प्रति शेयर 57 रुपये या करीब 21 फीसदी का रिटर्न मिल सकता है.

Ugar Sugar Works Ltd

Ugar Sugar Works के स्‍टॉक पर ब्रोकरेज फर्म ने निवेश की सलाह दी है. प्रति शेयर टारगेट प्राइस 100 रुपये का है. 21 अक्‍टूबर 2022 को शेयर का भाव 77 रुपये रहा. इस तरह, निवेशकों को आगे प्रति शेयर 23 रुपये या करीब 30 फीसदी का रिटर्न मिल सकता है.

Triveni Engineering & Industries Ltd

Triveni Engineering & Industries के स्‍टॉक पर ब्रोकरेज फर्म ने निवेश की सलाह दी है. प्रति शेयर टारगेट प्राइस 387 रुपये का है. 21 अक्‍टूबर 2022 को शेयर का भाव 271 रुपये रहा. इस तरह, निवेशकों को आगे प्रति शेयर 116 रुपये या करीब 43 फीसदी का रिटर्न मिल सकता है.

Piramal Enterprises Ltd

Piramal Enterprises के स्‍टॉक पर ब्रोकरेज फर्म ने निवेश की सलाह दी है. प्रति शेयर टारगेट प्राइस 1100 रुपये का है. 21 अक्‍टूबर 2022 को शेयर का भाव 846 रुपये रहा. इस तरह, निवेशकों को आगे प्रति शेयर 254 रुपये या करीब 30 फीसदी का रिटर्न मिल सकता है.

IDFC Ltd

IDFC के स्‍टॉक पर ब्रोकरेज फर्म ने निवेश की सलाह दी है. प्रति शेयर टारगेट प्राइस 100 रुपये का है. 21 अक्‍टूबर 2022 को शेयर का भाव 78 रुपये रहा. इस तरह, निवेशकों को आगे प्रति शेयर 22 रुपये या करीब 28 फीसदी का ट्रेडिंग विचार रिटर्न मिल सकता है.

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां स्‍टॉक्‍स में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)

ट्रेडिंग विचार

thumbs-up

Q. With reference to the recently launched Indian Gas Exchange, consider the following statements:1. It is the first nationwide online delivery based gas trading platform in India.2. Both imported and domestically produced gas can be traded on this exchange.3. It has been incorporated by the Indian Energy Exchange.Which of the statements given above are correct?Q. हाल ही में प्रारंभ किए गए इंडियन गैस एक्सचेंज Indian Gas Exchange IGX के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:1. यह भारत का पहला देशव्यापी ऑनलाइन डिलीवरी आधारित गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है2. इस ट्रेडिंग विचार एक्सचेंज में आयातित और घरेलू रूप से उत्पादित गैस का कारोबार किया जा सकता है3. इसे इंडियन एनर्जी एक्सचेंज Indian Energy Exchange IEX द्वारा प्रारंभ किया गया है।उपर्युक्त में से कौन से कथन सही हैं?A.2 and 3 only केवल 2 और 3B.1 and 3 only केवल 1 और 3C.1,2 and 3 1,2 और 3D.1 and 2 only केवल 1 और 2

Q. With reference to the recently launched Indian Gas Exchange, consider the following statements:

Which of the statements given above are correct?

Q. हाल ही में प्रारंभ किए गए इंडियन गैस एक्सचेंज (Indian Gas Exchange-IGX) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

ट्रेडिंग विचार

कमज़ोर श्रमिकों (प्रवासियों सहित) की अत्याचार और शोषण से सुरक्षा की जानी चाहिए चाहे उनका अनुबंध या आव्रजन स्थिति कुछ भी हो।

सभी श्रमिकों का समर्थन किया जाना चाहिए और उन्हें शिकायत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सेक्शन के बीच की कमज़ोरियों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए जैसे कि महिला अप्रवासी श्रमिकों के मामले में क्योंकि महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार और लिंग के आधार पर भेदभाव जैसी घटनाएँ होने की ज़्यादा संभावना रहती है, जिसकी वजह से वे शिकायत दर्ज करने से कतरा सकती हैं।

व्यक्तिगत और सामूहिक शिकायतों का समाधान और उपचार की व्यवस्था तब सबसे अच्छी तरह की जा सकती है, जब श्रमिक और उनके नियोक्ता ये काम आपस में सही समय पर और सीधे तौर पर करें।

कंपनी की भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ

कंपनियों को चाहिए कि वे श्रमिकों के अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए कदम उठाएँ (जैसे पासपोर्ट ज़ब्त करके उनके आवागमन की आज़ादी पर पाबंदी लगाना)।

उपचार की किसी भी प्रक्रिया में सबसे पहले उन श्रमिकों की सुरक्षा की जानी चाहिए, जो अधिकारों के उल्लंघन का शिकार हुए हैं। कार्यस्थल में अक्सर अपने अधिकारियों द्वारा यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का शिकार बनाई गई महिलाओं की सुरक्षा और भी ज़रूरी है, ताकि उन्हें बदले की संभावित कार्रवाइयों से बचाया जा सके।

कर्मचारियों की रोज़गार नीतियाँ और प्रक्रियाएँ बिल्कुल पारदर्शी होनी चाहिए और श्रमिकों के बुनियादी अधिकार उनकी मुख्य भावना में शामिल होने चाहिए। सभी श्रमिकों को उनके अधिकारों को समझने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

रोज़गार नीतियाँ और प्रक्रियाओं में उपचार और शिकायत की सशक्त प्रणालियाँ शामिल होनी चाहिए । सभी श्रमियों को इनकी जानकारी उस भाषा में दी जानी चाहिए, जिसे वे समझ सकें और ऐसे माध्यम से दी जानी चाहिए जिस तक उनकी पहुँच हो।

व्यावसायिक ग्राहकों (खरीदारों) को यह पक्का करना चाहिए कि उनके आपूर्तिकर्ताओं के यहाँ शिकायत और उपचार की ऐसी नीतियाँ मौजूद हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रक्रिया के अनुरूप हैं। उलझन और दोहराव से बचने के लिए, खरीदारों को उनकी अपनी शिकायत प्रणालियाँ थोपने से बचना चाहिए।

शिकायतों का समाधान करने का सबसे प्रभावी तरीका है श्रमिकों द्वारा सर्वमान्य रूप से चुने गए प्रतिनिधि (आदर्श रूप से श्रमिक संघ) और नियोक्ता आपसी मध्यस्थता से समस्या को हल करें। अगर ऐसा करना संभव नहीं है, तो अधिकारियों, अनेक हिस्सेदारों या अन्य विश्वसनीय संगठनों की मदद ली जानी चाहिए।

कंपनी की शिकायत प्रबंधन प्रणालियाँ ऐसी होनी चाहिए, जो सरकार की ज़िम्मेदारियों की पूरक की तरह काम करें, उनकी जगह लेने या उन्हें खोखला बनाने की कोशिश न करें।

जहाँ भी संभव हो, वहाँ कंपनी की शिकायत प्रबंधन प्रणालियाँ श्रमिकों से परामर्श ले कर विकसित की जानी चाहिए, जैसे श्रमिक संघ के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करके।

कंपनियों को चाहिए कि वे श्रमिकों को समस्याओं की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित ट्रेडिंग विचार करें और शिकायत दर्ज करने या किसी गुप्त समस्या को उजागर करने के फलस्वरूप होने वाले किसी भी तरह के नकारात्मक नतीजों से श्रमिकों की सुरक्षा करें।

जहां ट्रेड यूनियनों और नियोक्ताओं के बीच सीधी बातचीत संभव नहीं है, वहां शिकायतों को सुलझाने में मदद करने के लिए कंपनियों और कर्मचारियों को पारस्परिक रूप से भरोसेमंद स्वतंत्र तृतीय पक्षों की तलाश करनी चाहिए और स्वीकार्य उपचार पर सहमत होना चाहिए।

सरकार की भूमिकाएँ और ज़िम्मेदारियाँ

सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि वे श्रमिक कानून लागू करें और पक्का करें कि उनके यहाँ मौजूद उचित नियम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं।

सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि वे इस पर नज़र रखें कि व्यवसाय उन श्रमिक कानूनों का अनुपालन करते हैं, जो श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा करते हैं।

सरकारों को चाहिए कि वे व्यवसायों को ऐसी कार्यशील शिकायत प्रबंधन प्रणालियाँ रखने के लिए प्रोत्साहित करें, जो प्रभावी, सुलभ और पारदर्शी हों।

अप्रवासी श्रमिकों को भेजने या उन्हें अपने यहाँ बुलाने वाली हर सरकार को चाहिए कि वह श्रमिकों को भेजने वाले और उन्हें अपने यहाँ बुलाने वाले देश के बीच एक द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन स्थापित करे, जिसमें प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा के नियम शामिल हों और जो नियुक्ति शुल्क का भुगतान करने के बदले श्रमिकों से करवाई जाने वाली बंधुआ मज़दूरी से उनकी सुरक्षा करता हो।

प्रवासी श्रमिकों को बुलाने और भेजने वाले देशों के बीच होने वाले द्विपक्षीय MOU की जानकारी नियोक्ताओं और श्रमिकों को दी जानी चाहिए। इन समझौतों को लागू करने और इन पर नज़र रखने की ज़िम्मेदारी सरकारों की होगी।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

1991 में भारत सरकार ने महत्‍वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्‍तुत कि‍ए जो इस दृष्‍टि‍ से वृहद प्रयास थे जि‍नमें वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के प्रति‍ आग्रह शामि‍ल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति‍ देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बहुत आगे नि‍कल आई है । सकल स्‍वदेशी उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ गयी ।

कृषि‍

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपायों के द्वारा कृषि‍ उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि‍ हुई, जि‍सके फलस्‍वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्‍त हुई । कृषि‍ ट्रेडिंग विचार में वृद्धि‍ ने अन्‍य क्षेत्रों में भी अधि‍कतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जि‍सके फलस्‍वरूप सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में और अधि‍कांश जनसंख्‍या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मि‍लि‍यन टन का एक रि‍कार्ड खाद्य उत्‍पादन हुआ, जि‍समें सर्वकालीन उच्‍चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्‍पादन हुआ । कृषि‍ क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रति‍शत प्रदान करता है ।

उद्योग

औद्योगि‍क क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍ए महत्‍वपूर्ण है जोकि‍ वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, आर्थिक उद्देश्‍यों की पूर्ति के लि‍ए आवश्‍यक है जैसे कि‍ ऋण के बोझ को कम करना, वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश आवक (ट्रेडिंग विचार एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्‍मनि‍र्भर वि‍तरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परि‍दृय को वैवि‍ध्‍यपूर्ण और आधुनि‍क बनाना, क्षेत्रीय वि‍कास का संर्वद्धन, गरीबी उन्‍मूलन, लोगों के जीवन स्‍तर को उठाना आदि‍ हैं ।

स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात भारत सरकार देश में औद्योगि‍कीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्‍टि‍ से वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपाय करती रही है । इस दि‍शा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगि‍क नीति‍ संकल्‍प की उदघोषणा ट्रेडिंग विचार करना है जो 1948 में पारि‍त हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारि‍त हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रति‍बंधों को हटाना, पहले सार्वजनि‍क क्षेत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त, नि‍जी क्षेत्रों ट्रेडिंग विचार में भागेदारी, बाजार सुनि‍श्‍चि‍त मुद्रा वि‍नि‍मय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि‍ के द्वारा महत्‍वपूर्ण नीति‍गत परि‍वर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्‍यधि‍क अपेक्षि‍त तीव्रता प्रदान की ।

आज औद्योगि‍क क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रति‍शत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रति‍शत अंशदान करता है ।

सेवाऍं

आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि‍ आधरि‍त अर्थव्‍यवस्‍था से ज्ञान आधारि‍त अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में परि‍वर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रति‍शत ( 1991-92 के 44 प्रति‍शत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक ति‍हाई है और भारत के कुल नि‍र्यातों का एक ति‍हाई है

भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्‍लेखनीय वैश्‍वि‍क ब्रांड पहचान प्राप्‍त की है जि‍सके लि‍ए नि‍म्‍नतर लागत, कुशल, शि‍क्षि‍त और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्‍ति‍ के एक बड़े पुल की उपलब्‍धता को श्रेय दि‍या जाना चाहि‍ए । अन्‍य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्‍यवसाय प्रोसि‍स आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परि‍वहन, कई व्‍यावसायि‍क सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधि‍त सेवाऍं और वि‍त्तीय सेवाऍं शामि‍ल हैं।

बाहय क्षेत्र

1991 से पहले भारत सरकार ने वि‍देश व्‍यापार और वि‍देशी नि‍वेशों पर प्रति‍बंधों के माध्‍यम से वैश्‍वि‍क प्रति‍योगि‍ता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति‍ अपनाई थी ।

उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परि‍वर्तित हो गया । वि‍देश व्‍यापार उदार और टैरि‍फ एतर बनाया गया । वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश सहि‍त वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लि‍ए जा रहे हैं । वि‍त्‍तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्‍य अन्‍य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्‍ति‍यों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।

आज भारत में 20 बि‍लि‍यन अमरीकी डालर (2010 - 11) का वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश हो रहा है । देश की वि‍देशी मुद्रा आरक्षि‍त (फारेक्‍स) 28 अक्‍टूबर, 2011 को 320 बि‍लि‍यन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बि‍लि‍यन अ.डालर की तुलना में )

भारत माल के सर्वोच्‍च 20 नि‍र्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्‍च 10 सेवा नि‍र्यातकों में से एक है ।

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