अनुभवी टिप्स

जोखिम विश्लेषण

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इनमें एक करोड 22 लाख बच्चे हैं. यमन के कुल 333 ज़िलो में से 230 पर अकाल का ख़तरा मँडरा रहा है.

यमन में एक माँ अपने बच्चों के साथ स्वास्थ्य केंद्र में कुपोषण से पीड़ित बच्चों के उपचार के लिये आई है.

जोखिम विश्लेषण

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राष्ट्रव्यापी संकट

आईपीसी के विश्लेषण में यमन के दक्षिणी इलाक़ों पर नज़र डाली गई है लेकिन उत्तरी इलाक़ों पर केंद्रित एक अन्य विश्लेषण को भी तैयार किया जा रहा है जिसमें ऐसे ही रूझान मिलने की सम्भावना जताई गई है.

गम्भीर कुपोषण के कारण बच्चों के हैज़ा, मलेरिया और श्वसन तन्त्र के अन्य संक्रमणों में मौत होने की ख़तरा बढ़ जाता है, और यमन में ये सभी बीमारियाँ आम हैं.

विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रवक्ता टॉमसन फिरी ने बताया कि आईपीसी के पूर्वानुमान के मुताबिक जिन इलाक़ों में विश्लेषण किया गया है, वहाँ वर्ष 2020 के अन्त तक 40 फ़ीसदी आबादी (32 लाख लोग) गम्भीर रूप से खाद्य असुरक्षा का शिकार होंगे.

ग़ौरतलब है कि जिस समय इस रिपोर्ट के लिये आँकड़ों को तैयार किया जा रहा था, उस समय यह माना गया था कि खाद्य पदार्थों की क़ीमतें स्थिर रहेंगी, लेकिन अब ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है.

सहायता धनराशि का अभाव

यमन में मानवीय समन्वयक लिज़े ग्राण्डे ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र जुलाई से ही चेतावनी जारी करता रहा है यमन एक विनाशकारी खाद्य सुरक्षा संकट के कगार पर है.

“अगर युद्ध अभी ख़त्म नहीं होता है तो हम एक अपरिवर्तनीय स्थिति में पहुँच जायेंगे और यमन में युवा बच्चों की एक पूरी पीढ़ी के खो जाने का जोखिम है.”

जिनीवा में मानवीय राहत मामलों में समन्वय कार्यालय के प्रवक्ता येन्स लार्क ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यमन को मदद की ज़रूरत है.

उन्होंने कहा कि कईं महीने पहले ही चेतावनी जारी कर दी गई थी कि यमन एक चोटी के सिरे की ओर बढ़ रहा है. अब उस सिरे से हम लोगों को नीचे गिरता देख रहे हैं.

“वे पाँच साल से कम उम्र के बच्चे हैं. उनमें से एक लाख पर मौत का जोखिम है, ऐसा हमें बताया गया है. दुनिया मदद कर सकती है. दुनिया उनकी मदद मानवीय राहत योजना के ज़रिये कर सकती है.”

प्रक्रिया में कितना समय लगेगा?

पेसमेकर इम्प्लांट प्रक्रिया में 2 से 5 घंटे तक का समय लग सकता है।

आपका डॉक्टर आपके साथ प्रक्रिया के परिणामों की जांच करेगा और आपके किसी भी प्रश्न का उत्तर देगा।

सर्जरी के बाद, आपको दवा दिशानिर्देश, घाव देखभाल, गतिविधि दिशानिर्देश, पेसमेकर देखभाल और रखरखाव, और एक अनुवर्ती योजना सहित स्वयं की देखभाल करने के बारे में सटीक निर्देश दिए जाएंगे।

पेसमेकर प्रत्यारोपण के संबद्ध लाभ/जोखिम क्या हैं?

सामान्य तौर पर, पेसमेकर इम्प्लांटेशन एक अपेक्षाकृत सुरक्षित सर्जरी है। हालांकि, किसी भी आक्रामक सर्जरी के साथ खतरे भी हैं। अपने खतरों को कम करने के लिए कुछ कदम उठाए जाते हैं। कृपया अपने चिकित्सक के साथ प्रक्रिया के खतरों और लाभों के बारे में अपनी विशेष चिंताओं का समाधान करें।

सभी चिकित्सा उपचारों और उपकरणों में जटिलताएं पैदा करने की क्षमता होती है। पेसमेकर की खराबी की संभावना न्यूनतम है। हालांकि, हर दस में से एक मरीज को लंबे समय में पेसमेकर पॉकेट या लीड की समस्या का सामना करना पड़ेगा। ऑपरेशन से पहले, आपका डॉक्टर आपके साथ इम्प्लांट के जोखिमों और फायदों के बारे में चर्चा करेगा।

डॉ केके सक्सेना भारत में पेसमेकर इम्प्लांटेशन के लिए सबसे बेहतरीन विकल्प हैं। दुनिया भर के मरीज उनकी पेशेवर सहायता लेने के लिए उनके पास पहुंचते हैं। डॉ के के सक्सेना ने जोखिम विश्लेषण हजारों पेसमेकर प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किए हैं। उनका समृद्ध अनुभव उनके रोगियों को पेसमेकर प्रत्यारोपण से जुड़ी जटिलताओं और जोखिमों से सुरक्षित रखेगा। उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है और उन्हें . के रूप में जाना जाता है भारत में सर्वश्रेष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट.

बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली और इसका महत्त्व।

हाल ही में आपदा ज़ोखिम न्यूनीकरण के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNDRR) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने बहु-ज़ोखिम पूर्व चेतावनी प्रणालियों जोखिम विश्लेषण की वैश्विक स्थिति: लक्ष्य G शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की जिसमें चेतावनी दी गई है कि विश्व स्तर पर आधे देश बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली (MHEWS) द्वारा संरक्षित नहीं हैं।

  • यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय आपदा ज़ोखिम न्यूनीकरण दिवस (13 अक्तूबर) को चिह्नित करने के लिये जारी की गई है।
  • सेंडाई फ्रेमवर्क (2015-2030) में उल्लिखित लक्ष्यों का आँकड़ा विश्लेषण किया गया था। यह विश्लेषण आपदा जोखिम में कमी और रोकथाम के लिये एक वैश्विक खाका है।
  • फ्रेमवर्क में सात लक्ष्यों में से, लक्ष्य G का उद्देश्य "वर्ष 2030 तक लोगों को बहु-ज़ोखिम पूर्व चेतावनी प्रणालियों और आपदा जोखिम की जानकारी तथा आकलन की उपलब्धता एवं पहुँच में वृद्धि करना है।

आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस:

  • ‘अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस’ की स्थापना वर्ष 1989 में दुनिया भर में आपदा न्यूनीकरण की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (UNGA) के आह्वान के बाद की गई थी।
  • वर्ष 2015 में जापान के सेंडाई में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को याद दिलाया गया था कि स्थानीय स्तर पर आपदाएँ सबसे कठिन होती हैं, जिसमें जानमाल की क्षति और बृहत सामाजिक एवं आर्थिक उथल-पुथल की क्षमता होती है।
  • पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ तूफान, सूनामी, सूखा और लू सहित आने वाले खतरों से पूर्व लोगों को होने वाले नुकसान और संपत्ति की क्षति को कम करने के लिये एक सफल साधन हैं।
  • बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली कई खतरों को संबोधित करती है जो अकेले, एक साथ या व्यापक रूप से हो सकते हैं।
  • जोखिम विश्लेषण
  • कई प्रणालियाँ केवल एक प्रकार के खतरे- जैसे बाढ़ या चक्रवात को कवर करती हैं।

प्रमुख बिंदु

  • निवेश में विफलता:
    • दुनिया खतरे के समक्ष खड़े लोगों के जीवन और आजीविका की रक्षा करने में निवेश करने में विफल हो रही है।
    • जिन लोगों ने जलवायु संकट पैदा करने के लिये सबसे कम योगदान किया है, वे सबसे अधिक कीमत चुका रहे हैं।
    • अल्प विकसित देश (LDC), विकासशील छोटे द्वीप देश (SIDS) और अफ्रीका के देशों को प्रारंभिक चेतावनी कवरेज बढ़ाने एवं आपदाओं के खिलाफ पर्याप्त रूप से खुद को बचाने के लिये सबसे अधिक निवेश की आवश्यकता होती है।
    • पाकिस्तान अपनी सबसे खराब जलवायु आपदा से निपट रहा है, जिसमें लगभग 1,700 लोगों की जान चली गई है। इस मौतों के बावजूद यदि प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली नहीं होती तो मरने वालों की संख्या बहुत अधिक होती।
    • विश्व स्तर पर केवल आधे देशों में MHEWS है।
    • रिकॉर्ड की गई आपदाओं की संख्या में पाँच गुना वृद्धि हुई है, जो मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन और अधिक चरम मौसम से प्रेरित है। यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है।
    • अल्प विकसित देशों के आधे से भी कम और विकासशील छोटे द्वीप देशों में से केवल एक तिहाई के पास बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली है।

    आपदा प्रबंधन के संबंध में भारत के प्रयास:

    • राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (NDRF):
      • राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (NDRF) के स्थापना के साथ, आपदा प्रतिक्रिया के लिये समर्पित सबसे बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया बल, भारत ने सभी प्रकार की आपदाओं को रोकने और प्रतिक्रिया करने की अपनी क्षमता में वृद्धि की है।
      • नौसेना के जहाज़ो या विमानों के प्राथमिक उपयोग के साथ, भारत की विदेशी मानवीय सहायता ने अपने सैन्य संसाधनों को और समृद्ध किया है।
      • "पड़ोसी पहले (नेबरहुड फर्स्ट)" की अपनी कूटनीतिक नीति के अनुरूप, कई सहायता प्राप्तकर्त्ता देश दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के क्षेत्र में रहे हैं।
      • बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल- (BIMSTEC) के संदर्भ में भारत ने आपदा प्रबंधन अभ्यासों की मेजबानी की है जो NDRF को साझेदार देशों के समकक्षों के लिये विभिन्न आपदाओं का जवाब देने हेतु विकसित तकनीकों का प्रदर्शन करने की अनुमति देता है।
      • अन्य NDRF और भारतीय सशस्त्र बलों के अभ्यासों ने भारत के पहले उत्तरदाताओं को दक्षिणएशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के देशों के संपर्क में लाया है।
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