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वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है?

वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है?
0 Team ShortWiki September 06, 2022

What is the meaning of Volume in the stock market| delivary volume stock

स्टॉक मार्केट में वॉल्यूम का मतलब संख्या से होता है इसका मतलब यह होता है कि कोई कितनी बड़ी संख्या में किसी स्टॉक में खरीदारी कर रहा है.

स्टॉक में जितनी भी बड़ी मात्रा में खरीदारी होगी वॉल्यूम की संख्या उतनी ही ज्यादा बड़ी दिखाई पड़ेगी.

Table of Contents

what is volume Meaning in stock market with example in hindi

स्टॉक मार्केट में एक बहुत ही खास बात ध्यान देने वाली यह होती है कि अगर स्टॉक मार्केट में तेजी चल रही है. तब क्या वॉल्यूम बढ़ जाएगा तब वॉल्यूम बिल्कुल बढ़ेगा लेकिन यहां पर अगर मंदी भी चल रही होगी तब भी वॉल्यूम बढ़ेगा.

दोनों का वॉल्यूम का तरीका अलग होगा तेजी का वॉल्यूम ऊपर की तरफ होगा और मंदी का वॉल्यूम नीचे की तरफ होगा.

इसको एक उदाहरण से समझते हैं मान लेते हैं रितिका एक फार्मा कंपनी का स्टॉक खरीदती है और कुछ दिनों बाद इस स्टॉक में गिरावट शुरू हो जाती है गिरावट काफी बड़ी होती है और यह गिरावट मंदी वाली गिरावट कहलाती है.

इस गिरावट में जो वॉल्यूम बनेगा वह मंदी वाला वॉल्यूम बनेगा यानी कि बेयरिश वॉल्यूम

ठीक उसी तरह से अगर स्टॉक ऊपर की तरफ बढ़ता है. तब उसमें जो वॉल्यूम बनता है तेजी वाला वॉल्यूम बनता है. Bullish volume

मार्केट में जितने शेयर बेचे जाते हैं उतने ही शेयर खरीदे जाते हैं जैसे इसको एक उदाहरण से समझते हैं मान लिए एक आईटी कंपनी का शेयर में 1 लाख शेयर बेचे गए और 1 लाख शेयर खरीदे गए तो उसमें जो टोटल ट्रेडिंग हुई वह कुल मिलाकर के 1 लाख शेयर की हुई ना की 2 लाख शेयर की.

what is the high volume in stock

किसी भी स्टॉक को एनालिसिस करने के लिए उसके वॉल्यूम को देखना जरूरी होता है. क्योंकि वॉल्यूम से आप स्टॉक में होने वाले बदलाव की भविष्यवाणी कर सकते हैं और यह पता लगा सकते हैं कि यह स्टॉक भविष्य में ऊपर जाएगा या फिर नीचे अगर इसका वॉल्यूम लगातार नीचे की तरफ बढ़ रहा है तब स्टॉक और नीचे गिर सकता है.

हाई वॉल्यूम स्टॉक पता करने के लिए आपको बहुत सारे लिक्विड और वोलेटाइल स्टॉक्स के बारे में जानकारी पता करनी होगी।

लिक्विड स्टॉक्स और वोलेटाइल स्टॉक्स कैसे आपको पैसा आसानी से बना सकते हैं इसके बारे में आप यहां पूरा पढ़ सकते हैं.Read here

क्योंकि लिक्विड स्टॉक्स में ट्रेडिंग काफी ज्यादा होती है और लोग उसमें काफी ज्यादा रुचि लेते हैं ट्रेड करने के लिए और उसके प्राइस का मूवमेंट भी काफी तेज होता है.

इस वजह से आप ऐसे स्टॉक्स में वॉल्यूम का पुराना डाटा निकालकर यह पता लगा सकते हैं कि कहीं इसमें कोई भारी संख्या में खरीदारी तो नहीं हो रही है. लगातार खरीदारी हो रही है तो हो सकता है यह स्टॉक का प्राइस ऊपर की तरफ बढ़ सकता है.

स्टॉक की कीमत और वॉल्यूम को आपस में कैसे पहचाने।

लेकिन एक खास बात आपको ध्यान में रखनी होगी जिससे कि आप अंदाजा लगा सकते हैं या कह सकते हैं यह स्ट्रेटेजी है.

Stock market me volume kya kaam karta hai | volume ko kaise dekhte hai

वॉल्यूम से हम किसी भी स्टॉक के ट्रेडर के एक्शन उसके सेंटीमेंट को समझ सकते हैं मतलब ट्रेडर क्या करना चाह रहा है. लेकिन ध्यान देने वाली यह बात है कि बहुत ही छोटा-छोटा अगर वॉल्यूम आपको नजर आएगा तो इससे आप काफी हद तक अंदाजा नहीं लगा सकते।

स्टॉक के वॉल्यूम का अंदाजा लगाने के लिए आपको बड़ा-बड़ा वॉल्यूम नजर आना चाहिए।

शेयर बाजार में जब ज्यादा मात्रा में वॉल्यूम होता है तो प्राइस में उतार-चढ़ाव भी काफी तेजी से होता है.

Volume strategy kya hai option trading

अगर आप वॉल्यूम को देख करके स्ट्रेटेजी बनाना चाहते हैं तो बहुत ही सिंपल एक वॉल्यूम स्ट्रेटेजी है.

आपको कम से कम किसी भी स्टॉक जिसको आप ट्रैक कर रहे हैं लगातार और वह स्टॉक आपके रडार पर होना चाहिए.

आप उस स्टॉक के चार्ट को कम से कम 3 महीने पुराना लेना होगा आपको

आपको यह देखना होगा कि कहां-कहां पर वॉल्यूम ज्यादा बढ़ रहा है

volume and stock price|how to choose stocks by high volume

volume and stock price relation

और कुछ पॉइंट्स को भी दिमाग में रखना होगा यही पॉइंट्स आपके काम के साबित होंगे।

अगर वॉल्यूम बढ़ रहा है लेकिन स्टॉक की कीमत या प्राइस नहीं बढ़ रही है.

तब स्टॉक में गिरावट आ सकती है

अगर वॉल्यूम बढ़ रहा है और साथ ही साथ स्टॉक की कीमत भी बढ़ रही है तब स्टॉक में बढ़त दिखाई पड़ सकती है.

अगर कीमत बढ़ रही है लेकिन वॉल्यूम नहीं बढ़ रहा है तब स्टॉक में गिरावटआ सकती है.

वॉल्यूम बढ़ रहा है और उसके वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है? साथ-साथ कीमत भी बढ़ रही है तब स्टॉक ऊपर की तरफ जा सकता है.

अगर वॉल्यूम नहीं बढ़ रहा है और कीमत ऊपर की तरफ बढ़ रही है तब स्टॉक में किसी भी दिन अचानक बड़ी गिरावट आ सकती है.

volume analysis in stock market

जब बाजार में FIIS वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है? foregin instutional investor बाजार में आते हैं और वह बहुत बड़े-बड़े आर्डर डालते हैं वह लाखों की संख्या में स्टॉक की qty खरीदते हैं तब उनके Volume इतने ज्यादा बड़े हो जाते हैं कि आप चार्ट में उनका डाटा बड़ी आसानी से पहचान सकते हैं कि यह खरीदारी या बिकवाली FIIS के द्वारा करी गई है.

आप इस डाटा को ध्यान में रखकर भी स्ट्रेटेजी की बना सकते हैं

इसलिए वॉल्यूम को समझना और वॉल्यूम और स्टॉक की प्राइस कीमत को समझना दोनों के बीच में संबंध को समझना काफी ज्यादा जरूरी हो जाता है चाहे आप

ट्रेडिंग करते हैं या इन्वेस्टिंग करते हैं दोनों के लिए यह काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है वॉल्यूम

हमेशा चार्ट में आप डाटा के रूप में ही देख सकते हैं लेकिन एक बात ध्यान देने वाली यह है कि आपको जो डाटा देखना है वह हाल का ही डाटा होना चाहिए बहुत ही ज्यादा पुराना डाटा किसी काम का नहीं है जैसे कि आप 5 साल या 10 साल पुराना डाटा देखते हैं तब वह आपके काम का नहीं है.

डाटा जितना भी नया होगा उससे उतने ही अच्छे और ठोस नतीजे आप निकाल सकते हैं लेकिन एक बात ध्यान देने वाली यह है कि सिर्फ वॉल्यूम देख कर के ही आप ठोस नतीजे नहीं निकाल सकते हैं वॉल्यूम के साथ-साथ हमें प्राइस और एंट्री और एग्जिट सिग्नल देखना जरूरी हो जाता है.

आप इससे यह पता लगा सकते हैं कि कहां पर हमें एंट्री लेनी है और कहां पर हमें एग्जिट करना है.

इस बात से यह पता लगता है की वॉल्यूम एक ट्रेंड है और ट्रेंड के साथ ही हमें ट्रेड करना होता है अगर आप इस तरह के वॉल्यूम को अच्छे से देख पाते हैं तब यह आपके लिए काफी अच्छा हो जाता है मार्केट में ट्रेड करना

Volume in Share Market: शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या है? ट्रेडिंग के लिए यह जरूरी इंडिकेटर क्यों है?

Volume in Share Market: शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या है? ट्रेडिंग के लिए यह जरूरी इंडिकेटर क्यों है?

Volume in Share Market: शेयर बाजार में वॉल्यूम बड़े ही काम का इंडिकेटर होता है, यह बाजार के रुझानों को समझने में मदद करता है, लेकिन ज्यादातर ट्रेडर ट्रेड प्लेस करते समय वॉल्यूम की अनदेखी कर देते है। तो आइए यहां जानते है ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या है? (What is Trading Volume in Hindi)

Volume in Share Market: शेयर मार्केट के वॉल्यूम सबसे जरूरी इंडिकेटर में से एक है। ज्यातदर ट्रेडर अन्य पैरामीटर पर ध्यान तो देते है लेकिन ट्रेड प्लेस करते समय वॉल्यूम की अनदेखी कर देते है। लेकिन यह बहुत ही जरूरी इंडिकेटर है। इसलिए इस पोस्ट में हम बात करेंगे कि शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या है? (What is Volume in Share Market?)

ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या है? | What is Trading Volume in Hindi

Volume in Share Market: वॉल्यूम एक इंडिकेटर है जिसका मतलब है कि शेयरों की कुल संख्या जो एक विशिष्ट अवधि में या ट्रेडिंग डे के दौरान खरीदी या बेची गई है। इसमें एक विशेष समय अवधि के दौरान प्रत्येक शेयर की खरीद और बिक्री भी शामिल होगी।

वॉल्यूम कई निवेशकों को शेयर बाजार में रुझानों और पैटर्न का एनालिसिस करने में मदद करता है। चाहे कोई निवेशक पूरे शेयर बाजार की बात कर रहा हो या किसी इंडिविजुअल स्टॉक के शेयरों की, मात्रा की जानकारी कहीं भी मिल सकती है।

वॉल्यूम का मतलब ट्रेडिंग डे के दौरान कार्रवाई में किए गए शेयरों की कुल संख्या भी है, चाहे उनके पास खरीद या बिक्री का आदेश हो।

इस प्रकार अगर शेयर बाजार में सक्रिय रूप से कारोबार किया जाता है, तो वॉल्यूम अधिक होता है, और अगर स्टॉक सक्रिय रूप से कारोबार नहीं करते हैं, तो वॉल्यूम कम होता है।

ट्रेडिंग वॉल्यूम कई प्रकार के वित्तीय साधनों जैसे डेरिवेटिव स्टॉक, बॉन्ड और सभी प्रकार की वस्तुओं के लिए निर्धारित किया जा सकता है।

स्टॉक मार्केट में प्रत्येक ट्रेडिंग सेशन के लिए स्टॉक एक्सचेंज द्वारा ट्रेडिंग वॉल्यूम प्रकाशित किए जा रहे हैं। वॉल्यूम को स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार किए गए सभी शेयरों और इंडिविजुअल शेयरों की कुल मात्रा के रूप में कहा जाता है।

निवेशकों के पास ट्रेडिंग सेशन के दौरान सेंसेक्स या निफ्टी 50 पर कारोबार किए जा रहे शेयरों के वॉल्यूम जानने का भी मौका हो सकता है।

ट्रेडिंग वॉल्यूम कहां खोजें? | Where to Find Trading Volume?

सभी स्टॉक मार्केट एक्सचेंज बाजार में सभी शेयरों का ट्रैक वॉल्यूम रखते हैं। इस प्रकार, यह बाजार में आसानी से उपलब्ध है जहां निवेशक शेयर बाजार में किसी विशेष शेयर के वॉल्यूम के बारे में आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकता है।

ट्रेडिंग वॉल्यूम खोजने के कई अन्य तरीके हैं और कोई भी आसानी से समाचार, वेबसाइट या थर्ड पार्टी की वेबसाइटों के माध्यम से देख सकता है जो शेयर बाजार से संबंधित जानकारी अपलोड करते हैं।

निवेशक अपने पर्सनल ब्रोकर के साथ या अपने निवेश प्लेटफॉर्म वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है? वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है? के माध्यम से जानकारी ले सकते हैं और ट्रेडिंग वॉल्यूम की जांच कर सकते हैं।

कई निवेश प्लेटफॉर्म किसी विशेष समय सीमा के लिए किसी विशेष स्टॉक की मात्रा दिखाने के लिए कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग करते हैं। इस चार्ट में, हरा रंग खरीदारी की मात्रा दिखाता है, और लाल रंग बिक्री की मात्रा दिखाती है।

कई अन्य वॉल्यूम चार्ट हैं जो समय अवधि पर निर्भर करते हैं अर्थात वे प्रति घंटा, दैनिक, मासिक, वॉल्यूम चार्ट दिखाते हैं।

हालांकि, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) दोनों के बीच ट्रेडिंग वॉल्यूम पूरी तरह से अलग होगा।

स्टॉक वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है? वॉल्यूम क्या दिखाता है? | What Does Stock Volume Shows?

स्टॉक वॉल्यूम से पता चलता है कि एक्टिविटी ने शेयर मार्केट में अपनी स्थिति ले ली है। इस प्रकार, चाहे कोई निवेशक शेयर खरीदता है या बेचता है, सभी एक्टिविटी वॉल्यूम मीट्रिक में दर्ज की जाती है।

अगर वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है? किसी विशेष स्टॉक की बड़ी मात्रा है, तो इसका मतलब है कि उस स्टॉक के आसपास कई एक्टिविटीज हो रही हैं, या इस स्टॉक का ब्याज बहुत अधिक है। एक्टिविटी का परिणाम पॉजिटिव और नेगेटिव भी हो सकता है, जिसका मतलब है कि स्टॉक के बारे में नेगेटिव बात हो सकती है, जो स्टॉक की मात्रा को उलट सकता है।

हाई वॉल्यूम निवेशकों को शेयर बाजार में एक्सचेंज किए गए टाइमशेयर की संख्या बताती है। इसलिए, शेयर बाजार में मात्रा तरल और मार्केट एक्टिविटी का टेस्ट करती है।

लिक्विडिटी का मतलब है कि सेल ऑर्डर होने पर निवेशक अपना पैसा आसानी से वापस पा सकता है। जब बाजार में हाई वॉल्यूम होता है, तो इसका मतलब है कि बाजार में अधिक विक्रेता और खरीदार हैं।

एक सिंगल ट्रेडिंग सेशन में, सेशन के ओपनिंग और क्लोजिंग के दौरान वॉल्यूम अधिक रहता है क्योंकि इंट्राडे ट्रेडर्स सेशन क्लोज होने से पहले जल्दी में अपनी पोजीशन बुक और बंद कर देते हैं।

ट्रेडिंग वॉल्यूम को शॉर्ट टर्म इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह टूल उन निवेशकों की मदद करता है जो ट्रेडिंग सेशन में फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग करते हैं।

वॉल्यूम और प्राइस कैसे रिलेट करते है और नहीं?

अगर किसी विशेष स्टॉक का ट्रेडिंग वॉल्यूम जाता है, तो स्टॉक की कीमत पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। हाई वॉल्यूम हमेशा स्टॉक के ऊपर जाने और ऊंची उड़ान भरने का प्राथमिक कारण नहीं होता है, कई अन्य कारण शेयर की कीमत को प्रभावित करते हैं।

कई बार वॉल्यूम निवेशकों को एक प्रवृत्ति के अस्तित्व की पुष्टि करने में मदद करता है, और जब इसे एक साथ देखा जाता है, तो यह एक सहायक संकेतक के रूप में कार्य करता है।

अगर वॉल्यूम में ऊपर की ओर रुझान है और अन्य बाजारों के साथ मिश्रित है, तो यह बताता है कि शेयर बाजार लाभदायक और स्वस्थ हैं।

उदाहरण के लिए-

1) अगर किसी विशेष स्टॉक की कीमत स्टॉक वॉल्यूम के साथ गिरती है, तो इसका मतलब है कि स्टॉक वॉल्यूम में गिरावट का रुझान है।

2) अगर स्टॉक वॉल्यूम बढ़ रहा है और स्टॉक मार्केट भी ऊपर है, तो इसका मतलब है कि स्टॉक वॉल्यूम में ऊपर की ओर रुझान है।

शेयर ट्रेडिंग में कीमत और वॉल्यूम के बीच क्या है संबंध?

वॉल्यूम से बाजार में ट्रेडर के एक्शन के बारे में पता चलता है. यह बाजार के सेंटिमेंट को समझने में बहुत मददगार हो सकता है.

volume

बुनियादी रूप से जब संस्थागत निवेशक बाजार में आते हैं तो वे असर डालते हैं, क्योंकि उनके ऑर्डर काफी बड़े होते हैं. इससे शेयर की कीमत चढ़ जाती है.

वॉल्यूम में बदलाव से शेयर से जुड़े सेंटिमेंट का पता चलता है. इसके चलते ही शेयर की कीमत में बदलाव आता है. ट्रेडिंग वॉल्यूम का बढ़ना अच्छे बाय ऑर्डर का संकेत देता है. दूसरी तरफ, यदि ट्रेडिंग वॉल्यूम घटता है तो उसे बिकवाली का सही समय नहीं माना जाता है. ध्यान देने वाली एक दूसरी बात यह है कि जब किसी शेयर में वॉल्यूम नीचे से ऊपर की तरफ जाता है तो यह मजबूत खरीदारी का संकेत होता है.

बुनियादी रूप से जब संस्थागत निवेशक बाजार में आते हैं तो वे असर डालते हैं, क्योंकि उनके ऑर्डर काफी बड़े होते हैं. इससे शेयर की कीमत चढ़ जाती है. इसलिए वॉल्यूम का मतलब समझना और प्राइस और वॉल्यूम के बीच का संबंध समझना ट्रेडिंग और इनवेस्टिंग (निवेश) दोनों के लिए बहुत जरूरी है. एक निश्चित समय तक वॉल्यूम पैटर्न को देखने से किसी खास शेयर या बाजार में तेजी और गिरावट के पीछे की ताकत का पता चलता है.

वॉल्यूम को कुछ समय पहले के आंकड़ों के संदर्भ में देखा जा सकता है. आज के वॉल्यूम की तुलना 10 साल पहले के आंकड़े से करने पर सही डेटा नहीं मिलेंगे. डेटा जितना हाल का होगा, नतीजे उतने ठोस मिलेंगे. यह समझना जरूरी है कि सिर्फ वॉल्यूम से हमें ठोस संकेत नहीं मिल सकता. वॉल्यूम और प्राइस के साथ हमें एंट्री और एग्जिट सिग्नल भी देखना होगा. इसमें संदेह नहीं कि वॉल्यूम का एक ट्रेंड होता है. हम यह कह सकते हैं कि दोनों एक सिक्के के दो हिस्से हैं. निवेशक को ट्रेडिंग में दोनों का ध्यान रखने की जरूरत है.

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शेयर बाजार में इस हफ्ते कैसा रहेगा माहौल, जानिए एक्‍सपर्ट की राय

18200 के स्‍तर के बहुत तेज आने की उम्मीद है।

पिछले हफ्ते निफ्टी 17196 था और कल 17546 (एसजीएक्स 17611) पर बंद हुआ था। निफ्टी का 14 दिनों का RSI क्‍लोज पिछले सप्ताह के 22 से 50 अधिक है। RSI (relative strength index) 81 बहुत दूर है जो अगले हफ्ते में और ऊपर की ओर इशारा करता है।

नई दिल्‍ली, KISHOR OSTWAL। पिछले हफ्ते निफ्टी 17196 था और कल 17546 (एसजीएक्स 17611) पर बंद हुआ था। निफ्टी का 14 दिनों का RSI क्‍लोज पिछले सप्ताह के 22 से 50 अधिक है। RSI (relative strength index) 81 बहुत दूर है, जो अगले हफ्ते में और ऊपर की ओर इशारा करता है। अगर सोमवार को निफ्टी 17650 के ऊपर बंद होता है तो 18200 के स्‍तर के बहुत तेज आने की उम्मीद है, क्योंकि 17650 पर कई रेजिस्‍टेंट मिलेंगे।

Share Market Wealth by Equity (Jagran File Photo)

मैंने दिसंबर में 18200 अंक का लक्ष्य दिया था, जिसमें कई लोगों ने मुझे यह कहते हुए चुनौती दी कि यह असंभव है। मैं वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है? इससे परेशान नहीं हूं चाहे वह 17600 पर चला जाए। मैं निवेशकों को B Group के शेयर से कमाई से खुश रहूंगा। हम समझते हैं कि चार्ट फिशिंग नेट है क्योंकि वे हमारे द्वारा बनाए गए हैं। हां, चार्ट Accumulation और breakout levels को समझने के लिए अच्छे हैं, लेकिन अकेले वे आपको हमेशा धोखा देंगे। बुनियादी बातों और सूचनाओं की पुष्टि की जानी चाहिए। सभी पंप और डंप स्टॉक चार्ट पर बहुत अच्छे लगते हैं, क्योंकि यह वॉल्यूम ब्रेक आउट आदि जैसी शर्तों को पूरा करता है।

RSI से अत्यधिक ओवरसोल्ड स्थिति स्पष्ट रूप से देखी गई जो 22 हो गई जबकि सामान्य भाषा में 31 से नीचे पर बाजार को oversold मानते हैं। 81 से ऊपर RSI के मायने बाजार ज्‍यादा खरीददार हो गया। RSI 50 पर बाजार में न तो अधिक खरीदारी होती है और न ही अधिक बिक्री। बाजार में उछाल आया और अब यह सामान्य है और अल्पावधि में दोनों तरफ बढ़ने के लिए तैयार है। मैं 17000 और 18200 रेंज देखता हूं।

इस 10% गिरावट में हुआ यह है कि व्यापारियों को बीते 1 साल के फायदे का 50% या उससे ज्‍यादा का नुकसान हुआ है। रिटेल निवेशकों ने डर के मारे कई शेयर बेचे। मार्केट ड्राइवर जैसा चाहते थे वैसा ही हुआ। वे बाजार को हथियाने के लिए Overbought स्थितियों का इस्‍तेमाल करते हैं और हमेशा ओवर रिएक्ट करते हैं और निफ्टी ओवरसोल्ड हो जाता है। लेकिन यहां भी आपको बता दूं कि Free luncheon नाम की कोई चीज नहीं होती है।

Dow 34000 के निचले स्तर पर चला गया और 35970 अंक पर वापस उछल गया और 16 दिसंबर से पहले 36300 को पार कर सकता है जो कि अगली Weekly Expiry है। तब तक निफ्टी भी संभवत: 17800 और 17900 को टेस्ट कर सकता है। लेकिन निश्चित रूप से निफ्टी के 18650 तक पहुंचने तक कई प्रतिरोध होंगे, जैसे 17800, 17880, 17900, 18000, 18200, 18300 और अंत में 18650 पर। निफ्टी पहले ही 3 प्रतिरोध 17300, 17400 और 17500 को पार कर चुका है। ये प्रतिरोध क्या हैं . ये वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है? कुछ और नहीं बल्कि अलग-अलग Chartist स्टॉप लॉस हैं। मुझे कभी भी "TEMPORARY BEARISH LONG TERM BULLISH" नहीं सिखाया गया है। अगर आप इसका पालन करते हैं तो यह खतरनाक है। मेरे पास वर्णन करने के लिए शब्द नहीं हैं। अगर निफ्टी 30000-35000 मेरा लक्ष्य है और मैं बुल मार्केट रूल के अनुसार जाता हूं तो मैं गिरावट वाले शेयर खरीदूंगा।

या तो आप Bull मार्केट में हैं या Bear मार्केट में। अगर कुछ FPI कहते हैं कि चीन निवेश के लिए अच्छा दिखता है तो उन्हें ड्रैगन की मांद में फेंक दिया जाना चाहिए। वे अभी भी भारत में निवेश क्यों करते हैं? ये 2 मुंह वाले जानवर हैं, जो जनता का ध्यान भटकाने के लिए बयान देते हैं क्योंकि वे गिरावट में भी खरीदते हैं। छोड़िए, अगर आपको लगता है कि आप एक बुल मार्केट में हैं तो केवल BUY DIP को फॉलो करने की कोशिश करें. अगर आपने इसका पालन किया होता, तो 17000 ने निवेश करने का बेहतरीन मौका दिया होता। ईजी Tisco 1060 पर.

अभी सब खत्म नहीं हुआ है। गिरावट में खरीदारी का आपको बहुत जल्द एक और मौका मिलेगा। तैयार रहिए। 17000 के करीब कुछ भी हो स्वागत है और उस अवसर का लाभ उठाएं। यह अब आखिरी बार हो सकता है उसके बाद हम 21000 के रास्ते पर होंगे। अगले 12 महीनों के लिए कोई बड़ा सुधार नहीं है। यह भी ध्यान दें कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो खराब बजट का संकेत देता हो। अगले 50 दिन प्री बजट रैली होगी। बजट इस बार एक कदम आगे हो सकता है, जिसने पिछले बजट में विकास का सही स्वर निर्धारित किया है। फिर से कुछ सुधार के लिए बाजार के लिए जोखिम एक बकवास बजट हो सकता है जो मुश्किल लग रहा है।

www.cniresearchltd.com में CHAKRY COMMENTS में कब, क्यों, कैसे उत्तर दिया जाएगा। ज्ञान और शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है। दैनिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए इसे सब्सक्राइब करने का सुझाव दें। मैं यहां बाजार की दिशा या कुछ शेयरों या कुछ क्षेत्रों के भविष्य पर चर्चा कर सकता हूं। मसलन टेक्सटाइल पर बहुत से लोग बुलिश हैं लेकिन मैं नहीं हूं। निश्चित रूप से कपास, कोयला, बिजली और लेबर की बढ़ती लागत के कारण उनकी कमाई में बड़ा नुकसान होगा। गुजारा उतना ही मुश्किल हो जाता है। मैं अभी भी फार्मा पर सकारात्मक नहीं हूं। Omicron ने कुछ उम्मीद तो पैदा की लेकिन मेरे लिए यह डेड पिच है क्योंकि हम कोविड-19 संकट से बहुत दूर हैं। हमारा टीकाकरण 130 करोड़ तक पहुंच गया और मैं आपको याद दिला दूं कि मई जून की शुरुआत में मैंने कहा था कि हम दिसंबर तक 100 करोड़ तक पहुंच जाएंगे। 54% आबादी का दोहरा टीकाकरण है। 30% को टीकाकरण की आवश्यकता नहीं होगी इसलिए हम जल्द ही 100% के मील के पत्थर तक पहुंचने के करीब हैं।

आप सीएनआई रिसर्च लिमिटेड द्वारा कवर की गई कंपनियों (अधिकांश मल्टी बैगर बन गए) वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है? पर कई शोध रिपोर्ट देख सकते हैं, जिन्हें हमारे चैनल भागीदारों के माध्यम से 3900 एफपीआई द्वारा भी पढ़ा जाता है। नहीं तो आप इसे हमारे चैनल पार्टनर डाउ जोंस, रॉयटर्स और या ब्लूमबर्ग आदि से डाउनलोड कर सकते हैं।

हमने Windsor Machines को चुना क्योंकि स्टॉक सिर्फ 10 PE पर कारोबार कर रहा था, जो बताता है कि कोई गिरावट नहीं है। अब विंडसर और Kabra पीएम की सर्वोच्च प्राथमिकता वाले जल जीवन मिशन के दो सबसे बड़े लाभार्थी हैं, क्योंकि कुल परियोजना खर्च की लगभग 15% लागत पीवीसी पर है। अब एचडीपीई पाइप, भारत के 2 प्रमुख पाइप एक्सट्रूज़न निर्माता विंडसर और Kabra हैं। पूर्वोत्तर भारत में, 90% बाजार हिस्सेदारी विंडसर मशीनों की है। इसके अलावा अहमदाबाद लैंड बैंक AHD UDAIPUR हाईवे को छू रहा है, जो इसे सबसे सस्ता स्टॉक बनाता है। 2 दशक पहले भी मैंने इस स्टॉक को 30 रुपये पर चुना था, लेकिन फर्क सिर्फ इतना था कि तब इस पर 10 रुपये का Paid up था और अब 2 रुपये का। यह ऊपर बताए गए कारणों के लिए एक स्टार कलाकार होना चाहिए। अगर यह 45 रुपये को पार कर जाता है, तो स्टॉक नो मैन्स लैंड में होगा और मल्टी बैगर साबित होगा। एक ADOR वेल्डिंग ग्रुप कंपनी ADOR FONTECH है। इसे रडार पर रखें।

Subex और HCC, इन दोनों शेयरों का नाम EOW शिकायत (प्रिंट स्टोरी) में था, जो सुना गया कि फेक है। इसके बाद Subex 50 से 58 रुपये और Hcc 11 से 18 रुपये तक उछला। फिर Subex और HCC में भी खबरें आईं। सुबेक्स ने अच्छा उछाल देखा जबकि एचसीसी ने Lavasa को बेचने की तैयारी की। साफ था कि फेक स्‍टोरी प्‍लांट की गई थी। Dips खरीदने का बेहतरीन मौका। अब सुबेक्स बड़ी पारी के लिए तैयार है क्योंकि यह ब्रेक आउट के करीब है। 59 से ऊपर स्टॉक नए orbit में होगा। ये दोनों स्टॉक बड़ी अवधि के लिए होल्ड करते हैं क्योंकि ये दोनों मल्टी बैगर बन जाएंगे।

17500 से 18650 तक का सफर आसान नहीं होगा। इसमें कई resistance आएंगे। एक मौका भी मिलेगा जिसकी मैं यहां चर्चा नहीं कर सकता। लेकिन मैं एक बार फिर दोहराता हूं कि आने वाले महीनों में बाजार सभी प्रतिरोधों को पार करेगा और 18650 से ऊपर होगा। यह सिर्फ इसलिए है क्योंकि निफ्टी को 35000 का परीक्षण करना है और इसलिए 18650 बाजार में शीर्ष पर नहीं हो सकता है।

शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? । Full details explained in hindi - pourit

0 Team ShortWiki September 06, 2022

वॉल्यूम इन शेयर मार्केट | वॉल्यूम पैटर्न | वॉल्यूम संख्या क्या है | शेयर मार्केट में वॉल्यूम का मतलब क्या होता है | वॉल्यूम के द्वारा मार्केट ऊपर नीचे कैसे होता है? शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है | वॉल्यूम का फॉर्मूला

शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है? । Full details explained in hindi

स्वागत है अपका आज के इस ब्लॉग में जिसमे हम बात करने वाले है ट्रेडिंग वॉल्यूम (Trading Volume) के बारे में। तो ट्रेडिंग वॉल्यूम शेयर मार्केट का एक मुख्य हिस्सा है। ट्रेडिंग वॉल्यूम से हमे काफी चीजे पता चलती है जैसे कि विशेष समय पर कितना ट्रेडिंग हो रहा है जैसे अन्य चीजे पता चलती है।

इसलिए अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते है तो आपके लिए ट्रेडिंग वॉल्यूम या वॉल्यूम की जानकारी होना जरूरी हो जाता है। ट्रेडिंग वॉल्यूम (Volume hindi) के वजह से कोई भी ट्रेडर पता लगा सकता है कि शेयर की कीमत ऊपर जाएगी या नीचे। और ट्रेडर अच्छा खासा मुनाफा कमाते है वॉल्यूम की जानकारी होने के कारण। इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम विस्तार से Trading Volume kya hota hai के बारे में बात करेंगे।

शेयर मार्केट में वॉल्यूम का मतलब क्या होता है (volume meaning in share market)

शेयर मार्केट में वॉल्यूम का मतलब होता है, किसी शेयर या स्टॉक में होने वाले खरीदारी और बिक्री की मात्रा।

अगर ट्रेड किए गए शेयरों की संख्या ज्यादा होगी तो वॉल्यूम भी ज्यादा होगी। यानी कि अगर शेयर ज्यादा मात्रा में खरीदा और बेचा जाएगा तो वॉल्यूम की मात्रा भी ज्यादा होगी।

वही अगर मार्केट में मंदी हो या फिर तेजी ऐसे दोनो मामले में शेयर की वॉल्यूम बढ़ती हुई दिखती है। मंदी में वॉल्यूम बढ़ने का यह कारण होता है कि उस समय ज्यादा से ज्यादा लोग स्टॉक को बेचना चाहते है। और तेजी में वॉल्यूम बढ़ने का कारण यह होता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग स्टॉक को खरीदना चाहते है।

शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है (share market me volume kya hota hai)

अगर कोई भी शेयर का ट्रेड होता है तो वॉल्यूम का निर्माण होता है। शेयर मार्केट में वॉल्यूम हमे यह बताती है कि किसी कंपनी का शेयर निश्चित समय में कितना बेचा और खरीदा गया है यानी कि जितने शेयर की संख्या का ट्रेड होता है उसे वॉल्यूम खहते है।

जैसे की मान लीजिए कोई XYZ कंपनी के 5000 शेयर को बेचना चाहता है और कुछ लोग XYZ कंपनी के 5000 शेयर को खरीदना चाहता है तो वहां पर 5000 Volume का निर्माण होता है। क्योंकि यहां पर 5000 शेयर की लेन देन हुई है।

अगर आपको लगता है कि 5000 शेयर बेचा गया और 5000 शेयर खरीदा गया तो वॉल्यूम 10,000 की बनेगी जोकि गलत है। अगर ट्रेड 1000 का हो रहा है तो वॉल्यूम भी 1000 का ही होगा।

वॉल्यूम का फॉर्मूला (Volume ka formula)

1st Trade - मान लीजिए कोई एक व्यक्ति 500 शेयर बेचना चाहता है और एक व्यक्ति वही शेयर के 500 मात्रा को खरीदा चाहता है है तो यह हमारा एक ट्रेड हुआ। और इस ट्रेड में को वॉल्यूम होगा, वो 500 का होगा क्योंकि 500 क्वांटिटी का ट्रेड हुआ है।

2nd Trade - अब कोई व्यक्ति 200 शेयर खरीदना चाहता है और वही शेयर के 200 मात्रा कोई sell करना चाहता है तो यहां पर 200 का वॉल्यूम बनेगा।

यानी कि हमारा दोनो मामले में हमारा कुल वॉल्यूम हुआ 500+200=700 का। तो हमारा ट्रेड वॉल्यूम हो जाएगा 700 का क्योंकि यहां पर "Total Number of Share" 700 का ट्रेड हुआ है। और यह प्रक्रिया चलता रहता है मार्केट खुलने से लेकर मार्केट बंद होने तक।

यहां पर हमने आपको 2 ट्रेड का उदहारण लेकर समझाने की कोसिस किया हु। मगर एक शेयर में सिर्फ 2 ट्रेड नही होता क्योंकि एक शेयर को खरीदने वाले भी बहुत है और बेचने वाले भी बहुत है।

इसलिए किसी कंपनी की वॉल्यूम किसी निश्चित समय की देखी जाती है। यानी कि किसी कंपनी में 5 मिनिट में कितना ट्रेड हुआ है फिर 30 मिनिट, 1 दिन, 1 महीने, या फिर 1 साल का ट्रेड वॉल्यूम देखा जाता है।

वॉल्यूम का क्या काम है

वॉल्यूम का काम मार्केट के लिक्विडिटी (Liquidity) को बताने का होता है। मार्केट की लिक्विडिटी ज्यादा तभी होती है जब शेयर की वॉल्यूम ज्यादा हो।

अब बात आती है कि लिक्विडिटी ज्यादा होना का क्या फायदा है। फायदा यही है कि किसी भी शेयर को आप बेचना चाहते है या फिर खरीदना चाहते है तो आपको आसानी होगी।

अगर किसी शेयर की लिक्विडिटी हाई (High) है तो इसका मतलब यह होता है कि उसकी वॉल्यूम ज्यादा होगी। और अगर वॉल्यूम ज्यादा है तो साधारण सी बात है कि उस विशेष शेयर के खरीदार और विक्रेता ज्यादा है। तो आपको उस स्टॉक में ट्रेड करने में आसानी होगी।

Charts में volume कहां पर दिखता है

यहां पर आपको Red और Green रंग की कैंडल दिखाई गई है जोकि वॉल्यूम है। Green candle स्ट्रॉन्ग buying वॉल्यूम दिखाता है Red candle selling वॉल्यूम दिखाता है।

हमारे द्वारा 1 minute Time - period candle दिखाई गई है। अलग - अलग Time - period में अलग-अलग वॉल्यूम बनते है।

निष्कर्ष

तो दोस्तों आज हमने जाना शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है। अगर आपको कुछ और इनफॉर्मेशन चाहिए तो आप कॉमेंट कर के पूछ सकते है। और अगर आपको कुछ लगता है की पोस्ट में और भी कुछ इनफॉर्मेशन डालनी चाहिए तो आप कॉमेंट कर के बता सकते है।

प्रश्न. ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होने पर इसका क्या मतलब है?

उत्तर - ट्रेडिंग का वॉल्यूम ट्रेड किए गए शेयरों की संख्या बताता है वही ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होने का मतलब यह हो सकता है कि उस विशेष स्टॉक में लोगों की रुचि न होना। जिसके वजह से स्टॉक्स में अगर डाउंट्रेड का वॉल्यूम कम है तो शेयर "Bullish" का संकेत देता है और अगर अपट्रेड का वॉल्यूम कम होता है तो यह "Bearish" का संकेत देता है।

प्रश्न. स्टॉक मार्केट में स्टॉक का वॉल्यूम कैसे बनता है?

उत्तर - स्टॉक मार्केट में स्टॉक का वॉल्यूम शेयर के ट्रेड होने से बनता है। अगर असान भासा में समझे तो जितने भी buy और sell किसी विशेष शेयर में होती है तो स्टॉक का वॉल्यूम बनता है।

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