अपनी समय सीमा का व्यापार करें

एडिटोरियल
यह एडिटोरियल 17/11/2022 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Quest for transparency in FTA negotiations” लेख पर आधारित है। इसमें भारत की वर्तमान विदेश व्यापार नीति में विद्यमान चुनौतियों और इसमें आवश्यक परिवर्तनों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
भारत वित्त वर्ष 2023 तक 450-500 बिलियन अमेरिकी डॉलर के महत्त्वाकांक्षी निर्यात शिपमेंट लक्ष्य के साथ निर्यात-उन्मुख घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये पिछले दो वर्षों से कई भागीदारों – द्विपक्षीय और क्षेत्रीय दोनों – के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (Free Trade Agreements- FTAs) पर वार्ता कर रहा है।
- वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का निर्यात 418 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया जो वित्त वर्ष 2018-19 में महामारी-पूर्व के स्तर 331 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया। अपनी समय सीमा का व्यापार करें यद्यपि व्यापार में ये उपलब्धियाँ प्रशंसनीय हैं, फिर भी भारत में अभी भी व्यापक संभावनाएँ मौजूद हैं जिन्हें साकार किया जाना चाहिये।
- यदि हम अपनी समय सीमा का व्यापार करें भारत के ट्रेड पोर्टल (India’s Trade Portal) के अनुमानों पर गौर करें तो कई क्षेत्रों—विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स, रत्न एवं आभूषण और रसायनों में भारत की निर्यात क्षमता और वास्तविक निर्यात में व्यापक अंतर दिखाई देता है। इसलिये, यह उपयुक्त समय होगा कि क्षेत्र-विशिष्ट और बाज़ार-विशिष्ट समस्याओं का समाधान किया जाए ताकि हम सभी क्षेत्रों में निर्यात की पूर्ण क्षमता को साकार कर सकें।
मुक्त व्यापार समझौता (FTA) क्या है?
- FTA विभिन्न देशों या क्षेत्रीय ब्लॉकों के बीच एक समझौता होता है जो व्यापार बढ़ाने के दृष्टिकोण से आपसी बातचीत के माध्यम से व्यापार बाधाओं (Trade अपनी समय सीमा का व्यापार करें अपनी समय सीमा का व्यापार करें Barriers) को कम करने या उन्हें समाप्त करने का लक्ष्य रखता है।
- इसमें माल, सेवाएँ, निवेश, बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्द्धा, सरकारी खरीद और अन्य क्षेत्र शामिल हैं।
FTAs का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
- FTAs स्थानीय उत्पादन को विदेशी व्यापार के साथ संयुक्त कर अर्थव्यवस्थाओं में विकास को बढ़ावा देने में सहायता करते हैं।
- चूँकि FTAs के कारण प्रत्येक देश द्वारा कम लागत पर चयनित वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन और खपत में वृद्धि लाता है।
भारत के मुक्त व्यापार समझौतों की वर्तमान स्थिति
- भारत वर्तमान में 12 FTAs का कार्यान्वयन कर रहा है जिसमें भारत-यूएई CEPA नवीनतम है।
- नवंबर 2019 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी(Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) से भारत के बाहर आने के बाद 15 सदस्यीय FTA समूह (जिसमें जापान, चीन और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं) में भारत के लिये मुक्त व्यापार समझौते ठंडे बस्ते में चले गए थे।
- लेकिन अब संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के साथ भारत के द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत जारी है।
- भारत के प्रमुख व्यापार समझौते
- व्यापक आर्थिक सहयोग और साझेदारी समझौता (Comprehensive Economic Cooperation and Partnership Agreement- CECPA)
- दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (South Asian Free Trade Area- SAFTA)
- एशिया प्रशांत व्यापार समझौता(Asia Pacific Trade Agreement- APTA)
- दक्षिण एशिया अधिमान्य व्यापार समझौता (South Asia Preferential Trading Agreement- SAPTA)
भारत की विदेश व्यापार नीति से संबंधित प्रमुख समस्याएँ
- पारदर्शिता और संवीक्षा की कमी: भारत अधिकांश FTAs पर बंद दरवाज़ों के पीछे बातचीत करता है, जहाँ उद्देश्यों और प्रक्रियाओं के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध होती है और उनकी नगण्य संवीक्षा की जाती है।
- इसके अलावा, कोई संस्थागत तंत्र मौजूद नहीं है जो FTAs पर हस्ताक्षर के दौरान और उसके बाद कार्यकारी के कृत्यों की संवीक्षा में सक्षम हो।
- भारत ने वर्ष 2020-21 में आसियान देशों के साथ 15.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा दर्ज किया। वित्त वर्ष 2020-21 में जापान के साथ भारत का व्यापार घाटा 6.49 बिलियन डॉलर का रहा।
- इसके अतिरिक्त, जारी रूस-यूक्रेन युद्ध सहित विभिन्न भू-राजनीतिक घटनाक्रमों ने वैश्विक तेल एवं कमोडिटी की कीमतों में भारी वृद्धि की है और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में व्यवधान उत्पन्न किया है।
आगे की राह
- खुली और प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था की ओर: भारत के व्यापार नीति ढाँचे को आर्थिक सुधार का सहयोग प्रदान किया जाना चाहिये, जिसके परिणामस्वरूप एक खुली, प्रतिस्पर्द्धी और प्रौद्योगिकीय रूप से उन्नत अर्थव्यवस्था का निर्माण होगा।
- इसलिये, भारत को वैश्विक आर्थिक नेटवर्क में उद्यमियों को शामिल करने पर ध्यान देना चाहिये जो उन्हें अधिक वित्तीय सुरक्षा प्राप्त कर सकने का अवसर देगा।
- भारत के लिये विशेष आर्थिक क्षेत्रों (Special Economic Zones- SEZs) को MSME क्षेत्र से जोड़ना और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहित करना महत्त्वपूर्ण है।
- भारत को आधुनिक व्यापार अभ्यासों को भी अपनाने की आवश्यकता है जिन्हें निर्यात प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के माध्यम से लागू किया जा सकता है। इससे समय और लागत दोनों की बचत होगी।
अभ्यास प्रश्न: भारत की अब तक की मुक्त व्यापार समझौता (FTA) यात्रा का एक अवलोकन प्रदान कीजिये और देश की विदेश व्यापार नीति में प्रमुख परिवर्तनों के सुझाव दीजिये।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रारंभिक परीक्षा:
Q1 पूर्ण और प्रति व्यक्ति वास्तविक जीएनपी में वृद्धि आर्थिक विकास के उच्च स्तर को नहीं दर्शाती है, यदि (वर्ष 2018)
(A) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ तालमेल बनाए रखने में विफल रहता है।
(B) कृषि उत्पादन औद्योगिक उत्पादन के साथ तालमेल बनाए रखने में विफल रहता है।
(C) गरीबी और बेरोज़गारी में वृद्धि।
(D) निर्यात की तुलना में आयात तेज़ी से बढ़ता है।उत्तर: (C)
Q2. SEZ अधिनियम, 2005, जो फरवरी 2006 में प्रभाव में आया, के कुछ उद्देश्य हैं। इस संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये (वर्ष 2010)
- अवसंरचना सुविधाओं का विकास।
- विदेशी स्रोतों से निवेश को बढ़ावा देना।
- केवल सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देना।
उपर्युक्त में से कौन-से इस अधिनियम के उद्देश्य हैं?
(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 3
(C) केवल 2 और 3
(D) 1, 2 और 3उत्तर: (A)
Q3. एक "बंद अर्थव्यवस्था" एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसमें (वर्ष 2011)
(A) पैसे की आपूर्ति पूरी तरह से नियंत्रित है
(B) घाटे की वित्त व्यवस्था होती है
(C) केवल निर्यात होता है
(D) न तो निर्यात या आयात होता हैEnergy Connectivity: पड़ोसियों के साथ उर्जा संबंध साबित होंगे गेम चेंजर, गुवाहाटी में बोले हर्षवर्धन श्रृंगला
भारत के जी20 अध्यक्षता के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला ने पड़ोसी देशों के साथ उर्जा कनेक्टिविटी पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि हम हाल ही में सीमा पार ऊर्जा व्यापार नीति लेकर आए हैं। इस नीति के तहत भारत और बांग्लादेश में गलियारों के माध्यम से बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और भारत के बीच बिजली का व्यापार किया जा सकता है।
भारत के जी20 अध्यक्षता के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला ने पड़ोसी देशों के साथ उर्जा कनेक्टिविटी पर जोर दिया है। उन्होंने रविवार को गुवाहाटी में कहा कि पड़ोसी देशों के साथ ऊर्जा संपर्क और व्यापार भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। उन्होंने अपने संबोधन में पूर्वोत्तर क्षेत्र और दक्षिण पूर्व एशिया के समग्र विकास को बढ़ावा देने में सांस्कृतिक और लोगों के बीच संपर्क की भूमिका पर भी जोर दिया।
राष्ट्र के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के योगदान पर यहां दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन पर बोलते हुए श्रृंगला ने कहा कि एक बहुपक्षीय समझौते के अनुसार बांग्लादेश के रास्ते संकीर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से विद्युत पारेषण लाइनों का डी-कंजेशन, विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र को लाभान्वित करेगा। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम हाल ही में सीमा पार ऊर्जा व्यापार नीति लेकर आए हैं। इस नीति के तहत भारत और बांग्लादेश में गलियारों के माध्यम से बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और भारत के बीच बिजली का व्यापार किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस नीति के कारण ही निजी क्षेत्र ने नेपाल में महत्वपूर्ण निवेश किया है। जिसके कारण पड़ोसी देश अब भारत को बिजली निर्यात कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि इससे भविष्य में क्षेत्रीय संबंधों का स्वरूप बदलेगा। दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने आगे कहा कि भारत ने पिछले दशक की शुरुआत में बांग्लादेश को बिजली बेचना शुरू किया था। उस समय बांग्लादेश ऊर्जा संकट से जूझ रहा था। तब से अब आपूर्ति बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि भारत बुनियादी ढांचे में निवेश करके अपने पड़ोस के समग्र विकास में मदद कर रहा है।
पूर्व विदेश सचिव श्रृंगला इस दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र से अतिरिक्त बिजली निकालने के लिए पारेषण लाइनों की भीड़भाड़ को कम करने की आवश्यकता के साथ ही पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी के अपनी समय सीमा का व्यापार करें माध्यम से नैरो कॉरिडोर की जरूरत पर भी प्रकाश डाला। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी के माध्यम से संकीर्ण गलियारे जो पूर्वोत्तर के राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है, को 'चिकन की गर्दन' कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर से अतिरिक्त बिजली को शेष भारत में ले जाया जा सकता है और बांग्लादेश को भी आपूर्ति की जा सकती है। उन्होंने कहा कि बेहतर सीमा अवसंरचना और अधिक आर्थिक संपर्क को सुविधाजनक बनाने वाली नीतियों के कारण सीमावर्ती देशों के साथ व्यापार संबंधों में सुधार हुआ है। इन नीतियों के फलस्वरूप अपनी समय सीमा का व्यापार करें पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में बढ़ोतरी हुई है, जो पूर्वोत्तर के लिए एक बड़ा और प्रत्यक्ष बाजार सुनिश्चित करेगी।
विस्तार
भारत के जी20 अध्यक्षता के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला ने पड़ोसी देशों के साथ उर्जा कनेक्टिविटी पर जोर दिया है। उन्होंने रविवार को गुवाहाटी में कहा कि पड़ोसी देशों के साथ ऊर्जा संपर्क और व्यापार भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। उन्होंने अपने संबोधन में पूर्वोत्तर क्षेत्र और दक्षिण पूर्व एशिया के समग्र विकास को बढ़ावा देने में सांस्कृतिक और लोगों के बीच संपर्क की भूमिका पर भी जोर दिया।
राष्ट्र के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के योगदान पर यहां दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन पर बोलते हुए श्रृंगला ने कहा कि एक बहुपक्षीय समझौते के अनुसार बांग्लादेश के रास्ते संकीर्ण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से विद्युत पारेषण लाइनों का डी-कंजेशन, विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र को लाभान्वित करेगा। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि अपनी समय सीमा का व्यापार करें हम हाल ही में सीमा पार ऊर्जा व्यापार नीति लेकर आए हैं। इस नीति के तहत भारत और बांग्लादेश में गलियारों के माध्यम से बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और भारत के बीच बिजली का व्यापार किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस नीति के कारण ही निजी क्षेत्र ने नेपाल में महत्वपूर्ण निवेश किया है। जिसके कारण पड़ोसी देश अब भारत को बिजली निर्यात कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि इससे भविष्य में क्षेत्रीय संबंधों का स्वरूप बदलेगा। दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने आगे कहा कि भारत ने पिछले दशक की शुरुआत में बांग्लादेश को बिजली बेचना शुरू किया था। उस समय बांग्लादेश ऊर्जा संकट से जूझ रहा था। तब से अब आपूर्ति बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि भारत बुनियादी ढांचे में निवेश करके अपने पड़ोस के समग्र विकास में मदद कर रहा है।
पूर्व विदेश सचिव श्रृंगला इस दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र से अतिरिक्त बिजली निकालने के लिए पारेषण लाइनों की भीड़भाड़ को कम करने की आवश्यकता के साथ ही पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी के माध्यम से नैरो कॉरिडोर की जरूरत पर भी प्रकाश डाला। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी के माध्यम से संकीर्ण गलियारे जो पूर्वोत्तर के राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है, को 'चिकन की गर्दन' कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर से अतिरिक्त बिजली को शेष भारत में ले जाया जा सकता है और बांग्लादेश को भी आपूर्ति की जा सकती है। उन्होंने कहा कि बेहतर सीमा अवसंरचना और अधिक आर्थिक संपर्क को सुविधाजनक बनाने वाली नीतियों के कारण सीमावर्ती देशों के साथ व्यापार संबंधों में सुधार हुआ है। इन नीतियों के फलस्वरूप पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में बढ़ोतरी हुई है, जो पूर्वोत्तर के लिए एक बड़ा और प्रत्यक्ष बाजार सुनिश्चित करेगी।बाबा रामदेव ने महिलाओं पर की टिप्पणी पर मांगी माफी
मुंबई। योग गुरु बाबा रामदेव ने महाराष्ट्र में आयोजित एक कार्यक्रम में महिलाओं पर अपनी कथित टिप्पणी के अपनी समय सीमा का व्यापार करें लिए सोमवार को खेद व्यक्त किया और माफी मांगी। उन्होंने दावा किया कि महिलाओं पर की गयी, उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश किया गया।
पिछले हफ्ते ठाणे में महिलाओं के लिए पतंजलि समूह के मुफ्त योग प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पुत्र ठाणे सांसद श्रीकांत शिंदे और भारतीय जनता पार्टी के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र की पत्नी अमृता फडणवीस और अन्य प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति में रामदेव ने कहा था, "महिलाएं साड़यिों में अच्छी लगती हैं, वे सलवार सूट में अच्छी लगती हैं, और मेरे विचार में, वे कुछ भी न पहनने पर भी अच्छी दिखती हैं।"
उनकी इस भद्दी टिप्पणी से राज्य में एक नया विवाद खड़ा हो गया। इसके अलावा, उनके अगले कार्यक्रम के लिए उन्हें धमकाया भी गया।
महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (एमएससीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर को समय सीमा के अंदर योगगुरु रामदेव ने तर्क देते हुए जबाव दिया कि उन्होंने राज्य पैनल के किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है, और वह हमेशा से ही महिलाओं को सभी क्षेत्रों में सम्मान दिलाते आएं हैं और इसी के साथ ही उन्हें समानता दिलाने के हक में वैश्विक स्तर पर अभियान चलाया है।
एमएससीडब्ल्यू की अध्यक्ष ने कहा कि आयोग को उसके नोटिस पर रामदेव का जवाब मिल गया है और अगर कोई और आपत्ति या शिकायत है तो आयोग पूरी जांच करेगा और पिछले सप्ताह आयोजित कार्यक्रम की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग भी प्राप्त करेगा।
बाबा रामदेव ने कहा, "मैंने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसी सरकार की विभिन्न नीतियों का भी समर्थन किया है, उन्हें प्रोत्साहित किया है और उन्हें सशक्त करने के लिए कई संगठनों के साथ काम किया है। मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि मैंने किसी महिला का अपमान नहीं किया है और न ही ऐसा करने अपनी समय सीमा का व्यापार करें का मेरा कोई इरादा था।"
उन्होंने कहा कि उनका यह कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण थीम पर आधारित था और उन्होंने इस कार्यक्रम में एक घंटे से ज्यादा समय तक भाषण दिए, जिसमें महिलाओं के पक्ष में तमाम बातें कहीं, लेकिन उनके कुछ सेकंड की टिप्पणियों पर वीडियो क्लिप को गलत मंशा से पेश किया गया।
बाबा रामदेव ने कहा कि उनके मन में माँ और मातृ-शक्ति के लिए सबसे अधिक सम्मान है। पोशाक पर टिप्पणी 'सादा कपड़े' के लिए थी। अगर इससे किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो मुझे इसका गहरा खेद है। उन्होंने कहा कि "मैं उनसे किसी भी तरह की परेशानी के लिए माफी भी मांगता हूं।"
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अब सोमवार को 11 से 2 बजे कलेक्टर जनदर्शन व मंगलवार को समय सीमा बैठक
दुर्ग । जिला प्रशासन द्वारा मंगलवार को आयोजित की जाने वाले समय सीमा बैठक और जनदर्शन में आंशिक बदलाव किया गया है, जिसके तहत कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा के निर्देशानुसार अब कलेक्टर जनदर्शन (कलेक्टर जन चौपाल) मंगलवार की जगह प्रत्येक सोमवार को प्रातः 11 से 2 बजे के मध्य व साप्ताहिक समय सीमा (टी.एल.) बैठक प्रत्येक मंगलवार को प्रातः 11 बजे से जिला कार्यालय, दुर्ग के सभा कक्ष में आयोजित की जायेगा।अपनी समस्या को लेकर जनदर्शन आने वाले आवेदकों से जिला प्रशासन की अपील है कि वो तय की गई नवीन समय सारणी का अनुसरण करें।