बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें

`भारत दुनिया का विनिर्माण केंद्र बनने को तैयार`
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि भारत दुनिया का विनिर्माण केंद्र बनने के लिए तैयार है। उन्होंने अमेरिका के उद्योगपतियों से यह भी कहा कि वे भारत को दीर्घकालिक व्यवसाय एवं निवेश के अवसर के रूप में देखें।
न्यूयार्क : केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि भारत दुनिया का विनिर्माण केंद्र बनने के लिए तैयार है। उन्होंने अमेरिका के उद्योगपतियों से यह भी कहा कि वे भारत को दीर्घकालिक व्यवसाय एवं निवेश के अवसर के रूप में देखें।
शर्मा ने ये बातें भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) की ओर से बुधवार को आयोजित परिचर्चा में कहीं। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा विनिर्मण क्षेत्र को मजबूती देने और देश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए उचित वातावरण तैयार करने के उद्देश्य से शुरू की गई नीतियों का भी जिक्र किया।
सीआईआई की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि देश में व्यवसाय व निवेश को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए शर्मा ने कहा कि देशभर में राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण क्षेत्र (एनआईएमजेड) स्थापित किए जा रहे हैं और निवेश के लिए एक ही जगह से मंजूरी मिलने की व्यवस्था की गई है।
शर्मा ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों से संबंधित परियोजनाओं को जल्द पूरा करने, निवेश प्रस्ताव के लिए कागजी कार्यो को कम करते हुए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल, भूमि से जुड़े मुद्दों के हल तथा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय समिति की स्थापना की कोशिशों का भी जिक्र किया। उन्होंने माना कि हालांकि वर्ष 2012 भारत के लिए आर्थिक रूप से मुश्किलभरा रहा है, लेकिन यह भी कहा कि बेहतर घरेलू मांग, उच्च स्तरीय राष्ट्रीय निवेश दर (35 प्रतिशत) तथा उच्च स्तरीय बचत दर (31 प्रतिशत) जैसे कारक देश की अर्थव्यवस्था को निरंतर विकास की ओर ले जाएंगे। (एजेंसी)
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रिटायर होने के बाद आपको कितने पैसों की ज़रूरत होगी
घर के राशन खरीदने, किराया चुकाने या कर्ज लौटाने को इससे ज़्यादा अहमियत मिलती है.
इस बात की पूरी संभावना है कि रिटायरमेंट के लिए जितना आप सोचते हैं उससे कहीं अधिक पैसों की जरूरत होती है.
इसके कई कारण हैं जो बताते हैं कि बुढ़ापे के दिनों की हमारी अपेक्षाएं एक निश्चित आमदनी पर टिकी ज़िंदगी की हक़ीक़त से मेल नहीं खाती.
अमरीका में आधे से अधिक बेबी बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें बूमर्स (1946 से 1964 के बीच जन्मे लोग) के रिटायरमेंट फंड में एक लाख डॉलर से ज़्यादा रकम है.
लेकिन अनुमान है कि रिटायरमेंट के बाद एक औसत दंपति के लिए स्वास्थ्य सेवा पर दो लाख 80 हजार डॉलर का खर्च है.
हक़ीक़त से बड़ी अपेक्षाएं
मेरिल लिंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमरीका के हर पांच में से एक व्यक्ति को ये नहीं मालूम कि रिटायरमेंट के बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें लिए उन्हें कितने पैसों की जरूरत होगी.
उनकी बचत जरूरत से लगभग 20 फीसदी कम है. एक दूसरी रिपोर्ट इस भ्रम को उजागर करती है.
लगभग दो तिहाई अमरीकी बेबी बूमर्स को भरोसा है कि वे आरामदायक जीवनशैली के साथ रिटायर हो सकते हैं.
जबकि सिर्फ़ एक तिहाई से कुछ ही ज़्यादा लोग मानते हैं कि उन्होंने पर्याप्त पैसे बचाए हैं. करीब आधे लोगों का मानना है कि उनका जीवनस्तर अभी जैसा बना रहेगा.
ये संख्याएं अलग कहानी कहती हैं. हालांकि इसके लिए कुछ भ्रांतियों को दोष दिया जा सकता है.
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रिटायरमेंट के लिए हम पर्याप्त बचत क्यों नहीं करते, इसका संबंध बुढ़ापे में कमाई को लेकर बनाई गई गलत धारणाओं से हो सकता है.
अमरीका में महिलाएं 39 साल की उम्र में अपने जीवन की सर्वोच्च कमाई क्षमता पर होती हैं, जबकि पुरुषों की आय उनके 40 के दशक के अंत तक बढ़ती रहती है.
बाद के वर्षों में भी उनका वेतन थोड़ा बढ़ता रहता है, लेकिन मुद्रास्फीति और जीवन-शैली से जुड़े खर्च इस बढ़ोतरी के फ़ायदे को ख़त्म कर देते हैं.
मान्य नियमों के मुताबिक रिटायरमेंट के लिए अपनी सालाना आय का 15 फीसदी बचाना चाहिए.
लेकिन आधे अमरीकी इससे बहुत कम बचाते हैं. कुछ लोग तो बिल्कुल भी बचत नहीं करते.
देर से बचत शुरू करना, चाहे रकम बड़ी ही क्यों न हो, पहले की बचत और उसपर मिलने वाले चक्रवृद्धि ब्याज की बराबरी नहीं कर सकता.
बूढ़े हो रहे समाज में.
अमरीकी वित्तीय सेवा कंपनी नॉर्थवेस्टर्न म्युचुअल के सर्वे के मुताबिक हर तीन में से एक बेबी बूमर्स के पास 25 हजार डॉलर या उससे कम की बचत है.
अन्य देश ज़्यादा बचत करते हैं- फिर भी अप्रत्याशित समस्याओं से घिर सकते हैं. उदाहरण के लिए, जर्मनी के लोग कर्तव्य समझकर बचत करते हैं.
वे उन सरकारी योजनाओं के लिए पैसे देते हैं जिनमें वर्तमान में काम करने वाले लोग रिटायर हो चुके लोगों की मदद करते हैं.
लेकिन बूढ़े हो रहे समाज की जनसांख्यिकी इस योजना पर असर डाल रही है.
रिटायर होने की उम्र लगातार बढ़ रही है और जर्मनी के अधिकतर लोगों को आरामदायक रिटायरमेंट के लिए अपनी सालाना बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें आमदनी के चार गुना बचत की जरूरत है.
बाज़ार का फ़ायदा
ज़्यादातर लोग अपनी बचत को नगदी में रखते हैं और निवेश नहीं करते. इससे उनको शेयर बाज़ार का फ़ायदा नहीं मिल पाता.
कुछ लोगों को लगता है कि उनके पास बाज़ार में प्रवेश के लिए पर्याप्त पैसा है या वह मानते हैं कि नगद पैसे रखना निवेश करने से ज़्यादा सुरक्षित है.
ब्रिटेन की वित्तीय सलाहकार कंपनी "प्लान मनी" के डायरेक्टर पीटर चैडबोर्न का कहना है कि वित्तीय शिक्षा नहीं होने के कारण कई लोग गलतियां करते हैं.
"उदाहरण के लिए उनके कई ग्राहकों को यह नहीं मालूम कि रिटायरमेंट में अभी के बराबर आमदनी पाने के लिए उनको ज़्यादा पैसों की जरूरत है."
"जब लोगों को यह बताया जाता है तो वे कहते हैं कि काश किसी ने 10, 20 साल पहले यह समझाने में मदद की होती तो मैं सचेत हो जाता और कुछ अलग फ़ैसले लेता."
बिना जोखिम अपने धन को करना है दोगुना, तो इन सुरक्षित निवेश विकल्पों पर करें गौर
यदि आप बिना जोखिम के अपने धन की उचित वृद्धि चाहते हैं तो इसके लिए सदैव दीर्घकालीन निवेश योजनाएं अच्छी होती हैं।
Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: July 11, 2016 8:19 IST
Safe Investment: बिना जोखिम अपने धन को करना है दोगुना, तो इन सुरक्षित निवेश विकल्पों पर करें गौर
नई दिल्ली। अर्थशास्त्र का बुनियादी सूत्र है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सकल आय का एक निश्चित भाग सदैव बचाना और निवेश करना चाहिए। आपकी विभिन्न वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वित्तीय बाजार में कई तरह के उत्पाद मौजूद हैं। यदि आप बिना जोखिम के अपने धन की उचित वृद्धि चाहते हैं तो इसके लिए सदैव दीर्घकालीन निवेश योजनाएं अच्छी होती हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी भी दीर्घकालीन निवेश योजना के लिए निवेश का समय कम से कम 6 वर्ष या इससे अधिक होना चाहिए।
धन की उचित वृद्धि के लिए वित्तीय बाजार में उपलब्ध सुरक्षित निवेश विकल्पों में से कुछ के बारे में इंडिया टीवी पैसा की टीम आज यहां बता रही है। इनमें से आवश्यकता के अनुसार किसी भी विकल्प का चयन किया जा सकता है।
1- फिक्स्ड डिपॉजिट: यह सबसे सरल और प्रचलित निवेश विकल्प है। यद्यपि फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए अलग-अलग बैंकों के अलग-अलग नियम हो सकते हैं, उनके ब्याज दरों में भी अंतर संभव है, किन्तु फिर भी निवेशकों द्वारा बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट सबसे अच्छे विकल्प के रूप में स्वीकार किए जाते हैं। क्योंकि यह बचत का सबसे अच्छा विकल्प है, जो अपनी अवधि की पूर्णता पर धन की लाभ सहित वापसी को सुनिश्चित करता है।
2- राष्ट्रीय बचत पत्र: आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के अंतर्गत आयकर से मुक्त बचत प्रमाण भारत सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं। इसे भारतीय डाक सेवा के किसी भी स्थानीय केंद्र (पोस्ट ऑफिस) से प्राप्त किया जा सकता है। यह 5 अथवा 10 वर्ष की अवधि के लिए होते बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें हैं और आवश्यकता पड़ने पर इन्हें किसी भी बैंक के पास गिरवी रख कर कर्जा भी लिया जा सकता है।
3- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ): छोटी-छोटी जमाओं द्वारा एक निश्चित लाभ प्राप्त करने के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड का विकल्प बहुत अच्छा है। यह सन 1968 में वित्त मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक बेहतरीन योजना है, जो जमाकर्ता को बचत के साथ-साथ टैक्स बचत का विकल्प भी देती है। इस योजना की एक अच्छी बात यह है कि इस योजना में एक निवेश वर्ष में 500 रुपए से 1.5 लाख रुपए तक एक बार में भी जमा किया जा बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें सकता है, किन्तु इसमें परिपक्वता अवधि तक निरंतर निवेश आवश्यक है। क्योंकि इस योजना की एक परिपक्वता अवधि होती है और उसके पूरे होने के बाद निवेश की रकम को पूरा प्राप्त किया जा सकता है।
4- मनी मार्केट और संबंधित फंड: बचत खाते की तुलना में जब आप अधिक लाभ चाहते हैं तो वित्तीय बाजार और उनसे संबंधित फंड अच्छा लाभ देते हैं। यदि आपके पास सरप्लस पैसा है, तो यह अतिरिक्त धन बचत खाते से अधिक लाभ हेतु वित्तीय बाजारों और उनसे संबंधित फंड्स में निवेश करना चाहिए। वित्तीय बाजारों और उनसे जुड़े उत्पादों में निवेश हेतु निवेशक में निवेश योग्यता का होना आवश्यक है।
5-रियल एस्टेट निवेश: भूमि का एक टुकड़ा कौन नहीं चाहता है? अधिकांश लोग अपनी आय का निवेश अपने लिए एक घर की खरीद हेतु करते हैं इस क्षेत्र में निवेश से पहले निवेश होने योग्य संपत्ति और उसके कागजात की जांच भली भांति अवश्य करें।
मेक इन इंडिया
भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।
'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।
'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:
सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।
सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।
29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की है।
कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।
निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य
- मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
- 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
- विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
- समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
- घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
- भारतीय विनिर्माण क्षेत्र बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
- विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना
- भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें है
- 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
- अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
- जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है
- विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
- घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
- शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें
- विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार
भारत में परेशानी मुक्त व्यापार
'मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।
अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।
ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें
ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें जिन्हें जान कर यदि आप Equity Linked Saving Schemes में निवेश करेंगे तो आप बेहतर तरीके से ELSS को समझ पाएंगे और एक ऐसी निवेश योजना में निवेश कर पाएंगे जहां आप बेहतर रिटर्न ग्रोथ और टैक्स में बचत के लाभ एक साथ प्राप्त कर सकते हैं। ELSS के बारे में जानने के लिए आप ELSS in Hindi हमारी साइट पर पढ़ सकते हैं। Things to know before investing in Equity Linked Saving Schemes in Hindi.
ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें
ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें – उच्च रिटर्न और टैक्स में बचत
कर बचाने के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों में सबसे अधिक प्रचलित और बेहतर रिटर्न देने वाली योजना इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) है। Equity Linked Saving Schemes डाइवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं जो इक्विटी और इक्विटी से संबंधित प्रतिभूतियों में आपके पैसे का एक बड़ा हिस्सा निवेश करता है। फंड मैनेजर उन कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं जिन कम्पनियों में मजबूत विकास क्षमता और लचीला व्यावसायिक मॉडल है। ELSS फंड आपको इक्विटी बाजारों की क्षमता का उपयोग करके उच्च रिटर्न प्राप्त करने की कोशिश के साथ कर लाभ उठाने का एक आसान तरीका प्रदान करता है।
ELSS में निवेश से आप आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक कर कटौती का लाभ उठाने के पात्र हैं।
ELSS में निवेश से पहले जानने योग्य बातें
Equity Linked Saving Schemes फंड धन बढ़ाने और कर लाभ का आनंद लेने का सबसे प्रभावी तरीका है। ELSS में निवेश करने से पहले कुछ चीजें आपको ध्यान में रखने की ज़रूरत है।
Things to know before investing in ELSS in Hindi
यह संभव है कि आप इक्विटी में निवेश करना चाहते हैं लेकिन यह नहीं पता कि कहां से शुरू करना है। अपने पहले चरण के रूप में ईएलएसएस फंडों को आजमा सकते हैं। शेयर बाजारों में सीधे निवेश की तुलना में, ईएलएसएस फंड इक्विटी में निवेश करने का एक आदर्श तरीका है।
पेशेवर फंड मेनेजमेंट के साथ आपको नाममात्र प्रारंभिक निवेश पर एक अच्छी तरह से डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो का लाभ मिलता है। आप 500 रुपये में एक SIP शुरू कर सकते हैं और बाजार में होने वाले उतार चढ़ाव के से तनाव मुक्त रह सकते हैं।
लॉक इन पीरियड
धारा 80 सी के तहत पेश किए गए अन्य सभी कर-बचत उत्पादों में इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम की सबसे छोटी लॉक-इन अवधि है। इसमें 3 साल की लॉक-इन अवधि है जिसका अर्थ है कि आप 3 साल पूरा होने से पहले अपने निवेश को रिडीम नहीं कर सकते हैं।
तुलनात्मक रूप से सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में 15 साल का लॉक-इन पिरीयड है और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) पांच साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आता है।
मगर ऐसा नहीं है कि Equity Linked Saving Schemes फंड को अल्पावधि निवेश के विकल्प के रूप में देखा जाए। ईएलएसएस में एक इक्विटी निवेश होने के नाते आपको कम से कम 7 से 10 वर्षों का दीर्घकालिक निवेश की सोच रखने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त आपको ईएलएसएस फंड में निवेश करते समय लक्ष्य बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें उन्मुख होना चाहिए जिससे आप इस योजना का अधिकतन लाभ उठा सकते हैं।
ELSS निवेश में शामिल रिस्क
ईएलएसएस फंड ज्यादातर कंपनियों के इक्विटी स्टॉक में निवेश करते हैं। इक्विटी फंड नेट एसेट वैल्यू एनएवी में उतार-चढ़ाव का जोखिम लेते हैं। इसके कारण, ईएलएसएस फंड एक नए निवेशक के लिए जोखिम भरा प्रस्ताव प्रतीत हो सकता है। हालांकि इसकी वजह से ऐसे निवेशों का लाभ लेने से घबराना नहीं चाहिए।
आपको बस इतना करना है कि लम्बी अवधि के लिए निवेश किया जाए। अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तुलना में, इक्विटी फंडों को लंबे समय तक औसत रिटर्न देने वाला माना जाता है। लम्बी अवधि का निवेश उतार चढ़ाव की अस्थिरता पर काबू पाने में मदद करता है। बाजार की अस्थिरता छोटी अवधि के निवेशों पर अधिक असर डालती है।
कर छूट की अधिकतम सीमा
धारा 80 सी में कर छूट बचत एवं निवेश की बुनियादी बातें के लिए कई योजनाएं उपलब्ध हैं जिसमें कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और जीवन बीमा पॉलिसी जैसे कई निवेश योजनाएँ शामिल हैं जो कर कटौती के लिए उपयोग की जा सकतीं हैं। धारा 80 सी के तहत उपलब्ध अधिकतम कर छूट सीमा 1.5 लाख रुपये है। यदि आपने पहले से ही अन्य निवेशों के माध्यम से कुछ निवेश किया है तो ईएलएसएस में आपका पूरा निवेश कटौती के लिए उपलब्ध नहीं हो सकता। इस प्रकार आपकी निवेश राशि को अंतिम रूप देने से पहले निवेश की राशि के बारे में निर्णय लेने के लिए कुछ बुनियादी गणना करनी पड़ेगी। जानिये अन्य टैक्स सेविंग स्कीम कौन कौन सी हैं।
अधिकतम रिटर्न की उम्मीद
इक्विटी में निवेश करने के कारण ईएलएसएस फंडों में अन्य निवेशों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता रखते है। लेकिन आप निवेश पर रिटर्न के बारे में अवास्तविक उम्मीद नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, इक्विटी में कोई गारंटीकृत रिटर्न नहीं है। फंड प्रदर्शन विभिन्न समय अवधि के अनुसार भिन्न भिन्न हो सकता है। केवल तभी जब आप लंबे समय तक निवेश करते हैं तभी अछे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं।
ईएलएसएस फंडों में निवेश का सबसे अच्छा तरीका वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही निवेश की योजना बनाना है। साल के आखिर तक अपने कर बचत निवेश स्थगित न करें। लक्ष्य निर्धारित करके और योजनाबद्ध दृष्टिकोण अपना कर निवेश करना आपको आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप सही ईएलएसएस फंड का चयन करने में मदद करेगा।