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इक्विटी सूचकांक

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विश्व के शीर्ष बाजारों से तुलना करें तो भारतीय बाजार का रिकवरी रेट सबसे नीचे रहा है। इसके कारण कई हैं। एक तो भारत ने राहत पैकेज का ऐलान काफी देर से घोषित किया। साथ ही लॉकडाउन लगातार बढ़ता गया और आगे भी इसमें बढ़ने की गुंजाइश ही है। इस समय भारत में चौथे चरण का लॉकडाउन चल रहा है। देश के प्रमुख शहरों में हालात अभी भी गंभीर है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में तो काफी कुछ शुरू हो गया है, पर भारत अभी भी सावधानी बरत रहा है।

सेंसेक्स 108 अंक चढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर, निफ्टी में मामूली बढ़त

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘घरेलू बाजार अबतक के उच्चस्तर पर कारोबार कर रहा है…। हालांकि, घरेलू वृहत आर्थिक संकेतक और एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) का निवेश अनुकूल है, लेकिन उच्च मूल्य को देखते हुए घरेलू बाजार में अल्पकाल से मध्यम अवधि में सतर्क रुख देखने को मिल सकता है।’’

कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा, ‘‘बाजार सीमित दायरे में रहा। कारोबार समाप्त होने से पहले चुनिंदा लिवाली से सूचकांक बढ़त में रहे। एशियाई और यूरोपीय बाजारों में रुख इक्विटी सूचकांक हल्का रहा जिसके कारण स्थानीय कारोबारियों ने कारोबार सतर्क रुख के साथ किया।’’

एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे जबकि जापान का निक्की बढ़त में रहा।

07 जुलाई , 2022

श्री नरेंद्र मोदी ने 30 मई, 2019 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, जो उनके दूसरे कार्यकाल की शुरुआत थी। आजादी के बाद पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री, श्री मोदी ने पहले 2014 से 2019 इक्विटी सूचकांक तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया है। उन्हें अक्टूबर 2001 से मई 2014 तक के अपने कार्यकाल के साथ गुजरात के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का गौरव भी प्राप्त है। 2014 और 2019 के संसदीय चुनावों में, श्री मोदी ने भारतीय जनता पार्टी इक्विटी सूचकांक इक्विटी सूचकांक की रिकॉर्ड जीत में नेतृत्व किया, दोनों अवसरों पर पूर्ण बहुमत हासिल किया। पिछली बार एक राजनीतिक दल .

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Climate Change इक्विटी सूचकांक Performance Index is published by: जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक किसके द्वारा प्रकाशित किया जाता है:

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कोविड-19 का असर: मार्च से लेकर मई के बीच रिकवरी रेट में भारतीय इक्विटी बाजार दुनिया में सबसे पीछे, रसिया का बाजार सबसे आगे

मार्च में जब लॉकडाउन शुरू हुआ था उस समय भारत सहित वैश्विक बाजार 38 प्रतिशत तक टूट गए थे - Dainik Bhaskar

चीन में इस वर्ष के प्रारंभ में जब कोविड-19 चरम पर था, तब सेंसेक्स और निफ्टी सर्वोच्च स्तर पर कारोबार कर रहे थे। उस समय तक कोविड-19 चीन तक ही ज्यादा था। लेकिन मार्च में विश्वभर को चपेट में लेने वाले इस वायरस इक्विटी सूचकांक से पूरी दुनिया के बाजार गिर गए। हालांकि इसके बाद रिकवरी की बात आई तो भारतीय बाजार सबसे धीमे रहे हैं। जबकि रसिया का बाजार सबसे आगे है।

अमेरिकी बाजार ने 3.90 प्रतिशत की रिकवरी की

रिकवरी इक्विटी सूचकांक के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि अमेरिका के डाऊजोंस ने 3.90 प्रतिशत की दर से रिकवरी की है। 11 मार्च को यह 23,553 अंक पर था, जो 23 मई को 24,465 अंक पर पहुंच गया। जर्मनी के डीएएक्स का सूचकांक इसी दौरान 10,438 से बढ़कर 11,074 पर पहुंच गया। यानी रिकवरी रेट 6.10 प्रतिशत की रही। फ्रांस के सीएसी का बाजार इक्विटी सूचकांक 4,610 से घटकर 4,444 पर आ गया। इसमें -3.60 प्रतिशत की रिकवरी रही। हालांकि इसे गिरावट ही माना गया है।

नए निवेशक के लिए बाजार में गिरावट अच्छे मौके, जानें- SIP या इक्विटी बेहतर?

नए इन्वेस्टर्स को होता है सबसे ज्यादा नुकसान (Getty)

  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2021,
  • (अपडेटेड 06 दिसंबर 2021, 11:05 PM IST)
  • तीन सप्ताह में साढ़े छह फीसदी से अधिक गिर चुका बाजार
  • सबसे अधिक नुकसान उठाते हैं नए इन्वेस्टर

कोरोना के नए म्यूटेंट वैरिएंट (Corona इक्विटी सूचकांक New Variant) ओमिक्रॉन (Omicron) के सामने आने के बाद से बाजार में गिरावट जारी है. भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) भी इससे अछूते नहीं हैं. पिछले तीन सप्ताह में बाजार साढ़े 6 फीसदी से भी अधिक गिर चुका है. इससे निवेशकों (Investors) की अरबों की संपत्ति साफ हो गई है. हालांकि शेयर बाजारों (Share Bazar) में ऐसी गिरावट का समय नए इन्वेस्टर्स के लिए एंट्री के रास्ते खोलता है. इन रास्तों पर पैसे बनाने के लिए बस कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती हैं.

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