खंड मार्जिन

ब्रोकिंग कंपनियों के पास ऐसा होने से रोकने के लिए हथियार होते हैं. 95 फीसदी मामलों खंड मार्जिन खंड मार्जिन में ऐसा नहीं होता है. सेबी ने यह नियम इसलिए लागू किया है कि 5 फीसदी मामलों में भी ऐसा न हो.
Mergin
Mergin की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। इसकी खुराक मरीज की समस्या और दवा देने के तरीके पर भी आधारित की जाती है। इस बारे में और अधिक जानने के लिए खुराक वाले खंड में पढ़ें।
Mergin के सबसे सामान्य दुष्प्रभाव सिरदर्द, पेट दर्द, उच्च रक्तचाप हैं। Mergin के कुछ अन्य नुकसान भी हैं जो साइड इफेक्ट के खंड में लिखे गए हैं। Mergin के दुष्प्रभाव जल्दी ही खत्म हो जाते हैं और इलाज के बाद जारी नहीं रहते। हालांकि अगर ये समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
इसके अलावा Mergin का प्रभाव प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए अज्ञात है और जो महिलाएं बच्चों को दूध पिलाती हैं, उन पर इसका प्रभाव अज्ञात है। यहां पर ये जानना जरूरी है कि Mergin का किडनी, लिवर या हार्ट पर कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं। इस तरह के दुष्प्रभाव अगर कोई हैं तो इससे जुड़ी जानकारी Mergin से जुड़ी चेतावनी सेक्शन में दी गई है।
सेबी के नए मार्जिन नियम आज से लागू, यहां जानिए अपने हर सवाल का जवाब
सेबी मार्जिन के दो तरह के नियमों को लागू करना चाहता है. पहला नियम कैश मार्केट में अपफ्रंट मार्जिन से संबंधित है.
मैं मार्जिन को पूरी तरह से नहीं समझता, क्या मुझे इसके बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
मार्जिन का मतलब उस रकम से है, जो आपके ट्रेडिंग अकाउंट में होती है. सामान्य रूप से निवेशक को अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जमा रकम से शेयर खरीदने की इजाजत होनी चाहिए. लेकिन, व्यवहार में मामला थोड़ा अलग है. कई ब्रोकिंग कंपनियां अपने क्लाइंट को शेयर खरीदने के लिए रकम उधार देती हैं. इसे लिवरेज या मार्जिन ट्रेडिंग कहते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग में यह ज्यादा देखने को मिलता है.
खंड मार्जिन
नई दिल्ली, 05 फरवरी, 2019 : खंड मार्जिन गेल (इंडिया) लिमिटेड ने गत वित्तीय वर्ष की समान तिमाही की तुलना में वित्तीय वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में कर पश्चात लाभ (पीएटी) में 33% की वृद्धि दर्ज की है । यह वृद्धि प्राकृतिक गैस (एनजी) विपणन, प्राकृतिक गैस संरचरण, तरल हाइड्रोकार्बन (एलएचसी) तथा एलपीजी संचरण खंड में बेहतर निष्पादन के कारण हुई है । गत वित्तीय वर्ष की समान तिमाही की तुलना में 31 दिसंबर, 2018 को समाप्त तिमाही में कंपनी का कर पश्चात लाभ (पीएटी) 1,262 करोड़ से बढ़कर 1,681 करोड़ रुपए हुआ । तीसरी तिमाही के लिए गेल का कर पूर्व लाभ (पीबीटी) 35% की वृद्धि के साथ 2,507 करोड़ रुपए हुआ जो गत वित्तीय वर्ष की समान तिमाही में 1,858 करोड़ रुपए था ।
वर्ष दर वर्ष आधार पर वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही के निवल लाभ में वृद्धि प्राकृतिक गैस विपणन की मात्र में 9%, एलपीजी संचरण में 11% तथा तरल हाइड्रोकार्बन बिक्री में 5% की वृद्धि के समर्थन से संभव हुई है । नौ माह के आधार पर वित्तीय वर्ष 2017-18 की समान अवधि की तुलना में गेल का कर पश्चात लाभ 36% की महत्वपूर्ण बढ़ोतरी के साथ 4,903 करोड़ रुपए हुआ है ।
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