दलाल कैसे बने?

यौन-हिंसा नहीं, न्यायरत थे मा. जज। लिपिस्टिक भी चाटा था
लखनऊ : जब कोई डॉक्टर अपने अस्पताल में है तो वह केवल डॉक्टर ही होता है, इसी तरह कोई पत्रकार अपने दफ्तर में होता है, तो केवल पत्रकार होता है, ठीक उसी तरह कोई मुख्य सचिव अपने दफ्तर में होता है, तो वह सरकारी काम ही निपटाता है। लेकिन दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में जज जितेंद्र मिश्र थोड़ा अलग निकले। वे अपने चैम्बर में न्यायिक काम पूरी निष्ठा के साथ किया करते थे। लेकिन खुदा कसम, गारत करे एडवांस्ड मोबाइल सेट का, उनका सारा न्यायिक कामधाम अचानक ही दक्खिन हो गया। पता चल गया कि एक दिन वे न्यायिक कामधाम के नाम पर अपने चैम्बर का इस्तेमाल अपनी स्टेनो के साथ करने को आमादा था। बहरहाल, ताजा खबर है कि दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्माने राउज एवेन्यू कोर्ट के एक न्यायिक अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
उस घटना का यह वीडियो फुटेज जब वायरल हुआ तो पता चला कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जी के चैम्बर में गयी उनकी स्टेनो साहब से डिक्टेशन लेने गयी थी, लेकिन जितेंद्र मिश्रा अपनी स्टेनो को अपना कोई दीगर कुत्सित डिक्टेशन करने पर आमादा दिख पड़े। बकरी-मेमना की तरह छटपटाती इस महिला स्टेनो को जज साहब ने किसी खूंख्वार भेडि़ये की तरह दबोच लिया और यौन-हिंसा का अधिकांश काम लपक कर, झटक कर और दबोच कर कर डाला। स्टेनो के साथ मिश्रा जी ने तो दो-बैलों की जोड़ी की शैली में होंठ जोड़ लिया। जाहिर है कि स्टेनो के होटों पर लगे लाल लाल निशान जज साहब के होठों पर भी चस्पां हो गये। किसी तरह वह स्टेना उनके चंगुल से निकली, तो हताश जज साहब ने पहले तो अपना मुंह पोंछा और उसके बाद यह वीडियो ही स्टॉप हो गया। काम खत्तम।
एक सूत्र ने बताया है कि यह महिला इस जज से बहुत आजिज आ चुकी थी। वजह यह कि जज साहब को न्यायिक कर्म के बजाय कुकर्म की ख्वाहिश थी, जिसके लिए वह स्टेना तैयार नहीं थी। इसीलिए एक दिन उसने तय किया दलाल कैसे बने? कि वह जज साहब यानी जितेंद्र मिश्र को रंगेहाथों सरेआम नंगा करेगी। फिर क्या था, उस महिला ने जज साहब के कमरे में पर्दे के पीछे एक वीडियो-रिकार्डिंग करने लायक मोबाइल को सेट किया और फिर क्या था। दिल्ली हाईकोर्ट ने जितेंद्र मिश्र को भी ठीक से सेट कर दिया है।
लेकिन चाहे कुछ भी हो, सच बात दलाल कैसे बने? तो यही है कि यह कोई बलात-कर्म नहीं किया था जितेंद्र मिश्रा ने। इसके लिए उस स्टेनो की भी पूरी सहमति थी। वरना आप गौर से देखिये इस वीडियो को, जिसमें यह जज अपनी जेब से रुमाल निकाल कर अपना मुंह और चेहरा पोंछ रहा है। अगर महिला न चाहती तो, जज साहब डायस पर गालों पर लिपिस्टिक चपकाये बाकायदा लंगूर बने तमाशा बने ही रहते। लेकिन चैम्बर में हुए इस लबड़-झपड़ के बाद महिला ने पूरे सहयोगी भाव में उस जज को सतर्क किया था, कि जज साहब आपके गाल पर लिपिस्टिक के धब्बे हैं, उसे पोंछ लीजिए। जज ने लपक कर जेब से रुमाल निकाला और अपने पूरे चेहरे को निरमा-शैली में रगड़ डाला। इस तर्क के मुताबिक जाहिर है कि कोई न्यायपालिका कर्मी, जिसकी ड्यूटी इस जज के कमरे की व्यवस्था को लेकर लगायी गयी थी, और उसे जज से खासी खुन्नस थी, उसने मौका मिलते ही इन दोनों का वीडियो बना लिया।
कुछ भी हो, इस मामले में उस महिला की संलिप्तता रही हो या नहीं, लेकिन शासकीय और न्याय परिसर में किसी महिला के साथ इस तरह की हरकत करने के लिए जितेंद्र मिश्र तो बाकायदा जिम्मेदार और दोषी ही हैं।
नियमों के अनुसार अगर किसी महिला का अनादर किसी सार्वजनिक स्थल पर किया जाए तो अपराध दण्ड संहिता की धारा 294 के तहत दंडनीय कार्रवाई का मामला बन सकता है। कानून के अनुसार अगर महिला का अनादर करते समय संबंधित व्यक्ति अगर आपराधिक बल का प्रयोग सार्वजनिक स्थल पर करता है तब उसपर दण्ड संहिता की धारा 354 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि इसके पहले भी देश के सर्वोच्च न्यायाधीश के पद पर बैठे रहे रंजन गोगोई पर उनकी स्टेनो ने यौन-हिंसा का आरोप लगाया था। बाद में तो गोगोई भाजपा से सांसद बन गये थे।
बता दें कि यह अश्लील वीडियो मार्च का बताया जा रहा है। इस वीडियो में न्यायिक अधिकारी स्टेनो के साथ अपने कक्ष में आपत्तिजनक स्थिति में दिखाई दे रहे हैं। बस सवाल यह है कि इस वीडियो को इतनी देरी से क्यों वायरल किया जाए। या तो यह ब्लैकमेलिंग की साजिश थी, या फिर जज जितेंद्र मिश्र को समय रहते सम्भल जाने की चेतावनी।
प्रखण्ड व अंचल के कई विभागों का विधायक ने की समीक्षा, कार्यशैली में सुधार लाने का दिया निर्देशl
चौपारण : प्रखंड के ब्लॉक परिसर में शुक्रवार को बरही विधायक सह निवेदन समिति के सभापति उमाशंकर अकेला ने प्रखण्ड व अंचल के कई विभागों की समीक्षा की। समीक्षा में कई कमियां भी मिली। जिसपर विधायक श्री अकेला ने जल्द ही उन कमियों को दूर करने का निर्देश दिया। वहीं विधायक श्री अकेला ने प्रखण्ड के सभी कर्मियों को समय पर ब्लॉक आने और जाने और अपने कार्यशैली में सुधार करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि जनकल्याण से जुड़े कार्यो को ससमय निपटान करें। कोई भी आमजन को जनहित के कार्य के लिए दौड़ाए नहीं। ऐसी भी शिकायते मिल रही है कि कुछ दलाल व बिचौलियों नेता पदाधिकारी के नाम से भोली भाली जनता व लोगों से पैसे की उगाही कर काम करवाने की बात करते हैं। ऐसी बातें दुबारा नहीं होनी चाहिए दलालों व बिचौलियों के झांसे में नहीं आए और आम जनों से मधुरता से बात करते हुए उनका कार्य करें। दुबारा ऐसी शिकायते नही मिलनी चाहिए। वहीं बीडीओ सह सीओ प्रेमचन्द सिन्हा ने ब्लॉक में कर्मियों की कमी के कारण काम मे विलम्ब होने की बात रखा। समीक्षा बैठक में विधायक प्रतिनिधि रामफल सिंह,उप प्रमुख प्रीति गुप्ता,जिप सदस्य भाग2 रवि शंकर अकेला,मीडिया प्रभारी मनोज यादव, जवनपुर मुखिया जानकी यादव, चयकला मुखिया हेलाल अख्तर, ताजपुर मुखिया प्रतिनिधि मनु भगत,बालकिशुन यादव,देवलाल साव,राजेंद्र राणा,मनोज सिंह,यदुनंदन यादव,बैजू गहलोत, राजेश यादव,कोठारी सिंह,नरेश सिंह,डिंपू जैन,धीरेन्द्र दांगी, लालेश साहू,राजेश साव,बीरबल साव,दिगम्बर भुइँया,नवीन यादव, टू नू वर्णवाल,केशरी नायक,विवेक सिंह इत्यादि उपस्थित थे।
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इफ्फी-53 में मशहूर सिनेमैटोग्राफरों के साथ “सिनेमैटोग्राफी में तकनीक की बारीकियां” विषय पर संवाद सत्र आयोजित
हमारे समय के ऐसे प्रसिद्ध सिनेमैटोग्राफर, जिनकी फिल्मों ने सिने प्रेमियों के दिलो-दिमाग पर अमिट छाप छोड़ी है, उनमें शुमार आर. रत्नावेलु, मनोज परमहंस और सुप्रतिम भोल ने 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, गोवा में आज “सिनेमैटोग्राफी में तकनीक की बारीकियां” विषय पर एक बातचीत सत्र में भाग लिया।
सिनेमैटोग्राफर बनने के लिए क्या जरूरी है, इस पर अपने दृष्टिकोण साझा करते हुए इन तीनों ने एक स्वर में कहा कि कड़ी मेहनत और समय के साथ खुद को अपडेट करना ही इस क्षेत्र में कामयाब होने की कुंजी है।
सिनेमैटोग्राफर आर. रत्नावेलु, मनोज परमहंस और सुप्रतिम भोल ने इफ्फी-53 के ‘इन-कन्वर्सेशन’ सत्र को संबोधित किया। पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित भावना सोमाया ने सत्र का संचालन किया
सिनेमा की दुनिया में अपनी प्रेरक यात्रा और एक सिनेमैटोग्राफर की अपनी परिभाषा के बारे में बात करते हुए आर. रत्नावेलु ने कहा कि सिनेमैटोग्राफर कहानी को निर्देशक की कल्पना अनुसार चित्रों में उतारते हैं। उन्होंने कहा, “हम तकनीशियन नहीं हैं, बल्कि ऐसे सृजनकार हैं जो फिल्मों का जादू निर्मित करने के लिए अपने कौशल का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे प्रमुख लोग जो अत्यधिक दबाव में काम करते हैं, उनके तौर पर हमारा योगदान ज्यादा मायने रखता है। हम लोग फिल्म उद्योग के गुमनाम नायक हैं, जो सेट पर सबसे पहले पहुंचते हैं और सबसे अंत में जाते हैं।”
रत्नावेलु जो कि वारनम आयिरम, एंथिरन (रोबोट) जैसी फिल्मों में अपने कैमरे से जादू पैदा करने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने अपने क्राफ्ट को अपडेट करने की तकनीकों का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि सिनेमैटोग्राफी कला और विज्ञान का मिश्रण है, ये सिर्फ कला नहीं है। अगर कोई यहां बने रहना चाहता है तो उसे तकनीक को और ज्यादा अपनाने की जरूरत है। अपने अब तक के सफर के बारे में बताते हुए रत्नावेलु ने कहा कि गैर-सिनेमा पृष्ठभूमि से आने के बाद भी वे अपने क्षेत्र में अब तक सफल रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं 25 साल बाद भी मजबूती से बना हुआ हूं। आपको पृष्ठभूमि की आवश्यकता नहीं होती है। एक बार जब आप अपना समर्पण और ईमानदारी इस काम में डाल देते हो तो फिर आप वो पा सकते हो जो आप पाना चाहते हो। मैं लगातार खुद को अपग्रेड करता रहता हूं।”
2008 में रजनीकांत अभिनीत फिल्म रोबोट के निर्माण के दौरान डिजिटल प्रारूप को अपनाने की अवधि याद करते हुए उन्होंने कहा कि रोबोट ने वीएफएक्स की क्षमता का अधिकतम उपयोग किया। भले ही ये चुनौती बहुत बड़ी थी लेकिन मैंने इसे करने का फैसला किया और तकनीक में गहराई में उतरना शुरू किया। हमें इस दौड़ में बने रहने के लिए खुद को लगातार अपग्रेड करने की जरूरत है।”
आर. रत्नावेलु और मनोज परमहंस के साथ सत्र को संबोधित करते सिनेमैटोग्राफर सुप्रतिम भोल
तमिल, तेलुगू और मलयालम फिल्म उद्योगों में काम कर चुके मनोज परमहंस ने कहा, एक फिल्मकार बनना एक कभी न खत्म होने वाला सपना है जिसे निरंतर अपडेट किए जाने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा, “हम दुनिया के सबसे अच्छे किस्सागो हैं, लेकिन तकनीकी रूप से हमें सुधार करना होगा।” कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है, इस बात पर जोर देते हुए इन प्रशंसित सिनेमैटोग्राफर ने कहा कि लोग तकनीक के साथ ही सीख सकते हैं। हर कोई फोटोग्राफर है, और मोबाइल फोन बहुत ही अच्छे हो चुके हैं। इसलिए जब हम ये काम करें तो वो दूसरों से बेहतर होना चाहिए।
निर्देशकों के विजन को साकार करने के लिए वे किस दर्द से गुजरते हैं, इससे जुड़ा एक किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि एक बार उन्हें कड़ाके की ठंड में लद्दाख-चीन सीमा तक 200 किमी की यात्रा करनी पड़ी, क्योंकि वो एकमात्र ऐसी जगह है जहां हमें प्राकृतिक झरने देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा, “ये मेरे लिए असली जादू जैसा था। सिर्फ एक शॉट के लिए हमने वो दूरी तय की। इससे जो नतीजा हमें हासिल हुआ उसके बाद तो हम अपने उस संघर्ष को भी भूल गए।”
सिनेमैटोग्राफर मनोज परमहंस इफ्फी-53 के दौरान इस बातचीत सत्र में सम्मानित होते हुए
मनोज के मुताबिक, इस काम को आसान बनाने के लिए अनरियल इंजन जैसे मुफ्त सॉफ्टवेयर मौजूद हैं जो सिनेमैटोग्राफर के लिए वाकई में कारगर होते हैं। उन्होंने कहा, “ये इतने यूज़र फ्रेंडली हैं कि हम शूटिंग के लिए जाएं उससे पहले असल दुनिया की सारी संभावित स्थितियों की तैयारी की जा सकती है।” जो युवा अपनी कला को निखारना चाहते हैं, उन्हें मनोज ने सलाह दी कि ऐसे सॉफ्टवेयर और वीडियो ट्यूटोरियल पर ज्यादा समय बिताएं।
सुप्रतिम भोल, जो अपनी फिल्म अपराजितो और अविजांत्रिक की सिनेमैटोग्राफी के लिए जाने जाते हैं, उनका कहना था कि एक सटीक शॉट पाने के लिए कुछ आशीर्वाद की जरूरत होती है। उन्होंने कहा, “भले ही हम अक्सर पूरी तैयारी के साथ होते हैं, लेकिन जब हम फिल्म देखते हैं तो उस अदृश्य आशीर्वाद की कमी के कारण फिल्म को लेकर वो जुड़ाव नहीं पैदा होता।”
सिनेमैटोग्राफर आर. रत्नावेलु इफ्फी-53 के दौरान इस बातचीत सत्र में सम्मानित होते हुए
कैसे उनका शिल्प उनके जीवन से प्रभावित है, ये बताते हुए सुप्रतिम ने कहा कि: “मैंने जो भी किताबें और कविताएं पढ़ी हैं, जो भी तस्वीरें क्लिक की हैं, जो पेंटिंग मैंने बनाई हैं, जो भी गाने मैंने अपने बाथरूम में गाए हैं, ये इन्हीं सब चीजों का समामेलन है जो जीवंत हो जाता है। ये आपका जीवन ही है जो सिनेमा के रूप में अभिव्यक्त होता है।”
उनकी कार्यशैली के बारे में पूछे जाने पर सुप्रतिम ने कहा कि ये महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति को स्क्रिप्ट के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिए। उन्होंने कहा, “सबसे प्रमुख नियम ये होना चाहिए कि अपनी सहजवृत्ति पर भरोसा करें। अंततः हम सब इंसान हैं। आप जितना ज्यादा लोकल होंगे, उतना ही ज्यादा ग्लोबल होते चले जाएंगे।”
इस सत्र का संचालन फिल्म पत्रकार, आलोचक और पद्मश्री से सम्मानित भावना सोमाया ने किया।
इफ्फी-53 में मास्टरक्लास और इन-कन्वर्सेशन सत्र सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई), एनएफडीसी, फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) और ईएसजी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किए जा रहे हैं। फिल्म निर्माण के हर पहलू में छात्रों और सिनेमा के प्रति उत्साही लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए इस वर्ष कुल 23 सत्रों का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें मास्टरक्लास और इन-कन्वर्सेशन सत्र शामिल हैं।
How to Become a Stock Broker : 12वीं के बाद शेयर मार्केट में स्टॉक ब्रोकर कैसे बने ?
How to Become a Stock Broker : सही प्रोफेशन सही समय पर चुनना बेहद जरूरी है। एक स्टूडेंट के मन में अपने भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल आते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप जो भी प्रोफेशन को चुन रहे हैं उसके बारे में आपके पास सही जानकारी होनी चाहिए। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप भारत में आप स्टॉक ब्रोकर कैसे बन सकते हैं। स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए लगन और बहुत मेहनत करने की ज़रूरत होती है। लेकिन सबसे पहल सवाल ये है कि स्टॉक ब्रॉकर क्या होता है (What is Stock Broker) इसका शेयर मार्केट में क्या काम होता है और स्टॉक ब्रॉकर आप महीने में कितना कमा सकते हैं
What is stock broker
जब भी हम शेयर मार्केट के बारे में सुनते हैं तो हमें स्टॉक ब्रोकर के बारे में भी सुनने को मिलता है। ऐसे में मन में सवाल आता है दलाल कैसे बने? कि स्टॉक ब्रोकर करता क्या है? तो चलिए आपके इस सवाल का जवाब हम बता देते हैं। स्टॉक ब्रोकर का काम शेयर मार्केट में काफी महत्वपूर्ण होता है। स्टॉक एक्सचेंज और निवेशक के बीच स्टॉक ब्रोकर एक अहम कड़ी का काम करता है। बिना स्टॉक ब्रोकर के निवेशक अपना पैसा शेयर मार्केट में नहीं लगा सकता है।
आसान शब्दों में कहें तो शेयर ब्रोकर एक ऐसा व्यक्ती होता है जो दूसरो के लिये शेयर खरीदता या बेचता है। अगर आप शेयर मार्केट कदम रखना चाहते है तो आपको एक डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है। ये दोनों ही अकाउंट ब्रोकर खोलत है। शेयर ब्रोकर का करियर काफी चुनौतीपूर्ण होता है। इसलिए इस करियर में सफलता पाने के लिए आपके पास शेयर मार्केट का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। स्टॉक ब्रोकर डीलर, अडवाइजर या सिक्युरिटी एनालिस्ट के रूप मे काम करते हैं। स्टॉक ब्रोकर को स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर्ड कराना होता है। लेकिन स्टॉक मार्केट का मेंबर बनने के ब्रोकर को परीक्षा पास करनी होती है और उसके बाद उसकी ट्रेनिंग भी लेनी होती है
Education Qualification for Stock Broker
भारत में स्टॉक ब्रोकर के तौर पर अपना करियर शुरू करने के लिए स्टूडेंट्स ने प्रेफरेबली कॉमर्स, इकोनॉमिक्स, बिजनेस मैनेजमेंट या मैथ्स विषय में अपनी 12वीं क्लास किसी किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशनल बोर्ड पास की है। वहीं सब-ब्रोकर का काम शुरू करने के लिए कैंडिडेट्स की उम्र कम से कम 21 साल होनी चाहिए। स्टूडेंट्स 12वीं क्लास पास करने के बाद नीचे दिए गए बैचलर डिग्री कोर्सेज/ सर्टिफिकेट कोर्सेज कर सकते हैं।
बीए/ बीकॉम – फाइनेंस/ एकाउंटिंग/ इकोनॉमिक्स/ बिजनेस मैनेजमेंट/ मैथ्स
बीएससी – मैथ्स/ इकोनॉमिक्स
NSE सर्टिफिकेट – फाइनेंशिल मार्केट्स
NSE सर्टिफिकेट – मार्केट प्रोफेशनल
वहीं अगर आप ग्रेजुएट हैं तो आप नीचे दिए गए मास्टर डिग्री कोर्सेज या पीजी डिप्लोमा कोर्सेज कर सकते हैं और स्टॉक ब्रोकर के तौर पर अपना करियर शुरू कर सकते हैं।
पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा – कैपिटल मार्केट एंड फाइनेंशियल सर्विसेज
पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा – फंडामेंटल्स ऑफ़ कैपिटल मार्केट डेवलपमेंट
आपको बता दें कि आप इन एजुकेशनल कोर्सेज में से अपने लिए कोई सूटेबल कोर्स करने करने के बाद आपको अपना नाम का रजिस्ट्रेशन सेबी के पास करना होगा। एक स्टॉक मेंबर बनने के लिए आपको रिटन एंट्रेंस टेस्ट पास करके संबंधित ट्रेनिंग कोर्स पूरा करना होगा। इसके बाद ही आपको सेबी की मेंबरशिप मिलेगी। आपको मेंबरशिप लेने के लिए निर्धारित राशि संबंधित स्टॉक एक्सचेंज में सिक्यूरिटी के तौर पर देनी होगी। फाइनेंशियल मार्केट में काम करने के लिए जरूरी है कि आपके पास नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सर्टिफिकेट होना चाहिए।
Top Institute in India to Become Stock Broker
इंस्टीट्यूट ऑफ़ कंपनी सेक्रेटरीज़ ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली
इंस्टीट्यूट ऑफ़ कैपिटल मार्केट डेवलपमेंट, नई दिल्ली
दी ओरियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ कैपिटल मार्केट, नई दिल्ली
मुंबई स्टॉक एक्सचेंज ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, मुंबई
इंस्टीट्यूट ऑफ़ फाइनेंशियल एंड इन्वेस्टमेंट प्लानिंग, मुंबई
दी यूटीआई इंस्टीट्यूट ऑफ़ कैपिटल मार्केट, मुंबई
इंस्टीट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट्स ऑफ़ इंडिया, हैदराबाद
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, अहमदाबाद/ कलकत्ता, बैंगलोर/ लखनऊ
Salary and perks of Stock Broker
अन्य पेशे की तरह स्टॉक ब्रोकर में सैलरी पैकेज उसकी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन, परफॉरमेंस और वर्क एक्सपीरियंस पर निर्भर करती है। शुरू में ये पेशेवर एवरेज 2 -3 लाख रुपये सालाना कमा लेते हैं लेकिन कुछ सालों के अनुभव के बाद स्टॉक ब्रोकर एवरेज 5 -7 लाख रुपये सालाना तक कमा लेते हैं।
स्टॉक ब्रोकर को उसकी परफॉरमेंस के मुताबिक अक्सर इंसेंटिव भी दिया जाता है। बता दें कि किसी इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर स्टॉक ब्रोकर शुरू में एवरेज 12 लाख रुपये सालाना तक कमा लेते हैं। वहीं कुछ साल के अनुभव के बाद ये इन्वेस्टमेंट बैंकर्स एवरेज 30 लाख रुपये सालाना कमा लेते हैं।