विशेषज्ञों के कुछ सुझाव

डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर?

डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर?

तकनीक की दुनिया में भारत की धमक, अब नोट या सिक्के नहीं डिजिटल करेंसी का भी होगा इस्तेमाल

ऑनलाइन पेमेंट के बाद अब सरकार डिजिटल करेंसी लेकर आ रही है. 1 दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डिजिटल करेंसी लांच करेगी. ई-रुपया के तरह इसे इस्तेमाल किया जा सकेगा.

By: पूनम पनोरिया | Updated at : 30 Nov 2022 06:28 PM (IST)

1 दिसंबर से लॉन्च हो जाएगा डिजिटल रुपया

जीवन यापन के लिए जरूरी चीजों में से एक है मुद्रा, जिसे हम रुपया या पैसा भी कहते हैं. पुराने समय से लेकर डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर? आधुनिक जीवन में इसके इस्तेमाल के तरीके में लगातार बदलाव हुआ है. पहले जहां लोग वस्तुओं के लेन-देन से चीजों को आपस में इस्तेमाल करते थे, वहीं उसके कुछ समय बाद अलग-अलग धातु की मुद्रा बाजार में आ गई और फिर कागजी नोटों का भी देन-लेन शुरू हुआ. लेकिन आज के दौर में चीजें लगातार बदल रही हैं, लोगों की आवश्यकता के मुताबिक इनमें बदलाव किए जा रहे हैं.

इस समय यदि हम कहीं कुछ खरीदारी या फिर खाना-खाते हैं तो कैश के साथ-साथ ऑनलाइन पेमेंट का विकल्प भी है. अधिकतर लोग ऑनलाइन पेमेंट का इस्तेमाल करते हैं. वहीं बाकि लोग भी इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं. धीरे-धीरे कैश पेमेंट का विकल्प कम होता जा रहा है. लोगों ने कैश रखना भी कम कर दिया है. क्योंकि किराने की दुकान, दूध, सब्जी वाले तक के पास ऑनलाइन पैसे लेने की सुविधा आ गई है.

इस कारण से लोग डिजिटल पेमेंट की तरफ बढ़ रहे हैं. लेकिन अब आपको आने वाले समय में डिजिटल करेंसी भी देखने को मिलेगी. यानि की एक ई-रुपया होगा. जिसे किसी भी सामान्य नोट या करेंसी की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा. डिजिटल तौर पर इसका लेन-देन हो सकेगा. भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया 1 दिसंबर को ये डिजिटल करेंसी लांच करने जा रही है. जिसके बाद आपकी जेब में ये डिजिटल करेंसी होगी.

भारत सरकार लगातार डिजिटलीकरण को बढ़ावा दे रही है. इसी कड़ी में 1 दिसंबर को इस डिजिटल करेंसी को पायलट प्रोटेक्ट के तौर पर लांच किया जा रहा है. शुरुआत में देश के 4 शहरों में इसे लांच किया जाएगा जिसमें मुंबई, नई दिल्ली,बेंगलुरु और भुवनेश्वर शामिल हैं. इन शहरों में ग्राहक और व्यापारी इसका इस्तेमाल कर सकेंगे. ये डिजिटल करेंसी आरबीआई द्वारा बैंक को उपलब्ध कराई जाएगी. शुरुआत में इन 4 शहरों के बाद इस डिजिटल करेंसी का विस्तार किया जाएगा और फिर अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला जैसे शहरों में भी इसे जारी किया जाएगा.

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1 दिसंबर को आरबीआई, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को डिजिटल करेंसी का टोकन जारी करेगी. जिसके बाद ये लोगों तक पहुंचेगा और इसका इस्तेमाल होगा.

इसे मौजूद करेंसी की तरह ही इसे इस्तेमाल में लाया जा सकेगा और लोगों की उपयोगिता को देखते हुए इसका विस्तार किया जाएगा और फिर अन्य बैंको में भी इस करेंसी को लागू किया जाएगा. जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं.

नोट की जगह होगी इस्तेमाल
डिजिटल रुपया को सैंट्रल बैंक डिजिटल कंरेसी सीबीडीसी का नाम दिया गया है. ये डिजिटल करेंसी मौजूदा करेंसी की तरह इस्तेमाल में आसान होगी. इसका लेन-देन भी नार्मल ट्रांजेक्शन की तरह किया जा सकेगा.

ये एक तरह से डिजिटल टोकन होगा जो बाकि पैसों की तरह ही इस्तेमाल हो सकेगा. जिस प्रकार से अभी 5, 10, 50, 100, 500, और 2000 के नोटों का इस्तेमाल हम इस्तेमाल करते हैं, ठीक उसी तरह इस करेंसी का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. ये मौजूदा करेंसी की तरह ही होगी. इसमें भी इतने ही यूनिट होंगे. साथ ही जैसे हम अभी अलग-अलग ऐप के जरिए डिजिटल वॉलेट को यूज करते हैं, उसमें एक निश्चित रकम रख पाते हैं ठीक उसी तरह इसमें भी रकम रखकर इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसे ऐप के जरिए इस्तेमाल कर सकेंगे और इस डिजिटल करेंसी को बैंक द्वारा जारी किया जाएगा.

कैसे काम करेगी डिजिटल करेंसी ?
आरबीआई के मुताबिक शुरुआत में इस करेंसी को खुदरा व्यापारियों के लिए लांच किया जा रहा है. ये एक तरह से आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी होगी. जिसे ग्राहक और व्यापारी बैंको के जरिए डिजिटल डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर? रुपये (ई-आर) या ई-रुपये की तरह इस्तेमाल में ला सकेंगे.

इसका इस्तेमाल एक लीगल टेंजर के साथ होगा. मौजूदा समय में कागजी और सिक्के जैसी मुद्रा की तरह ही इसकी वैल्यू होगी. ये पूरी तरीके से सुरक्षित होगी. क्योंकि केंद्रीय बैंक की तरफ से इस करेंसी को डिजिटल फॉम में एक लीगल टेंडर के साथ लांच किया जा रहा है और ये केंद्रीय बैंको की ओर से बाकि बैंको को जारी होगा. उन बैंको से लोगों तक पहुंचेगा. इसीलिए ये पूरी तरह से सुरक्षित होगा. बैंक इसमें सरकार और जनता के बीच ब्रिज का काम करेंगी.

बैंक में जमा कर सकेंगे डिजिटल करेंसी
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी आरबीआई बैंक ने दो भागों नें बांटा है जिसमें सीबीडीसी- खुदरा और सीबीडीसी-रिटेल करेंसी है. इन दोनों चीजों के डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर? लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति से इसका लेन-देन होने के साथ व्यापारिक जगहों पर क्यूआर कोड के जरिए इस्तेमाल होगा. इसके इस्तेमाल पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगेगा. साथ ही इसे दूसरी करेंसी से भी बदला जा सकेगा यानि की इससे आप कागजी नोट भी ले सकेंगे. साथ ही बैंक में भी जमा करा सकेंगे.

देश की इकॉनामी को बढ़ावा देने के लिए इस करेंसी को लांच किया जा रहा है. इसीलिए सरकार इसे पहले लोगों के लिए उपयोग में आसान बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लांच कर रही है. अब देखना ये है कि लोगों के लिए ये कितना उपयोगी साबित होता है और इसके क्या फायदे देखने को मिलते हैं.

Published at : 30 Nov 2022 02:54 PM (IST) Tags: RBI DIGITAL RUPEE DIGITAL CURRENCY हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Explainer News in Hindi

क्रिप्टोकरेंसी बनाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, जानें क्या है इनमें अंतर और क्या है नफा-नुकसान

भारत में क्रिप्टो मालिकों की संख्या 10.07 करोड़ है जो दुनिया भर में सबसे अधिक है.

भारत में क्रिप्टो मालिकों की संख्या 10.07 करोड़ है जो दुनिया भर में सबसे अधिक है.

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) डिसेंट्रलाइज्ड है और भारत में किसी भी नियामक प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित नहीं की गई है. च . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : December 02, 2021, 13:03 IST

Cryptocurrency News Today: भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर खूब घमासान मचा हुआ है. दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में क्रिप्टो का कारोबार होने के बाद इस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. सरकार इसे असुरक्षित मानते हुए इसके नियमन को लेकर संसद में बिल लाने की तैयारी कर रही है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के बढ़ते चलन को देखते हुए सरकार खुद अपनी डिजिटल करेंसी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लाने की कवायद में जुटी हुई है.

आखिर क्यों है क्रिप्टो पर इतना विवाद और क्या है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), इन मुद्दों पर विस्तार से बात कर रही हैं फाइनेंशियल एडवाइजर ममता गोदियाल. ममता गोदियाल (Mamta Godiyal) का बैंकिंग सेक्टर में लंबा अनुभव रहा है. अब वह निजी तौर पर पर्सनल फाइनेंस को लेकर लोगों को खासकर महिलाओं को जागरुक कर रही हैं. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर उनसे लंबी चर्चा हुई. बातचीत में उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी और भारत सरकार की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के बारे में कई पहलुओं पर रोशनी डाली.

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)
यह एक कोड से बनाई गई डिजिटल संपत्ति है. इसे एक्सचेंज के माध्यम के रूप में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें व्यक्तिगत सिक्का स्वामित्व रिकॉर्ड एक डिजिटल लेजर, कम्प्यूटरीकृत डेटाबेस में स्टोर किए जाते हैं, जो लेनदेन के रिकॉर्ड को सुरक्षित करने के लिए मजबूत क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल करते हैं. अतिरिक्त डिजिटल सिक्कों के निर्माण को कंट्रोल करने और सिक्का स्वामित्व के हस्तांतरण को सत्यापित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. पहली विकेन्द्रीकृत क्रिप्टोक्यूरेंसी बिटक्वाइन वर्ष 2009 में बनाया गया था.

क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और भारत में किसी भी नियामक प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित नहीं की गई है. चूंकि इस संबंध में कोई दिशानिर्देश, नियम और विनियम नहीं हैं, इसलिए निवेशक क्रिप्टोकरेंसी में अपने जोखिम पर निवेश कर रहे हैं.

असल में भारत में क्रिप्टोकरेंसी में लगातार बढ़ते निवेशकों और इसका जोखिम सरकार के लिए चिंता का विषय है.

भारत में क्रिप्टो मालिकों की संख्या 10.07 करोड़ है जो दुनिया भर में सबसे अधिक है. हालांकि, जब क्रिप्टो को लेकर जानकारी और जागरूकता की बात आती है, तो भारत में इसका स्कोर 10 में से 4.39 है जो कि बहुत अच्छा नहीं है. क्यूंकि हम अपनी मेहनत की कमाई को ऐसे बाजार में निवेश कर रहे हैं जो किसी कानून द्वारा संरक्षित नहीं है.

जैसा कि, हम नीचे दी गई तालिका से देख सकते हैं कि क्रिप्टो मालिकों के विशाल आधार के बावजूद, भारत क्रिप्टो मालिकों के मामले में कुल जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में 7.30 प्रतिशत के रूप में पांचवें स्थान पर है. यूक्रेन इस सूची में पहले स्थान पर है, जिसमें क्रिप्टो के मालिक कुल जनसंख्या का 12.73 प्रतिशत है, इसके बाद रूस का स्थान है.

cryptocurrency

वर्तमान हालात पर नजर डालें तो, सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में ‘द क्रिप्टोक्यूरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021’ (The Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill 2021) पेश करने जा रही है. इस घोषणा के बाद भारत में क्रिप्टो बाजार में दहशत फैल गई और बड़ी हलचल भी देखने को मिली.

30 नवंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने राज्यसभा में प्रश्नकाल सत्र के दौरान क्रिप्टोकुरेंसी पर कहा, “यह एक जोखिम भरा क्षेत्र है और पूर्ण नियामक ढांचे में नहीं है. इसके विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया था. आरबीआई (RBI) और सेबी (SEBI) के माध्यम से जागरुकता पैदा करने के लिए कदम उठाए गए हैं. सरकार जल्द ही एक विधेयक पेश करेगी.”

अब सरकार इसे लेकर क्या रणनीति बना रही है इसके लिए हमें क्रिप्टोकुरेंसी विधेयक 2021 के आने तक इंतजार करना होगा.

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency)
यह फिएट मनी का एक डिजिटल रूप है. जो मुद्रा चलन में है उसे फिएट मनी कहा जाता है. यह वर्चुअल करेंसी और क्रिप्टोकुरेंसी से अलग है. CBDC पर पूरी तरह से सरकार का नियंत्रण होगा. सरकार के नियंत्रण में होने से इसके जोखिम कम हो जाएंगे.
– क्रिप्टोक्यूरेंसी के विपरीत सीबीडीसी केंद्रीकृत मुद्रा होगी.
– इसकी मदद से लोग बैंक, क्लियरिंग हाउस आदि बिचौलियों के भरोसे सीधे पैसा भेज सकेंगे.
– यह बिल्कुल कागजी मुद्रा की तरह है.
– बैंक ऑफ इंग्लैंड सीबीडीसी की शुरुआत की संभावनाओं पर वैश्विक चर्चा शुरू करने वाले पहले संगठनों में से एक था.
– सेंट्रल बैंक ऑफ स्वीडन इसके कार्यान्वयन पर विचार करने के सबसे करीब है.

(ये लेखक के अपने विचार हैं. पाठकों से अनुरोध है कि निवेश करने से पहले पूरी तरह से शोध करें क्योंकि यह मालिक के जोखिम के अधीन है.)

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Cryptocurrency : नहीं, डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी एक ही चीजें नहीं होती हैं, समझिए क्या है फर्क

पिछले कुछ सालों में डिजिटल करेंसी और डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल बड़े स्तर पर फैला है और क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता से वर्चुअल करेंसी और वर्चुअल वॉलेट का कॉन्सेप्ट भी आ गया है. लेकिन डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर? ये सारी चीजें जितनी जल्दी हुई है, उससे थोड़ा भ्रम फैला है.

Cryptocurrency : नहीं, डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी एक ही चीजें नहीं होती हैं, समझिए क्या है फर्क

Cryptocurrency : अकसर लोग डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी को एक ही चीज समझ लेते हैं.

पिछले एक दशक में मॉनेटरी सिस्टम में डिजिटल क्रांति (Digitalization) आई है. खासकर डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल शुरू होकर बहुत बड़े स्तर पर फैल गया है. खासकर कोविड-19 फैलने के बाद लगे लॉकडाउन में डिजिटल वॉलेट्स और डिजिटल ट्रांजैक्शन को और भी बड़े स्तर पर लोगों को अपनाना पड़ा. और अब क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की बढ़ती लोकप्रियता से वर्चुअल करेंसी और वर्चुअल वॉलेट का कॉन्सेप्ट भी आ गया है. लेकिन ये सारी चीजें जितनी जल्दी-जल्दी हुई है, उससे थोड़ा भ्रम जरूर फैला है.

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लोगों ने डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी दोनों को रखने के लिए शुरू कर दिया, और अकसर लोग क्रिप्टोकरेंसी को डिजिटल करेंसी कहते दिख जाते हैं, लेकिन इन दोनों में फर्क है.

1. डिजिटल करेंसी vs डिजिटल कॉइन

डिजिटल करेंसी सरकारी फ्लैट करेंसी यानी रुपया, डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म को कहते हैं. डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल कॉन्टैक्टलेस पेमेंट करने में किया जाता है, जैसे कि आप जब अपने बैंक अकाउंट से किसी और के बैंक अकाउंट में पैसे भेजते हैं या फिर अपने फोन में किसी पेमेंट ऐप का इस्तेमाल कर रहे होते हैं, तो आप फ्लैट मनी में ही ट्रांजैक्शन कर रहे होते हैं, लेकिन फ्लैट मनी के ही इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म को ही डिजिटल करेंसी कहते हैं. जब आप इसी पैसे को एटीएम से निकाल लेते हैं, तो वो कैश बन जाता है.

लेकिन क्रिप्टोकरेंसी एक वर्चुअल करेंसी है, इसका कोई फिजिकल फॉर्म नहीं है, आप इसे छू नहीं सकते हैं. इसकी वैल्यू इसे असाइन की गई कीमत में है. इन्हें डिजिटल कॉइन्स भी कहते हैं. क्रिप्टो इकोसिस्टम में बिटकॉइन, ईथर और डॉजकॉइन जैसी कई दूसरी डिजिटल कॉइन्स हैं. इन कॉइन्स को हाई-फाई कंप्यूटरों पर ऑनलाइन माइनिंग के जरिए जेनरेट किया जाता है और अधिकतर देशों में इनपर कोई सरकारी नियमन नहीं है. ये एडवांस्ड ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती हैं और कह सकते हैं कि ये खुद का नियमन खुद करती हैं.

2. दोनों की सिक्योरिटी और इस्तेमाल

डिजिटल करेंसी को एन्क्रिप्शन की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन हां, यूजर्स को अपने डिजिटल वॉलेट्स यानी की बैंकिंग ऐप या पेमेंट ऐप्स को स्ट्रॉन्ग पासवर्ड के जरिए सेफ रखना पड़ता है. इसके अलावा डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड को पासवर्ड के जरिए सुरक्षित रखना होता है. डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल किसी भी उपलब्ध ऑनलाइन माध्यम से और डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर? हर उस चीज के लिए किया जा सकता है, जिसके लिए नकदी की जरूरत पड़ती है.

वहीं, क्रिप्टोकरेंसी को सुरक्षा के लिए बहुत मजबूत और जटिल एन्क्रिप्शन की जरूरत पड़ती है. क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करने या इसे खरीदने-बेचने के लिए सबसे पहले तो आपके पास बैंक अकाउंट और डिजिटल करेंसी की जरूरत पड़ेगी. उसके बाद आपको किसी क्रिप्टो एक्सचेंज पर ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. वहां से डिजिटल करेंसी से क्रिप्टोकरेंसी खरीदनी होगी, उसके बाद आप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश शुरू करेंगे.

अगर इसके इस्तेमाल की बात करें तो क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अभी व्यापक नहीं है. ऑफलाइन डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर? दुनिया में इस ऑनलाइन करेंसी को अपनाया नहीं गया है. हालांकि, बहुत सी कंपनियों ने क्रिप्टो में पेमेंट लेना शुरू कर दिया है. वहीं, खुद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी कहा है कि वो चरणबद्ध तरीके से अपना क्रिप्टोकॉइन लाएगा.

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3. डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी का नियमन

जैसाकि हम पहले कह चुके हैं, डिजिटल करेंसी फ्लैट मनी का ही इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म है, ऐसे में इसका नियमन भी वही संस्थाएं देखती हैं जो फ्लैट करेंसी का नियमन देखती हैं. फ्लैट करेंसी की एक निश्चित नियामक संस्था होती है, जो मौद्रिक नीतियां बनाती है और मॉनेटरी सिस्टम पर कंट्रोल रखती हैं. भारत में रुपया का नियम रिजर्व बैंक देखता है, वहीं डिजिटल करेंसी के ट्रांजैक्शन को संबंधित अथॉरिटी देखती है.

लेकिन वहीं, क्रिप्टोकरेंसी एक डिसेंट्रलाइज़्ड सिस्टम पर बना हुआ है, यानी इसका कोई एक नियामक बिंदु नहीं है, जहां से इसपर नियंत्रण रखा जाता है या फिर इसपर नियम कानून लागू किए जाते हैं. इसे कोई एक संस्था नियमित नहीं करती है. क्रिप्टो मार्केट में जितने भी ट्रांजैक्शन होते हैं, उन्हें हर कोई देख सकता है. इसके लिए एक पब्लिक लेज़र होता है, जो सबके लिए कहीं भी उपलब्ध रहता है.

4. दोनों की स्थिरता

डिजिटल करेंसी सामान्यतया स्थिर ही रहती है. करेंसी में हल्का-उतार चढ़ाव रहता है, जिससे बाजार में अचानक तूफान नहीं आता. ऊपर से विश्व भर में इसे मान्यता मिली हुई है तो इसके ट्रांजैक्शन में कोई दिक्कत नहीं आती है. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी बाजार बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव का शिकार होता है. यहां पर बहुत ज्यादा अनिश्चितता होती है. वैसे भी क्रिप्टो अभी बहुत नया है. नये बाजार में अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव रहना बहुत ही सामान्य बात है.

5. पारदर्शिता

डिजिटल करेंसी या फ्लैट करेंसी का सिस्टम बहुत ही प्राइवेट है. इसके ट्रांजैक्शन की जानकारी बस सेंडर, रिसीवर और बैंकिंग अथॉरिटी को रहती है. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में जो भी ट्रांजैक्शन हो रहा है, उसकी जानकारी सबको होती है. सभी ट्रॉन्जैक्शन पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में दर्ज होते हैं. इससे सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहती है.

डिजिटल करेंसी: क्या आप डिजिटल रुपया और क्रिप्टो करेंसी जानते हैं अंतर जानें

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डिजिटल मुद्रा: भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 नवंबर, 2022 से प्रयोगात्मक स्तर पर डिजिटल रुपये की मुद्रा शुरू की है। पहले पायलट प्रोजेक्ट के तहत डिजिटल रुपये का व्यापक रूप से उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस परियोजना में नौ बैंकों को शामिल किया है, जिनमें भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी शामिल हैं। स्वाभाविक रूप से, डिजिटल रुपया और क्रिप्टो मुद्रा क्या है ? आपने यह सवाल जरूर पूछा होगा। तो चिंता न करें आज का हमारा लेख उसी के बारे में है और हम आपको डिजिटल रुपया और क्रिप्टो करेंसी के बीच का अंतर बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं और जानकारी।

CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी डिजिटल रूप में केंद्रीय बैंक की कानूनी मुद्रा है। रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए नोट डिजिटल रूप में हैं। इस डिजिटल मुद्रा का मूल्य कागज के नोटों के समान है और इसे उसी रूप में कैशलेस लेनदेन किया जा सकता है। फिलहाल यह प्रयोग होलसेल सेगमेंट के लिए लागू किया जा रहा है।

डिजिटल मुद्रा दो प्रकार की होती है

वर्तमान में हमारे देश में दो प्रकार की डिजिटल मुद्राएं हैं। पहला है रिटेल सीबीडीसी और दूसरा है होलसेल सीबीडीसी। खुदरा सीबीडीसी सभी के लिए सुलभ होगा। जबकि थोक सीबीडीसी चयनित वित्त या वित्तीय संस्थानों के लिए होने जा रहा है। यह मुद्रा नकदी पर निर्भरता कम करेगी और विश्वसनीय लेनदेन को सक्षम करेगी। इस मुद्रा का उपयोग करना आसान होगा और इसे मोबाइल वॉलेट में रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर बैंक से आसानी से नकद में बदला जा सकता है।

इससे सरकार सभी आधिकारिक नेटवर्क के माध्यम से देश से बाहर जाने और देश के बाहर से आने वाले धन की निगरानी कर सकेगी। इससे आपको नकली नोटों की समस्या के साथ-साथ कागज के नोटों को छापने के खर्चे से भी मुक्ति मिलेगी। डिजिटल करेंसी पेपर बिल की तरह खराब नहीं होती है। यह मुद्रा स्थायी है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह सुरक्षित है।

क्रिप्टो करेंसी डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर? और डिजिटल करेंसी में अंतर

क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल करेंसी में बहुत बड़ा अंतर है। जबकि डिजिटल मुद्रा रुपये से रुपये के लेनदेन पर आधारित है, क्रिप्टो में व्यापार बाजार के जोखिम डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर? पर आधारित है। चूंकि डिजिटल मुद्रा आरबीआई द्वारा लॉन्च की गई है, इसलिए इसे केवल उनके द्वारा नियंत्रित किया जाता है। दूसरी ओर, क्रिप्टो एक निजी परियोजना है। तो इसमें बड़ा खतरा है।

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