शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

Intraday Trading क्या है? Day Trading कैसे करें?
Intraday Trading क्या है? Day Trading कैसे करें? क्या आप भी intraday trading करने की सोच रहे हैं। लेकिन आप डे ट्रेडिंग के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं। तो फिर आइए आज हम आपको इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होता है? इसे कैसे करे? साथ ही intraday करने के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी दूंगा।
Intraday Trading क्या है?
Intraday Trading में किसी भी कंपनी के शेयर को एक ही ट्रेडिंग दिन के लिए खरीदा और बेचा जाता हैं। इसलिए इसे Day Trading भी कहते है। एक दिन में शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव से intraday traders या day traders शेयर को खरीद और बिक्री करके प्रॉफिट कमाने का प्रयास करते हैं।
अगर आसान शब्दो में समझाए तो intraday trading का मतलब intraday traders बाजार के खुलने के बाद शेयर को खरीदते हैं और ठीक बाजार के बंद होने से पहले बेच देते हैं। अगर आपने अपना शेयर नहीं बेचा तो आपका ब्रोकर अपने आप position को square off कर देता है। वहीं अगर शेयर आपने NRML पर खरीदे हैं तो आपका ब्रोकर पोजिशन को delivery trade में बदल देगा।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए बाजार खुलने के बाद आपने किसी कंपनी के 500 शेयर को 1000 रुपये पर खरीद लिया। अगर आपको यह लगता है कि यह शेयर आज 1010 तक जाएगा। जैसे ही यह स्टॉक 1010 रुपये तक गया और आपने शेयर को बेच दिया। तो ऐसे में आपको 5000 रुपये का प्रॉफिट होगा। इसी तरह डे ट्रेडर्स कुछ घंटो में एक अच्छा प्रॉफिट कमा लेते हैं। इसी को intraday trading या day trading कहते हैं।
Intraday Trading कैसे करे?
Day Trading करने के लिए आपको online trading platform (जैसे कि Zerodha, Upstock, Angel broking आदि) अंगेलब्र पर अपना demat account खोलना पड़ेगा। बिना डिमैट खाता के आप किसी भी तरह की ट्रेडिंग नहीं कर सकते हैं। इसलिए शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए डिमैट अकाउंट होना आवश्यक है। बता दूं कि intraday trading में काफी risk होता है। इसलिए डे ट्रेडिंग करने से पहले आपको कुछ खास जानकारी होना आवश्यक है। आइए तो फिर जानते हैं।
1. Intraday Trading करने के लिए आपके द्वारा चुने गए शेयर लिक्विड होना चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि जिस स्टॉक को आप खरीद रहे हैं उसमे वॉल्यूम हाई होना चाहिए। अगर किसी भी स्टॉक में वॉल्यूम कम है तो intraday trading के लिए उस share से दूर रहना चाहिए।
2. Intraday Trading करने के लिए सिर्फ 2 - 3 तीन अच्छे शेयरों का चुनाव करें।
3. शेयर के चुनाव से पहले बाजार का ट्रेंड देखे। इसके बाद ही intraday trading के लिए शेयर चुने।
4. इंट्रा डे ट्रेडिंग में शेयर की चाल में बहुत तेजी से मूवमेंट होता है। इसलिए ट्रेड लेने से पहले एंट्री प्राइस, टारगेट और सबसे महत्वपूर्ण स्टॉप लॉस पहले से तय कर लें। जिसे सही समय पर आप बाजार से बाहर निकल आए।
5. इंट्रा डे ट्रेडिंग के लिए उन शेयरों का चयन करना ज्यादा सही माना जाता है जो इंडेक्स या सेक्टर के साथ साथ चलते हैं।
6. सबसे महत्वपूर्ण कि share market risky होता है इसलिए उतने पैसे के ट्रेड ले जितना आपको loose करने में कोई दिक्कत ना हो।
Intraday Trading के फायदे क्या है?
Intraday Trading के advantages जाना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि यह फायदे अन्य ट्रेडिंग से डे ट्रेडिंग को भिन्य करते हैं।
1. निवेश या डिलीवरी की तुलना में इंट्राडे ट्रेडिंग में कम capital कि जरूरत होती है।
2. Intraday Trading में कम समय में प्रॉफिट कमा लेते हैं। लंबे समय तक आपको इंतजार नहीं करना पड़ता है।
3. अगर stock market में volatility ज्यादा हुई तो ज्यादा कमाई कर सकते हैं।
4. Day Trading में आपको leverage ज्यादा मिलता है। लेकिन लीवरेज सुविधा सभी ब्रोकर की अपनी अलग अलग होती है।
5. Day Trading में overnight risk नहीं होता है। वहीं होल्डिंग और लॉन्ग टर्म निवेश में overnight risk होता है।
6. Intraday Trading में आपको short selling कि भी सुविधा मिल जाती है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी स्टॉक को पहले बेच सकते हैं। इसके बाद कम रेट पर खरीद सकते हैं।
Intraday Trading के नुकसान क्या है?
डे ट्रेडिंग के आपने फायदे तो जान लिए है। इसी को देखकर आप intraday trading करने के लिए तैयार हो गए होगे। आपको लग रहा होगा कि intraday trading करना बहुत आसान होता है। लेकिन बता दू कि इंट्रा डे ट्रेडिंग के अगर advantages है, तो उसके कुछ disadvantages भी हैं। जिन्हे आपको जानना जरूरी है। तो आइए इसके नुकसान के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
1. डे ट्रेडिंग में कुछ समय में प्रॉफिट कमाया जाता है। तो दूसरी तरफ कुछ समय में पैसा गवाया भी जाता है।
2. डे ट्रेडिंग में आपको कोई fix return नहीं मिलता है। यानी कि यहां कोई fix salary नहीं होती है जिस पर आप डिपेंड हो सके।
3. Leverage, अगर आपका प्रॉफिट को मल्टीपल करने के लिए मददगार साबित होता है। तो दूसरी तरफ आपका नुकसान भी मल्टिप्ल करता है।
4. Intraday Trade के लिए आपका discipline होना जरूरी है। अगर आप discipline नहीं रहे तो बहुत बड़ा नुकसान कर सकते हैं।
5. Intraday Trading में आपको psychologically मजबूत होना पड़ता है। जो intraday traders के लिए एक सबसे बड़ी चुनौती होती है।
यह भी जाने-
निष्कर्ष-
Intraday Trading काफी risky होता है इसलिए intraday करने से पहले आपको मार्केट के बारे में जानकारी होनी चाहिए। मतलब यह कि यहां आज हर कोई पैसे कमाना चाहता है। लेकिन 90% लोगो शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान के सफल ना होने का कारण उन्हें मार्केट के बारे में सही से जानकारी नहीं होती है।
अगर कुछ लोगो को मार्केट के बारे में जानकारी भी होती है तो money management या शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान psychologically मजबूत नहीं होते हैं। Intraday में अगर आप इमोशंस पर ट्रेड करेगे, तो आपको भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयरों में तेजी से उतार चड़ाव होते हैं। इसलिए किसी के सलाह पर ट्रेड बिल्कुल ना ले। ट्रेड लेने से पहले उसका लॉजिक आपके पास होना चाहिए। मतलब यह की किसी भी ट्रेड को लेने से पहले आपको research और समझ विकसित करने की आवश्यकता है।
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कम जोखिम में ज्यादा फायदा पाने का आसान तरीका है ऑप्शन ट्रेडिंग से निवेश, ले सकते हैं बीमा
यूटिलिटी डेस्क. हेजिंग की सुविधा पाते हुए अगर आप मार्केट में इनवेस्टमेंट करना चाहते हैं तो फ्यूचर ट्रेडिंग के मुकाबले ऑप्शन ट्रेडिंग सही चुनाव होगा। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आपको शेयर का पूरा मूल्य दिए बिना शेयर के मूल्य से लाभ उठाने का मौका मिलता है। ऑप्शन में ट्रेड करने पर आप पूर्ण रूप से शेयर खरीदने के लिए आवश्यक पैसों की तुलना में बेहद कम पैसों से स्टॉक के शेयर पर सीमित नियंत्रण पा सकते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग क्या होती है? (What is Swing Trading?)
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) ट्रेडिंग की एक शैली है जो कुछ दिनों से लेकर कई हफ्तों तक स्टॉक (या किसी भी वित्तीय साधन) में लघु से मध्यम अवधि के लाभ को पकड़ने का प्रयास करती है। व्यापार के अवसरों की तलाश के लिए स्विंग व्यापारी मुख्य रूप से तकनीकी विश्लेषण का उपयोग करते हैं।
मूल्य प्रवृत्तियों और पैटर्न का विश्लेषण करने के अलावा स्विंग व्यापारी मौलिक विश्लेषण का उपयोग कर सकते हैं।
प्रमुख बिंदु :
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में एक प्रत्याशित मूल्य चाल से लाभ के लिए कुछ दिनों से लेकर कई महीनों तक चलने वाले ट्रेडों को शामिल किया जाता है।स्विंग ट्रेडिंग एक व्यापारी को रात भर और सप्ताहांत के जोखिम के लिए उजागर करती है, जहां कीमत में अंतर हो सकता है और बाजार अगले सत्र को काफी अलग कीमत पर खुल सकता है।
स्विंग ट्रेडर्स स्टॉप लॉस (Stop Loss) और प्रॉफिट टारगेट के आधार पर एक स्थापित जोखिम/इनाम अनुपात का उपयोग करके लाभ ले सकते हैं, या वे तकनीकी संकेतक या मूल्य कार्रवाई आंदोलनों के आधार पर लाभ या हानि ले सकते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग को समझना ( Understanding Swing Trading)
आमतौर पर, स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में एक से अधिक ट्रेडिंग सत्र के लिए या तो लंबी या छोटी स्थिति धारण करना शामिल होता है, लेकिन ये आमतौर पर कई हफ्तों या कुछ महीनों से अधिक नहीं होता है। यह एक सामान्य समय सीमा है, क्योंकि कुछ ट्रेड कुछ महीनों से अधिक समय तक चल सकते हैं, फिर भी व्यापारी उन्हें स्विंग ट्रेडों पर विचार कर सकते हैं। स्विंग ट्रेड एक ट्रेडिंग सत्र के दौरान भी हो सकते हैं, हालांकि यह एक दुर्लभ परिणाम है जो अत्यंत अस्थिर परिस्थितियों के कारण होता है।
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का लक्ष्य संभावित मूल्य चाल के एक हिस्से पर कब्जा करना है। जबकि कुछ व्यापारी बहुत सारे आंदोलन के साथ अस्थिर स्टॉक की तलाश करते हैं और कुछ अन्य व्यापारी अधिक शांत स्टॉक पसंद कर सकते हैं। किसी भी मामले में, स्विंग ट्रेडिंग यह पहचानने की प्रक्रिया है कि किसी परिसंपत्ति की कीमत आगे बढ़ने की संभावना है और स्टॉक एक स्थिति में प्रवेश कर रहा है, और फिर उसमे व्यापारी को लाभ दिख रहा है।
सफल स्विंग शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान ट्रेडर केवल अपेक्षित मूल्य चाल के एक हिस्से पर कब्जा करना चाहते हैं, और फिर अगले अवसर पर आगे बढ़ते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान ( Advantages and Disadvantages of Swing Trading)
कई स्विंग ट्रेडर ट्रेडों का मूल्यांकन जोखिम/इनाम के आधार पर करते हैं। एक परिसंपत्ति के चार्ट का विश्लेषण करके वे निर्धारित करते हैं कि वे कहां प्रवेश करेंगे, जहां वे स्टॉप लॉस (Stop Loss) रखेंगे, और फिर अनुमान लगाएंगे कि वे लाभ के साथ कहां से बाहर निकल सकते हैं। यदि वे एक सेटअप पर ₹ 1 प्रति शेयर का जोखिम उठा रहे हैं जो उचित रूप से ₹ 3 लाभ उत्पन्न कर सकता है, तो यह एक अनुकूल जोखिम/इनाम अनुपात है। दूसरी ओर, केवल ₹1 को जोखिम में डालकर ₹ 0.75 बनाना उतना अनुकूल नहीं है।
ट्रेडों की अल्पकालिक प्रकृति के कारण, स्विंग व्यापारी मुख्य रूप से तकनीकी विश्लेषण का उपयोग करते हैं। विश्लेषण को बढ़ाने के लिए मौलिक विश्लेषण का उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि एक स्विंग ट्रेडर किसी स्टॉक में तेजी की स्थिति देखता है, तो वे यह सत्यापित करना चाहते हैं कि परिसंपत्ति के मूल तत्व अनुकूल दिखते हैं या इसमें सुधार भी हो रहा है।
स्विंग ट्रेडर्स अक्सर दैनिक चार्ट पर अवसरों की तलाश करेंगे और सटीक प्रविष्टि, स्टॉप लॉस (Stop Loss) और टेक-प्रॉफिट स्तर खोजने के लिए 1-घंटे या 15-मिनट के चार्ट देख सकते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग की योग्यता :
इसे दिन के कारोबार की तुलना में व्यापार करने के लिए कम समय की आवश्यकता होती है।
यह बाजार के बड़े उतार-चढ़ाव पर कब्जा करके अल्पकालिक लाभ क्षमता को अधिकतम करता है।
व्यापारी विशेष रूप से तकनीकी विश्लेषण पर भरोसा कर सकते हैं, व्यापार प्रक्रिया को सरल बना सकते हैं।
स्विंग ट्रेडिंग के दोष :
व्यापार की स्थिति रातोंरात और सप्ताहांत बाजार जोखिम के अधीन हैं।
बाजार में अचानक उलटफेर से काफी नुकसान हो सकता है।
स्विंग ट्रेडर्स अक्सर शॉर्ट-टर्म मार्केट मूव्स के पक्ष में लंबी अवधि के रुझानों को याद करते हैं।
कैसे पाएं शेयर में लॉस पर काबू और समझिये स्टॉक मार्किट सपोर्ट लेवल
सुझाव है कि अगर कोई शेयर आपके स्टॉप लॉस को हिट कर रहा हो तो थोड़ा लॉस बुक कर उससे निकल जाइए। अगर आप उसे फिर से खरीदना चाहते हैं तो अंदाज के आधार पर मत खरीदिए। पता कीजिए कि उसका सपोर्ट लेवल क्या है।
सुनने में ये बात जरा असामान्य लग सकती है कि लॉस यानी नुकसान को आखिर ट्रेडिंग का अनिवार्य अंग कैसे माना जा सकता है। लेकिन यह सच है। वास्तविकता के धरातल पर हर ट्रेडर को इस सच का सामना करना ही पड़ता है। आपके फंडामेंटल और तकनीकी विश्लेषण चाहे कितने ही दुरुस्त हों, इसके बावजूद आपको ट्रेडिंग में नुकसान का झटका लग सकता है। वजह यह है कि शेयर बाजार इतना अनिश्चित है कि इसमें कई बार सारे विश्लेषण धरे रह जाते हैं। इसलिए ट्रेडिंग में प्रॉफिट की तरह लॉस भी स्वाभाविक है। जरूरत इस बात की है कि नुकसान को कैसे सीमित रखा जाए ताकि वह लाभ पर भारी नहीं पड़े। आज हम आपको नुकसान पर काबू पाने का एक नुस्खा बताते हैं।
कागजी नहीं रियल घाटे को पहचानें (Understand about Real Loss no paper loss)
सबसे पहले इस बात को समझना जरूरी है कि किसी ट्रेड में नुकसान होता क्यों है? सीधा जवाब है- शेयर का बाजार मूल्य आपके खरीद भाव के नीचे चला गया। लेकिन गौर से देखें तो यह जवाब पूरी तरह सही नहीं है। मान लीजिए कि आपने 100 रुपए में कोई शेयर खरीदा। उसका भाव गिरकर 99 रुपए हो गया। ऐसे में आपके ट्रेडिंग एकाउंट में प्रति शेयर एक रुपए का घाटा दिखेगा, लेकिन अभी यह घाटा सिर्फ कागज पर है। यह रियलाइज्ड नहीं हुआ है। रियलाइज्ड का अर्थ है कि अभी आपने इस घाटा सहते हुए अपने शेयर को बेचा नहीं है। आप इंतजार कर रहे हैं कि कीमत फिर चढ़ेगी। शेयर का भाव जब 100 रुपए से ऊपर जाएगा, तब आप उसे फायदे में बचेंगे। इस तरह वह घाटा सिर्फ एकाउंट में है, वास्तविकता में नहीं। लॉन्ग टर्म निवेशक तो इस तरह की हलचल पर ध्यान भी नहीं देते हैं। वे जानते हैं कि लॉन्ग टर्म में 100 रुपए में खरीदा शेयर, 90 रुपए पर जाकर भी वापस लौट सकता है और कुछ महीनों या एक साल बाद 125 रुपए में बिक सकता है। लेकिन आप अगर शॉर्ट टर्म ट्रेडर हैं तो आपको ज्यादा चौंकन्ना होने की जरूरत है, क्योंकि आपने ट्रेडिंग का जो तरीका चुना है, उसमें शेयर को होल्ड करने के लिए वक्त ज्यादा नहीं है।
भाव गिरने पर घबराएं नहीं (Don;t Fear while price decreasing)
आम तौर पर नए ट्रेडर लॉस की सूरत में एक बड़ी गलती करते हैं। अगर किसी शेयर की कीमत 100 से गिरकर 98 रुपए हो जाती है। तो अनाड़ी ट्रेडर का संतुलन बिगड़ने लगता है। वह एक साथ डर और लालच दोनों मनोभावों से ग्रस्त हो जाता है। डर का मतलब है कि उसे लॉस बुक करने में घबराहट होती है। वह जानता है कि स्टॉप लास 98 के आस पास है, लेकिन वह नुकसान के डर के मारे स्टॉप लॉस नहीं लगाता है। लालच का मतलब है कि उसे लगता है गिरते हुए शेयर को पकड़ कर वो मोटा मुनाफा कमा सकता है। उसे लगता है कि 98 तक गिरने के बाद शेयर वापस चढ़ेगा। इसलिए वह 98 के भाव पर एक बार फिर उसे खरीद लेता है। अब उसका औसत भाव 99 हो गया है। गौर करने लायक बात यह है कि 98 पर खरीद के पीछे उसके पास कोई सुनिश्चित आधार नहीं है। उसने जो सोचा है, बाजार उसके विपरीत करवट लेता है। शेयर और गिरकर 96 पर चला जाता है। वह अनाड़ी ट्रेडर थोड़ा और डरता है, उसका लालच एक बार फिर हावी होता है। ऊपर लिखी मानसिक प्रक्रिया दोहराते हुए वह एक बार फिर उसी शेयर को खरीद लेता है। अपनी बची खुची पूंजी भी उसमें झोंक देता है। लेकिन इस बार भी उसकी खरीद के बाद शेयर के गिरने का सिलसिला जारी रहता है, वह 95 पर पहुंच जाता है। अब ट्रेडर के पास न तो पूंजी बची है, और न ही धैर्य। वह अपने मूल स्टॉप लॉस के मुकाबले ज्यादा नुकसान सहते हुए उसे बेचता है।
इसलिए सुझाव है कि अगर कोई शेयर आपके स्टॉप लॉस को हिट कर रहा हो तो थोड़ा लॉस बुक कर उससे निकल जाइए। अगर आप उसे फिर से खरीदना चाहते हैं तो अंदाज के आधार पर मत खरीदिए। पता कीजिए कि उसका सपोर्ट लेवल क्या है।
तीन तरह के सपोर्ट लेवल (Three Types of Support Level)
आम तौर पर किसी शेयर के तीन सपोर्ट लेवल होते हैं। आप हर दो या तीन लेवल पार करने के बाद थोड़ी थोड़ी मात्रा में खरीद सकते हैं। लेकिन खरीदने से पहले इस बात का हिसाब जरूर कर लें कि आप इसे किन स्तरों पर कितनी संख्या में खरीदेंगे। अपने कुल ट्रेडिंग कैपिटल का कितना हिस्सा इस पर लगाएंगे। जैसा कि हम आपको पहले भी आगाह कर चुके हैं, अपनी पूरी पूंजी को किसी एक शेयर में नहीं लगाएं। इस बात का आकलन भी जरूर करें कि कितना नुकसान सहने की क्षमता आपके अंदर है।
इस प्रकार अगर आप लालच और डर से हटकर ट्रेडिंग करेंगे तो आप नुकसान को नियंत्रित कर सकेंगे। एक कहावत याद रखिए, जिस ट्रेडर ने नुकसान बुक करना सीख लिया, वो अक्सर फायदे में रहता है।
ट्रेडिंग में नुकसान कम करने के जरूरी सूत्र
1. फायदा चाहते हैं तो घाटा सहना सीखें
2. स्टॉप लॉस हिट हो रहा हो तो घबराएं नहीं
3. लॉस बुक करने में डरने से बड़े घाटे के आसार
4. सिर्फ अंदाज के आधार पर स्टॉक मत खरीदें
5. अगर कोई शेयर लगातार गिर रहा हो तो अपनी पोजिशन मत बढ़ाएं
6. स्ट्रॉन्ग सपोर्ट लेवल के पास ही दोबारा खरीदें
7. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही खरीदें, कारोबार के लिए हमेशा अपनी लिमिट का ध्यान रखें\
बनाइए प्रापर्टी मगर संभलकर
रियल इस्टेट मार्केट में पैसा लगाना कभी घाटे का सौदा नहीं होता, लेकिन प्रापर्टी बनाते वक्त उपभोक्ताओं को बहुत सी सावधानियां बरतनी चाहिए। ऐसा न करने पर नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। अधिक से अधिक प्रापर्टी बनाने के चक्कर में उपभोक्ता कुछ चीजों की अनदेखी कर देते हैं, जो उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।
रायपुर(व्याप्र)। रियल इस्टेट मार्केट में पैसा लगाना कभी घाटे का सौदा नहीं होता, लेकिन प्रापर्टी बनाते वक्त उपभोक्ताओं को बहुत सी सावधानियां बरतनी चाहिए। ऐसा न करने पर नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। अधिक से अधिक प्रापर्टी बनाने के चक्कर में उपभोक्ता कुछ चीजों की अनदेखी कर देते हैं, जो उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। विशेषकर टैक्स एंगल की बिल्कुल भी अनदेखी नहीं करना चाहिए।
रियल इस्टेट कारोबार से जुड़े जानकारों का कहना है कि अगर आप प्रापर्टी बनाने की सोच रहे हैं तो लांगटर्म गेंस पर आपको टैक्स 20 फीसदी की दर से लगता है। आप पहली प्रापर्टी बेचने से एक साल पहले या दो सालों के अंदर दूसरी प्रापर्टी खरीदते हैं तो इस टैक्स से बच सकते हैं। इसके साथ ही घर बेचने से होने वाले फायदे को भी आईटी की धारा सेक्शन 54 ईसी बॉन्ड्स में इन्वेस्ट कर भी टैक्स बचाया जा सकता है। रियल इस्टेट में शार्ट टर्म कैपिटल गेंस में किसी भी प्रकार से रियायत नहीं मिलती। इस तरह के सभी गेन को आपकी इनकम में जोड़ा जाता है और आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से वसूला जाता है।
लोकेशन का रखें ध्यान
प्रापर्टी खरीदते वक्त आपको प्रापर्टी के लोकेशन व उस प्रोजेक्ट के बिल्डर के बारे में जानकारी रखना चाहिए। प्रापर्टी में लोकेशन का बहुत ही बड़ा महत्व रहता है। इसके आधार पर ही बहुत सी चीजें तय होती है।
बहुत ज्यादा निवेश से बचें
रियल इस्टेट कारोबार से जुड़े बिल्डरों का कहना है कि अगर आप इनवेस्टमेंट के नजरिए से घर खरीदते है तो इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में आप यह ध्यान दे कि एक प्रोजेक्ट में पैसा लगाने के बाद सीधे दूसरे प्रोजेक्ट में न जाएं। ऐसा न हो कि दूसरे प्रोजेक्ट में पैसा लगाने के बाद आपके पास पैसा ही न बचें। रियल इस्टेट मार्केट की हालत खराब हो तो इनमें ज्यादा निवेश करना और नुकसानदायक है।
शॉर्ट टर्म के चक्कर में न पड़े
दूसरा घर खरीदने से पहले डायवर्सिफिकेशन सहित अन्य सभी जानकारियां ले लेनी चाहिए। इसके साथ ही बार-बार घर खरीदने व बेचने से भी लोगों को बचना चाहिए। कुल मिलाकर रियल इस्टेट में शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग से बचना चाहिए। इसमें आप टैक्स वाले एंगल की अनदेखी कर सकते है।
रियल इस्टेट के लिए थोड़ी रुखी रही दीपावली
पिछले वर्ष की तुलना में इस साल रियल इस्टेट मार्केट के लिए दीपावली थोड़ी रुखी रही। हालांकि कारोबारियों ने उपभोक्ताओं की आवश्यकता के अनुसार उनकी नई-नई सुविधाओं का ध्यान रखते हुए प्रोजेक्ट भी लांच किए तथा आकर्षक ऑफर भी दिए। इसके बाद भी उपभोक्ताओं द्वारा मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल व सराफा पर ही जोर दिया गया। पार्थिवी कंस्ट्रक्शन के डायरेक्टर शैलेष वर्मा का कहना है कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल की दीपावली रियल इस्टेट के लिए थोड़ी कमजोर रही है।