विदेशी मुद्रा स्वैप

ग्राफिक: रमनदीप कौर | दिप्रिंट
एकल प्राथमिक डीलरों को विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार की सभी सुविधाओं की पेशकश की अनुमति पर विचार
नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) एकल प्राथमिक डीलर (एसपीडी) विदेशी मुद्रा बाजार में खरीद-बिक्री से संबंधित सभी सुविधाओं की पेशकश कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ने) देश में वित्तीय बाजार के विकास को सुगम बनाने के लिये शुक्रवार को यह प्रस्ताव किया।
फिलहाल श्रेणी-1 के अंतर्गत आने वाले अधिकृत डीलरों को इसकी पेशकश की अनुमति है।
इस कदम से ग्राहकों को अपने विदेशी मुद्रा जोखिम का प्रबंधन करने के लिये विभिन्न इकाइयों (मार्केट मेकर्स) का विकल्प मिलेगा। साथ ही इससे भारत में विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार भी मजबूत होगा।
एसपीडी बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान होते हैं, जिन्हें सरकारी प्रतिभूतियों में लेन-देन की अनुमति होती है।
मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद रिजर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘एकल प्राथमिक डीलरों ने देश के वित्तीय बाजारों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसको देखते हुए उन्हें विदेशी मुद्रा बाजार में खरीद-बिक्री से संबंधित सभी सुविधाओं की पेशकश करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है…।’’
Forex रिजर्व में दो साल की बड़ी गिरावट, जानिए क्या है इसका कारण
देश का विदेशी मुद्रा भंडार दो साल के निचले स्तर पर चला गया है। विदेशी मुद्रा स्वैप 20 मार्च 2020 को समाप्त हफ्ते के दौरान रिजर्व में 11.98 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई। Covid महामारी के दौरान विदेशी निवेशकों ने बड़ी रकम निकाल ली है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश का विदेशी मुद्रा भंडार दो साल के निचले स्तर पर है। 11 मार्च, 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 9.64 बिलियन डॉलर गिरकर 622.275 बिलियन डॉलर हो गया। इसका कारण यह रहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली के कारण कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में तेज गिरावट आई। इसके बाद 20 मार्च, 2020 को समाप्त सप्ताह के दौरान Forex में 11.98 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई। यह लगभग दो साल में सबसे बड़ी गिरावट है, जब कोविड -19 महामारी के दौरान FPI ने अपना पैसा निकाल लिया।
हाथ बढ़ाए भारत
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाभाया राजपक्षे ने वहां की यात्रा पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी से संभावित ऋण संकट से निपटने में सहायता मांगी है। फिच रेटिंग्स ने श्रीलंका के ऋण के स्तर को घटाकर डिफॉल्ट के ठीक ऊपर कर दिया है। महामारी के पहले भी देश का विदेशी ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 42.6 फीसदी हो गया था। नवंबर 2021 में उसका विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 1.2 अरब डॉलर रह गया था जबकि महामारी के पहले यह करीब 8 अरब डॉलर था। अब से अक्टूबर के बीच उसे करीब 5 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है जिसमें अगले सप्ताह 50 लाख डॉलर के सॉवरिन बॉन्ड का भुगतान शामिल है। जुलाई में उसे करीब एक अरब विदेशी मुद्रा स्वैप डॉलर की अतिरिक्त राशि भी चुकानी है। इस बीच मुद्रास्फीति 11 फीसदी का स्तर पार कर चुकी है और विदेशी मुद्रा बचाने के लिए कुछ वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने की वजह से दूध पाउडर, दालों और चीनी जैसी खानेपीने की वस्तुओं की कमी हो गई है।
Sri Lanka Crisis: बांग्लादेश ने बढ़ाया मदद का हाथ, 20 करोड़ डॉलर की करेंसी स्वैप सुविधा एक साल के लिए बढ़ाई
श्रीलंका इन दिनों इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विश्व बैंक समेत ही भारत और दूसरे देश आर्थिक बदहाल देश की मदद को आगे आ रहे हैं। इस क्रम में बांग्लादेश ने भी मदद का हाथ आगे बढ़ाया है और श्रीलंका को दी गई 20 करोड़ डॉलर की करेंसी स्वैप (मुद्रा अदला-बदली) सुविधा को आगे बढ़ा दिया है।
मई 2021 में दी गई थी सुविधा
एक रिपोर्ट के मुताबिक, नकदी की भारी कमी से जूझ रहे श्रीलंका को दिए गए 20 करोड़ डॉलर (1 हजार 500 करोड़ रुपये) की करेंसी स्वैप सुविधा को एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया है, ताकि द्वीप-राष्ट्र के घटते विदेशी भंडार को बढ़ावा दिया जा सके। गौरतलब है कि बांग्लादेश ने मई 2021 में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए यह सुविधा दी थी। ऐसा करने वाला बांग्लादेश पहला दक्षिण एशियाई देश बन गया।
विस्तार
श्रीलंका इन दिनों इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विश्व बैंक समेत ही भारत और दूसरे देश आर्थिक बदहाल देश की मदद को आगे आ रहे हैं। इस क्रम में बांग्लादेश ने भी मदद का हाथ आगे बढ़ाया है और श्रीलंका को दी गई 20 करोड़ डॉलर की करेंसी स्वैप (मुद्रा अदला-बदली) सुविधा को आगे बढ़ा दिया है।
मई 2021 में दी गई थी सुविधा
एक रिपोर्ट के मुताबिक, नकदी की भारी कमी से जूझ रहे श्रीलंका को दिए गए 20 करोड़ डॉलर (1 हजार 500 करोड़ रुपये) की करेंसी स्वैप सुविधा को एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया है, ताकि द्वीप-राष्ट्र के घटते विदेशी भंडार को बढ़ावा दिया जा सके। गौरतलब है कि बांग्लादेश ने मई 2021 में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए यह सुविधा दी थी। ऐसा करने वाला बांग्लादेश पहला दक्षिण एशियाई देश बन गया।
रविवार को किया गया फैसला
रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की सेंट्रल बैंक के निदेशकों ने रविवार को इस फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी। बैंक के प्रवक्ता सेराजुल इस्लाम की ओर से इस संबंध में जारी किए गए बयान में कहा गया कि श्रीलंका को दिए गए ऋण को लेकर यथास्थिति बरकरार रखी गई है और करेंसी स्वैप की सुविधा को एक वर्ष के लिए विस्तारित किया गया है।
ऐसा क्यों हुआ?
विदेशी मुद्रा में कमी का मतलब है कि आरबीआई रुपये के गिरते मूल्य पर काबू पाने के लिए डॉलर बेच रहा है, जो जुलाई में 80 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था.
ऐसा होने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में वृद्धि कर दी है. इस साल, यूएस फेड ने अब तक चार मौकों पर कर्ज पर ब्याज की दर बढ़ाई है—यह अगस्त में 2.25-2.5 प्रतिशत रही, जो मार्च में 0.25-0.5 प्रतिशत थी.
ऋण दर में बढ़ोतरी करके यूएस फेड दरअसल मुद्रा के तौर पर डॉलर का उपयोग विदेशी मुद्रा स्वैप करने वाले लोगों की क्रय शक्ति सीमित करना चाहता है. और जैसा इकोनॉमिक टाइम्स का एक विश्लेषण बताता है, इसका नतीजा यह हुआ कि भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पिछले एक साल में 39 अरब डॉलर से अधिक की निकासी की.