किस ब्रोकर का उपयोग करना है

इसे भी पढ़ें: ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए MRP बताना अनिवार्य, सरकार का आदेश
3. ब्रोकिंग चार्जेज पर नजर
अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.
शेयर ब्रोकर चुनने में इन पांच बातों का रखें ध्यान
1. डिस्काउंट ब्रोकर पर दांव!
डिस्काउंट ब्रोकर आपके आदेशानुसार सिर्फ शेयरों की खरीद फरोख्त करते हैं. फुल सर्विस ब्रोकर आपको निवेश आइडिया भी देते हैं. इसलिए यदि आप बाजार की उथल-पुथल और हलचल को समझते हैं, जो आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं. अन्यथा फुल सर्विस ब्रोकर ही बेहतर है.
2. फोन या ऑनलाइन कारोबार की सेवा
आप कारोबार के लिए फोन और इंटरनेट दोनों का ही इस्तेमाल कर सकते हैं. ब्रोकर का चयन करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वह दोनों में से कौनसी सुविधा मुहैया करवाता है. हालांकि, हाइब्रिड ब्रोकर्स दोनों ही सुविधाएं देते हैं.
शेयर ब्रोकर चुनने में इन पांच बातों का रखें ध्यान
1. डिस्काउंट ब्रोकर पर दांव!
डिस्काउंट ब्रोकर आपके आदेशानुसार सिर्फ शेयरों की खरीद फरोख्त करते हैं. फुल सर्विस ब्रोकर आपको निवेश आइडिया भी देते हैं. इसलिए यदि आप बाजार की उथल-पुथल और हलचल को समझते हैं, जो किस ब्रोकर का उपयोग करना है आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं. अन्यथा फुल सर्विस ब्रोकर ही बेहतर है.
2. फोन या ऑनलाइन कारोबार की सेवा
आप कारोबार के लिए फोन और इंटरनेट दोनों का ही इस्तेमाल कर सकते हैं. ब्रोकर का चयन करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वह दोनों में से कौनसी सुविधा मुहैया करवाता है. हालांकि, हाइब्रिड ब्रोकर्स दोनों ही सुविधाएं देते हैं.
शून्य ब्रोकरेज शुल्क में भी जोखिम नहीं कम, पहले चेक करें ब्रोकर का ट्रैक रिकॉर्ड
शून्य ब्रोकरेज शुल्क भारत में स्टॉक ब्रोकिंग का एक आकर्षक मॉडल बनकर उभरा है। इसने इक्विटी निवेशकों के लिए लागत में कटौती करके पारंपरिक पूर्ण सेवा मॉडल को चुनौती दी है। इस मॉडल को खासतौर पर कोरोना संकट काल के दौरान ग्राहकों ने खासा पसंद किया है। शेयरों में निवेश के लिए कई कंपनियां शून्य ब्रोकरेज की पेशकश करती हैं, लेकिन इसमें जहां ग्राहकों का फायदा है तो जोखिम भी कम नहीं। ऐसे में अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले ब्रोकर का साथ आपके लिए बेहद जरूरी है।
'अनपेड' शेयरों से खेल पर सेबी ने किस ब्रोकर का उपयोग करना है कसी नकेल, ब्रोकर लड़खड़ाए
क्लाइंट्स के शेयर गिरवी रखकर पैसा जुटाने में खलल, 5 ब्रोकिंग फर्म्स की जांच कर रहा सेबी
स्टॉक ब्रोकिंग इंडस्ट्री एक अप्रत्याशित झटके का सामना कर रही है। इसका कारण सेबी के उन नियमों को बताया जा रहा है, जिनके अनुसार क्लाइंट्स के शेयरों को ब्रोकरों के एकाउंट्स से अलग रखना है। सेबी ने यह कदम निवेशकों के शेयरों और पैसे का दुरुपयोग रोकने के लिए उठाया है, लेकिन इसका ऐसा असर भी दिख रहा है, जो इसका मकसद नहीं था। हाल में कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग सहित कुछ ब्रोकरों ने डिफॉल्ट किया है। बिजनेस कॉस्ट बढ़ने से कई छोटी फर्मों के लिए काम करना संभव नहीं रह गया है। मामले से वाकिफ एक शख्स ने बताया कि क्लाइंट्स के एकाउंट्स के गलत उपयोग के लिए सेबी अभी कम से कम पांच छोटी ब्रोकिंग फर्मों की जांच कर रहा है।
30 जून तक ब्रोकर्स को करना होगा यह काम
अगर 1 जुलाई से खातों की टैगिंग या नामकरण नहीं होगा तो उन खातों से किसी भी शेयर की खरीद नहीं हो सकेगी. लेकिन अगर किसी कॉरपोरेट एक्शन यानि बोनस आदि की वजह से शेयर क्रेडिट होते रहेंगे. जबकि ही 1 अगस्त से कंप्लायंस न होने पर इन खातों से शेयर बेचे भी नहीं जा सकेंगे. एक्सचेंजेज और डिपॉजिटरीज को 1 जुलाई को और फिर 1 अगस्त को कंप्लायंस की रिपोर्ट सेबी को सौंपनी होगी. सेबी नियमों के तहत अभी कुल 5 किस्म के डीमैट खाते खोले जाते हैं.
सेबी ने आगे कहा कि अगस्त से बिना टैग वाले किसी भी डीमैट खाते में प्रतिभूतियों के डेबिट की भी अनुमति नहीं होगी. स्टॉक ब्रोकर को 1 अगस्त से ऐसे डीमैट खातों को टैग करने की अनुमति देने के लिए स्टॉक किस ब्रोकर का उपयोग करना है एक्सचेंजों से अनुमति लेनी होगी और बदले में एक्सचेंजों को अपनी आंतरिक नीति के अनुसार किस ब्रोकर का उपयोग करना है जुर्माना लगाने के बाद दो कार्य दिवसों के भीतर इस तरह की मंजूरी देनी होगी. सेबी ने कहा कि स्टॉक ब्रोकरों के सभी डीमैट खाते जो बिना टैग के हैं, उन्हें 30 जून, 2022 तक उचित रूप से टैग करने की आवश्यकता है.