ईटीएफ और इंडेक्स फंड

Index Fund: क्या है इंडेक्स फंड, इसमें क्यों करें निवेश, कैसे मिलेगा बड़ा रिटर्न
Index Fund: इंडेक्स ऐसे बनाए गए हैं कि ये हमेशा बढ़ेंगे ही और इसलिए इंडेक्स फंड भी बढ़ेगा और बड़ा रिटर्न देगा.
शेयर मार्केट (Share Market) में इंवेस्ट करना चाहते हैं? लेकिन शिकायत होगी कि कौनसे शेयर मैं पैसा लगाए, उसे कब कैसे ट्रैक करें और अगर इन सब के लिए टाइम नहीं है तो म्युचुअल फंड (Mutual Fund) आपके लिए बेस्ट है. अब आप पूछेंगे की कई म्युचुअल फंड देख चुके हैं. कोई ऐसा फंड जिसमें जोखिम कम से कम हो, ज्यादा रिटर्न लगभग तय हो और निवेश का खर्च भी कम आए. तो हमारे पास आपके लिए एक सलाह है. इंडेक्स फंड में निवेश करने की.
लेकिन इंडेक्स फंड को समझने से पहले जरूरी है इंडेक्स को समझने की.
हमारे देश में बेसिकली दो इंडेक्स हैं. एक सेंसेक्स, दूसरा निफ्टी 50. सेंसेक्स बीएसई यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स है. और ये टॉप 30 कंपनियों को ट्रैक करता है. मतलब उसके शेयर्स की कीमत बढ़ी या घटी. इसके अलावा सेक्टोरल इंडेक्स भी होते हैं जो किसी एक सेक्टर की कंपनी को ट्रैक करते हैं जैसे फार्मा सेक्टर्स.
एग्जांपल देता हूं. मान लीजिए क्लास 10th की रिपोर्ट के बारे में आपको जानना है, तो आप पूछेंगे स्टूडेंट ए, स्टूडेंट बी या स्टूडेंट सी का क्या रिजल्ट रहा. लेकिन क्लास में तो 100 बच्चे हैं. तो अगर आपको पूरे क्लास का रिजल्ट मिल जाए कि इस बार पासिंग पर्सेंट 80 है तो समझ आएगा की रिजल्ट अच्छा आया है. वैसे ही एक स्टॉक एक्सचेंज में हजारों कंपनियां लिस्टेट हैं. तो सेंसेक्स टॉप 30 कंपनियों का और निफ्टी 50 टॉप 50 कंपनियों कि स्थिति बताता है. फिर हर छह महीने या क्वाटरली बीएसई और एनएसई कंपनियों की पर्फॉर्मेंस देखती है और कंपनी अच्छा परफॉर्म करती है तो उसे टॉप 30 में रखा जाता है ना करें तो उसे हटा कर किसी और कंपनी को उसमें एड कर दिया जाता है.
तो अब इंडेक्स फंड क्या है. ये समझते हैं.
ये भी म्युचुअल फंड ही है. म्युचुअल फंड में क्या होता है. किसी फंड में आप पैसा डालते हैं फिर उस फंड का मैनेजर उसी पैसे को जगह जगह इंवेस्ट कर देता है और आपके साथ प्रोफिट शेयर करता है. वैसे ही इंडेक्स फंड का पैसा केवल और केवल इंडेक्स यानी सेंसेक्स या निफ्टी में ही लगाया जाता है. मान लीजिए अगर आप बीएसएई इंडेक्स में पैसा डालते हैं तो उस फंड को बीएसई के इंडेक्स सेंसेक्स की टॉप 30 कंपनियों में लगाया जाएगा. अगर बीएसई का एस एंड पी 100 इंडेक्स फंड है तो उसका पैसा सेंसेक्स की टॉप 100 कंपनियों में ही लगाया जाएगा.
तो बाकी फंड से इंडेक्स फंड कैसे अलग है?
देखिए किसी और फंड में आप निवेश करते हैं तो उसका फंड मैनेजर लगातार स्टॉक्स पर नजर बनाकर रखता है, पोर्टफोलियों में चेंजेज करता रहता है, एक जगह से पैसा निकाल कर दूसरी जगह लगाता है यानी निवेश पर एक्टिवली नजर बनाए रखता है. लेकिन इंडेक्स फंड में आंख बंद कर किसी एक इंडेक्स फंड में पैसा लगा दीजिए, क्योंकि अगर ये सेंसेक्स का फंड है तो उसमें कुछ बदलाव नहीं करने होते, सेंसेक्स की टॉप कंपनियां तो तय समय तक सेम ही होती है. इसलिए इसे पेसिव इंवेस्टमेंट भी कहते हैं.
इंडेक्स फंड में निवेश क्यों करें?
एक फायदा तो यह है कि इसमें एक्सपेंस रेश्यो यानी निवेश का खर्च कम होता है. इसके अलावा जो बीएसई या एनएसई इंडेक्स डिजाइन किया गया है वो ऐसा डिजाइन्ड है कि ये हमेशा बढ़ेगा ही. आप भी देख सकते हैं एक समय पर ईटीएफ और इंडेक्स फंड सेंसेक्स 19,000 पर हुआ करता था और आज देखिए 62,000 पर है तो सोचिए तब जिसने बीएसई के इंडेक्स फंड में पैसा लगाया होगा आज उसे कितना बड़ा मुनाफा मिला होगा. इसलिए इंडेक्स फंड में पैसा डालने का बड़ा फायदा है.
तो कैसे इंडेक्स फंड में इंवेस्ट करें?
बड़ा आसान है, आसान इसलिए क्योंकि इसके लिए आपको डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं होती. और बिना कमीशन के आप किसी इंवेस्टिंग एप के थ्रू इसमें निवेश कर सकते हैं. जैसे स्क्रीन पर आफको दिख रहा होगा इसमें कई सारे इंडेक्स फंड हैं, आप कोई भी सिलेक्ट करें, इसमें रिटर्न केलकुलेटर भी है. आप या तो एक बार में लमसम अमाउंट डाल दीजिए या एसआईपी के रूप में मंथली थोड़ा थोड़ा अमाउंड डालिए. तो निवेश के साथ हमेशा लॉन्ग टर्म में निवेश करने वाला मंत्र भी याद रखे.
मार्केट गुलजार है लेकिन इसके पीछे क्या वजह है?
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चीफ जेरोम पॉवेल ने कहा कि मंहगाई को रोकने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी तो होगी लेकिन नरमी के साथ, यानी धीरे धीरे ब्याज दरें बढ़ाई जाएगी. अगली फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की बैठक 14 और 15 दिसंबर को होगी. उन्होंने कहा कि, "वृद्धि की गति को कम करने की बात अब समझ आती है क्योंकि हम संयम के स्तर तक पहुंच गए हैं जो मंहगाई को नीचे लाने के लिए पर्याप्त होगा.
इसके अलावा सरकार भी आपको निवेश का मौका दे रही है. भारत बॉन्ड ईटीएफ की चौथी किस्त 2 दिसंबर को जारी की गई है इसमें 8 दिसंबर तक इसमें निवेश का मौका है. ये बॉन्ड ऐसी सरकारी कंपनियों में निवेश करता है, जिन्हें AAA की रेटिंग हासिल है. स्कीम अप्रैल 2033 में मैच्योर होगी. पिछले तीन किस्तों में भारत बॉन्ड के निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिला है. इसमें निवेश करने के लिए डीमैट जरूरी है. कम से कम 1001 रुपए निवेश करना होगा.
परोक्ष निवेश का विकास
बाजार नियामक सेबी ऐसे नियम लाया है जिससे निवेशकों के लिए जटिल एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और इंडेक्स फंड में ट्रेडिंग करना व्यावहारिक और आसान हो जाए
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 20 जून 2022,
- (अपडेटेड 20 जून 2022, 5:46 PM IST)
बाजार नियामक सेबी मई में एक परिपत्र जारी करके निष्क्रिय रूप से प्रबंधित फंडों के लिए कई नियम लेकर आया. इस परिपत्र का उद्देश्य तरलता में सुधार लाना और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) तथा इंडेक्स फंड की तरलता, ट्रैकिंग त्रुटियों और खुलासों में सुधार लाना है. परोक्ष निवेश इंडेक्स म्यूचुअल फंड और ईटीएफ के जरिए किए जा सकते हैं, जो दोनों ही बताए गए इंडेक्स के प्रदर्शन पर नजर रखते हैं. मसलन, आप एक इंडेक्स फंड ले सकते हैं जो एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स पर नजर रखता हो और साथ ही ईटीएफ भी.
क्या फर्क है? ईटीएफ की यूनिट शेयर बाजार में खरीदी और बेची जा सकती हैं, जबकि इंडेक्स फंड किसी भी दूसरे म्यूचुअल फंड की तरह काम करते हैं जिसका एनएवी (नेट ऐसेट वैल्यू) उसका मूल्य दर्शाता है. ईटीएफ के मामले में आपको अनिवार्य तौर पर डीमैट खाते की जरूरत होती है और कम से कम एक यूनिट खरीदनी ही होती है, जो शेयर बाजार में मान्यता प्राप्त ब्रोकर के जरिए एक नियमित शेयर खरीदने या बेचने की तरह है. इंडेक्स फंड दूसरे म्यूचुअल फंडों की तरह हैं जिनमें आप उस इंडेक्स की यूनिट खरीद सकते हैं जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है.
सेबी का सर्कुलर ज्यादा ऋण उन्मुख ईटीएफ की शुरुआत के साथ परोक्ष निवेश क्षेत्र के विकास में मदद की पेशकश करता है. साथ ही यह एक संभावित ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) ईटीएफ—जो सक्रिय रूप से प्रबंधित म्यूचुअल फंडों ईटीएफ और इंडेक्स फंड के प्रति अन्यथा सतर्क रहने वाले पहले-पहल निवेशकों को आकर्षित कर सकता है. अलबत्ता ईटीएफ के साथ एक मुश्किल यह है कि इनका बाजार सीमित है और इन्हें इसी सीमित बाजार के ट्रेड पर निर्भर रहना पड़ता है, जिसका अर्थ है कि कभी-कभी खरीदार के लिए कोई बाजार न हो क्योंकि वहां केवल विक्रेता ही हैं. सेबी का परिपत्र ईटीएफ की इस सीमा को हल करने की और साथ ही ऐसे बदलाव लाने की कोशिश है जो ईटीएफ सेग्मेंट का मानकीकरण कर सकें और इन फंड के साथ वसूल किए जाने वाले शुल्कों की दर सीमा तय कर सकें.
ईटीएफ यूनिट अधिकृत भागीदार या अथॉराइज्ड पार्टिसिपेंट (एपी) के जरिए रची जाती है, जो 'बाजार निर्माता' हो सकता है या बड़ी वित्तीय संस्था भी. एपी बाजार में जाता है और वह आधारभूत प्रतिभूतियां खरीदता है जो ईटीएफ को रखनी होती हैं और फिर उन प्रतिभूतियों को ईटीएफ जारी करने वाले को देता है. ईटीएफ जारी करने वाला बदले में एपी को तय संख्या में ईटीएफ शेयर देता है जिसे खुले बाजार में बेचा जा सकता है. मसलन, अगर एक ईटीएफ को एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स पर नजर रखनी है, तो एपी इस इंडेक्स के सभी 30 शेयर समान मात्रा में खरीदता है.
इसके बाद एपी इन 30 शेयरों को ईटीएफप्रवाइडर को दे देता है; बदले में एपी को एक क्रिएशन यूनिट मिलती है जो ईटीएफ शेयर के बराबर मूल्य वाली होती है. ईटीएफ यूनिट की बिक्री के समय यही प्रक्रिया उलटे तरीके से काम करती है. ईटीएफ बाजार में जाते हैं और ईटीएफ की कीमत उनकी अंतर्निहित परिसंपत्तियों के अनुरूप हो जाती है. और, इस तरह के ट्रेड शेयरों की खरीद-फरोख्त की तरह होते हैं जिनकी कीमत दिनभर बदलती रहती है. जब कीमत नेट ऐसेट वैल्यू से भटकती है तो एपी ईटीएफ शेयर का भाव उचित स्तर पर लाने के लिए रिडेंप्शन मैकेनिज्म का सहारा लेते हैं. इस जटिलता को हल करने के लिए सेबी ने एएमसी (ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी) को ईटीएफ की यूनिटों का 100 फीसद मूल्य अग्रिम अदा किए बगैर या बाजार निर्माता द्वारा ऐसी यूनिटों की अग्रिम डिलिवरी के बगैर रिडीम ईटीएफ की यूनिटें बनाने की इजाजत दे दी है.
इससे यूनिटों के रिडेंप्शन की प्रक्रिया और ज्यादा लिक्विड हो जाएगी. ईटीएफ का एक और अनूठा पहलू है ट्रैकिंग त्रुटि. ट्रैकिंग त्रुटि इंडेक्स फंड और ईटीएफ के प्रदर्शन की परिवर्तनीयता की संकेतक है, जो एक निश्चित समयावधि के दौरान फंड की ट्रैकिंग अंतर में निरंतरता की ओर इंगित करती है. ट्रैकिंग त्रुटि इस बात की थाह लेती है कि इंडेक्स फंड या ईटीएफ के रिटर्न में से कितने बेंचमार्क इंडेक्स के रिटर्न से भटके हैं.
ईटीएफ और इंडेक्स फंड को निवेशकों के ज्यादा अनुकूल बनाने के लिए सेबी ने ट्रैकिंग त्रुटि की ऊपरी सीमा तय की और बेहतर खुलासे शुरू किए हैं. मसलन, डेट ईटीएफ के मामले में ट्रैकिंग त्रुटि पिछले एक साल के दौरान औसतन 1.25 फीसद से ज्यादा नहीं हो सकती. इसके अलावा परोक्ष म्यूचुअल फंड के लिए ट्रैकिंग त्रुटि को मासिक आधार पर 'ट्रैकिंग अंतर' का खुलासा करना भी जरूरी है. एक तारीख विशेष को इंडेक्स उत्पाद के रिटर्न और उसके बेंचमार्क इंडेक्स के रिटर्न के बीच का अंतर ट्रैकिंग अंतर कहलाता है.
इन बदलावों के साथ परोक्ष निवेश क्षेत्र निवेशकों के हक में इस निवेशक क्षेत्र का फायदा उठाने की तलाश कर रहे एएमसी के लिए अवसर खोलता है. परोक्ष निवेश अपनी सादगी, इंडेक्स को ट्रैक करने के मॉडल और उनमें ट्रेडिंग की आसानी को देखते हुए निवेश का पंसदीदा विकल्प बन सकते हैं. ईटीएफ के जरिए परोक्ष निवेश करने वाले दुनिया भर में ज्यादा संख्या में हैं और अब शायद भारतीय निवेशकों के लिए भी वह वक्त आ गया है जब वे उन ढेर सारे ईटीएफ और इंडेक्स फंड का लाभ उठा सकते हैं जो मौजूद हैं और बाजार के संकेतकों को पूंजी में तब्दील कर रहे हैं.
—नारायण कृष्णमूर्ति
मोटर बीमा प्रीमियमों में बढ़ोतरी
कीमतें चौतरफा बढ़ रही हैं और मोटर बीमा, खासकर अनिवार्य थर्ड-पार्टी बीमा में भी बढ़ोतरी का रुख है. बीमा नियामक आइआरडीएआइ और सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय ने दो सालों के अंतराल के बाद दरों में बढ़ोतरी का ऐलान किया है. सड़कों पर चलने वाले किसी भी वाहन के लिए लाएबिलिटी ओनली या थर्ड पार्टी कवर कानूनन अनिवार्य है. दरें वाहन की घन क्षमता और वाहन के प्रकार का एक कारक हैं. मसलन, सवारी कारों या व्यावसायिक वाहनों के मुकाबले दोपहिया वाहनों की दर अलग है.
सवारी कारों के लिए बढ़ोतरी 0.1 से 6 फीसद की सीमा में है. 350 सीसी से ज्यादा इंजन क्षमता वाले दोपहियों के लिए बढ़ोतरी ज्यादा 20 फीसद है. इलेक्ट्रिक दोपहिया की श्रेणी में भी तेज बढ़ोतरी हुई है, जो वाहन की चार्ज केवी (किलोवॉट) के हिसाब से अलग-अलग है. 20 केवी से ज्यादा वाले इलेक्ट्रिक दोपहियों के लिए थर्ड पार्टी बीमा दर में 20 फीसद की बढ़ोतरी की गई है. हैरानी की बात यह है कि 3-7 केवी दोपहियों के लिए थर्ड पार्टी बीमे के प्रीमियम में 5 फीसद की कमी कर दी गई है.
यह बढ़ोतरी ऐसे समय हुई है जब बीमा कंपनियों ने कोविड के सालों के दौरान पॉलिसियों के लैप्स या कालातीत होने में भारी बढ़ोतरी देखी. यह बढ़ोतरी 1 जून, 2022 से प्रभावी हो गईं, जबकि पहले ऐसी बढ़ोतरियां हर साल मार्च की शुरुआत में समीक्षा के बाद इस महीने के अंत में लागू होती थीं.
Nifty 50 ETF : कम निवेश पर ज्यादा रिटर्न का मौका, पैसा डूबने का जोखिम भी कम
Investment : सीधे शेयरों में निवेश के लिए कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाएं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियां आदि समझने की जरूरत होती है.
Nifty 50 ETF : इक्विटी की समझ नहीं रखने वाले लोग अक्सर निवेश के सही मौके की तलाश में रहते हैं. इक्विटी में लंबी अवधि में महंगाई को पछाड़ने की संभावना रहती है, इस ईटीएफ और इंडेक्स फंड कारण लोग इसकी ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं. इसके अलावा इक्विटी में भविष्य की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की क्षमता भी होती है. फिर चाहे निवेश Mutual Fund के जरिये किया गया हो या Direct Stock में या फिर दोनों के मिले-जुले माध्यम से, लेकिन इक्विटी में नए निवेशकों के लिए सीधे शेयरों के साथ शुरुआत करने में सही कंपनी पर निर्णय लेना कठिन होता है.
सीधे शेयरों में निवेश के लिए कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाएं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियां आदि समझने की जरूरत होती है. ऐसे निवेशकों के लिए निफ्टी 50 ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) निवेश के लिए सबसे आसान तरीका है. ईटीएफ एक विशिष्ट सूचकांक को ट्रैक करता है, जिससे एक्सचेंजों पर स्टाक की तरह कारोबार किया जाता है. ईटीएफ म्यूचुअल फंड हाउस की ओर से पेश किए जाते हैं.
कम निवेश से कर सकते हैं शुरुआत
निफ्टी 50 ईटीएफ की खास बात यह है कि बहुत कम राशि से भी इसकी शुरुआत की जा सकती है. ईटीएफ की एक यूनिट को आप कुछ सौ रुपये में खरीद सकते हैं. उदाहरण के लिए- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ एनएसई पर 185 रुपये की कीमत पर ट्रेड करता है. इस प्रकार आप 500-1000 रुपये तक का निवेश कर सकते हैं और एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ की इकाइयां खरीद सकते हैं.
आप हर महीने व्यवस्थित निवेश भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करेंगे और आपके निवेश की लागत औसत होगी. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ का ट्रैकिंग एरर, जो किसी अंतर्निहित इंडेक्स से फंड रिटर्न के विचलन (deviation) का एक पैमाना है – 0.03% है, जो निफ्टी 50 ईटीएफ यूनिवर्स में सबसे कम है. सीधे शब्दों में कहें तो यह संख्या जितनी कम होती है, उतना ही बेहतर रहता है.
बड़ी कंपनियों में होता है निवेश
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण (market capitalization) के मामले में सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इसलिए निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश एक निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में उम्दा विविधीकरण (excellent diversification) प्रदान करता है. यह सूचकांक की राह पर चलता है. आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ के यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं. ऐसे में निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टाक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक शुरुआती बिंदु में से एक है.
जोखिम को कम करती है पोर्टफोलियो विविधता
एक विविध पोर्टफोलियो (diversified portfolio) किसी निवेशक के लिए जोखिम को कम करता है. किसी स्टाक में निवेश करने के मामले में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि यहां बाजार में आने वाला उतार-चढ़ाव कंपनियों के एक बास्केट की तुलना में किसी एक स्टाक की कीमत को अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है. निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश से मिलने वाला रिटर्न अंतर्निहित सूचकांक (underlying index) में उतार-चढ़ाव की नकल करेगा. केवल ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता पड़ती है. जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं.
सस्ता होता है निवेश
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है. चूंकि ईटीएफ निफ्टी 50 इंडेक्स को निष्क्रिय रूप से (passively) ट्रैक करता है और इंडेक्स घटकों (constituents) में सीमित या कोई मंथन नहीं होता है, इसलिए लागत कम होती है. खर्च अनुपात या दूसरे शब्दों ईटीएफ और इंडेक्स फंड में, जो फंड चार्ज करते हैं, वह सिर्फ 2 से 5 आधार अंक (0.02-0.05%) है. एक आधार अंक प्रतिशत का सौवां हिस्सा होता है.
कम जोखिम में वर्षों तक बाजार समझने का मौका
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश करके आप बहुत अधिक जोखिम उठाए बिना वर्षों तक बाजार की गतिशीलता ( market dynamics) को समझना शुरू कर सकते हैं. जब आप बाजारों को चलाने वाले विभिन्न कारकों से खुद से परिचय कराते हैं तो आप अपनी जोखिम लेने की क्षमता (risk appetite), लक्ष्य, समय सीमा और निवेश करने योग्य सरप्लस के आधार पर छोटे और मिडकैप शेयरों या म्यूचुअल फंड का पता लगा सकते हैं. इस प्रकार आप निफ्टी-50 ईटीएफ के जरिये बाजार में निवेश की यात्रा शुरू कर सकते हैं.
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English News Headline : Nifty 50 ETF Opportunity for higher returns on less investment.
ETF क्या होते हैं | ETF के प्रकार
21 वीं सदी में स्टॉक मार्केट में बहुत से निवेश के विकल्प मौजूद हैं। ETF भी उन्हीं निवेश के विकल्पों में से एक हैं। आपने भी ETF का नाम अवश्य सुना होगा, परन्तु क्या आप जानते हैं की ETF क्या होते हैं, कैसे काम करते हैं? इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि ETF क्या होते हैं What is ETF और ETF के प्रकार (Types of ETF’s) .
ETF क्या होता हैं – What is ETF in Hindi
भारत का पहला ETF फण्ड वर्ष 2001 में बेंच मार्क Mutual Fund द्वारा Nifty ETF Fund के रूप में लांच किया गया था। ETF menaing – ETF यानि Exchange Traded Funds.
ETF जैसा की इसके नाम से ही पता चल रहा है, ETF एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं जैसे कि NSE, BSE. इसका मतलब हुआ कि Exchange पर ETF खरीदने-बेचने के लिए एक Buyer और seller होना आवश्यक है। ETF के खरीदने और बेचने का तरीका बिलकुल Shares जैसा ही होता हैं।
अधिकतर ETF फंड Passive funds होते हैं, यानी कि फंड मैनेजर द्वारा एक्टिवली मैनेज नहीं किए जाते है , निवेशकों का पैसा सीधा किसी index, sector में लगा दिया जाता हैं। इस प्रकार ETF इंडेक्स फंड की भांति होता है जिसमें Stocks चुनने नहीं होते हैं बल्कि पूरी एसेट किसी इंडेक्स या सेक्टर में लगा दी जाती हैं। जैसे फार्मा सेक्टर, निफ़्टी, बैंक निफ़्टी आदि।
- ETF एक प्रकार से एक सिक्योरिटी होता है जिसमें stocks, securities का कलेक्शन होता है जो किसी विशेष index या सेक्टर के होते हैं।
- ETF बिल्कुल म्यूचुअल फंड के समान ही होते हैं, हालांकि यह एक्सचेंज पर दिनभर ट्रेड करते हैं और इनका मूल्य लगातार घटता-बढ़ता रहता है।
- किसी ETF में कई प्रकार की इन्वेस्टमेंट हो सकती है जैसे Stocks, Bonds, Commodities. Passive Funds होने के कारण इनमे बहुत कम एक्सपेंस रेशों होता है, जो इनके रिटर्न्स को ओर बढ़ा देते हैं।
ETF पर कितना Tax लगता हैं ?
ETF पर मिलने वाला Dividend वित्त वर्ष 2020-21 से निवेशक की वार्षिक आय में जुड़ जायेगा और उनकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार से टैक्सेबल होता हैं।
More than 12 months – 10%
1 लाख से ज्यादा पर LTCG
More than 36 months
ETF की लिस्टिंग
ETF को म्यूच्यूअल फंड की भांति NFO (New Fund Offer) के माध्यम से लांच किया जाता है। आप इसे IPO की तरह भी समझ सकते हैं। शुरुवाती दौर में नए ETF के लिए निवेशकों से पैसे जुटाए जाते हैं। बाद में इसकी खरीद-बिक्री एक्सचेंज के माध्यम से प्रारंभ हो जाती है। इसे आप अपने Stock Broker के माध्यम से खरीद-बेच सकते हैं।
ETF का वैल्यूएशन
Mutual Fund की वैल्यू ट्रेडिंग डे के अंत पर NAV के आधार पर निकाली जाती है परंतु ETF के मामले में ऐसा नहीं हैं। ETF का मूल्य ट्रेडिंग सेशन के दौरान एक शेयर की भांति लगातार बदलता रहता हैं।
ETF कैसे ख़रीदे
आप ETP अपने Stock Broker के माध्यम से ख़रीद सकते हैं। आप सीधा अपने ब्रोकर से सम्पर्क करके या उनके ऑनलाइन ट्रेडिंग टर्मिनल जैसे की उनका ऐप प्रयोग में लेकर भी ETF खरीद सकते हैं।
ETF के प्रकार – Types of ETF
वर्तमान में निवेशकों की जरूरतों एवं लक्ष्यों के हिसाब से बहुत सी ETF Schemes उपलब्ध है। आपको Index, Gold, Currency से सम्बंधित ETF मिल जायेंगे। आप उनमें से अपनी जरूरत के हिसाब से ETF का चुनाव कर सकते हैं।
एक ETF स्टॉक्स, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट, बांड्स, करेंसी और सिक्योरिटीज से मिलकर बना हो सकता हैं।
1. Index Fund ETF
आपने इंडेक्स फंड का नाम तो सुना ही होगा उसी का मिलता-जुलता रूप है Index Fund ETF. इंडेक्स फंड ईटीएफ एक Passively मैनेज फण्ड होता है जो किसी विशेष इंडेक्स को फॉलो करता है। जैसे NIFTY 50 भारत की सबसे बड़ी 50 कंपनियों से मिलकर बना है, अब यदि कोई NIFTY 50 का कोई ETF है तो वह ETF उन्हीं 50 शेयर्स के पूल से मिलकर बना होगा।
Index Fund ETF का मुख्य उद्देश्य किसी विशेष इंडेक्स की परफॉर्मेंस को ट्रैक करना होता है जैसे सेंसेक्स, बैंक निफ़्टी, निफ़्टी 50 . सरल भाषा में समझे तो यदि आप बैंक निफ़्टी का कोई ETF खरीद रहे हो तो इसका मतलब हुआ कि आप बैंक निफ़्टी के Stocks के पूल में निवेश कर रहे हैं।
Index Fund ETF के उदाहरण – Motilal Oswal Nasdaq 100, Nippon India ETF Bank BeES
2. Bond ETF
BOND ETF भी एक तरह से Bond mutual fund की तरह होते हैं। Bond ETF का पोर्टफोलियो बांड्स से मिलकर बना होता है। इसमें Fixed income securities होती है जैसे की कॉर्पोरेट बांड्स। आप अगर Bond ETF में निवेश कर रहे हैं तो आपको Bonds के interest rate पर अवश्य ध्यान रखना चाहिए। कम ब्याज दर होने पर आपको इस प्रकार के फंड्स से दूर रहना चाहिए।
एक्सचेंज पर एक स्टॉक जैसे ट्रेड होने की वजह से Bonds के ऊपर एक आम निवेशक द्वारा आसानी से निवेश किया जा सकता है।
Bond ETF के उदाहरण – LIC Nomura AMC
3. Gold ETF
Gold ETF मुख्यतः Gold Bullion में निवेश करते हैं। Gold ETF का मूल्य गोल्ड के मूल्य के अनुसार ही ऊपर-नीचे होता रहता है। Gold ETF निवेशकों को आसानी से गोल्ड में निवेश का विकल्प प्रदान करता है, जो आसानी से NSE – BSE पर खरीदा एवं बेचा जा सकता है। जब आप Gold ETF खरीदते हो इसका मतलब है कि आपने गोल्ड को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में खरीदा है।
Gold ETF के उदाहरण – Nippon Gold ETF, SBI Gold ETF
4. Sector ETF
यह ETF सेक्टर फंड की तरह होते हैं। Sector ETF किसी विशेष सेक्टर या इंडस्ट्री के स्टॉक व सिक्योरिटी से मिलकर बना होता है, जैसे ऑटो सेक्टर, फार्मा सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर आदि। किसी विशेष सेक्टर में तेजी का फायदा उठाने के लिए Sector ETF ख़रीदे जा सकते हैं।
Sector ETF के उदाहरण – Nippon India ETF Bank BeES
5. Currency ETF
Currency ETF वह ETF होते हैं जो निवेशकों को किसी फॉरेन करेंसी या करेंसी के पुल में निवेश ऑफर करते हैं। Currency ETF अपने निवेशकों को करेंसी में निवेश का विकल्प प्रदान करती है, वह भी बिना किसी विशेष करेंसी में निवेश किये। Currency ETF को भी Passively मैनेज किया जाता है। इस प्रकार के ETF में करेंसी मूवमेंट के द्वारा मुनाफा कमाया जाता है।
6. Real State ETF
Real State ETF अपनी Assets को REIT (Real estate investment Trust) और उनसे सम्बंधित Derivatives में निवेश करते हैं। Returns के हिसाब से Real State ETF बहुत ही आकर्षक होते हैं।
दोस्तों, आपने यहां समझा की ETF क्या होते हैं (What is ETF) और Types of ETF. अगर आपको ETF से सम्बंधित कोई भी सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं।