फॉरवर्ड हेजिंग

उद्यमी-कारोबारी बोले, डॉलर की फॉरवर्ड बुकिंग ही विकल्प
फरीदाबाद. आसमान छूती डॉलर की कीमतों ने जिले के उद्यमी-कारोबारियों की सांसें फुला दी हैं। लगातार कीमतों में इजाफा हो रहा है। ऐसे में सभी की परेशानी बढ़ गई हैं। सरकार द्वारा अभी तक उद्यमियों को राहत देने की घोषणा नहीं होने से चिंता बढ़ गई है। रॉ-मेटेरियल बाहर के देशों से मंगवाने पर 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है। फॉरवर्ड हेजिंग जिस तरह से डॉलर की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।
ऐसे में आने वाले दिनों में मुसीबत और अधिक बढ़ सकती है। जिले में करीब 5500 करोड़ रुपए का इंपोर्ट किया जाता है। इसमें अब दस फीसदी की बढ़ोतरी हो जाएगी। अन्य प्रोडक्ट के साथ लॉजिस्टिक के रेट में बढ़ोतरी हो रही है।
कौन करा सकते हैं इसकी बुकिंग : इसकी बुकिंग वही कारोबारी करा सकते हैं, जिनका किसी भी बैंक में फॉरेन एक्सचेंज एकाउंट हो। इंपोर्टर आरबीआई के माध्यम से बुकिंग कराते हैं। वहीं ज्यादातर निर्यातकों के पास फॉरेन एक्सचेंज एकाउंट होता है। इसके माध्यम से फॉरवर्ड हेजिंग वे डॉलर को बुक करते हैं। बुकिंग मॉल की कीमतों पर आधार पर तय होता है।
इन पर पड़ रहा है नकारात्मक प्रभाव : ऑटो व लॉजिस्टिक सेक्टर पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ऑटो कंपोनेंट बनाने के लिए रॉ-मेटेरियल बाहर से इंपोर्ट किया जाता है। इन कंपोनेंट की धुलाई के लिए जो केमिकल्स यूज होते हैं। उसका भी इंपोर्ट किया जाता है। लॉजिस्टिक सेक्टर भी डॉलर की बढ़ती कीमतों से परेशान है। इससे जुड़े कारोबारियों को पेमेंट डॉलर में करना पड़ता है।
जेब होगी ढीली : इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल, ऑटो सेक्टर से संबंधित प्रोडक्ट लेने जा रहे हैं तो कुछ समय के लिए ठहर जाएं। बाजार में स्थिरता के आने के बाद खरीदारी कर सकते हैं। जिस गति से डॉलर के रेट में इजाफा हो रहा है। ऐसे में कीमतों में इजाफा होना तय है। आगे डॉलर की कीमतों में गिरावट आने पर खरीदारी कर सकते हैं।
तत्काल फॉरवर्ड हेजिंग प्रभावित होने वाले आइटम : पीएनजी, सीएनजी, पेट्रोल, इंपोर्ट होने वाले रॉ-मेटेरियल, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम।
एक्सपर्ट व्यू
मौजूदा स्थिति उद्यमी-कारोबारियों के हित में नहीं है। जिस तरह से डॉलर की कीमतों में इजाफा हो रहा है, रॉ-मेटेरियल खरीदने में जेब अधिक ढीली करनी पड़ेगी। महंगाई की वजह से प्रोडक्ट की कीमतों में वृद्धि होगी। उपभोक्ता खरीद नहीं पाएंगे। इससे उद्यमियों व कारोबारियों को नुकसान होगा। हालात पर काबू पाने के लिए स्टॉक में जो डॉलर हैं। उसे मार्केट में लगा होगा। इससे फौरी राहत मिल सकती है।
मनोज कुमार चौधरी, डायरेक्टर, सीआरएम लॉजिस्टिक प्राइवेट लिक्
क्या है डॉलर की फॉरवर्ड हेजिंग फॉरवर्ड बुकिंग
मौजूदा डॉलर के रेट पर उद्यमी-कारोबारी डॉलर बुक करा रहे हैं। अगर डॉलर के रेट में इजाफा होता है। जिसने पहले से बुकिंग करा रखा है। उसे परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। डॉलर की कीमतों में इजाफा होने के बाद भी बुकिंग के समय का ही रेट पर डॉलर मिलेगा।
करेंसी हेजिंग का कखग
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से निर्यातकों को फायदा हुआ, क्योंकि उन्हें डॉलर में भुगतान होता है। वहीं, आयातकों को नुकसान झेलना पड़ा, क्योंकि उन्हें डॉलर में पेमेंट करने के लिए बाजार से महंगा डॉलर खरीदना होता है। इस नुकसान को मुद्रा बाजार का जोखिम कहते हैं।
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से निर्यातकों को फायदा हुआ, क्योंकि उन्हें डॉलर में भुगतान होता है। वहीं, आयातकों को नुकसान झेलना पड़ा, क्योंकि उन्हें डॉलर में पेमेंट करने के लिए बाजार से महंगा डॉलर खरीदना होता है। इस नुकसान को मुद्रा बाजार का जोखिम कहते हैं। इसे हेजिंग के जरिये कम किया जाता है। आइए जानते हैं हेजिंग है क्या बला।
क्या होती है हेजिंग:
हेजिंग को हम एक तरह के बीमा की तरह समझ सकते हैं, जिसमें किसी भी नकारात्मक असर को कम करने की कोशिश की जाती है। हेजिंग से जोखिम होने का खतरा कम नहीं होता। लेकिन अगर सही तरीके से हेजिंग की जाए तो किसी भी नकारात्मक परिस्थिति का असर जरूर कम हो सकता है।
कैसे होती है हेजिंग:
साधारण तौर पर आप समझ लें कि हेजिंग में आप वायदा बाजार में वह पोजिशन लेते हैं, जो हाजिर बाजार से बिल्कुल विपरीत होती है। इस तरह से आप मुद्रा बाजार में किसी भी उतार-चढ़ाव के असर को कम कर सकते हैं।
क्या तरीके हैं हेजिंग के:
मुद्रा बाजार में तीन तरीकों से हेजिंग की जाती है। पहला तरीका है फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट का। इस तरीके में कारोबारी पहले से तय की गई विनिमय दर पर पूर्व-निर्धारित समयसीमा में करार करते हैं। इस तरीके में आप अपने फायदे और नुकसान दोनों पर लगाम लगा कर पहले से ही चलते हैं। दूसरा तरीका करेंसी फ्यूचर्स का है। इस तरीके में किसी भी दो खास करेंसी का तय समय और तय दर पर आपस में आदान- प्रदान होता है। करेंसी ऑप्शन तीसरा तरीका है। इसे एक तरह का बीमा कह सकते हैं जो मुद्रा बाजार के आपके पक्ष में आने से फायदा देता है और आपके विपरीत जाने में आपकी सुरक्षा भी करता है।
निर्यातक करेंसी का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट बेचते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी निर्यातक को एक लाख डॉलर का सामान सप्लाई करना है। मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचने के लिए वह वायदा बाजार में डॉलर बेचता है। इसके उलटे अगर किसी आयातक को माल के लिए एक लाख डॉलर चुकाना है तो वह वायदा बाजार में जाकर डॉलर खरीद जोखिम को कम कर सकता है। आयातक कॉल ऑप्शन के जरिये विदेशी मुद्रा की खरीद की कीमत को पहले से ही तय कर अपने जोखिम को कम करता है। इसके उलट निर्यातक पुट ऑप्शन के जरिये विदेशी मुद्रा की बिक्री की कीमत को पहले से तय करके जोखिम को कम करता है।
रुपये में तेजी से हेजर्स को लग सकता है झटका
जोखिम के लिए तैयारी की जा सकती है, मगर आयात करने वालों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. बैगर
बीते चार महीनों में एक साल का फॉरवर्ड प्रीमियम 125 बेसिस अंक बढ़कर सोमवार को 5.22 फीसदी तक पहुंच गया, जो 2 नवंबर को 3.97 फीसदी था.
काफी कम समय में इस एकतरफा तेजी ने जोखिम और रिटर्न के पलड़े का संतुलन हिला दिया है. इससे हेजिंग की लागत बढ़ चुकी है और भारतीय कंपनियों के पास रहने वाला कर्ज लागत का फायदा खत्म हो गया है.
आईसीआईसीआई बैंक ग्रुप के ग्लोबल मार्केट, सेल्स और रिसर्च प्रमुख बी प्रसन्ना ने कहा, "यह ध्यान रखना चाहिए कि अधिक फॉरवर्ड प्रीमियम से वास्तवित यूजर्स के जोखिम प्रबंधन में अनियमितता बढ़ जाती है क्योंकि वे हेजिंग के जरिए जोखिम से दूर रहते हैं."
उन्होंने कहा, "हेजिंग में इस तरह की डाइवर्जेंस के जरिए असल यूजर्स को अधिक अस्थिरता फॉरवर्ड हेजिंग का सामना करना पड़ सकता है." आईएफए ग्लोबल के संस्थापक अभिषेक गोयनका ने कहा कि करेंसी बाजार में आयातकों के लिए हेंजिंग की लागत बढ़ चुकी है. उन्हें निकट भविष्य में रुपये की कमजोरी का भय नहीं है.
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4 कारण मुद्रा हेजिंग महत्वपूर्ण है | इन्वेस्टमोपेडिया
Brian McGinty - Turn Bitcoin and Currency into 24kt 999 Gold - Brian McGinty (नवंबर 2022)
विषयसूची:
लगभग सभी म्युचुअल फंड और ईटीएफ में फॉरवर्ड हेजिंग कुछ जोखिम है, क्योंकि इन पोर्टफोलियो की कंपनियां कई देशों में काम कर सकती हैं। ये व्यवसाय विदेशी मुद्रा के आधार पर मुनाफा कमाते हैं, जो निवेशक को मुद्रा जोखिम को उजागर करते हैं। इन कारणों पर विचार करें कि जोखिम को कम करने के लिए मुद्रा हेजिंग एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
मान लें, उदाहरण के लिए, Acme कंपनी संयुक्त राज्य में स्थित है और यूनाइटेड किंगडम में खुदरा स्टोर है Acme अपने यू.के. के स्टोरों को पूंजी प्रदान करता है, जिसके लिए यू.एस. डॉलर पाउंड में परिवर्तित करने की आवश्यकता है। यह भी मान लें कि $ 1 को £ 2 में कनवर्ट किया गया है
एकमे यू.एस. डॉलर में इसके साल के अंत तक वित्तीय परिणाम दिखाता है यू.के. स्टोर्स द्वारा उत्पन्न लाभ पाउंड से डॉलर में परिवर्तित किया जाना चाहिए। मान लें कि विनिमय दर अब $ 1 डॉलर से 4 पाउंड है यह अब दो बार के रूप में कई पाउंड लेता है जो एक यू.एस. डॉलर में परिवर्तित होता है, जो ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग या जीबीपी बनाता है, जो कि कम मूल्यवान है।
यह जोखिम म्यूचुअल फंड और ईटीएफ पर भी लागू होता है। यदि आपके पास यूनाइटेड किंगडम में स्थित स्टॉक के पोर्टफोलियो हैं, तो आप मुद्रा जोखिम के संपर्क में हैं। यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच विनिमय दर में होने वाले परिवर्तनों के कारण आपके फंड का मूल्य गिरा सकता है, जो कि कई कारणों में से एक है क्योंकि मुद्रा हेजिंग महत्वपूर्ण है।
1। लंबे समय तक जोखिम को समाप्त करें
मान लीजिए कि आप यू.के.-डेनिमेटेड फंड का मालिक है। आपके निवेश का उद्देश्य उस देश में स्थित कंपनियों के मालिक होना है जो अच्छा प्रदर्शन करता है। आर्थिक और राजनीतिक कारकों के आधार पर डॉलर और पाउंड के बीच विनिमय दर समय के साथ बदल जाएगी। इस कारण से, आपको लंबे समय तक अपने निधि के मालिक होने से फायदा होने के लिए अपने मुद्रा जोखिम को हेज करने की आवश्यकता है।
2। विदेशी स्टॉक पोर्टफोलियो विविधता जोड़ें
आप अपने पोर्टफोलियो को विविधता लाने के लिए संयुक्त राज्य और विदेशी देशों में कंपनियों के मालिक बनना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, सीमावर्ती और उभरते बाजार उन निवेशकों के लिए आकर्षक हैं जो अधिक जोखिम लेना चाहते हैं और उच्च रिटर्न प्राप्त करना चाहते हैं। चूंकि अधिकांश निवेशक विदेशी-आधारित निवेश का उपयोग करते हैं, इसलिए वे मुद्रा-हेज ईटीएफ और म्यूचुअल फंड का उपयोग करके अपने जोखिम जोखिम को कम कर सकते हैं।
3। फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स
कई फंड और ईटीएफ आगे कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग करके मुद्रा जोखिम को हेज करते हैं, और इन कॉन्ट्रैक्ट्स को हर प्रमुख मुद्रा के लिए खरीदा जा सकता है एक अग्रेषित अनुबंध या मुद्रा अग्रेषण, क्रेता को मुद्रा के लिए कीमत चुकाने की अनुमति देता है। दूसरे शब्दों में, विनिमय अवधि एक विशिष्ट अवधि के लिए जगह में बंद है।
हालांकि, आगे अनुबंध खरीदने के लिए एक लागत है अनुबंध पोर्टफोलियो के मूल्य की सुरक्षा करता है यदि विनिमय दर मुद्रा कम मूल्यवान बनाते हैं। उदाहरण के तौर पर, यू.के. उदाहरण का प्रयोग करते हुए, एक फॉरवर्ड अनुबंध निवेशक को बचाता है, जब डॉलर के सापेक्ष पाउंड में गिरावट आती है।दूसरी ओर, यदि पौंड अधिक मूल्यवान हो जाता है, तो आगे के अनुबंध की आवश्यकता नहीं होती है।
मुद्रा हेजिंग का उपयोग करने वाले फंड का मानना है कि हेजिंग की लागत समय के साथ समाप्त हो जाएगी फंड का उद्देश्य मुद्रा जोखिम को कम करना है और आगे के अनुबंध को खरीदने की अतिरिक्त लागत को स्वीकार करना है।
4। हेजिंग बड़े मुद्रा गिरावट
एक मुद्रा हेजिंग रणनीति निवेशक की रक्षा कर सकती है अगर मुद्रा का मूल्य तेजी से गिरता है दो म्यूचुअल फंडों पर विचार करें जो पूरी तरह से ब्राज़ीलियाई-आधारित कंपनियों से बने हैं एक फंड मुद्रा जोखिम को नहीं रोकता है अन्य निधि में स्टॉक का सटीक पोर्टफोलियो होता है, लेकिन ब्राजील की मुद्रा पर आगे के अनुबंध की खरीद होती है, असली
अगर वास्तविक का मूल्य डॉलर के मुकाबले समान या बढ़ता रहता है, तो पोर्टफोलियो जो हेज नहीं है, वह बेहतर होगा क्योंकि वह पोर्टफोलियो आगे के अनुबंधों के लिए भुगतान नहीं कर रहा है। हालांकि, जब ब्राजीलियाई मुद्रा फॉरवर्ड हेजिंग मूल्य में गिरावट आती है, हेजड् पोर्टफोलियो बेहतर प्रदर्शन करता है, क्योंकि उस फंड ने मुद्रा जोखिम के खिलाफ हेड किया है।
राजनीतिक और आर्थिक कारणों से मुद्रा विनिमय दर में बड़े उतार-चढ़ाव हो सकते हैं कुछ मामलों में, मुद्रा की दर बहुत अस्थिर हो सकती है एक हेजिंग पोर्टफोलियो में अधिक खर्च उठाना पड़ता है, लेकिन किसी मुद्रा के मूल्य में तेज गिरावट की स्थिति में आपके निवेश की रक्षा कर सकता है।
मुद्रा स्वैप्स के साथ हेजिंग
गलत मुद्रा आंदोलन सकारात्मक पोर्टफोलियो रिटर्न को क्रश कर सकता है पता करें कि इसके खिलाफ बचाव कैसे करें
3 कारण क्यों देश अपने मुद्रा को अवमूल्यन करते हैं? इन्वेस्टमोपेडिया
जब से विश्व मुद्राओं ने सोने के मानक को छोड़ दिया और अपने विनिमय दरों को एक दूसरे के खिलाफ स्वतंत्र रूप से फ्लोट करने की इजाजत दी, तब भी कई मुद्रा अवमूल्यन घटनाएं हुई हैं जो न केवल देश के फॉरवर्ड हेजिंग नागरिकों को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि इन्हें भी जुड़ा हुआ है दुनिया भर में।
डेल्टा हेजिंग और बीटा हेजिंग के बीच अंतर क्या है? | इन्वेस्टोपैडिया
हेजिंग रणनीति के बारे में जानें, डेल्टा और बीटा से कैसे एक सुरक्षा और डेल्टा हेजिंग और बीटा के पोर्टफोलियो को हेजिंग के बीच के अंतर में बचाव।
MCX पर दोबारा चालू होगा आलू का वायदा अनुबंध, सेबी से मंजूरी मिलने का है इंतजार
आलू में वायदा अनुबंध को दोबारा शुरू करने के लिए एमसीएक्स ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से मंजूरी के लिए आवेदन किया है।
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 15, 2020 12:34 IST
Photo:GOOGLE
MCX seeks Sebi approval to re-launch potato contractsNew
नई दिल्ली। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) ने कहा है कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर आलू का वायदा अनुबंध फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा है। इसके लिए एमसीएक्स ने बाजार नियामक फॉरवर्ड हेजिंग भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से मंजूरी मांगी है।
एमसीएक्स का मार्च तिमाही में शुद्ध लाभ 7% बढ़कर 65 करोड़ रुपये, आय 22% बढ़ी
MCX ने फॉरवर्ड हेजिंग सोना-चांदी डिलीवरी के लिए घरेलू गोल्ड रिफाइनरियों को शामिल करने का लिया निर्णय
वायदा कारोबार: सोना और चांदी की कीमतों में गिरावट, कमजोर मांग का असर
कृषि सुधारों पर आयोजित वेबीनार में मजबूत कृषि कारोबार के लिए उद्योग की मांगपर बोलते हुए एमसीएक्स के बिजनेस डेवलपमेंट प्रमुख ऋषी नथानी ने कहा कि दाल और चीनी जैसी संवेदनशील कमोडिटी में हेजिंग की जरूरत है। हम जल्द ही आलू का वायदा अनुबंध शुरू कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आलू में वायदा अनुबंध को दोबारा शुरू करने के लिए एमसीएक्स ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से मंजूरी के लिए आवेदन किया है। कुछ साल पहले एमसीएक्स पर आलू का वायदा अनुबंध खूब सफल रहा था, लेकिन फॉरवर्ड मार्केट कमीशन ने सितंबर, 2014 में एमसीएक्स पर आलू के वायदा अनुबंध पर प्रतिबंध लगा दिया। सेबी से पहले फॉरवर्ड मार्केट कमीशन ही कमोडिटी डेरीवेटिव को विनियमित करता था।
एमसीएक्स और इंडियन मर्चेंट्स चैम्बर द्वारा संयुक्तरूप से कृषि सुधारों पर आयोजित इस वेबीनार में आईटीसी ने विभिन्न कमोडिटी के मूल्य को हेज करने के लिए एक मजबूत हेजिंग प्लेटफॉर्म की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि लॉकडाउन जैसी स्थिति में क्रूड में 70 प्रतिशत, पॉम ऑयल में 30 प्रतिशत की गिरावट के साथ मक्का, गेहूं और आलू की कीमतों में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिला, जिससे एफएमसीजी कंपनियों को बहुत नुकसान हुआ।
पश्चिम बंगाल में ताड़केश्वर, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में आगरा शीर्ष आलू ट्रेडिंग केंद्र हैं। यहां मजबूत वेयरहाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग क्षेत्र में आलू की फसल का महत्व बहुत अधिक बढ़ रहा है। पेप्सी जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ ही साथ कई घरेलू कंपनियां इसमें अपनी रुचि दिखा रही हैं।