वेव सिद्धांत का गणितीय आधार

शेयर बाजार के तकनीकी विश्लेषण को समझना
शेयर में ट्रेडिंग करते समयमंडी, हमेशा एक बड़ी रकम दांव पर लगी रहती है। इसके कारण, कई तनावपूर्ण स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं, जो दिन-ब-दिन अनावश्यक चिंता पैदा करती हैं। ऐसी स्थिति में,तकनीकी विश्लेषण एड्रेनालाईन की भीड़ को शांत करने में मदद करता है।
इसे सरल शब्दों में कहें, तो यह एक तकनीक आपको पिछले प्रदर्शन, मात्रा और कीमत का अध्ययन करके सुरक्षा मूल्य की दिशा का अनुमान लगाने में मदद कर सकती है। सब कुछ समझने योग्य शब्दों में समझाते हुए, यह पोस्ट आपको इसके अलग-अलग पहलुओं का पता लगाने में मदद करती है।
स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण क्या है?
स्टॉक और रुझानों का तकनीकी विश्लेषण कालानुक्रमिक बाजार डेटा का एक अध्ययन है, जिसमें मात्रा और मूल्य शामिल हैं। मात्रात्मक विश्लेषण और दोनों की सहायता सेव्यवहार अर्थशास्त्र, एक तकनीकी विश्लेषक भविष्य के व्यवहार की भविष्यवाणी करने के लिए पिछले प्रदर्शन का उपयोग करने का विरोध करता है।
तकनीकी विश्लेषण कितना उपयोगी है?
रणनीतियों की एक श्रृंखला के लिए एक व्यापक शब्द, वित्तीय बाजारों का तकनीकी विश्लेषण प्रमुख रूप से एक विशिष्ट स्टॉक में मूल्य कार्रवाई की व्याख्या पर निर्भर करता है। अधिकांश तकनीकी विश्लेषण यह समझने पर केंद्रित है कि क्या वर्तमान प्रवृत्ति जारी रहने वाली है।
और अगर नहीं तो कब उलट होगा। अधिकांश विश्लेषक ट्रेडिंग के लिए संभावित निकास और प्रवेश बिंदुओं का पता लगाने के लिए उपकरणों के संयोजन का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, एक चार्ट निर्माण अल्पावधि के लिए एक प्रवेश बिंदु की ओर संकेत कर सकता है, लेकिन व्यापारियों को अलग-अलग समय अवधि के लिए चलती औसत की झलक मिल सकती है ताकि यह स्वीकार किया जा सके कि ब्रेकडाउन आ रहा है या नहीं।
आप स्टॉक रुझानों के तकनीकी विश्लेषण का उपयोग कैसे कर सकते हैं?
शेयर बाजार तकनीकी विश्लेषण का मूल सिद्धांत यह है कि कीमतें उपलब्ध जानकारी को दर्शाती हैं जो बाजार पर एक बड़ा प्रभाव छोड़ सकती हैं। इससे महत्वपूर्ण, आर्थिक या नवीनतम विकासों को देखने की कोई आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि उनकी कीमत पहले से ही सुरक्षा में होगी।
आम तौर पर, तकनीकी विश्लेषकों का मानना है कि कीमतों में प्रवृत्तियों में बढ़ोतरी होती है और जहां तक बाजार के मनोविज्ञान का संबंध है, इतिहास में खुद को दोहराने की अधिक संभावना है। तकनीकी विश्लेषण के दो प्राथमिक और सामान्य प्रकार हैं:
चार्ट पैटर्न
ये तकनीकी विश्लेषण का एक व्यक्तिपरक रूप है जहां विश्लेषक विशिष्ट पैटर्न का अध्ययन करके एक वेव सिद्धांत का गणितीय आधार चार्ट पर प्रतिरोध और समर्थन के क्षेत्रों को पहचानने का प्रयास करते हैं। मनोवैज्ञानिक कारकों द्वारा प्रबलित, इन पैटर्नों को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि वे यह अनुमान लगाने में मदद करते हैं कि किसी विशेष समय और बिंदु से ब्रेकआउट या ब्रेकआउट के बाद कीमतें कहां बढ़ रही हैं।
तकनीकी संकेतक
ये तकनीकी विश्लेषण का एक सांख्यिकीय रूप है जहां विश्लेषक वॉल्यूम और कीमतों के लिए कई गणितीय सूत्र लागू करते हैं। मूविंग एवरेज को एक मानक तकनीकी संकेतक माना जाता है, जो वेव सिद्धांत का गणितीय आधार कीमतों के डेटा को सुगम बनाता है ताकि स्पॉटिंग ट्रेंड की पूरी प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके।
इसके अलावा, चलती औसत अभिसरण-विचलन (एमएसीडी) को एक जटिल संकेतक माना जाता है जो विभिन्न चलती औसत के बीच बातचीत को देखता है।
तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं
जितना अधिक वे सहायक होते हैं, तकनीकी विश्लेषण में एक विशिष्ट व्यापार ट्रिगर के आधार पर कुछ सीमाएं हो सकती हैं, जैसे:
- चार्ट पैटर्न का आसानी से गलत अर्थ निकाला जा सकता है
- गठन कम मात्रा पर स्थापित किया जा सकता है
- चलती औसत का अध्ययन करने के लिए उपयोग की जाने वाली अवधि बहुत कम या बहुत लंबी हो सकती है
तकनीकी विश्लेषण की प्रक्रिया
किसी भी अन्य डोमेन की तरह, तकनीकी विश्लेषण भी विशिष्ट सिद्धांतों के बारे में है। इस दायर में शामिल अवधारणाएं वित्तीय बाजार में बेहतर निर्णय लेने के लिए तकनीकी विश्लेषक के दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करती हैं। कुछ सामान्य अवधारणाएँ हैं:
चार्ट पैटर्न: विभिन्न पैटर्न का स्टॉक चार्ट विश्लेषण एक तकनीकी चार्ट पर सुरक्षा की गति के साथ होता है।
फैलना: यहां, कीमतें पूर्व प्रतिरोध या समर्थन के क्षेत्र में मजबूती से प्रवेश करती हैं। यदि आप केवल सूचकांकों में व्यापार करना चाहते हैं, तो आप निफ्टी तकनीकी चार्ट में ब्रेकआउट की तलाश कर सकते हैं।
सहायता: यह कीमत का एक स्तर है जो खरीदारी गतिविधि को बढ़ा सकता है
प्रतिरोध: यह कीमत का एक स्तर है जो बिक्री गतिविधि को बढ़ा वेव सिद्धांत का गणितीय आधार सकता है
गति: यह मूल्य दर में बदलाव को दर्शाता है
फाइबोनैचि अनुपात: इसका उपयोग एक सुरक्षा के प्रतिरोध और समर्थन को समझने के लिए एक गाइड के रूप में किया जाता है
इलियट वेव सिद्धांत और स्वर्ण अनुपात: इन दोनों का उपयोग आम तौर पर क्रमिक मूल्य रिट्रेसमेंट और आंदोलनों की गणना करने के लिए किया जाता है
साइकिल: वेव सिद्धांत का गणितीय आधार यह एक मूल्य की कार्रवाई में संभावित परिवर्तन के लिए समय लक्ष्य की ओर संकेत करता है
तकनीकी विश्लेषण का महत्व
तकनीकी विश्लेषण एक ऐसा संकेतक है जो निवेशकों को कीमत से संबंधित जानकारी के साथ यह जानने में मदद करता है कि किसी ट्रेड में कब प्रवेश करना या बाहर निकलना है। ऐसी जानकारी आम तौर पर आपके व्यापार के अच्छे और बुरे पहलुओं को तय करने में मदद करती है।
बहुत सारे व्यापारी और निवेशक मानते हैं कि मूल्य डेटा एक आवश्यक हैफ़ैक्टर शेयर बाजार में सफलता के लिए। यह देखते हुए कि स्टॉक की मांग और आपूर्ति काफी हद तक तकनीकी विश्लेषण पर निर्भर करती है, बाजार के खुले होने पर अधिकांश जानकारी गतिशील रूप से अपडेट हो जाती है। कुछ चार्ट दिन के अंत में भी अपडेट हो जाते हैं।
पहली बार ‘सुनी’ गई ब्लैक होल की रिंगिंग
ब्रह्मांड के अध्ययन का वेव सिद्धांत का गणितीय आधार मुख्य आधार और खगोल भौतिकी में कई खोजों की कुंजी बन चुका अल्बर्ट आइंस्टाइन का सामान्य सापेक्षता सिद्धांत अपनी खोज के सौ से ज्यादा साल पूरे होने के बावजूद सुर्खियों में रहता है। ताजा मामला यह है कि शोधकर्ताओं के मुताबिक एक घूमते हुए नवजात ब्लैक होल की रिंगिंग के अनोखे पैटर्न को ‘सुना’ गया है, जो आइंस्टाइन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत के कुछ और पहलुओं की पुष्टि करता है। सामान्य सापेक्षता सिद्धांत के मुताबिक ब्रह्मांड में किसी भी वस्तु की तरफ जो गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव दिखाई देता है, उसका वास्तविक कारण यह है कि हर वस्तु अपने द्रव्यमान और आकार के मुताबिक अपने इर्द-गिर्द के स्पेसटाइम की ज्यामिती को मोड़ देती है।
ब्लैक होल खगोल भौतिकी के सबसे बड़े रहस्यों में है, इसलिए यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है कि इससे जुड़ी नई खोजों ने अक्सर आइंस्टाइन के इस 103 साल पुराने सिद्धांत की या तो पुष्टि की या फिर इसे चुनौती दी। आइंस्टाइन ने यह प्रस्ताव दिया था कि ब्लैक होल से उत्पन्न होने वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगों का एक सटीक स्वरमान (पिच) होगा, जिससे वह एक घंटी की तरह बजेगा और इसका सीधा वास्ता ब्लैक होल के द्रव्यमान और उसके घूमने की गति से होगा। अब अमेरिका के मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं ने एक कंप्यूटर सिमुलेशन और गणितीय अध्ययन के जरिए कहा है कि ब्लैक होल अल्बर्ट आइंस्टाइन के सामान्य सापेक्षता वेव सिद्धांत का गणितीय आधार सिद्धांत के अनुरूप ही व्यवहार कर रहा है।
इस अध्ययन के निष्कर्ष इसी 12 सितंबर को प्रसिद्ध विज्ञान पत्रिका ‘फिजिकल रिव्यू लेटर्स’ में प्रकाशित किए गए। यह इस विचार वेव सिद्धांत का गणितीय आधार के पक्ष में है कि ‘ब्लैक होल केशहीन होता है’। आइंस्टाइन के सिद्धांत के अनुसार ब्लैक होल का आकार और उसका रूप केवल उसके द्रव्यमान, घूमने की गति और विद्युत आवेश पर आधारित होगा, ना कि उस पिंड की प्रकृति पर जो एक ब्लैक होल बनने के लिए गुरुत्वीय निपात के कारण सिकुड़कर ढह जाता है। यह परिणाम बाद में ‘केशहीनता प्रमेय’ (नो हेयर थ्योरम) के नाम से मशहूर हुआ। द्रव्यमान, घूमने की गति और विद्युत आवेश की यह खासियत है कि इनका अवलोकन किया जा सकता है, जबकि अन्य विशेषताओं का अवलोकन नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये सभी ब्लैक होल में ही समा जाते हैं। वैज्ञानिक जॉन व्हीलर ने इन ‘अन्य विशेषताओं’ के लिए ‘केश’ शब्द का इस्तेमाल एक रूपक के रूप में किया था।
इस हालिया खोज के अंतर्गत वैज्ञानिकों ने एक ब्लैक होल के रिंगिंग पैटर्न की पहचान की और आइंस्टाइन के समीकरणों का उपयोग करते हुए इसके द्रव्यमान और घूर्णन की गणना की। यह गणना ब्लैक होल के द्रव्यमान और घूर्णन के पहले के मापों से मेल खाती है। आइंस्टाइन के सिद्धांत की यह भविष्यवाणी है कि एक ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण तरंगों का स्वरमान और क्षय (हानि) इसके द्रव्यमान और घूर्णन की सीधी उपज होनी चाहिए। वैज्ञानिकों ने जब गुरुत्वाकर्षण तरंगों को ध्वनि तरंगों के रूप में बदला, तो उन्हें रिंगिंग सुनाई दी। इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि ब्लैक होल वास्तव में घंटी की तरह बजते हैं। असल में उनसे निकलने वाली तरंगें हूबहू घंटी के बजने पर निकलने वाली ध्वनि तरंगों जैसी ही होती हैं।
फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन के प्रमुख लेखक और खगोल भौतिकविद मैक्सिमिलियानो इस्सी का कहना है कि अमूमन ‘हम केवल सामान्य सापेक्षता के सही होने की उम्मीद करते हैं। यह पहली बार है जब हमने इसकी पुष्टि की है। आइंस्टाइन के सिद्धांत का प्रत्यक्ष परीक्षण करने वाला यह पहला प्रायोगिक माप है।’ इस प्रयोगिक माप को वैज्ञानिकों ने ‘लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी’ (लीगो) के जरिए अंजाम दिया है।
बहरहाल, नित हो रही ऐसी नवीनतम खोजों से हम इतना तो जरूर जान गए हैं कि दूरी, वेव सिद्धांत का गणितीय आधार द्रव्यमान और काल तीनों ही दृष्टियों से ब्रह्माण्ड इतना अधिक रहस्यमय है कि दैनिक जीवन के अनुभवों से इसका अनुमान लगाना असंभव है। इसलिए हमें गणित और विज्ञान के नेत्रों का सहारा लेना होता है। गणित और विज्ञान की ही सहायता से हम खगोलीय अवलोकन कर रहे हैं और भविष्य में भी करते रहेंगें।
हाइजेनबर्ग का सिद्धांत को समझाइए
अनिश्चितता सिद्धान्त की परिभाषा (definition of heisenberg uncertainty principle in hindi) यह सिद्धांत कहता है कि किसी भी इलेक्ट्रान का एक ही समय पर सटीक स्थान तथा संवेग (momentum) निर्धारित करना असंभव है। जहाँ ∆x स्थान में अनिश्चितता है, तथा ∆p संवेग में।
Explanation:
यह सिद्धांत कहता है कि किसी भी इलेक्ट्रान का एक ही समय पर सटीक स्थान तथा संवेग (momentum) निर्धारित करना असंभव है।
गणितीय रूप से यह सिद्धांत कुछ इस तरह लिखा जाएगा –
जहाँ ∆x स्थान में अनिश्चितता है, तथा ∆p संवेग में।
यानी यदि हमें इलेक्ट्रान का अत्यंत सटीक वेग पता है (∆v बहुत कम है) तो उसका स्थान अनिश्चित रहेगा (∆x बहुत विशाल होगा)। इसी तरह यदि हम स्थान वेव सिद्धांत का गणितीय आधार निश्चित रूप से जानेंगे, तो वेग अनिश्चित हो जाएगा।
अनिश्चितता का कारण (Reason for uncertainty in hindi)
अनिश्चितता मुख्य रूप से कणों के दोहरे व्यवहार (ड्यूल बेहवीयर) के कारण होता है। हर वस्तु कण (पार्टिकल) तथा तरंग दोनो की तरह व्यवहार करता है। यह तथ्य क्वांटम मैकेनिक्स की नीव भी है।
क्वांटम मैकेनिक्स एक समय पर सटीक संवेग तथा स्थान का कोई अर्थ नहीं।
तरंग व्यवहार (Wave nature in hindi)
तरंग वो उपद्रव या बाधाएँ है, जो विस्तार में समान रूप से फैली हुई हैं। जैसे जब हम तालाब में एक पत्थर फेंकते हैं तो कई लहरें बनती है, जो तरंग होती हैं।
चूंकि तरंग फैली हुई होती है, उसका कोई एक स्थान निश्चित नहीं किया जा सकता। उसके स्थान की कई संभावनाएँ हैं। परंतु उसकी दूसरी विशेषताएँ जैसे तरंग दैर्ध्य (वेवलेंथ) का पता लगाया जा सकता है।
तरंग दैर्ध्य पता है, यानी हम तरंग का संवेग भी निश्चित ही जान सकते हैं।
कण व्यवहार (Particle behaviour in hindi)
कण किसी भी समय एक तय स्थान पर मिलेंगे। यानी उनका स्थान पता लगाया जा सकता है। अब कोई वस्तु यदि बहुत तेज़ जा रही हो, तब उसका संवेग ज़्यादा होता है। और यदि कोई भारी वस्तु धीरे भी जा रही हो, तब भी उसका संवेग ज़्यादा ही होगा।
और ज़्यादा संवेग यानी कम तरंग दैर्ध्य। ये तरंग दैर्ध्य इतनी कम होती है कि इसका पता भी लगा पाना कठिन है। अब यदि तरंग दैर्ध्य ही न पता हो, तो उस कण का संवेग भी नहीं जाना जा सकता।
ऐसे में हम वस्तुओं के कण तथा तरंग व्यवहार दोनों को ही मिला कर देखना होगा, की स्थान तथा संवेग एक साथ जानने में क्या दिक्कतें आती हैं।
दोहरा व्यवहार (Dual Nature in hindi)
किसी भी तरंग में कण जैसा व्यवहार लाने हेतु हम दो या अधिक तरंगों को मिलाएँगे। क्योंकि हमने पाया है कि जब दो तरंगें मिलती हैं, तो कुछ जगह तरंग के शिखर जुड़कर और ऊँचे हो जाते हैं तथा कुछ जगह तरंग के शिखर निचले हिस्से के मिलकर समतल हो जाते हैं।
इस तरह यदि हम कई तरंगों को जोड़ते जाएँ, और तरंगों का पुलिंदा ( वेव पैकेट ) बनाएँ, तो उनकी लहरें कम होती जाएँगी तथा छोटे क्षेत्र में सिमटने लगेंगी। ऐसा होने से उस तरंग का निश्चित स्थान ज्ञात हो सकता।
परंतु वह वेव पैकेट वेव सिद्धांत का गणितीय आधार कई तरंगों से बना है, इसलिए उसका संवेग भी कई तरंगों पर निर्भर करेगा। इस कारण उस वेव पैकेट का संवेग अनिश्चित हो जाएगा।
और यदि संवेग जानने हेतु हम कम तरंगे लें, तो लहरें बड़ी हो जाएँगी और स्थान अनिश्चित हो जाएगा।
सिद्धांत की वैधता (Validity of the uncertainty principle)
यह सिद्धांत केवल सूक्ष्म कण जैसे अणुओं के लिए वैध है। जैसे ही भार बढ़ेगा, ( 1mg भी ), अनिश्चितता घट के इतनी कम हो जाएगी कि उसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता है।
स्थान तथा संवेग एक साथ न निर्धारित कर पाना यंत्रों की, तकनीक की या देखने वाले की त्रुटि नहीं है। क्वांटम मैकेनिक्स द्वारा यह तय की ऐसा कर पाना असंभव है। यह वस्तुओं के दोहरे व्यवहार का अनिवार्य परिणाम है।
इस कारण केवल हमारे नापने की क्षमताओं पर ही नहीं, परंतु वस्तु के गुणों पर भी प्राकृतिक रूप से प्रतिबंध लग जाता है।
CSIR NET MATHEMATICAL SCIENCES Syllabus और परीछा पैटर्न
दोस्तो जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आजकल सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में , SSC KARNATAKA KERALA REGIONCSIR NET MATHEMATICAL SCIENCES की यह पोस्ट के बारे में हम आपको बताऐंगे !
इस पोस्ट में हम आपको CSIR NET MATHEMATICAL SCIENCES Syllabus के बारे में जानकारी देंगे ! ,अगर आपको इसकी पीडीऍफ़ चाहिये जरुर बताये वेव सिद्धांत का गणितीय आधार तो आप हमारी बेबसाइट को रेगुलर बिजिट करते रहिये |
CSIR NET MATHEMATICAL SCIENCES Syllabus
CSIR UGC NET के बारे में विस्तार से जानकारी गणितीय विज्ञान रिक्तियों की भर्ती के लिए अधिसूचना प्रकाशित की है। वे उम्मीदवार जो निम्नलिखित रिक्ति के इच्छुक हैं और सभी पात्रता मानदंड पूरा कर चुके हैं वे अधिसूचना और ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस पृष्ठ में हम नवीनतम अद्यतन परीक्षा पैटर्न और परीक्षा तिथि के साथ इस भर्ती का पूरा सिलेबस प्रदान करते हैं।
CSIR NET सिलेबस गणितीय विज्ञान:
विश्लेषण: प्राथमिक सेट सिद्धांत, परिमित, गणनीय और बेशुमार सेट, एक पूर्ण आदेशित क्षेत्र के रूप में वास्तविक संख्या प्रणाली, आर्किमिडीयन संपत्ति, सर्वोच्च, अनंत। अनुक्रम और श्रृंखला, अभिसरण, लिमसअप, लिमिनाफ। बोलजानो वीयरस्ट्रैस प्रमेय, हेन बोरेल प्रमेय। निरंतरता, भिन्नता, माध्य मूल्य प्रमेय, अनुक्रम और श्रृंखला। कई चर, मीट्रिक रिक्त स्थान, कॉम्पैक्टनेस, कनेक्टिविटी के कार्य। सामान्य रूप से रैखिक रिक्त स्थान।
रैखिक बीजगणित: वेक्टर रिक्त स्थान, रैखिक परिवर्तनों के बीजगणित। मैट्रिज के बीजगणित, मैट्रिसेस के निर्धारक, रेखीय समीकरण। आइगेनवेल्स और आइगेनवेक्टर्स, केली-हैमिल्टन प्रमेय। रैखिक परिवर्तनों का मैट्रिक्स प्रतिनिधित्व। आधार, विहित रूपों, विकर्ण रूपों, त्रिकोणीय रूपों, जॉर्डन रूपों का परिवर्तन। रचनात्मक रूप, द्विघात रूपों का घटाना, और वर्गीकरण। जटिल विश्लेषण: जटिल संख्याओं का बीजगणित, जटिल विमान, बहुपद, विद्युत श्रृंखला, पारभासी कार्य जैसे कि घातांक, त्रिकोणमितीय और अतिशयोक्तिपूर्ण कार्य। विश्लेषणात्मक कार्य, कॉची-रीमैन समीकरण। समोच्च अभिन्न, कॉची प्रमेय, कॉची अभिन्न सूत्र, लिउविले प्रमेय, अधिकतम मापांक वेव सिद्धांत का गणितीय आधार सिद्धांत, श्वार्ज़ लेम्मा, ओपन मैपिंग प्रमेय। टेलर श्रृंखला, लॉरेंट श्रृंखला, अवशेषों की गणना। अनुरूप मानचित्रण, मोबियस परिवर्तन।
बीजगणित: क्रमपरिवर्तन, संयोजन, अंकगणित की मौलिक प्रमेय, Z में विभाजन, अनुरूपण, चीनी अवशेष प्रमेय, यूलर के ,- कार्य, आदिम जड़ें, केली की प्रमेय, सिलो प्रमेय। रिंग्स, आदर्श, प्राइम और मैक्सिमम आइडियल, क्विएंट रिंग, यूनिक फैक्टराइजेशन डोमेन, पॉलीनोमियल रिंग और इरेड्यूसबिलिटी मापदंड। फ़ील्ड्स, परिमित क्षेत्र, फ़ील्ड एक्सटेंशन, गैलोज़ थ्योरी।
टोपोलॉजी: आधार, घने सेट, उप-स्थान और उत्पाद टोपोलॉजी, पृथक्करण स्वयंसिद्धता, संयोजकता और कॉम्पैक्टनेस।
साधारण विभेदक समीकरण (ODEs): पहले-क्रम साधारण अंतर समीकरणों के लिए प्रारंभिक मूल्य की समस्याओं के समाधान की विशिष्टता और विशिष्टता, पहले-क्रम ODEs का विलक्षण समाधान, पहले-क्रम ODEs की प्रणाली।
आंशिक विभेदक समीकरण (PDE): प्रथम क्रम PDE, प्रथम क्रम PDE के लिए कोची समस्या को हल करने के लिए लग्र और चारपिट तरीके। द्वितीय-क्रम PDE का वर्गीकरण, निरंतर गुणांक वाले उच्च-क्रम PDE का सामान्य समाधान, लाप्लास, हीट और वेव समीकरणों के लिए चरों के पृथक्करण की विधि।
संख्यात्मक विश्लेषण: बीजीय समीकरणों के संख्यात्मक समाधान, पुनरावृत्ति की विधि और न्यूटन-राफसन विधि, अभिसरण की दर,
विभिन्नताओं की गणना: एक कार्यात्मक, यूलर-लाग्रैग समीकरण का भिन्नता, विलुप्त होने के लिए आवश्यक और पर्याप्त स्थिति। साधारण और आंशिक अंतर समीकरणों में सीमा मूल्य की समस्याओं के लिए भिन्न तरीके।
रैखिक इंटीग्रल समीकरण: रेखीय अभिन्न समीकरण फ्रेडहोम और वोल्त्र्रा प्रकार के पहले और दूसरे प्रकार के, अलग-अलग गुठली के साथ समाधान। विशेषता संख्या और आइजनफैक्शन, रिज़ॉल्वेंट कर्नेल।
शास्त्रीय यांत्रिकी: सामान्य निर्देशांक, लाग्रेंज के समीकरण, हैमिल्टन के विहित समीकरण, हैमिल्टन के सिद्धांत और कम से कम कार्रवाई के सिद्धांत, कठोर निकायों के दो आयामी गति, एक धुरी के बारे में कठोर शरीर की गति के लिए यूलर के गतिशील समीकरण, छोटे दोलनों का सिद्धांत। वर्णनात्मक आँकड़े, खोजपूर्ण डेटा विश्लेषण, नमूना स्थान, असतत संभावना, स्वतंत्र घटनाएँ, बेयस प्रमेय। यादृच्छिक चर और वितरण कार्य (एकतरफा और बहुभिन्नरूपी); अपेक्षा और क्षण। स्वतंत्र यादृच्छिक चर, सीमांत और सशर्त वितरण। मानक असतत और निरंतर अविभाज्य वितरण। नमूना वितरण, मानक त्रुटियां और विषम वितरण, आदेश सांख्यिकी का वितरण, और सीमा। आकलन के तरीके, अनुमानकर्ताओं के गुण, आत्मविश्वास अंतराल। परिकल्पनाओं के परीक्षण, गॉस-मार्कोव मॉडल, मापदंडों की विश्वसनीयता, सर्वश्रेष्ठ रैखिक निष्पक्ष अनुमानक, विश्वास अंतराल, रैखिक परिकल्पना के परीक्षण। विचरण और सहसंयोजक का विश्लेषण। सरल और कई रैखिक प्रतिगमन, बहुभिन्नरूपी सामान्य वितरण, द्विघात रूपों का वितरण।