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म्युचुअल फंड

म्युचुअल फंड
कुछ म्यूचुअल फंड को मैनेज करने की लागत बहुत अधिक होती है. म्यूचुअल फंड आपके पोर्टफोलियो में शामिल फंड को मैनेज करने के लिए शुल्क लेती हैं. इसी से फंड मैनेजर की सैलरी और दूसरे खर्च वहन किए जाते हैं. जब आप किसी म्यूच्यूअल फंड से तय समय सीमा से पहले बाहर निकलते हैं तो आपको एग्जिट लोड के रूप में कुछ लागत देनी पड़ती है.

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले जानें क्या हैं फोकस्ड म्यूचुअल फंड, समझें फायदे और नुकसान

फोकस्ड फंड में ज्यादा से ज्यादा 30 शेयरों में इंवेस्ट कर सकते हैं. स्कीम में बताना पड़ता है कि ये किस सेगमेंट में इंवेस्टमेंट के लिए फोकस करेगी.

म्युचुअल फंड में इंवेस्टमेंट एक अच्छा ऑप्शन होता है. क्योकि इसमें आपको कई तरह की वैरायटी और स्टेबिल्टी म्युचुअल फंड मिल जाती है. सभी म्युचुअल फंड एक जैसे नहीं होते हैं, इसलिए आपको सभी तरह के म्युचुअल फंड की नॅालेज होनी जरुरी है. फोकस्ड म्युचुअल फंड एक इक्विटी म्युचुअल फंड होता है. जो सीमित या कम संख्या में शेयरों में इंवेस्ट करता है. सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज ऑफ इंडिया (SEBI) के नियमों के अनुसार इस स्कीम में अधिकतम 30 शेयरों में ही इंवेस्ट करने की परमीशन होती है. इसलिए फोकस्ड फंड का मतलब है कि आप सिर्फ 30 शेयरों में ही इंवेस्ट कर सकते हैं. आमतौर से अन्य म्यूचुअल फंड में 100 शेयरों तक इंवेस्ट कर सकते हैं. एक फोकस्ड फंड लार्ज-कैप, मिड-कैप या स्मॉल-कैप फंड पर फोकस्ड रहता है. फोकस्ड फंड बड़ी संख्या में शेयरों में एसेट नहीं फैलाते हैं. ये केवल कुछ सेक्टर पर ही फोकस्ड रहते हैं. फोकस्ड म्युचुअल फंड का इस्तेमाल करके आप हाई पर्फोमेंस करने वाले एसेट में इंवेस्ट कर सकते हैं. जिससे ज्यादा रिटर्न मिल सकता है.

क्या हैं इसके फायदे

फोकस्ड म्युचुअल फंड से केवल 30 शेयरों में इंवेस्ट करते हैं. जिस वजह से ये एक सिस्टमेटिक प्रोसेस को फॅालो करते हैं. फंड मैनेजर सही से स्टडी कर फिल्टरिंग के बाद ही शेयरों को सिलेक्ट करता है. इसके साथ ही इस तरह के म्यूचुअल फंड का सबसे अच्छा फायदा डायर्वसिफिकेशन है. ये रिस्क को कम करने के साथ ही रिटर्न को बढ़ाने में भी मदद करता है. फोकस्ड फंड में अच्छी तरह से स्टडी कर सिलेक्ट किए शेयर में इंवेस्ट किया जाता हैं. जो कुछ शेयरों तक ही सीमित होते हैं. इसलिए आपको हाई रिटर्न भी मिल सकता है.

फोकस्ड म्युचुअल फंड अस्थिर होते हैं. इनका सबसे बड़ा नुकसान ये है कि आपको केवल कुछ सिलेक्टेड शेयरों में इंवेस्ट करना होता है. जिस कारण टार्गेट सफल हो सकता है या फिर फेल भी हो सकता है. इसलिए इसमें हाई रिटर्न के साथ-साथ ज्यादा रिस्क की भी संभावना है. डायर्वसिफिकेशन की कमीं भी रिस्क का एक कारण बन जाती है.

म्युचुअल फंड निवेशकों को 7 दिनों के भीतर मिलेगा डिविडेंड, देरी पर 15% की दर से ब्याज का भुगतान

 (फोटो- न्यूज18)

  • News18 हिंदी
  • Last Updated : November 26, 2022, 14:17 IST

हाइलाइट्स

भुगतान में देरी पर निवेशकों को डिविडेंड की राशि पर सालाना 15% की दर से ब्याज मिलेगा.
यह भुगतान संपत्ति प्रबंधन कंपनियां करेंगी और इसका विवरण सेबी को देना होगा.
सेबी ने 15 नवंबर को इन सब पहलुओं पर म्यूचुअल फंड नियमों में बदलावों को अधिसूचित किया था.

नई दिल्ली.भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 25 नवंबर यानी शुक्रवार को एक परिपत्र जारी कर म्यूचुअल फंड हाउसों को रिकॉर्ड तिथि से सात दिनों के भीतर लाभांश (डिविडेंड) का भुगतान करने के लिए कहा. सेबी ने आगे निर्देश देते हुए कहा कि लाभांश के भुगतान के उद्देश्य से रिकॉर्ड तिथि सार्वजनिक सूचना की तारीख से दो कार्य दिवस होनी चाहिए.

भारतीय प्रतिभूति म्युचुअल फंड एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि नये नियम के तहत अब लाभांश भुगतान के लिये समयसीमा घटाकर मौजूदा 15 कामकाजी दिवस से सात दिन कर दी गयी है. आगे नियामक बोर्ड ने बताया कि म्यूचुअल म्युचुअल फंड फंड हाउसों को निवेशकों को लाभांश का भुगतान रिकॉर्ड तिथि से सात कामकाजी दिनों के भीतर करना होगा.

New Fund Offer: महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया स्मॉल कैप फंड, 5 दिसंबर तक कर सकते हैं निवेश

New Fund Offer: महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया स्मॉल कैप फंड, 5 दिसंबर तक कर सकते हैं निवेश

महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड (Mahindra Manulife Mutual Fund) ने निवेशकों के लिए अपने 'न्यू फंड ऑफर' (NFO) का एलान किया है.

Mahindra Manulife Small Cap Fund: महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड (Mahindra Manulife Mutual Fund) ने निवेशकों के लिए अपने ‘न्यू फंड ऑफर’ (NFO) का एलान किया है. इस स्कीम को महिंद्रा मनुलाइफ स्मॉल कैप फंड नाम दिया गया है और यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है. इस स्कीम के तहत मुख्य रूप से स्मॉल कैप शेयरों में निवेश किया जा जाएगा. यह स्कीम उन निवेशकों के लिए सही है जो लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न हासिल करना चाहते हैं और मुख्य रूप से स्मॉल कैप कंपनियों म्युचुअल फंड म्युचुअल फंड की इक्विटी और इक्विटी से संबंधित सिक्योरिटीज में निवेश करना चाहते हैं. बता दें कि महिंद्रा मनुलाइफ MF, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेस लिमिटेड (महिंद्रा फाइनेंस) और मनुलाइफ इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट (सिंगापुर) की ज्वाइंट वेंचर कंपनी है.

फंड से जुड़ी जरूरी बातें

  • यह एक ओपन एंडेड इक्विटी स्कीम है जो मुख्य रूप से स्मॉल कैप शेयरों में निवेश करती है
  • एसेट एलोकेशन का न्यूनतम 65% स्मॉल कैप कंपनियों के इक्विटी और इक्विटी संबंधित साधनों के लिए होगा.
  • स्कीम को एसएंडपी बीएसई 250 स्मॉल कैप टीआरआई के साथ बेंचमार्क किया जाएगा.
  • यह स्कीम 21 नवंबर 2022 को निवेश के लिए खुल गई है और 5 दिसंबर 2022 को बंद हो जाएगी. 14 दिसंबर, 2022 से लगातार बिक्री और पुनर्खरीद के लिए फिर से खुलेगी.

महिंद्रा मनुलाइफ म्यूचुअल फंड के एमडी और सीईओ एंथनी हेरेडिया ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले दशक में दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी. यह समय के साथ बहुत बड़ी म्युचुअल फंड म्युचुअल फंड बनने की संभावना का उपयोग करने वाली कई छोटी कंपनियों के साथ, क्षेत्रों म्युचुअल फंड और व्यवसायों में अभूतपूर्व अवसर प्रदान कर सकता है. स्मॉल कैप फंड लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अच्छा होगा जो इस बदलाव का लाभ उठाना चाहते हैं और उन्हें निवेशक पोर्टफोलियो का मुख्य हिस्सा बनना चाहिए. हमारे विविध फंड रेंज में इन कंपनियों को देखने के हमारे पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, हमें लगता है कि इस उत्पाद को बाजार में लाने का यह सही समय है, और हमारे निवेशकों को उनकी लंबी अवधि के धन सृजन आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करता है.

बुढापे में भी म्यूचुअल फंड सही है. जानिए वरिष्ठ नागरिक कैसे करें निवेश?

News18 हिंदी लोगो

News18 हिंदी 19-11-2022 News18 Hindi

© News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "बुढापे में भी म्यूचुअल फंड सही है. जानिए वरिष्ठ नागरिक कैसे करें निवेश?"

नई दिल्ली. भारत में वरिष्ठ नागरिकों को तमाम बचत योजनाओं पर ज्यादा ब्याज और अन्य सुविधाएं मिलती हैं. वरिष्ठ नागरिकों के पास निवेश के कई विकल्प उपलब्ध हैं. माना जाता है कि बुजुर्ग म्युचुअल फंड और रिटायर हो चुके लोग हमेशा बुद्धिमानी से निवेश करते हैं और उनका म्युचुअल फंड रुझान पारंपरिक सेविंग स्कीम की ओर रहता है. वे अक्सर बाजार जोखिम के अधीन योजनाओं में निवेश करने से बचते हैं. म्युचुअल फंड को लेकर भी एक आम गलतफहमी यह है कि वे वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहुत जोखिम भरे होते हैं.

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के नुकसान क्या हैं?

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निवेश करने से पहले आपको जुड़े जोखिम की सही जानकारी होनी चाहिए. गुरुग्राम के सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर सीएफपी विक्रम मल्होत्रा ने कहा, "म्यूचुअल फंड बाज़ार से जुड़े निवेश हैं और इस तरह वे कभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो सकते हैं. एमएफ निवेश में जोखिम कम करने के लिए इन पर कई तरह के नियम लागू होते हैं. म्यूचुअल फंड में से पैसे कई क्षेत्रों में निवेश किये जाते हैं. इस तरह स्टॉक या बॉन्ड में सीधे निवेश के मुकाबले इनमें कम जोखिम होता है."

म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने की वजह से आपके निवेश में डायवर्सिफिकेशन आता है, इस डायवर्सिफिकेशन की वजह से एक तरफ जहां जोखिम कम होता है, वहीं दूसरी और आपका मुनाफा भी घट जाता है. जिन लोगों को कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाना है उसके लिए कई म्यूचुअल फंड में निवेश करना सही विकल्प साबित हो सकता है.

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