मॉडल ट्रेडिंग

मॉडल ट्रेडिंग
ठाणे के 33 वर्षीय वकील मिलन धनाले अब पांचवें ब्रोकर से जुड़े हैं। वह कहते हैं, 'जब मैंने आठ साल पहले निवेश शुरू किया था तो ब्रोकरेज दरें काफी अधिक थीं। इसलिए, हर बार जब कोई ब्रोकर कुछ बेहतर दर की पेशकश करता, मैं उसी के साथ जुड़ जाता था।' धनाले का ट्रेडिंग अकाउंट अब दिल्ली की एसएएस ऑनलाइन के साथ है जो 9 रुपये प्रति सौदे का शुल्क (चाहे लॉट आकार कुछ भी हो) वसूलती है। धनाले जैसे निवेशक अपनी ट्रेडिंग लागत घटाने को इच्छुक हैं और वे पारंपरिक रूप से संपूर्ण सेवा मुहैया कराने वाले ब्रोकरों को छोड़कर डिस्काउंट ब्रोकरों के साथ जुड़ रहे हैं। इस बदलाव की वजह से बेंगलूरु की फर्म जीरोधा जैसे डिस्काउंट ब्रोकरों के ग्राहकों की संख्या पिछले साल दोगुनी होकर 1,19,000 (एनएसई के दिसंबर आंकड़े के अनुसार) तक पहुंच गई।
फुल-सर्विस ब्रोकर यानी ब्रोकरेज की संपूर्ण सेवा मुहैया कराने वाली फर्म आपसे जो ब्रोकरेज शुल्क वसूलती है वह आपके द्वारा किए जाने वाले कुल कारोबार के प्रतिशत में लिया जाता है। अगर आपके सौदों में लॉट आकार बहुत बड़ा है तो ब्रोकरेज शुल्क भी अधिक हो सकता है। अगर आप बार-बार ट्रेडिंग करते हैं तो भी ब्रोकरेज अधिक लग सकता है। दूसरी तरफ जीरोधा जैसे डिस्काउंट ब्रोकर 20 रुपये प्रति ट्रेडिंग का एक समान शुल्क वसूलते हैं, चाहे लॉट का आकार कुछ भी हो। चेन्नई में सॉफ्टवेयर उद्योग पेशेवर रह चुके 41 वर्षीय राजेश गणेश कहते हैं, 'आप सौदे में चाहे 10 शेयर खरीदें या 1,000 शेयर, डिस्काउंट ब्रोकर आपसे सिर्फ 20 रुपये ही वसूलेंगे। कारोबारियों को इससे बहुत ज्यादा फर्कपड़ जाता है।'
चूंकि वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) सेगमेंट में कारोबारी लेवरेज्ड सौदे करते हैं, इसलिए उनका कारोबार और ब्रोकरेज शुल्क भी फुल-सर्विस ब्रोकर के शुल्क मॉडल में काफी अधिक होती है। इस उदाहरण के जरिये समझिए। मान लीजिए कि कोई कारोबार ट्रेडिंग के लिए एक लाख रुपया लगाता है। ब्रोकर आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए 6 गुना रकम यानी 6 लाख रुपये का कारोबार करने देगा। एक औसत कारोबारी कई बार खरीदारी और कई बार बिक्री करता है जिसका मतलब है कि एक दिन में उसका कारोबार लगभग 24 लाख रुपये हो सकता है। संपूर्ण सेवा वाला ब्रोकर उसके कारोबार के 0.3 फीसदी का शुल्क वसूल सकता है। इस दर पर उसका ब्रोकरेज शुल्क एक दिन में लगभग 720 रुपये होगा। लेकिन एसएएस ऑनलाइन का 999 रुपये मॉडल ट्रेडिंग प्रति महीने का अनलिमिटेड ट्रेडिंग का ऑफर बहुत बचत करा देता है। धनाले कहते हैं, 'एफऐंडओ सेगमेंट में कम ब्रोकरेज शुल्क का बड़ा फायदा यह भी है कि आप बाजार में मामूली उतार-चढ़ाव के बाद भी सौदे का निपटान कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।'
जीरोधा के सह-संस्थापक एवं ट्रेडिंग प्रमुख निखिल कामत कहते हैं, 'कम लागत की वजह से निवेशक डिस्काउंट ब्रोकरों की ओर खिंचते हैं। तकनीकी नवीनता और आसान कारोबार की वजह से भी युवा, प्रौद्योगिकी-प्रेमी निवेशक इसे पसंद करते हैं।' ब्रोकिंग कंपनी काइट नाम से वेब-आधारित प्लेटफॉर्म की पेशकश करता है। गणेश कहते हैं, 'यह प्लेटफॉर्म सौदों का बेहद तेजी के साथ क्रियान्वयन करता है।'
सौदा पूरा होने की गति अहम होती है। वह कहते हैं, 'मान लीजिए कि मैंने बाजार भाव पर कोई सौदा किया। सौदा जल्द पूरा नहीं हुआ और बाजार मेरे तय किए भाव से आगे-पीछे चला गया तो सौदे का मूल्य बढऩे से मुझे कई हजार रुपये की चोट लग सकती है।' कई बार संपूर्ण सेवा प्रदाता ब्रोकर को छोड़ डिस्काउंट ब्रोकर के पास इसलिए भी पहुंचा जाता है क्योंकि संपूर्ण ब्रोकर के रिलेशनशिप मैनेजर निवेशकों को दिन के टिप्स के आधार पर बार-बार सौदे करने को कहते हैं और सही साबित नहीं होने पर ग्राहक का नुकसान बढ़ जाता है। लेकिन डिस्काउंट ब्रोकर किसी तरह की सलाह मुहैया नहीं कराते हैं और निवेशकों को अपने ही शोध एवं ज्ञान के आधार पर निवेश का निर्णय लेना होता है।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री को घेरा, हिमाचल बनाम गुजरात मॉडल की तुलना की
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्य सभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि हिमाचल हमारे लिए देवभूमि है और इतिहास गवाह है कि हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। लेकिन हमारे प्रिय प्रधानमंत्री को हिमाचल दानवभूमि लग रही है। उन्होंने कहा कि फर्क सिर्फ इतना है कि पूरा देश हिमाचल को देवभूमि के नाम से जानता है लेकिन हमारे प्रधानमंत्री को यह देवभूमि दानव भूमि लग रही है। अब हिमाचल में संघर्ष देवभूमि बनाम दानवभूमि हो गया है। फैसला हिमाचल की जनता को करना है कि प्रदेश को देवभूमि मानने वाले लोगों के हवाले करना है या फिर दानवभूमि की संज्ञा देने वालों के।
नोटबंदी एक घोटाला
उन्होंने कहा कि नोटबंदी एक बहुत बड़ा घोटाला है। सौभाग्य देखिये कि पिछले साल 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रात के समय टीवी पर आए और लोगों ने सोचा कि 15-15 लाख खाते में डालने की घोषणा होने वाली है। लेकिन प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की और आज 8 नवंबर की रात को ही हिमाचल प्रदेश की जनता को निर्णय लेना है और 9 नवंबर को इसका जवाब देना है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोटबंदी का एक फायदा बताकर देखें जबकि मैं नोटबंदी के हजारों नुकसान गिनवा सकता हूं। उन्होंने प्रश्र किया है कि क्या नोटबंदी से आतंकवाद समाप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी एक बहुत बड़ा घोटाला है. जिसके तहत मोदी ने अपने लोगों का काला धन, सफेद धन में बदल दिया है। आज एक मैग्जीन के सर्वे ने मोदी सरकार को दुनिया भर में भ्रष्टाचार में नंबर-1 बताया है जबकि दो साल पहले इसी मैग्जीन ने मोदी को विश्व की मोस्ट पॉपुलर मैग्जीन कहा था। उन्होंने कहा कि आज नोटबंदी के कारण दो फीसदी जीडीपी गिरा है और देश की जनता को करोड़ों का नुकसान हुआ है।
गुजरात मॉडल से अच्छा हिमाचल मॉडल
हमारी सरकार जब आएगी तो जीएसटी को समाप्त कर इसे सरल तरीके से लागू किया जाएगा। मोदी बताएं कि हिमाचल प्रदेश के लिए क्या किया है। गुजरात में बीजेपी जा रही है और कांग्रेस आ रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मॉडल ट्रेडिंग नरेंद्र मोदी गुजरात मॉडल की बात करते हैं और बड़ी बात यह है कि गुजरात मॉडल से अच्छा मॉडल हिमाचल है।
दोनों मॉडल की तुलना कर वह बताते हैं कि हिमाचल में 70 हजार को नौकरी दी गई है और गुजरात में 10 हजार को। हिमाचल में एक हजार रूपए बेरोजगारी भत्ता है और गुजरात में कोई भत्ता नहीं है। हिमाचल में चार मेडिकल कॉलेज खोले और गुजरात में एक भी नहीं। हिमाचल में 1500 सरकारी स्कूल खोले और गुजरात में एक भी नहीं खोला। हिमाचल में कोई भी स्कूल बंद नहीं हुआ और गुजरात में 13 हजार स्कूल बंद किए गए। हिमाचल में 55 सरकारी कॉलेज खोले और गुजरात में 25 सरकारी कॉलेज खोले। हिमाचल में 700 रूपए विधवा पैंशन है और गुजरात में 450 में है। उन्होंने कहा कि जो भाजपा चुनाव से पहले दाल और टमाटर की माला पहनकर प्रदर्शन करते थे, उस भाजपा से आज जनता दाल, टमाटर, गैस के दाम पूछ रही है।
आप भी करते हैं 10 रुपये से कम वाले शेयर में निवेश, जानें- पेनी स्टॉक के रिस्क और फायदे?
बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद कर दाम बढ़ाते हैं.
सरबजीत कौर
- नई दिल्ली,
- 19 अक्टूबर 2021,
- (अपडेटेड 19 अक्टूबर 2021, 9:18 PM IST)
- पेनी स्टॉक्स से निवेशक को दूर रहने की सलाह
- बेस्ट क्वालिटी शेयरों में निवेश करना चाहिए
- बाजार में गिरावट आने से पेनी स्टॉक्स सबसे ज्यादा प्रभावित
पिछले दो साल से शेयर बाजार में आ रही तेजी ने कई नए निवेशकों को निवेश के मॉडल ट्रेडिंग लिए आकर्षित किया है. ऐसे में सिर्फ लंबी अवधि के निवेशक ही नहीं, बल्कि ट्रेडिंग करने वालों को भी काफी फायदा मिल रहा है. लेकिन कई लोग जो बाजार में नए हैं उनके के पास सेविंग के ज्यादा पैसे नहीं होते हैं. ऐसे में वो लोग कम कीमत वाले शेयरों में पैसा लगाना चाहते हैं. जिनमें निवेश से उन्हें पैसे भी ज्यादा न लगाने पड़े मॉडल ट्रेडिंग और फायदा भी ज्यादा मिल जाए. लेकिन ऐसे शेयरों में मुनाफे से ज्यादा रिस्क बहुत होता है. इन्ही कम कीमत वाले शेयरों को जिनका मार्केट कैप भी कम होता है, उन्हें हम पेनी स्टॉक या भंगार शेयर कहते हैं. साधारण भाषा में जानें तो ज्यादातर जिन कंपनियों के शेयर 10 रुपये या उससे कम के होते हैं उन्हें पेनी स्टॉक्स कहा जाता है.
कितना रिस्क है:
पेनी स्टॉक्स सस्ते जरूर होते हैं लेकिन इनमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है.
एस्कॉर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड- आसिफ इकबाल का मानना है कि जैसे कि-बाजार अपने नए स्तर को छू रहा है और अबतक की सबसे ज्यादा तेजी है. ऐसे में निवेशकों को संभलकर रहने की जरूरत और बेस्ट क्वालिटी शेयरों पर निवेश करना चाहिए. अगर बाजार में यहां से गिरावट आई तो पेनी स्टॉक्स में सबसे ज्यादा नुकसान होगा. ये एक तरह से बर्निंग ट्रेन में यात्रा करने के समान है. इसलिए, इससे बेहतर हैं कि आप ट्रेन में बोर्ड करने से पहले ही संभल जाएं. पेनी स्टॉक्स में निवेश से पहले कंपनी के गुड मैनेजमेंट, बिजनेस और आउटलुक को देखना बहुत जरूरी है. साथ ही ये देखना अनिवार्य होता है कि कंपनी के पास जीरो डेट या कर्ज ना के बराबर है.'
बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद कर दाम बढ़ाते हैं. ऐसे समय में निवेशकों को बड़ी बारीकी से पेनी स्टॉक्स के रिस्क और मुनाफे को समझना होगा. बिना सही जानकारी के निवेश करने से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
आसिफ के मुताबिक-‘पेनी स्टॉक्स में 5 फीसदी से ज्यादा निवेश न करें. हमेशा किसी भी स्टॉक में पोजिशन लेने से पहले अपने स्टॉप लॉस को ध्यान में रखकर ही निवेश करें’.
पेनी स्टॉक की कीमत बहुत कम होती है. जिसकी वजह से पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले लोग शेयर में खुद ही पैसा लगाकर उसकी कीमत बढ़ा देते हैं. जिसकी वजह से बाजार में निवेश रिटर्न और कीमत देखकर और निवेश करने लगते हैं. जिसका कारण है कि पेनी स्टॉक्स के शेयरों में तेजी आने लगती है. ऐसे समय में पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले शेयर को बेचकर निकल जाते हैं और मुनाफा कमा लेते हैं. इन सब बातों से कई बार नए निवेशक को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
कितना फायदा:
पेनी स्टॉक्स की कीमत कम होने के कारण उनमें निवेश आसान होता है. कई बार बाजार में तेजी का फायदा ज्यादा होता है.
मान लिजिए उदाहरण के तौर पर X निवेशक ने किसी कंपनी के 5 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 10000 शेयर लिए. इन्वेस्टर ने कुल 50,000 रुपये का निवेश किया. अब शेयर की कीमत एक दिन में प्रति शेयर 10 रुपये तक गई. निवेशक को 5 रुपये प्रति शेयर का मुनाफा हुआ. कुल निवेश 50,000 रुपये का था जो बाजार में आई तेजी से बढ़कर 1,00,000 रुपये हो गया. यानी की एक दिन में 50,000 रुपये से अधिक का फायदा संभव है. बाजार में तेजी के रूख से सबसे ज्यादा फायदे की संभानवा होती है.
प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटी के डायरेक्टर, अविनाश गोरक्षकर के मुताबिक-‘आमतौर पर बाजार में जब तेजी का रुख आता है तो पेनी स्टॉक्स ही सबसे पहले भागते हैं और बाजार के गिरते ही लोग पेनी स्टॉक्स को भूलना शुरू कर देते हैं. ऐसा नहीं है कि सभी पेनी स्टॉक्स में निवेश करना खराब होता है. बिजनेस मॉडल कैसा है, फ्यूचर कैसा है, कितना कर्ज है ये सब पहले देख लें उसके बाद ही उस पेनी स्टॉक में निवेश करें’.
लेकिन कई बार स्थिति काफी अलग होती है. अविनाश का मानना है कि-‘पेनी स्टॉक्स जिनका बिजनेस मॉडल खराब है, जिस पर कर्ज है वो सबसे ज्यादा क्लासिक केस होते हैं जिनकी अंडरलाइंग वैल्यू बिना किसी कारण या सही तर्क के बढ़ जाती है. सबसे बेहतरीन उदाहरण है दीवान हाउसिंग, सुजलॉन, यस बैंक जैसी कंपनियां का, जहां रिटेल इन्वेस्टर्स ने अपने हिस्से को अचानक से बढ़ा दिया और इन कंपनियों के शेयर में इंस्टीट्यूशनल निवेशक आज बाहर हैं.’
अगर किसी के पास सीमित कैपिटल है और जिनके पास 100 फीसदी कैपिटल नुकसान को झेलने की शक्ति न हो तो ऐसे में उन लोगों को पेनी स्टॉक्स में निवेश नहीं करना चाहिए. इससे साफ है कि मुनाफ या रिवार्ड 5x या 20x संभव है. लेकिन, रिस्क की बात करें तो अगर पेनी स्टॉक्स सही परफॉर्म नहीं करेंगे तो निवेशक को 100 फीसदी कैपिटल नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
आगे अविनाश कहते हैं कि-‘जहां तक पेनी स्टॉक में रिस्क और मुनाफे का सवाल है इसमें कोई मार्जिन की सुरक्षा गारंटी नहीं होती. साथ ही शेयर से जुड़े सभी उतार-चढ़ाव बाजार की खबरों पर निर्भर करता है. बहुत ही कम देखा गया है कि पेनी स्टॉक्स मल्टी बैगर के रूप में सामने आया. सबसे बेहतरीन उदाहरण है Symphony कंपनी का शेयर. कुछ साल पहले Symphony का शेयर 10 रुपये के नीचे था और आज की तारीख में देखें तो कंपनी का शेयर 2000 रुपये का शेयर है. लेकिन, ध्यान रहे कि पेनी स्टॉक्स में सक्कसेस रेट केवल 1 से 2 फीसदी के बीच का ही होता है.’
पेनी स्टॉक्स में निवेश करने से पहले रखें ध्यान:
·पेनी स्टॉक्स में निवेश करना हमेशा जोखिम भरा होता है. इसमें निवेशकों को लाभ से ज्यादा नुकसान का रिस्क होता है.
·लो-लिक्विडिटी की वजह से खरीद-बिक्री में मुश्किल होता है. साथ ही, उतार-चढ़ाव काफी होता है जिसकी वजह से अचानक कीमत के गिरने के निवेशकों को नुकसान सा सामना करना पड़ता है. इसलिए निवेशकों के लिए इन सब बातों का ध्यान देना जरूरी है.
·कई बार निवेशकों कंपनी के बिना किसी भविष्य की योजना को देखे निवेश कर देते हैं. ऐसे में निवेशकों को कंपनी की ग्रोथ का सही अंदाजा नहीं होता है और उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है. इसका ध्यान देना बहुत जरूरी है.
·पेनी स्टॉक्स की ऊपर जाने की सीमा नहीं इसलिए गिरावट का भी उतना खतरा रहता है.
·केवल 2-3 शेयरों में निवेश करना बुद्धिमानी, केवल शॉर्ट-टर्म के लिए करें निवेश.
·पेनी स्टॉक से जुड़े अफवाहों पर ना जाएं. साथ ही, जल्दबाजी में निवेश करने के बचें.
·याद रखें, पेनी स्टॉक "उच्च जोखिम वाले" स्टॉक की तरह. खुदरा निवेशकों के लिए,म्यूचुअल फंड्स अधिक सुरक्षित हैं.
·कई बार पेनी स्टॉक ऑपरेट करने वाले शेयर में पैसा लगाकर कीमत बढ़ाते है. जिसके कारण रिटर्न और कीमत से होते हैं निवेशक आकर्षित. इसपर ध्यान दें.
· स्टॉक ऑपरेटर तेजी का मॉडल ट्रेडिंग फायदा उठाकर बाद में बेच देते हैं शेयर. इसलिए स्टॉक ऑपरेटर की चाल से निवेशक रहें सावधान.
·हमेशा कंपनी की ग्रोथ, योजनाओं को ध्यान में रखकर करें निवेश. साथ ही, बिजनेस मॉडल, फ्यूचर, कर्ज देखकर करें पेनी स्टॉक में निवेश
·पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहें हैं तो बच कर रहें. लंबी अवधि के निवेशक हमेशा रहें दूर.
लोगों को यही सलाह है कि वो पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहे हैं तो बच कर रहें और कोई लालच ना करें. बिना स्टॉपलॉस के ट्रेड ना करें और अपना सौदा हमेशा टारगेट के पूरा होते ही काट लें वरना भारी नुकसान बाद में झेल सकते हैं. अच्छे निवेशकों को यही सलाह है कि पेनी स्टॉक्स में निवेश से दूर रहें और फंडामेंटल मजबूत कंपनियों में निवेश करें. कंपनी की आर्थिक, बैलेंस शीट जरूर चेक करें. सबसे अहम बात है कि बिना किसी निवेश सलाहकार के कभी निवेश न करें. अगर अधूरे ज्ञान के साथ आप निवेश करेंगे तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए हमेशा समझदारी से सोच-समझकर निवेश करें.
लॉकडाउन के दौरान टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल से ऑनलाइन कारोबार बढ़ा: रेलिगेयर सीईओ
मल्टीमीडिया डेस्क। देश भर में लॉकडाउन के दौरान उन वित्तीय और निवेश सेवाओं का कारोबार बढ़ा है जो कंप्यूटर आधारित हैं और जिनमें इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन होता है। ऑनलाइन ट्रेडिंग में भी यही ट्रेंड देखने को मिला है और मोबाइल प्लेटफॉर्म्स पर कारोबार उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है।
बीते दिनों कोरोना वायरस का जब असर बढ़ा तब कुछ कंपनियों ने त्वरित निर्णय लेते हुए अपनी तैयारी कर ली और लॉकडाउन की घोषणा होने से पहले अपने सभी कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम के साथ ही ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए सही मॉडल तैयार किया। चेक की जगह नेट बैंकिंग और अन्य ऑनलाइन सेवाओं का उचित इंतजाम किया गया।
स्क्रीन पर कारोबार करने वालों ने इस दौरान न केवल कंप्यूटर पर खासा कारोबार किया है बल्कि फाइनेंशियल सर्विसेज का कारोबार मोबाइल फोन पर भी काफी हद तक बढ़ा है। इस दौरान शेयर, करेंसी, कमोडिटी आदि में ऑनलाइन लेनदेन करने वाले निवेशकों और कारोबारियों ने मोबाइल ऐप्स का जमकर इस्तेमाल किया है। फाइनेंशियल सर्विसेज देने वाली कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देने के साथ-साथ उन्हें अपने काम को नियमित रूप से जारी रखने के लिए भी प्रेरित किया है। कर्मचारियों के वर्क फ्रॉम होम की वजह से ना केवल उनका रोजगार अच्छी तरह चला है बल्कि इस दौरान वित्तीय सेवाएं देने वाली कंपनियों ने अपने कारोबार में खासा इजाफा भी किया है। रेलीगेयर ब्रोकिंग के सीईओ नितिन अग्रवाल का कहना है कि उनकी कंपनी के ऑनलाइन ट्रेडिंग वॉल्यूम में 50 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है। अग्रवाल का कहना है कि उनकी ऐप रेलीगेयर डायनामी पर न केवल कारोबार की मात्रा बढ़ी है बल्कि खुद ही सारे काम ऐप पर करने वाले मॉडल की वजह से निवेशकों और कारोबारियों के कारोबार करने के तौर-तरीकों में भी बदलाव देखा गया है। कंपनी ने क्लाइंट सर्विसिंग और ऑपरेशंस के लिए 100 फ़ीसदी वर्क फ्रॉम होम मॉडल अपनाया है। कंपनी ने अपने ग्राहकों को यह सभी सेवाएं देने के दौरान टेक्नोलॉजी का बड़ी अच्छी तरह इस्तेमाल किया है। अग्रवाल का कहना है लॉकडाउन के दौरान कंपनी की ऑनलाइन सेवाओं की वजह से डाइनामी ऐप का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों और ट्रांजेक्शन की संख्या में भी भारी इजाफा हुआ है। रेलिगेयर एंटरप्राइजेस ने अपने अन्य डिवीजनों में भी कारोबार को जारी रखने का यही तरीका अपनाया है।
आज कल ट्रेडिंग में चल रहा है ये कोर्स, 12वीं पास जानिए इसमें कैसे बना सकते हैं करियर
इन दिनों हमारे सामने कई तरह के करियर ऑप्शन की भरमार है (Career Options)। ऐसे में अपने लिए बेस्ट ऑप्शन चुन पाना आसान नहीं होता है। ग्राफिक डिजाइनिंग (Career In Graphic Designing) के क्षेत्र में करियर की काफी बेहतरीन संभावनाएं हैं।
अगर आप चाहें तो ग्राफिक डिजाइन कोर्स (Graphic Design Course) करके भारत में अच्छे लेवल पर जॉब हासिल कर सकते हैं (Graphic Design Jobs In India)।
ग्राफिक डिजाइनिंग एक सदाबहार करियर ऑप्शन है (Career In Graphic Designing)। ग्राफिक डिजाइन डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करके आप इसमें करियर की सबसे बेहतरीन संभावनाएं तलाश सकते हैं (Graphic Design Course)। आप चाहें तो 12वीं के बाद भी ग्राफिक डिजाइन कोर्स कर सकते हैं।
ग्राफिक डिजाइनर इमेज, टेक्स्ट मैसेज और शब्दों के माध्यम से विभिन्न कॉन्सेप्ट और आइडिया को विजुअल्स से पेश करते हैं। ग्राफिक डिजाइनर मैगजीन या न्यूजपेपर के लिए आकर्षक पेज लेआउट भी तैयार करते हैं (Graphic Design Skills)।
भारत में ग्राफिक डिजाइन कोर्स
भारत में ग्राफिक डिजाइनिंग एक बेहतरीन करियर ऑप्शन के तौर पर उभर रहा है (Career In Graphic Designing)। प्रिंट मीडिया के साथ ही डिजिटल मीडिया के लिए भी ग्राफिक डिजाइनर की जरूरत पड़ती है (Graphic Designer Job Description)। देश में ऐसे कई संस्थान हैं, जहां से ग्राफिक डिजाइन कोर्स (Graphic Design Course) किया जा सकता है।
ग्रेजुएशन लेवल
बैचलर ऑफ डिजाइन
बैचलर ऑफ ग्राफिक डिजाइनिंग
बैचलर ऑफ आर्ट्स – ग्राफिक डिजाइनिंग
बीएससी – मल्टीमीडिया
पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल
मास्टर ऑफ आर्ट्स – ग्राफिक डिजाइनिंग
मास्टर ऑफ डिजाइन – ग्राफिक डिजाइनिंग
पीएचडी लेवल
डॉक्टर डिग्री – ग्राफिक डिजाइनिंग
ग्राफिक डिजाइनिंग में सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स भी किए जा सकते हैं। अगर आप ऑनलाइन कोर्स करना चाहते हैं तो आपके पास उसका ऑप्शन भी है।