आप विदेशी मुद्रा स्वैप से कैसे बचते हैं?

RMB मूल्यह्रास कपड़ा विदेश व्यापार उद्यम उलझन में है?
विनिमय दरों में द्विपक्षीय रूप से उतार-चढ़ाव होता है, कंपनियां बोली कैसे लगाती हैं?
आरएमबी विनिमय दर हमेशा विदेशी व्यापार कंपनियों के लिए बहुत चिंता का विषय रही है। आप विदेशी मुद्रा स्वैप से कैसे बचते हैं? अब जब विनिमय दर एक अस्थायी युग में प्रवेश कर गई है, तो कई विदेशी व्यापार कंपनियां अचानक थोड़ा असहज हो गई हैं।
ह्यूगो.कॉम ने सीखा कि पिछले साल के अंत में आरएमबी प्रशंसा की अवधि की तुलना में, अगर विदेशी व्यापार कंपनियां मौजूदा विनिमय दर पर यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका से आदेश लेती हैं, तो मुद्रा मूल्य में परिवर्तन सीधे 1 के बारे में ला सकता है। निर्यात कंपनियों के लिए% -2% लाभ वृद्धि।
उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने कहा, 39 डॉन, 1% -2% के लाभ की वृद्धि को कम मत समझना। कपड़ा, कपड़े और चमड़े के जूते जैसी श्रम-गहन निर्यात कंपनियों के लिए, वे विनिमय दर के उतार-चढ़ाव में बदलाव से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। अतीत में, मुनाफा पतला था, और कुछ कंपनियों के मुनाफे एक महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गए हैं। यदि आरएमबी की सराहना जारी है, तो कई छोटे व्यवसाय गिर जाएंगे।
यह समझा जाता है कि वर्तमान में, चीन' के जूते और अन्य श्रम-गहन विदेशी व्यापार उद्यमों में आम तौर पर लगभग 5% का लाभ होता है। विनिमय दर मूल्यह्रास के बाद, इसका मतलब है कि उद्यम सीधे पैसा बनाता है। हालांकि, इस अचानक अतिरिक्त आय के बाद, कुछ निर्यात कंपनियों ने नए आदेशों के उद्धरण के बारे में संकोच महसूस किया।
Dongguan की एक कपड़े की कंपनी के एक विदेशी व्यापार प्रबंधक ऐलिस ने ह्यूगो डॉट कॉम: जीजी के हवाले से कहा, मैं जीजी # 39 नहीं कहता; मुझे लगता है कि यह लाभ लंबे समय तक रहेगा। अतीत में, रॅन्मिन्बी की सराहना एक नियमित पैटर्न का पालन करने के लिए कहा जा सकता है। जब हम विदेशी ग्राहकों को उद्धृत करते हैं, तो हम अक्सर कीमत की सटीक भविष्यवाणी करते हैं। भविष्य में समय की अवधि के लिए विनिमय दर की प्रवृत्ति का अनुमान लगाएं, इसलिए उद्धृत करते समय गिरावट की विनिमय दर पर विचार किया जाएगा। उदाहरण के लिए, उद्धृत करते समय विनिमय दर 1 है, तो हम इसे > के विनिमय दर के अनुसार अमेरिकी डॉलर में बदल देंगे। और फिर इसे ग्राहक को रिपोर्ट करें। अब रॅन्मिन्बी द्विपक्षीय उतार-चढ़ाव, उद्धरण यह बहुत दर्दनाक हो जाता है। यदि आप अभी भी पिछले पद्धति के अनुसार उद्धरण देते हैं, तो ग्राहक सहमत नहीं है। और, अब जब बाजार की प्रतिस्पर्धा इतनी भयंकर है, तो आप कैसे कम विनिमय दर पर बोली लगाते हैं, तो प्रतिस्पर्धी उच्च विनिमय दर पर बोली लगा सकते हैं, ऐसी कीमत में अंतर अपेक्षाकृत बड़ा होगा। बेहद पारदर्शी कीमतों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में, आप आसानी से अपनी प्रतिस्पर्धा खो सकते हैं और पुराने ग्राहकों को दूसरों द्वारा शिकार किया जा सकता है। इसलिए, अब हम उद्धरण के संदर्भ में बहुत कठिन हो गए हैं, और हमने अभी तक एक अच्छा समाधान नहीं सोचा है। जीजी उद्धरण;
जोखिमों से बचने के लिए कंपनियों को किन विनिमय दर के साधनों का उपयोग करना चाहिए?
ऐलिस ने कहा कि विनिमय दर मूल्यह्रास निश्चित रूप से निर्यात कंपनियों के लिए एक अच्छी बात है, लेकिन उनका मानना है कि एक स्थिर विनिमय दर वास्तव में अधिक महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, आरएमबी की सराहना के दौरान, कई कंपनियां जोखिमों से बचने और वार्षिक विनिमय दर को लॉक करने के लिए विदेशी मुद्रा निपटान और बिक्री उपकरण को आगे बढ़ाएंगी।" अब, हम 39 को नहीं जानते, जोखिम से बचने के लिए हेजिंग टूल का क्या उपयोग किया जाना चाहिए। जीजी उद्धरण; उसने कहा।
इस संबंध में, कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि पहले, आरएमबी विनिमय दर ज्यादातर एकतरफा सराहना की उम्मीद में थी। आयात और निर्यात कंपनियों की रणनीति बहुत सरल है। सस्ते। हालाँकि, यह स्थिति भविष्य में मौजूद नहीं हो सकती है। विनिमय दर में उतार-चढ़ाव के कारण होने वाले जोखिम को कम करने के लिए, विदेशी व्यापार कंपनियों को विनिमय दर के जोखिम में लॉक करने के लिए कुछ विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव का उपयोग करने की आवश्यकता होती है।
विशेषज्ञ ने बताया कि घरेलू विदेशी व्यापार कंपनियां जीजी # 39; विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव की मांग अपेक्षाकृत सरल किस्मों से शुरू होनी चाहिए, जैसे कि आगे विदेशी मुद्रा निपटान, विदेशी मुद्रा स्वैप, विदेशी मुद्रा विकल्प और अधिक जटिल किस्मों के लिए, जिसके लिए एक लंबी अवधि की प्रक्रिया की आवश्यकता होती है।
जीजी उद्धरण; लंबे समय में, आरएमबी के दो-तरफा उतार-चढ़ाव की प्राप्ति के साथ, अधिक से अधिक विदेशी व्यापार कंपनियां विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव लेनदेन में भाग लेंगी, लेकिन अल्पकालिक परिवर्तन बहुत स्पष्ट नहीं होना चाहिए। जीजी उद्धरण; उसने कहा।
भविष्य में RMB विनिमय दर कैसे चलेगी?
कल, वाणिज्य मंत्रालय ने चीन 39 को सूचित करने के लिए एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जो इस साल जनवरी-फरवरी में कारोबार का संचालन करेगा। वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता शेन डेनयांग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सभी को विनिमय दर के मुद्दे को अधिक तर्कसंगत तरीके से देखना चाहिए और इसकी अधिक व्याख्या नहीं करनी चाहिए। क्योंकि अब विभिन्न व्याख्याएं हैं, कुछ व्याख्याएं स्पष्ट रूप से अटकलें या अत्यधिक हैं।
ह्यूगो.कॉम को सूचित किया गया था कि मार्च 15 पर, लोग 39, चीन के बैंक ने 1% से >%। यह है रॅन्मिन्बी विनिमय दर फ़्लोटिंग दर दो साल के अंतराल के बाद फिर से विस्तारित हुई है।
शेन डेनयांग ने कहा कि आरएमबी विनिमय दर में हालिया उतार-चढ़ाव बाजार की भूमिका के परिणामों को अधिक दर्शाते हैं। आसपास के और कुछ उभरते बाजार देशों के साथ तुलना में, RMB विनिमय दर की उतार-चढ़ाव सीमा अभी भी सामान्य सीमा के भीतर है। निरंतर गहनता के साथ, दो-तरफा विनिमय दर में उतार-चढ़ाव आदर्श बन जाएगा।
शेन डेनयांग ने कहा कि प्रासंगिक नीति पर्यावरण की स्थिरता और पूर्वानुमेयता बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। सक्षम वाणिज्यिक विभाग के रूप में, हम संबंधित विभागों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करना जारी रखेंगे, आगे आरएमबी विनिमय दर गठन तंत्र में सुधार करेंगे, और उचित और संतुलित स्तर पर आरएमबी विनिमय दर की बुनियादी स्थिरता को बनाए रखने का प्रयास करेंगे। इसी समय, अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में नए फायदों की खेती में तेजी लाने, सक्रिय रूप से विदेशी व्यापार में आरएमबी के उपयोग का विस्तार करें, और कंपनियों को विनिमय जोखिम जोखिम से बचने में मदद करें।
विदेश घूमने से पहले करें मनी मैनेजमेंट, कैश और ट्रैवल कार्ड में चुनें बेहतर विकल्प
विदेशों में खर्च करने के लिए आपके पास तीन प्रमुख विकल्प होते हैं-कैश, क्रेडिट कार्ड और फॉरेक्स कार्ड.
तीनों का इस्तेमाल बेहतर विकल्प.
Travel Card : विदेश जाने का चलन इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है. मध्यम वर्ग का जितना तेजी से विस्तार हो रहा है, उसी तुलना में विदेश घूमने जाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. विदेशी यात्रा कभी भी सस्ता नहीं रहा है. बेशक कमाई बढ़ रही है लेकिन खर्च को नियंत्रित करने की कोशिश हर वर्ग की रहती है. विदेशी यात्रा में सबसे बड़े विलेन के तौर पर एक्सचेंज रेट उभरता है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि विदेशों में खर्च करने के लिए पहले से ही मनी मैनेजमेंट कर लिया जाए. विदेशों में खर्च करने के लिए आपके पास तीन प्रमुख विकल्प होते हैं-कैश, क्रेडिट कार्ड और फॉरेक्स कार्ड. सबसे महत्त्वपूर्ण सलाह यह है कि इन सभी तीन विकल्पों में किसी एक विकल्प को ही नहीं अपनाना चाहिए. आइए इन सभी के बारे में जानते हैं कि कौन सा विकल्प कितना बेहतर है और इनके फायदे क्या-क्या हैं.
1. विदेशी मुद्रा
किसी भी जगह घूमने के लिए, चाहे वह देश हो या विदेश, आप बिना नकदी के घूम नहीं सकते हैं क्योंकि हर जगह आप कार्ड के जरिए पेमेंट नहीं कर सकते हैं. जब आप करेंसी कंवर्जन के लिए जाएं तो कुछ समय निकालकर आप सबसे कम करेंसी एक्सचेंज रेट्स के बारे में पता कर लें. इसके अलावा अपने पूरे पैसे को विदेशी करेंसी में न बदलवाएं.
इससे फायदा यह होगा कि अगर आपको चोरी, डैमेज, बैगेज खोने जैसी किसी विपरीत स्थिति का सामना करना पड़े तो आपको समस्या न हो और आपके पास कोई और विकल्प भी मौजूद रहे. करेंसी बदलवाने के बाद पूरे पैसे को कई हिस्सों में बांटकर अलग-अलग जगह रखें.
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2. ट्रैवल क्रेडिट कार्ड
कैश के अलावा आपको सफर पर निकलते समय अपने पास एक ट्रैवल क्रेडिट कार्ड भी रखना बेहतर रहेगा. क्रेडिट कार्ड के जरिए आप नकदी न होने पर भी खर्च कर सकते हैं. हालांकि इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड में सिर्फ खर्च करने का ही फीचर नहीं होता है बल्कि इसके जरिए आपको ट्रैवल इंश्योरेंस पॉलिसी भी मिल जाता है.
इससे आप बैगेज खोने, फ्लाइट रद्द होने, चोरी, एक्सिडेंटल डैमेज और अन्य किसी भी कारण से हुए नुकसान के लिए क्लेम कर सकते हैं. इसके अलावा अधिकतर ट्रैवल कार्ड आपको फ्लाइट की वेटिंग के दौरान एयरपोर्ट के लाउंज तक एक्सेस की भी सुविधा देता है. इस कार्ड के रिवार्ड्स पॉइंट्स को आप एयर मील्स के रूप में भुना सकते हैं जिससे आपको एयर टिकट पर छूट मिल सकती है.
3. फॉरेक्स कार्ड
यह आप विदेशी मुद्रा स्वैप से कैसे बचते हैं? मूल रूप से प्री-पेड कैश कार्ड है. इसे स्वैप कर आप विदेशों में शॉपिंग कर सकते हैं और ऑनलाइन भी शॉपिंग कर सकते हैं. ये कार्ड कई प्रकार के करेंसी वैरिएंट में आते हैं जिसमें आप अपनी जरूरत के मुताबित कई देशों की करेंसी लोड कर सकते हैं. कैश की तुलना में यह ज्यादा सुरक्षित है क्योंकि यह एक पिन के जरिए सिक्योर होता है.
इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि अन्य माध्यमों की तुलना में फॉरेक्स कार्ड में आपने एक बार विदेशी करेंसी लोड करा दिया तो उसके बाद एक्सचेंज रेट में बदलाव का कोई फर्क नहीं पड़ता. इसके अलावा आपका 2-5 फीसदी ट्रांजैक्शन चार्ज भी बचता है जिसे आप डेबिट-क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेशों में शॉपिंग पर पेमेंट करते हैं. यह कार्ड आपके बैंक खाते से लिंक होता है जिसके जरिए आप कार्ड को रिचार्ज कर सकते हैं या कार्ड के पैसे को खाते में ट्रांसफर कर सकते हैं.
तीनों का इस्तेमाल बेहतर विकल्प
आप विदेश घूमने जा रहे हैं तो आपके लिए बेहतर यह होगा कि कुछ कैश रखें. इसके अलावा ट्रैवल कार्ड का भी प्रयोग करें ताकि रिवार्ड्स को अधिक से अधिक किया जा सके. ट्रांजैक्शन चार्ज और एक्सचेंज रेट में उताव-चढ़ाव से बचने के लिए फॉरेक्स कार्ड का भी प्रयोग करें.
(लेखः Adhil Shetty, सीईओ, बैंकबाजारडॉटकॉम)
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Sri Lanka Crisis: क्या सरकार बदल कर सुधरेंगे श्रीलंका के हालात? पूर्व राजनयिक ने बताया
Sri Lanka Crisis: क्या सरकार बदल कर सुधरेंगे श्रीलंका के हालात? पूर्व राजनयिक ने बताया
aajtak.in
- नई दिल्ली ,
- 09 जुलाई 2022,
- अपडेटेड 9:00 PM IST
अप्रैल-मई में हुई हिंसा के बाद दो महीने तक जनता उम्मीद के सहारे सब्र बांधे रही. देश के आर्थिक हालात में सुधार का इंतजार करती रही. राष्ट्रपति के झूठे भरोसों पर ऐतबार करती रही. लेकिन जब पानी सिर के पार पहुंचा तो कोलंबो की सड़कों पर जनता का सैलाब आ गया. श्रीलंका के राष्ट्रपति भवन पर लोगों ने कब्जा जमाया. उधर, लोगों के इस क्रोध, आक्रोश की आग से बचने के लिए राष्ट्रपति गोटबाया खुद अपने आवास से भाग निकले. बड़े-बड़े बैग लेकर काफिले के साथ नौसेना के जहाज पर पहुंचे. अब उनके जाने के बाद सरकार बदलेगी, तो क्या श्रीलंका में हालात भी बदलेंगे?
After the violence in April-May, the public remained patient for two months. Waiting for the improvement in the economic condition of the country. But nothing changed even after waiting for so long so today the public came on the streets. The question is will the situation in Sri Lanka also change after changing the government?
दक्षिण एशिया में भूटान ही एकमात्र ऐसा देश जिसके साथ चीन के नहीं है कूटनीतिक संबंध
[विवेक ओझा]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले भूटान गए थे और मई 2019 में फिर से प्रधानमंत्री बनने के बाद वह 17 अगस्त को दो दिवसीय यात्रा पर भूटान पहुंचे। भारत और भूटान के बीच हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, नॉलेज नेटवर्क, मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, स्पेस सेटेलाइट और रूपे कार्ड के इस्तेमाल समेत 10 समझौते पर हस्ताक्षर हुए। भारत और भूटान के बीच यह निर्णय हुआ है कि इसरो भूटान में एक ग्राउंड स्टेशन लगाएगा। भारत ने इससे पहले भी भूटान को व्यक्तिगत स्तर पर सार्क सेटेलाइट का लाभ देने का प्रस्ताव किया था। मोदी ने भारतीय रूपे कार्ड को भी भूटान में लॉन्च किया। इससे पहले रूपे कार्ड सिंगापुर में ही लॉन्च किया गया था। मोदी ने 1629 में निर्मित सिमतोखा जोंग में रूपे कार्ड को लॉन्च किया। दक्षेस मुद्रा स्वैप प्रारूप के तहत भूटान के लिए मुद्रा स्वैप सीमा बढ़ाने पर मोदी ने कहा कि भारत का रुख सकारात्मक है। विदेशी विनिमय की जरूरत को पूरा करने के लिए वैकल्पिक स्वैप व्यवस्था के तहत भूटान को अतिरिक्त 10 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराए जाएंगे।
धार्मिक मठ
भूटान में जोंग धार्मिक मठों और प्रशासनिक केंद्र के रूप में रहे हैं। ऐतिहासिक सिमटोखा जोंग स्थल के प्रांगण में प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस के पौधे का रोपण भी किया और भूटान को पर्यावरणीय रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जो सच भी है। तिब्बती बौद्ध लामा शब्दरूंग नामग्याल द्वारा 1629 में निर्मित सिमटोखा जोंग आप विदेशी मुद्रा स्वैप से कैसे बचते हैं? इस देश के सबसे पुराने किलों में एक है। नामग्याल को भूटान के एकीकृत करने वाले के तौर पर देखा जाता है। इस स्थान को महत्व देकर भारत ने एक नई प्रकार की स्पिरिचुअल डिप्लोमेसी की शुरुआत की है।
मोदी ने 18 अगस्त को भूटान में रॉयल विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित किया। भारत में भूटानी छात्रों की घटती संख्या को देखते हुए सॉफ्ट पावर पालिटिक्स और कल्चरल डिप्लोमेसी के लिहाज से ऐसा किया जाना आवश्यक था। दोनों देशों के नेताओं ने भारत के नेशनल नॉलेज नेटवर्क और भूटान के ड्रक रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्क के बीच अंतर-संपर्क की ई-वॉल का भी अनावरण किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘भूटान की प्रगति में बड़ा सहयोगी बनना भारत के लिए गौरव की बात है। भूटान की पंचवर्षीय योजना में भारत का सहयोग जारी रहेगा।’
‘ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस’
भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और भूटान एक दूसरे की परंपरा समझते हैं। भारत भाग्यशाली है कि वह राजकुमार सिद्धार्थ के बुद्ध बनने की जगह रहा। उनका कहना था कि मैं आज भूटान के भविष्य के साथ हूं, आपकी ऊर्जा महसूस कर सकता हूं। आप विदेशी मुद्रा स्वैप से कैसे बचते हैं? मोदी ने यह भी कहा कि मैं भूटान के इतिहास, वर्तमान या भविष्य को देखता हूं तो मुझे दिखता है कि भारत और भूटान के लोग आपस में काफी परंपराएं साझा करते हैं। भूटान के युवा वैज्ञानिक भारत आकर अपने लिए एक छोटा सेटेलाइट बनाने पर काम करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं, अगर आप पूछेंगे कि भूटान के बारे में क्या जानते हो, तो जवाब हमेशा ‘ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस’ का कॉन्सेप्ट मिलेगा। मुझे इस जवाब पर कभी आश्चर्य नहीं होता, क्योंकि भूटान ने खुशी का भाव समझ लिया है।’
सामाजिक आर्थिक नियोजन
भारत ने भूटान के सामाजिक आर्थिक नियोजन और सशक्तीकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 1961 में भारत की वित्तीय मदद से भूटान की पहली पंचवर्षीय योजना की शुरुआत हुई और आज भूटान अपनी 12वीं पंचवर्षीय योजना का क्रियान्वयन कर रहा है। भारत ने भूटान को इस मामले में बड़ी मदद की है। दरअसल भारत और भूटान के संबंधों की कहानी 1949 से शुरू होती है जब दोनों देशों के बीच भारत भूटान मैत्री संधि संपन्न हुई। इस संधि में प्रावधान किया गया कि भूटान अपने आंतरिक मामले में पूर्ण रूप से स्वतंत्र रहेगा, लेकिन विदेशी मामलों में वह भारत के मार्गदर्शन और निर्देशन में काम करेगा। वर्ष 2007 में दोनों देशों के बीच इस संधि की समीक्षा की गई और भारत ने भूटान को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के परिचालन के लिए प्रेरित किया।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट
नवंबर, 2018 में भूटान के प्रधानमंत्री ने असम में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में भाग लिया और परोक्ष रूप से भारत के एक्ट ईस्ट पॉलिसी और लुक ईस्ट पॉलिसी में एक सहायक की भूमिका निभाते हुए गुवाहाटी में अपना कांस्युलेट ऑफिस खोलने की घोषणा की। भूटान ने भी अपनी पैराडिप्लोमेसी कुशलता का परिचय देते हुए राज्य सरकार में एक्ट ईस्ट डिपार्टमेंट गठित करने की घोषणा की। इस तरह असम भारत का पहला राज्य बना है जिसने एक्ट ईस्ट डिपार्टमेंट का गठन किया है। यहां यह जानना जरूरी है कि आज उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों को चीन के कुत्सित मंसूबों से बचाने के लिए भारत कुछ देशों को लामबंद करने की रणनीति पर चल रहा है। भूटान इस आप विदेशी मुद्रा स्वैप से कैसे बचते हैं? रणनीति की अहम कड़ी बन रहा है। इसके साथ ही भारत ने जापान के साथ एक्ट ईस्ट फोरम का गठन 2017 में किया है जिसकी अक्टूबर 2018 में दूसरी बैठक आयोजित हुई है। इस फोरम के जरिये जापान भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में अवसंरचनात्मक विकास के लिए परियोजनाएं चलाएगा और उन्हें वित्त पोषित भी करेगा। इस प्रकार भूटान, जापान, लुक ईस्ट पॉलिसी के तहत आसियान के देशों को उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों के विकास के काम में लगाने की रणनीति पर भारत काम कर रहा है।
असम ने कहा है कि वह भूटान के तर्ज पर अपने सकल घरेलू उत्पाद में राज्य के नागरिकों की प्रसन्नता की गणना करने पर भी विचार कर रहा है। भूटान के साथ ही जिन देशों को उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से जोड़ने का काम भारत ने किया है, वह भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक डिप्लोमेसी का प्रमाण है। ये सभी देश बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं, ये साझी सांस्कृतिक विरासत के भी उत्तराधिकारी हैं। तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को भारत ने पहले ही राजनीतिक शरण दे रखा है। बांग्लादेश को भी सिलीगुड़ी गलियारे के जरिये उत्तर पूर्वी भारत से आबद्ध करने की कोशिश हाल में की गई है। त्रिपुरा में सबरूम नामक जगह पर फेनी नदी पर बांध निर्माण और उत्तर पूर्वी भारत को चटगांव पोर्ट से जोड़ने की योजना भी बनाई गई है। इसी कड़ी में भारत बांग्लादेश के बीच अखोरा अगरतला रेल लिंक भी बनाना शुरू कर दिया गया है।
पनबिजली सहयोग
भारत भूटान संबंधों का सबसे मजबूत आधार पनबिजली सहयोग रहा है। भारत के वित्तीय मदद से भूटान की शुरुआती तीन पनबिजली परियोजनाएं कुरीछू (60 आप विदेशी मुद्रा स्वैप से कैसे बचते हैं? मेगावाट), चूखा (336 मेगावाट), ताला (170 मेगावाट) आज कार्यशील हैं और इनसे उत्पादित पनबिजली भारत खरीदता है। 2009 में दोनों देशों ने एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया जिसमें यह सहमति बनी कि भारत 2020 तक भूटान को 10 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन कराने में सहयोग कर उससे अधिशेष बिजली खरीदेगा। इसके बाद भारत ने भूटान के पुनातसंगछू (1,200 मेगावाट), वांगछु (570 मेगावाट) खोलांगचू परियोजना और हाल में मांगड़ेचू (720 मेगावाट) पनबिजली परियोजनाओं में मदद की है।
भारतीय प्रधानमंत्री और भूटानी प्रधानमंत्री ने मिलकर मांगदेचू पनबिजली परियोजना का उद्घाटन किया। हाइड्रोपावर संबंधों को मजबूती देने में इसे महत्वाकांक्षी परियोजना माना गया है। इस परियोजना से भूटान की ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी और सरप्लस ऊर्जा भारत को निर्यात कर दी जाएगी। भारत भूटान का सबसे बड़ा ट्रेड और डेवलपमेंट पार्टनर है। दोनों देशों के बीच लगभग 9,000 करोड़ रुपये का द्विपक्षीय व्यापार है। भूटान अपने कुल आयात का 80 प्रतिशत से अधिक भारत से करता है और भूटान के कुल निर्यात का 85 प्रतिशत से अधिक भारत को किया जाता है। भूटान की तीन चौथाई बिजली भारत को निर्यात की जाती है।
[अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार]
दक्षिण एशिया में भूटान ही एकमात्र ऐसा देश जिसके साथ चीन के नहीं है कूटनीतिक संबंध
[विवेक ओझा]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहले भूटान गए थे और मई 2019 में फिर से प्रधानमंत्री बनने के बाद वह 17 अगस्त को दो दिवसीय यात्रा पर भूटान पहुंचे। भारत और भूटान के बीच हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, नॉलेज नेटवर्क, मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, स्पेस सेटेलाइट और रूपे कार्ड के इस्तेमाल समेत 10 समझौते पर हस्ताक्षर हुए। भारत और भूटान के बीच यह निर्णय हुआ है कि इसरो भूटान में एक ग्राउंड स्टेशन लगाएगा। भारत ने इससे पहले भी भूटान को व्यक्तिगत स्तर पर सार्क सेटेलाइट का लाभ देने का प्रस्ताव किया था। मोदी ने भारतीय रूपे कार्ड को भी भूटान में लॉन्च किया। इससे पहले रूपे कार्ड सिंगापुर में ही लॉन्च किया गया था। मोदी ने 1629 में निर्मित सिमतोखा जोंग में रूपे कार्ड को लॉन्च किया। दक्षेस मुद्रा स्वैप प्रारूप के तहत भूटान के लिए मुद्रा स्वैप सीमा बढ़ाने पर मोदी ने कहा कि भारत का रुख सकारात्मक है। विदेशी विनिमय की जरूरत को पूरा करने के लिए वैकल्पिक स्वैप व्यवस्था के तहत भूटान को अतिरिक्त 10 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराए जाएंगे।
धार्मिक मठ
भूटान में जोंग धार्मिक मठों और प्रशासनिक केंद्र के रूप में रहे हैं। ऐतिहासिक सिमटोखा जोंग स्थल के प्रांगण में प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस के पौधे का रोपण भी किया और भूटान को पर्यावरणीय रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जो सच भी है। तिब्बती बौद्ध लामा शब्दरूंग नामग्याल द्वारा 1629 में निर्मित सिमटोखा जोंग इस देश के सबसे पुराने किलों में एक है। नामग्याल को भूटान के एकीकृत करने वाले के तौर पर देखा जाता है। इस स्थान को महत्व देकर भारत ने एक नई प्रकार की स्पिरिचुअल डिप्लोमेसी की शुरुआत की है।
मोदी ने 18 अगस्त को भूटान में रॉयल विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित किया। भारत में भूटानी छात्रों की घटती संख्या को देखते हुए सॉफ्ट पावर पालिटिक्स और कल्चरल डिप्लोमेसी के लिहाज से ऐसा किया जाना आवश्यक था। दोनों देशों के नेताओं ने भारत के नेशनल नॉलेज नेटवर्क और भूटान के ड्रक रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्क के बीच अंतर-संपर्क की ई-वॉल का भी अनावरण किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘भूटान की प्रगति में बड़ा सहयोगी बनना भारत के लिए गौरव की बात है। भूटान की पंचवर्षीय योजना में भारत का सहयोग जारी रहेगा।’
‘ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस’
भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और भूटान एक दूसरे की परंपरा समझते हैं। भारत भाग्यशाली है कि वह राजकुमार सिद्धार्थ के बुद्ध बनने की जगह रहा। उनका कहना था कि मैं आज भूटान के भविष्य के साथ हूं, आपकी ऊर्जा महसूस कर सकता हूं। मोदी ने यह भी कहा कि मैं भूटान के इतिहास, वर्तमान या भविष्य को देखता हूं तो मुझे दिखता है कि भारत और भूटान के लोग आपस में काफी परंपराएं साझा करते हैं। भूटान के युवा वैज्ञानिक भारत आकर अपने लिए एक छोटा सेटेलाइट बनाने पर काम करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं, अगर आप पूछेंगे कि भूटान के बारे में क्या जानते हो, तो जवाब हमेशा ‘ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस’ का कॉन्सेप्ट मिलेगा। मुझे इस जवाब पर कभी आश्चर्य नहीं होता, क्योंकि भूटान ने खुशी का भाव समझ लिया है।’
सामाजिक आर्थिक नियोजन
भारत ने भूटान के सामाजिक आर्थिक नियोजन और सशक्तीकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 1961 में भारत की वित्तीय मदद से भूटान की पहली पंचवर्षीय योजना की शुरुआत हुई और आज भूटान अपनी 12वीं पंचवर्षीय योजना का क्रियान्वयन कर रहा है। भारत ने भूटान को इस मामले में बड़ी मदद की है। दरअसल भारत और भूटान के संबंधों की कहानी 1949 से शुरू होती है जब दोनों देशों के बीच भारत भूटान मैत्री संधि संपन्न हुई। इस संधि में प्रावधान किया गया कि भूटान अपने आंतरिक मामले में पूर्ण रूप से स्वतंत्र रहेगा, लेकिन विदेशी मामलों में वह भारत के मार्गदर्शन और निर्देशन में काम करेगा। वर्ष 2007 में दोनों देशों के बीच इस संधि की समीक्षा की गई और भारत ने भूटान को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के परिचालन के लिए प्रेरित किया।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट
नवंबर, 2018 में भूटान के प्रधानमंत्री ने असम में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में भाग लिया और परोक्ष रूप से भारत के एक्ट ईस्ट पॉलिसी और लुक ईस्ट पॉलिसी में एक सहायक की भूमिका निभाते हुए गुवाहाटी में अपना कांस्युलेट ऑफिस खोलने की घोषणा की। भूटान ने भी अपनी पैराडिप्लोमेसी कुशलता का परिचय देते हुए राज्य सरकार में एक्ट ईस्ट डिपार्टमेंट गठित करने की घोषणा की। इस तरह असम भारत का पहला राज्य बना है जिसने एक्ट ईस्ट डिपार्टमेंट का गठन किया है। यहां यह जानना जरूरी है कि आज उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों को चीन के कुत्सित मंसूबों से बचाने के लिए भारत कुछ देशों को लामबंद करने की रणनीति पर चल रहा है। भूटान इस रणनीति की अहम कड़ी बन रहा है। इसके साथ ही भारत ने जापान के साथ एक्ट ईस्ट फोरम का गठन 2017 में किया है जिसकी अक्टूबर 2018 में दूसरी बैठक आयोजित हुई है। इस फोरम के जरिये जापान भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में अवसंरचनात्मक विकास के लिए परियोजनाएं चलाएगा और उन्हें वित्त पोषित भी करेगा। इस प्रकार भूटान, जापान, लुक ईस्ट पॉलिसी के तहत आसियान के देशों को उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों के विकास के काम में लगाने की रणनीति पर भारत काम कर रहा है।
असम ने कहा है कि वह भूटान के तर्ज पर अपने सकल घरेलू उत्पाद में राज्य के नागरिकों की प्रसन्नता की गणना करने पर भी विचार कर रहा है। भूटान के साथ ही जिन देशों को उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से जोड़ने का काम भारत ने किया है, वह भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक डिप्लोमेसी का प्रमाण है। ये सभी देश बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं, ये साझी सांस्कृतिक विरासत के भी उत्तराधिकारी हैं। तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को भारत ने पहले ही राजनीतिक शरण दे रखा है। बांग्लादेश को भी सिलीगुड़ी गलियारे के जरिये उत्तर पूर्वी भारत से आबद्ध करने की कोशिश हाल में की गई है। त्रिपुरा में सबरूम नामक जगह पर फेनी नदी पर बांध निर्माण और उत्तर पूर्वी भारत को चटगांव पोर्ट से जोड़ने की योजना भी बनाई गई है। इसी कड़ी में भारत बांग्लादेश के बीच अखोरा अगरतला रेल लिंक भी बनाना शुरू कर दिया गया है।
पनबिजली सहयोग
भारत भूटान संबंधों का सबसे मजबूत आधार पनबिजली सहयोग रहा है। भारत के वित्तीय मदद से भूटान की शुरुआती तीन पनबिजली परियोजनाएं कुरीछू (60 मेगावाट), चूखा (336 मेगावाट), ताला (170 मेगावाट) आज कार्यशील हैं और इनसे उत्पादित पनबिजली भारत खरीदता है। 2009 में दोनों देशों ने एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया जिसमें यह सहमति बनी कि भारत 2020 तक भूटान को 10 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन कराने में सहयोग कर उससे अधिशेष बिजली खरीदेगा। इसके बाद भारत ने भूटान के पुनातसंगछू (1,200 मेगावाट), वांगछु (570 मेगावाट) खोलांगचू परियोजना और हाल में मांगड़ेचू (720 मेगावाट) पनबिजली परियोजनाओं में मदद की है।
भारतीय प्रधानमंत्री और भूटानी प्रधानमंत्री ने मिलकर मांगदेचू पनबिजली परियोजना का उद्घाटन किया। हाइड्रोपावर संबंधों को मजबूती देने में इसे महत्वाकांक्षी परियोजना माना गया है। इस परियोजना से भूटान की ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी और सरप्लस ऊर्जा भारत को निर्यात कर दी जाएगी। भारत भूटान का सबसे बड़ा ट्रेड और डेवलपमेंट पार्टनर है। दोनों देशों के बीच लगभग 9,000 करोड़ रुपये का द्विपक्षीय व्यापार है। भूटान अपने कुल आयात का 80 प्रतिशत से अधिक भारत से करता है और भूटान के कुल निर्यात का 85 प्रतिशत से अधिक भारत को किया जाता है। भूटान की तीन चौथाई बिजली भारत को निर्यात की जाती है।
[अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार]