किस प्रकार की ब्रोकरेज कंपनियां हैं

इस शेयर के हिस्टॉरिकल डेटा के एनालिसिस से यह बात सामने आती है कि अगर इस कंपनी के शेयर में 2010 में किसी ने एक लाख रुपये लगाए होंगे, तो वह रकम अब 2.52 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई होगी.
Multibagger Stocks: 28 रुपये से 7100, केवल इस शेयर में लगा देते पैसा, तो आज होते करोड़पति!
- नई दिल्ली,
- 07 फरवरी 2022,
- (अपडेटेड 07 फरवरी 2022, 12:00 PM IST)
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सक्सेस का कोई शॉर्टकट नहीं होता. मल्टीबैगर स्टॉक (Multibagger Stocks) की कहानियां सुनकर कई लोगों को लगता है कि पैसे कमाना काफी आसान काम है और कुछ साल में आपके पैसे डबल या फिर ट्रिपल हो जाएंगे जबकि ऐसा नहीं है.
स्टॉक मार्केट के एक्सपर्ट बताते हैं कि एक सक्सेसफुल इंवेस्टर (How to become Successful Investor) बनने के लिए आपको बहुत सोच-समझकर शेयरों का चुनाव करने के बाद दांव लगाना चाहिए. इसके बाद आपको वेट करना चाहिए. अगर आप बजाज ग्रुप (Bajaj Group) की कंपनियों के शेयरों का आज का भाव देखते हैं तो आप सोचते होंगे कि आप तो ये शेयर ले ही नहीं पाएंगे लेकिन एक समय था कि ये शेयर भी कुछ रुपयों में आपको मिल जाते.
शेयर मार्केट में ब्रोकर क्या है? ब्रोकरेज चार्जेस की गणना किस प्रकार की जाती है?
शेयर मार्केट में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर की खरीद बेच होती है जिसके लिए हमारे पास डीमैट अकाउंट तथा ट्रेडिंग अकाउंट का होना आवश्यक है परंतु हमें पता होना चाहिए कि हम सीधे तौर पर शेयर मार्केट (Share Market) में शेयर की खरीद बेच नहीं कर सकते हैं इसके लिए हमें एक माध्यम की आवश्यकता होती है जिसे ब्रोकर (Broker) कहा जाता है। ब्रोकर द्वारा हमें इंटरनेट पर एक ब्रोकिंग प्लेटफार्म प्रदान किया जाता है जिसकी मदद से हम शेयर संबंधित लेन देन कर पाते हैं।
ब्रोकर(Broker) एक वित्तीय माध्यम बिचौलिया अथवा एजेंट होता है जिसके किस प्रकार की ब्रोकरेज कंपनियां हैं माध्यम से हम शेयर मार्केट में शेयर को खरीद बेच कर पाते हैं। ब्रोकर हमें विभिन्न वित्तीय साधनों जैसे Stocks Futures तथा derivative की खरीद बेच में मदद करता है।
ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?
वे शुल्क जो ब्रोकर द्वारा अपनी सुविधाओं के एवज में लिया जाता है उसे ब्रोकिंग चार्जेस कहते हैं सभी ब्रोकरो के चार्ज एक से नहीं होते हैं यह इस पर भी निर्भर करते हैं कि किस प्रकार के ट्रांजैक्शन हमारे द्वारा किए जाते हैं यह शुल्क ब्रोकर द्वारा समय समय पर घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है।
भारत में ब्रोकर द्वारा बता दो प्रकार के प्लान प्रदान किए जाते हैं
- Monthly Unlimited trading plan इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को एक निश्चित मासिक राशि शुल्क के रूप में ब्रोकर(Broker) को प्रदान की जाती है इसके तहत वे एक माह में असीमित stocks तथा securities की खरीद बेच कर सकते हैं।
- Flat per trade brokerage इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को प्रति सौदा के हिसाब से ब्रोकर को शुल्क चुकाना पड़ता है।
ट्रेडिंग हेतु ब्रोकरेज चार्ज की गणना किस प्रकार की जाती है?
ब्रोकर(Broker) शुल्क या ब्रोकरेज की गणना शेयर की खरीद बेच पर कुल कीमत के आधार पर एक निश्चित प्रतिशत के रूप में तय की जाती है यह मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है
- Intraday Trading जब किसी व्यक्ति द्वारा शेयर की खरीद तथा बेच एक ही दिन में की जाती है उस स्थिति में व्यक्ति द्वारा किए गए सौदे पर Intraday Trading शुल्क चुकाया जाता है।
जैसे किसी व्यक्ति द्वारा शेयर को खरीद कर उसी दिन ट्रेडिंग सेशन की समाप्ति के पूर्व शेयर को बेच दिया जाता है एसएसबी में ब्रोकर(Broker) शुल्क की गणना इंट्राडे ट्रेडिंग के अंतर्गत की जाती है इस स्थिति के लिए बेचे गाए और खरीदे गाए शेयर की संख्या समान होना आवश्यक है। इस प्रकार के सौदे पर ब्रोकर द्वारा लगाया गया intraday Trading शुल्क 0.01% से 0.05% के मध्य खरीद बेच किए गए शेयर की संख्या पर आधारित होता है। Intraday ब्रोकिंग शुल्क की गणना के लिए शेयर की बाजार कीमत को शेयर की संख्या तथा इंट्राडे शुल्क प्रतिशत के साथ गुणा कर की जाती है
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शुल्क के अलावा अन्य कौन-कौन से शुल्क होते हैं?
- Transaction Charges शेयर मार्केट(Share Market) में शेयर की खरीद किस प्रकार की ब्रोकरेज कंपनियां हैं बेच के दौरान स्टॉक एक्सचेंज द्वारा शुल्क लिया जाता है जिसे ट्रांजैक्शन चार्जेस कहा जाता है यह ट्रांजैक्शन चार्ज मुख्य रूप से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एनएसई तथा मुंबई स्टॉक एक्सचेंज बीएसई द्वारा लिए जाते हैं।
- Security Transaction charges यह शुल्क सौदे (trade) में उपयुक्त securities की किस प्रकार की ब्रोकरेज कंपनियां हैं कीमत के आधार पर लगाया जाता है।
- Commodity transaction charges यह शुल्क स्टॉक एक्सचेंज में commodity derivative के सौदे (trade) पर लगाया जाता है।
- Stamp duty (स्टांप शुल्क) यह शुल्क राज्य सरकार द्वारा securities इसकी trading पर लगाया जाता है।
- GST (goods and service tax)वस्तु एवम सेवा कर यह शुल्क केंद्र सरकार द्वारा ट्रांजैक्शन चार्जेस तथा ब्रोकिंग शुल्क पर लगाया जाता है। वर्तमान में यह 18% है।
- SEBI turnover charges यह शुल्क बाजार नियामक संस्था सेबी द्वारा सभी प्रकार के वित्तीय लेन देन जैसे stocks तथा सभी securities (किस प्रकार की ब्रोकरेज कंपनियां हैं किस प्रकार की ब्रोकरेज कंपनियां हैं debt को छोड़कर आदि पर लगाया जाता है।
- DP( Depository Participants)
शेयर बाजार में कैरियर की अपार संभावनाएं
शेयर बाजार में Broker sub broker या शेयर बाजार की ब्रोकर्स कंपनियों में नौकरी करके अच्छा कैरियर बनाया जा सकता है यदि आप शेयर मार्केट में अपना कैरियर बनाना चाह रहे हैं तो यह सही कदम हो सकता है भारतीय शेयर बाजार में कैरियर की अपार संभावनाएं हैं शेयर बाजार में नौकरी या स्वतंत्र एजेंट के
रूप में कार्य कर सकते हैं शेयर बाजार में नौकरी के लिए पहले आपको कुछ कोर्स करने पड़ेंगे हैं इसलिए आपकी योग्यता 12वीं कॉमर्स अर्थशास्त्र वित्त विषय के साथ आवश्यक है शेयर बाजार के ऊंचे पदों पर पहुंचने के लिए आपकी योग्यता ग्रेजुएशन होना आवश्यक है शेयर बाजार में नौकरी के लिए शेयर बाजार के नियमों की जानकारी होना आवश्यक है.
IPO को लाने का कारण क्या है?
जब एक कंपनी की शुरुआत की जाती है तो संभवतः कंपनी के विकास के लिए ज्यादा मात्रा मे पूंजी की आवश्यकता होती है |
ऐसे मे एक निजी कंपनी अपने विकास संबन्धित पैसा जुटाने लिए बाजार या बैंक से कर्ज लेने की अपेक्षा अपना आईपीओ लॉंच कर सकती है इससे कंपनी को काफी फायदा हो सकता है |
यह किसी भी कंपनी के विकास के लिए एक अच्छी योजना हो सकती है, कंपनी अपने शेयर बेचकर अच्छा पैसा जुटा सकती है और इन पैसों की मदद से कंपनी की ग्रोथ की जा सकती है।
किसी भी कंपनी को आईपीओ लॉंच करने संबन्धित जांच के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड Securities and Exchange Board of India (SEBI) आवेदन करना होता है |
SEBI एक प्रकार की सरकारी रेग्युलेटरी है जो कंपनी के आईपीओ लॉंच करने से पहले कई नियमों का पालन करवाती है जिसके बाद यहाँ से आईपीओ के लिए पर्मिशन मिलती है।
आईपीओ में किस प्रकार निवेश करें ?
जब कोई कंपनी अपना IPO लॉंच करती है तो वह उसे निवेशकों के लिए 3 से 10 दिनों तक ओपन रखती है जिसे निवेशक अपनी जरूरत के अनुसार खरीद सकते हैं |
कई कंपनियाँ तो केवल 3 दिनों के लिए आईपीओ को ओपन करती है तो कुछ इससे ज्यादा दिन के लिए।
कंपनियाँ अपने आईपीओ के प्राइस तय करती करती है जिसे आप कंपनी की वैबसाइट पर देख सकते हैं एवं आप रजिस्टर्ड ब्रोकरेज के माध्यम से कंपनी के आईपीओ को परचेस कर सकते हैं।
यदि कंपनी के आईपीओ मे बिडिंग सिस्टम है तो उसके अनुसार आपको शेयर को खरीदना होगा।
IPO अलॉटमेंट प्रोसेस
जब कंपनी के आईपीओ की ओपनिंग बंद हो जाती है तो इसके बाद कंपनी आईपीओ का अलाटमेंट करती है |
अब कंपनी सभी इन्वैस्टर के लिए IPO अलॉट करती है सभी इन्वेस्टर को आईपीओ अलॉट होने के बाद कंपनी के शेयर स्टॉक एक्स्चेंज
मार्केट मे लिस्ट हो जाते हैं।
IPO kya hota hai puri jankari
एक बार शेयर स्टॉक मार्केट मे लिस्ट हो जाएँ इसके बाद आप कंपनी के शेयर को सेकेंडरी मार्केट से खरीद सकते हैं इसके पहले आप शेयर को बेच नहीं सकते हैं।
शेयर कैसे खरीदें
शेयर कैसे खरीदें और शेयर खरीदने की प्रक्रिया क्या है
जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी के शेयर खरीदता है तो उसे शेयर होल्डर के अधिकार जैसे कि लाभांश प्राप्त करने और कंपनी किस प्रकार की ब्रोकरेज कंपनियां हैं के अंश-स्वामित्व का अधिकार मिलते हैं। शेयर खरीदने के लिए पहला कदम एक ट्रेडिंग एकाउंट और डीमैट एकाउंट खोलना होता है। पेमेंट लेने और देने के लिए ये एकाउंट खाता धारक के बैंक बचत खातों से जुड़े होते हैं। ब्रोकरेज फर्मों के माध्यम से डीमैट और ट्रेडिंग खाते एनएसडीएल और सीडीएसएलएनएसई द्वारा प्रदान किए जाते हैं। इन्हें डिपॉजिटरीज कहते हैं।
इन खातों को खोलने के लिए किसी भी ब्रोकरेज फर्म से संपर्क किया जा सकता है। विभिन्न ब्रोकरेज फर्म हैं और प्रत्येक की अपनी अलग अलग ब्रोकरेज योजनाएं हैं। इन योजनाओं कई प्रकार के शुल्क लगते हैं जो आम तौर पर 0.01 प्रतिशत से 0.05 प्रतिशत तक होते हैं। कुछ ब्रोकरेज फ्लैट दरों पर चार्ज करते हैं। ब्रोकर्स को बुद्धिमानी से और अत्यधिक देखभाल के साथ चुना जाना चाहिये। कई बैंक थ्री इन वन किस प्रकार की ब्रोकरेज कंपनियां हैं एकाउंट खोलते हैं जिसके अंतर्गत सेविंग एकाउंट, ट्रेडिंग एकाउंट और डीमैट एकाउंट एक साथ खोले जाते हैं।