शेयर मार्केट में निवेश क्यों करें?

Mutual Fund में निवेश लंबी अवधि का होता है। ऐसे में निवेश पर महंगाई का असर साफ दिखता है। यही वजह होती है कि Fund Manager अपने फंड्स के रिटर्न को ऐसे स्तर तक बनाए रखने की कोशिश करते हैं जिससे महंगाई के बाद भी अच्छा मुनाफा हो।
शेयर बाजार में निवेश कैसे शुरू करें?
इसे सुनेंरोकेंटॉप कंपनियों को चुनें: शुरुआत में बहुत ज्यादा रिटर्न पर फोकस करने से बचें. क्योंकि बहुत ज्यादा रिटर्न के चक्कर में लोग उन कंपनियों स्टॉक्स में पैसे लगा देते हैं, जो फंडामेंटली मजबूत नहीं होते हैं, और फिर फंस जाते हैं. इसलिए निवेश की शुरुआत अक्सर लार्ज कैप कंपनियों से करें. जो फंडामेंटली मजबूत हो.
इसे सुनेंरोकेंशेयर बाजार में निवेश करने के पहले आपको शेयर बाजार की थोड़ी समझ होना आवश्यक है। जिससे कि शेयर बाजार में आसानी से निवेश कर सकेंगे और वहां से पैसा कमा सकेंगे। शेयर मार्केट में निवेश करने से पूर्व आपको एक डीमैट अकाउंट (Demat account) चाहिए होगा जो कि आप एक ब्रोकर के माध्यम से ऑनलाइन घर बैठे खुलवा सकते हैं।
आज का शेयर बाजार कितना है?
नाम | वैल्यू | बदलाव |
---|---|---|
निफ्टी आइटी | 36989.15 | 362.00 |
निफ्टी बॅंक | 35029.50 | 421.65 |
निफ्टी 50 | 16955.45 | 184.60 |
निफ्टी फ़ार्मा | 13547.70 | 264.85 |
शेयर मार्केट क्या है समझाइए?
इसे सुनेंरोकेंशेयर या शेयर मार्केट में निवेश क्यों करें? स्टॉक मार्केट एक ऐसी जगह है जहां पर आप अपने पैसे को निवेश करके अच्छी खासी रकम कमा सकते हैं. यह मार्केट पूरी तरह से देश की अर्थव्यवस्था, वैश्विक संकेतों, मुद्रा और आरबीआई की नीतियों आदि पर निर्भर करता है. स्टॉक मार्केट में अलग-अलग शेयर मार्केट में निवेश क्यों करें? कंपनियों के नाम से शेयर होते हैं.
शेयर बाजार में लगाने के लिये पैसा कंहा से लायें? शेयर बाजार में निवेश की शुरूआत कैसे करें? मुझे शेयर बाजार में निवेश क्यों करना चाहिये? डीमेट खाता क्या होता है?-
क्या करें निवेशक का पोर्टफोलियो?
निवेशक अपना पोर्टफोलियो बनाने से पहले कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें। नए निवेशकों को छोटे निवेश से शुरुआत करना चाहिए और काफी ज्यादा कंपनियों के शेयर ना खरीदें। एक ही सेक्टर की ज्यादा कंपनियों में भी पैसा नहीं लगाना चाहिए। निवेशक एफएमसीजी, फार्मा जैसे डिफेंसिव सेक्टर के शेयर अपने पोर्टफोलियो में शामिल करके अपना पोर्टफोलियो मजबूत कर सकते हैं।
Stock Market Tips: बाजार की मौजूदा परिस्थितियों में कहां, कितना निवेश करें, बता रहे हैं एक्सपर्ट विनोद नायर
साल 2022 में आईटी और सर्विस सेक्टर की कंपनियों में करेक्शन देखा गया है. इसके अलावा इन दोनों सेक्टर पर इन्फ्लेशन और इंटरेस्ट रेट का भी प्रभाव कुछ खास दिखा नहीं है. भले ही इस वक्त हाई वैल्यूएशन, हाई रिस्क और अस्थिरता का माहौल चारों तरफ है. इसके बावजूद इस सेक्टर के स्टॉक में दांव खेला जा सकता है. अगर बात आईटी सेक्टर की उन कंपनियों की बात की जाए जिनका बैलेंस शीट काफी मजबूत और उनका मूल्यांकन मध्यम दर्जे का है तो उनमें इंफोसिस, टीसीएस टेक महिंद्रा के नाम सबसे आगे हैं.
जिस तरह से अर्थव्यवस्था में केंद्रीय बैंक द्वारा लगातार इंटरेस्ट रेट बढ़ाए जाने की वजह से एक साइकिल बन गया है. उनमें उन्हें कंपनियों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है जो शेयर मार्केट में निवेश क्यों करें? इन ब्याज दरों से अपने आप को कम प्रभावित होने देंगी. इसके अतिरिक्त मार्केट में वह कंपनियां भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है जो डेट फ्री, नगदी से मजबूत और कैशफ्लो के मामले में अच्छी है. सरकार के प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम अर्थात पीएलआई (PLI) से जुड़े सभी सेक्टर विशेषकर डिफेंस, इथेनॉल, ग्रीन एनर्जी और 5G अच्छे विकल्प हो सकते है. इसके अलावा उन कंपनियों से सावधान रहने की जरूरत है जिनका प्राइस बहुत ऊंचा है उनके ऑपरेशन और वैल्यूएशन के हिसाब से. इसके अलावा निवेशकों को उन जैसी शेयर मार्केट में निवेश क्यों करें? कंपनियों से बच कर रहना चाहिए जिनका बिजनेस साइकलिक मॉडल जैसे माइनिंग, आयल, इंफ्रा और मेटल्स वाले व्यवसाय पर आधारित है. हो सके तो उन कंपनियों पर ध्यान दें जिनका बिजनेस घरेलू अर्थव्यवस्था के साथ मेल खाता हो.
शेयर बाजार के जोखिम
Mutual Funds में सबसे ज्यादा रिटर्न इक्विटी से जुड़ी स्कीम में मिलता है, इसलिए एमएफ के लिए सबसे बड़ा रिस्क खुद शेयर बाजार ही है। हालांकि जोखिम इस बात से तय होता है कि आपने किस तरह के शेयरों का चुनाव किया है। अगर आप लार्जकैप या ब्लूचिप फंड्स में पैसा लगा रहें हैं तो आपके लिए जोखिम कम होगा। हालांकि स्मॉलकैप फंड्स में पैसा लगाने पर बढ़त में रिटर्न ज्यादा मिलेगा लेकिन गिरावट में नुकसान की संभावना भी ज्यादा होगी।
अक्सर देखने को मिलता है कि बाजार में गिरावट के साथ ही लोग बिना सोचे समझे स्कीम से पैसा निकालते हैं। ऐसी स्थिति में पहले आपको बाजार में गिरावट की वजह और अपनी स्कीम के जोखिम का स्तर देखना होगा। अगर जोखिम कम है और स्टॉक मजबूत हैं तो निवेश निकाल लेना आपके लिए नुकसान का सौदा बन सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि किसी विशेषज्ञ की मदद लें और अपने स्कीम के बारे में समझें। 5paisa आपको सभी स्कीम के जोखिम के स्तर और रिटर्न के अनुमानों की सटीक जानकारी देता है जिससे आप अपनी स्कीम के गिरावट और तेजी दोनों ही स्थिति में प्रदर्शन का अनुमान लगा सकते हो। इससे आप ज्यादा बेहतर फैसला ले सकते हैं।
महंगाई दर का जोखिम
Mutual Fund में निवेश लंबी अवधि का होता है, ऐसे में निवेश पर महंगाई का असर साफ दिखता है। यही वजह होती है कि Fund Manager अपने फंड्स के रिटर्न को ऐसे स्तर तक बनाए रखने की कोशिश करते हैं जिससे महंगाई के असर के बाद भी मुनाफा बेहतर हो।
अगर स्कीम पहले से काफी ऊंचे रिटर्न दे रही हो तो महंगाई का असर खास नहीं पड़ता, क्योंकि शेयर मार्केट में निवेश क्यों करें? आपके रिटर्न ऊंचे हैं। हालांकि अगर रिटर्न काफी कम हैं तो महंगाई की वजह से उनका वास्तविक मूल्य कम हो जाता है। यही वजह है कि एक्सपर्ट अलग अलग जोखिम और रिटर्न के आधार पर अलग अलग स्कीम में निवेश की सलाह देते हैं जिसमें आपका औसत रिटर्न ऊंचा ही बना रहे और आप महंगाई के असर से बच जाएं।
आप इसके लिए 5paisa जैसे एप की मदद ले सकते हैं। जहां म्यूचुअल फंड्स में निवेश पर कोई कमीशन नहीं लिया जाता है। वहीं आपको जोखिम उठाने के आधार पर सबसे बेहतर रिटर्न देने वाली स्कीम की जानकारी दी जाती है जिससे आपके रिटर्न हर स्थिति में ऊंचे ही बने रहें।
ब्याज दरों का असर
डेट म्यूचुअल फंड्स के लिए ब्याज दरों में बदलाव भी एक बड़ा जोखिम है। डेट फंड तब बेहतर प्रदर्शन करते हैं जब ब्याज दरें गिरती हैं। हालांकि दरों में बढ़त के साथ रिटर्न पर दबाव देखने को मिलता है। दरअसल, जब ब्याज दरें बढ़ती हैं तो निचली दरों पर जारी हुए बॉन्ड्स की वैल्यू घट जाती है, क्योंकि बॉन्ड में निवेश करने को उत्सुक निवेशक ऊंचे कूपन रेट को प्राथमिकता देता है।
ऐसे में डेट फंड्स से स्थिर रिटर्न पाने के लिए आपको स्कीम के चुनाव के लिए दरों में बढ़ोतरी या कटौती के साथ कई अन्य बातों को भी देखना होता है। डेट फंड्स में भी कई कैटगरी होती है जिसमें अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड्स, लो ड्यूरेशन फंड्स, लिक्विड फंड्स ओवरनाइट फंड्स शामिल हैं और इन सब पर ब्याज दरों में बढ़त का असर अलग अलग होता है। 5paisa के साथ आप किसी भी स्थिति में अपने लिए सबसे बेहतर फंड्स का चुनाव कर सकते हैं और बढ़ते ब्याज दरों के बीच अपने निवेश पर जोखिम को कम कर सकते हैं।
बैंक अकाउंट हो या स्टॉक्स में निवेश जानिए क्यों नॉमिनी का होना है बेहद जरूरी- चेक करें डीटेल्स
बैंक अकाउंट (bank account) खोलने या फिर किसी भी तरह के शेयर, पॅालिसी, म्यूचुअल फंड (mutual fund) और एफडी (FDs) की खरीद पर नॉमिनी अपॉइंट करना जरुरी होता है. बिना नॅामिनेशन करे अगर अकाउंट होल्डर की मृत्यु होती है तो इस कंडीशन में उनके परिजनों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ता है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर के बैंकों में हजार करोड़ रुपये बिना क्लेम किए पड़े हैं. इन खातों के ओरिजिनल अकाउंट होल्डर की मृत्यु बिना नॉमिनी फाइल किए हो गई है. जिस कारण किसी ने फंड को क्लेम नहीं किया है. इस वजह से बैंक अकाउंट से लेकर हर तरह के इंवेस्टमेंट पर नॅामिनी को मेंशन करना बहुत जरुरी है. कई बार देखा जाता है कि लोग किसी कारण से अपने बैंक अकाउंट या किसी ओर स्कीम या फंड में इंवेस्टमेंट के समय नॅामिनी का नाम मेंशन नहीं करते हैं. ऐसा न करना आपके परिवार के लिए आने वाले समय में कई परेशानियों का कारण बन सकता है. अगर किसी बैंक अकाउंट होल्डर या इंवेस्टर की मृत्यु बिना नॅामिनी को डाले हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में उनके परिवारजनों को पैसे लेने के लिए तमाम तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है. इसके साथ ही बिना नॅामिनी वाले फंड में गड़बड़ी की आशंका भी बनी रहती है. इसलिए अगर आपने भी अपने बैंक अकाउंट या किसी दूसरे इंवेस्टमेंट शेयर मार्केट में निवेश क्यों करें? में नॅामिनी का नाम मेंशन नहीं करा है तो आप भी जल्द से जल्द नॅामिनी का नाम ऐड कर लें. आज के समय में आपको म्यूचुअल फंड , एफडी, पीएफ अकाउंट, पोस्ट ऑफिस स्कीम, एलआईसी पॅालिसी आदि जैसी स्कीम में इंवेस्टमेंट के समय ही आपसे नॉमिनी का नाम भरने के लिए कहा जाता है. इसके साथ ही स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के लिए डीमेट अकाउंट में भी नॅामिनी के नाम को डालना जरूरी होता है.
नॅामिनी क्या होता है
सरल शब्दों में कहें तो अकाउंट होल्डर, म्यूचुअल फंड इंवेस्टर, लॉकर होल्डर, शेयर मार्केट इन्वेस्टर की मृत्यु हो जाने के बाद उस अकाउंट में पड़ी राशि को क्लेम करने के लिए किसी रिशतेदार या करीबी का नाम देना जरुरी होता है. आपके मेंशन किए गए नाम को नॅामिनी कहा जाता है. इसके लिए आप जिस को भी क्लोज रिलेशन में मानते हैं. उनका नॅामिनेशन करा सकते हैं. वो आपके माता-पिता,पति, पत्नी या भाई-बहन हो सकतें है. आप जब भी किसी नए बैंक अकाउंट को ओपन करने या किसी स्कीम में इन्वेस्टमेंट करते हैं. तब आपको अकाउंट ओपन करने के लिए फॉर्म दिया जाता है. इस फॅार्म का एक पार्ट होगा जहां आपको नॅामिनेशन फिल करना होता है. कई स्कीम में आपको एक से ज्यादा नामों को नॅामिनेट करने की सुविधा दी जाती है.
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शेयर बाजार के जोखिम
Mutual Funds में सबसे ज्यादा रिटर्न इक्विटी से जुड़ी स्कीम में मिलता है, इसलिए एमएफ के लिए सबसे बड़ा रिस्क खुद शेयर बाजार ही है। हालांकि जोखिम इस बात से तय होता है कि आपने किस तरह के शेयरों का चुनाव किया है। अगर आप लार्जकैप या ब्लूचिप फंड्स में पैसा लगा रहें हैं तो आपके लिए जोखिम कम होगा। हालांकि स्मॉलकैप फंड्स में पैसा लगाने पर बढ़त में रिटर्न ज्यादा मिलेगा लेकिन गिरावट में नुकसान की संभावना भी ज्यादा होगी।
अक्सर देखने को मिलता है कि बाजार में गिरावट के साथ ही लोग बिना सोचे समझे स्कीम से पैसा निकालते हैं। ऐसी स्थिति में पहले आपको बाजार में गिरावट की वजह और अपनी स्कीम के जोखिम का स्तर देखना होगा। अगर जोखिम कम है और स्टॉक मजबूत हैं तो निवेश निकाल लेना आपके लिए नुकसान का सौदा बन सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि किसी विशेषज्ञ की मदद लें और अपने स्कीम के बारे में समझें। 5paisa आपको सभी स्कीम के जोखिम के स्तर और रिटर्न के अनुमानों की सटीक जानकारी देता है जिससे आप अपनी स्कीम के गिरावट और तेजी दोनों ही स्थिति में प्रदर्शन का अनुमान लगा सकते हो। इससे आप ज्यादा बेहतर फैसला ले सकते हैं।
महंगाई दर का जोखिम
Mutual Fund में निवेश लंबी अवधि का होता है, ऐसे में निवेश पर महंगाई का असर साफ दिखता है। यही वजह होती है कि Fund Manager अपने फंड्स के रिटर्न को ऐसे स्तर तक बनाए रखने की कोशिश करते हैं जिससे महंगाई के असर के बाद भी मुनाफा बेहतर हो।
अगर स्कीम पहले से काफी ऊंचे रिटर्न दे रही हो तो महंगाई का असर खास नहीं पड़ता, क्योंकि आपके रिटर्न ऊंचे हैं। हालांकि अगर रिटर्न काफी कम हैं तो महंगाई की वजह से उनका वास्तविक मूल्य कम हो जाता है। यही वजह है कि एक्सपर्ट अलग अलग जोखिम और रिटर्न के आधार पर अलग अलग स्कीम में निवेश की सलाह देते हैं जिसमें आपका औसत रिटर्न ऊंचा ही बना रहे और आप महंगाई के असर से बच जाएं।
आप इसके लिए 5paisa जैसे एप की मदद ले सकते हैं। जहां म्यूचुअल फंड्स में निवेश पर कोई कमीशन नहीं लिया जाता है। वहीं आपको जोखिम उठाने के आधार पर सबसे बेहतर रिटर्न देने वाली स्कीम की जानकारी दी जाती है जिससे आपके रिटर्न हर स्थिति में ऊंचे ही बने रहें।
ब्याज दरों का असर
डेट म्यूचुअल फंड्स के लिए ब्याज दरों में बदलाव भी एक बड़ा जोखिम है। डेट फंड तब बेहतर प्रदर्शन करते हैं जब ब्याज दरें गिरती हैं। हालांकि दरों में बढ़त के साथ रिटर्न पर दबाव देखने को मिलता है। दरअसल, जब ब्याज दरें बढ़ती हैं तो निचली दरों पर जारी हुए बॉन्ड्स की वैल्यू घट जाती है, क्योंकि बॉन्ड में निवेश करने को उत्सुक निवेशक ऊंचे कूपन रेट को प्राथमिकता देता है।
ऐसे में डेट फंड्स से स्थिर रिटर्न पाने के लिए आपको स्कीम के चुनाव के लिए दरों में बढ़ोतरी या कटौती के साथ कई अन्य बातों को भी देखना होता है। डेट फंड्स में भी कई कैटगरी होती है जिसमें अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड्स, लो ड्यूरेशन फंड्स, लिक्विड फंड्स ओवरनाइट फंड्स शामिल हैं और इन सब पर ब्याज दरों में बढ़त का असर अलग अलग होता है। 5paisa के साथ आप किसी भी स्थिति में अपने लिए सबसे बेहतर फंड्स का चुनाव कर सकते हैं और बढ़ते ब्याज दरों के बीच अपने निवेश पर जोखिम को कम कर सकते हैं।