व्यापार घाटा

आसान भाषा में कहें तो व्यापार घाटा निर्यात और आयात के मूल्य के बीच अंतर होता है। जब कोई देश निर्यात के मुकाबले अपने आयात पर ज्यादा पैसा खर्च करता है तो व्यापार घाटे की स्थिति पैदा होती है। गिने-चुने देश ही होंगे जिनकी सारी जरूरतें देश से ही पूरी हो जाती हों और जिन्हें आयात करने की जरूरत ही न पड़ती हो। यह भी शायद ही देखने को मिलता है कि एक देश का आयात और निर्यात बराबर और पूरी तरह संतुलन में हो।
Foreign Trade: निर्यात के मोर्चे पर मिली बुरी खबर, दोगुनाा से भी ज्यादा बढ़ा व्यापार घाटा, जानें क्यों
विदेश व्यापार घाटे में दोगुने से भी अधिक की वृद्धि (File Photo)
- निर्यात के मोर्चे पर बुरी खबर मिली है
- बीते अगस्त में अपना निर्यात घट कर 33 अरब डॉलर रह गया है
- इसी महीने आयात में तेज बढ़ोतरी हुई है
- इसलिए व्यापार घाटा दोगुने से भी अधिक बढ़ कर 28.68 अरब डॉलर हो गया है
निर्यात बढ़ने की उम्मीद
वाणिज्य सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम ने संवाददाताओं से कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश का कुल निर्यात 450 अरब डॉलर के पार जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रोडक्ट एक्सपोर्ट में हम इस वित्त वर्ष में 450 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लेंगे। हालांकि मेरा आंतरिक लक्ष्य 470 अरब डॉलर का है। वहीं सेवा निर्यात 300 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा। इस तरह चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात 750 अरब डॉलर रहेगा जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 676 अरब डॉलर था।’’
Trade Deficit: Make in India पर जोर के बावजूद चीन से बढ़ रहा आयात, रिकॉर्ड उंचाई पर पहुंचा भारत का व्यापार घाटा
Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: September 22, 2022 13:15 IST
Photo:INDIA TV Make in India पर जोर के बावजूद चीन से बढ़ रहा आयात
Trade Deficit: चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि में भारत का व्यापारिक घाटा 124.7 अरब डॉलर था। यह किसी भी साल के इस अवधि में अब तक का सर्वाधिक घाटा है। अंतरराष्ट्रीय वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, विशेष रूप से ऊर्जा ने व्यापार घाटे को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभाई है, वहीं दूसरी तरफ यह भी आशंका जताई जाती है कि चीनी आयात बढ़ रहा है। हालांकि भारत सरकार का जोर मेक इन इंडिया पर है। सरकार भारत में ही चीन से आयात होने वाली अधिकतर चीजें बनाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सरकार के तरफ से कई सारी योजनाएं भी शुरु की गई है। उसके बावजूद भी व्यापारिक घाटे को कम करने में कोई खास मदद नहीं मिल रही है।
तेल कीमतों की है बड़ी भूमिका
चूंकि कच्चा तेल भारत के सबसे बड़े आयातों में से एक है, इसलिए व्यापार खाते को हमेशा पेट्रोलियम उत्पादों के साथ ट्रैक किया जाता है। पहली छमाही के लिए सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) डेटाबेस के आंकड़े बताते हैं कि 2022-23 में भारत का व्यापार घाटा सबसे अधिक है। पेट्रोलियम की खरीद पर खर्च होने वाले डॉलर व्यापार घाटे का एक बड़ा हिस्सा है। व्यापार घाटे को जीडीपी के साथ देखकर और आसानी से समझा जा सकता है, हालांकि सितंबर तिमाही के जीडीपी के आंकड़े नवंबर में उपलब्ध होंगे। अभी संभव नहीं है।
व्यापार घाटा मुख्य रुप से दो बातों पर निर्भर व्यापार घाटा करता है। पहला निर्यात और दूसरा आयात। भारत के व्यापार घाटे के मामले में आयात इतनी तेजी से बढ़ा है कि भारत के व्यापारिक निर्यात में वृद्धि के बावजूद व्यापार घाटा बढ़ गया है (इसमें भारत के आईटी निर्यात से आय शामिल नहीं है, जो सेवाओं के अंतर्गत आता है)। न केवल चीनी आयात में वृद्धि हुई है बल्कि चीन को भारत का निर्यात भी गिर गया है। जहां तक चीन के साथ भारत के व्यापार संतुलन का सवाल है तो यह दोहरी मार साबित हुई है। इसे अगर आपको आसान भाषा में समझाया जाए तो मान लीजिए भारत चीन से 100 रुपये का समान खरीदता है, लेकिन उसे वापस से 100 रुपये का समान बेच नहीं पा रहा है। यही कारण है कि भारत का व्यापारिक घाटा बढ़ता जा रहा है।
चीन से भारत सबसे अधिक क्या खरीदता है?
चीन से भारत का आयात(खरीद) बास्केट दिवाली की रोशनी और घरेलू उपभोक्ता वस्तुओं जैसे सामानों की तुलना में अधिक है और इसमें पूंजीगत सामान और उच्च प्रौद्योगिकी उत्पाद भी शामिल है। इसमें से विद्युत मशीनरी और उपकरण, परमाणु रिएक्टरों के पुर्जे, और यांत्रिक उपकरण और कार्बनिक रसायन चीन में ही तैयार किए जाते हैं, जिसे भारत में आयात होता है। चीन से भारत जिन प्रोडक्ट्स को खरीदता है उनमें से टॉप-5 की आयात 70% के करीब है।
चीन को भारत के निर्यात(बेचने) में औद्योगिक इनपुट, निर्माण सामग्री और मछली जैसी कुछ खराब होने वाली वस्तुएं शामिल हैं। मुख्य रुप से भारत चीन को कॉटन यानी कपास, कॉपर यानी तांबा, हीरा और अन्य प्राकृतिक रत्न बेचता है।
व्यापार घाटे पर काबू जरूरी
विजय प्रकाश श्रीवास्तव
संचित व्यापार घाटा हमारी देनदारियों में वृद्धि करता जाएगा, देश के बजट का एक बड़ा हिस्सा इन देनदारियों को चुकाने पर खर्च करना होगा और इसका असर यह पड़ेगा कि विकास कार्यों में निवेश के लिए पैसा कम पड़ने लगेगा। अगर हम व्यापार घाटे को काबू कर लेते हैं तो इससे अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी, हम अपने सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि कर सकेंगे और रोजगार के अतिरिक्त अवसर भी पैदा कर पाएंगे।
अर्थव्यवस्था को लेकर इन दिनों मिलीझ्रजुली खबरें आ रही हैं। कभी विकास दर में वृद्धि को लेकर खुश हो लिया जाता है, तो कभी रुपए का और गिर जाना निराशाजनक तस्वीर पेश करता है। यह सही है कि कोरोना महामारी अपने में एक अभूतपूर्व घटना थी जिसने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला दिया। यह प्रभाव इतना गहरा था कि इससे उबरना कोई दो-चार महीनों की बात नहीं थी।
FY22 में देश का व्यापार घाटा 87.5% बढ़ा, 192.41 अरब डॉलर रहा आंकड़ा
TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा
Updated on: Apr 04, 2022 | 8:33 PM
देश का व्यापार घाटा (Trade deficit) 2021-22 में 87.5 फीसदी बढ़कर 192.41 अरब डॉलर रहा है. इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 102.63 अरब डॉलर था. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में निर्यात (Export) रिकॉर्ड 417.81 अरब डॉलर रहा है. जबकि, आयात (Import) भी बढ़कर 610.41 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. इससे व्यापार घाटा 192.41 अरब डॉलर रहा है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Commerce Ministry) की प्रेस रिलीज के मुताबिक, भारत का वस्तुओं का आयात 31 मार्च 2022 को खत्म वित्त वर्ष में 54.71 फीसदी बढ़कर 610.22 अरब डॉलर रहा है. इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में यह 394.44 अरब डॉलर था. वहीं, 2019-20 के 474.71 अरब डॉलर के मुकाबले यह 28.55 फीसदी ज्यादा है.
देश का निर्यात पहली बार एक महीने में 40 अरब डॉलर के पार रहा
पहली बार, देश का एक महीने में निर्यात का आंकड़ा 40 अरब डॉलर के ऊपर यानी 40.38 अरब डॉलर रहा है. यह एक महीने पहले फरवरी के 35.26 अरब डॉलर के मुकाबले 14.53 फीसदी अधिक है.
यह मार्च 2020 के 21.49 अरब डॉलर के मुकाबले 87.89 फीसदी अधिक है.
मंत्रालय के मुताबिक, देश का वस्तुओं का आयात पिछले महीने 59.07 अरब डॉलर रहा, जो मार्च 2021 के 48.90 अरब डॉलर से 20.79 फीसदी ज्यादा है. वहीं मार्च 2020 के 31.47 अरब डॉलर के मुकाबले यह 87.68 प्रतिशत अधिक है.
इसके अलावा आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत के निर्यात के आंकड़े पर कहा कि हमारे देश के इतिहास में पहली बार, कोरोना की लहरों के बावजूद 418 अरब डॉलर का निर्यात किया गया है, जो लक्ष्य से पांच फीसदी ज्यादा है. गोयल ने आगे कहा कि हम मार्च में 40 अरब डॉलर को पार कर गए हैं. यह पहले कभी भी नहीं हुआ है. पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग वस्तुओं, रत्न एवं आभूषण और रसायन क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का वस्तुओं का निर्यात 418 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है.
सितंबर में देश का निर्यात 4.82% बढ़ा, व्यापार घाटा बढ़कर 25.71 अरब डॉलर
बिजनेस डेस्कः देश के निर्यात में सितंबर महीने में इजाफा हुआ है। वही आयात में भी सालाना आधार पर बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। देश का निर्यात सितंबर में 4.82 प्रतिशत बढ़कर 35.45 अरब डॉलर व्यापार घाटा हो गया है। इस दौरान व्यापार घाटा भी बढ़कर 25.71 अरब डॉलर पर आ गया व्यापार घाटा है। केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार को आंकड़े जारी कर दिए है। इस महीने के पहले सप्ताह में जारी अपने शुरुआती आंकड़ों में मंत्रालय ने कहा था कि सितंबर में देश का वस्तुओं का निर्यात 3.52 प्रतिशत घटकर 32.62 अरब डॉलर रह गया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर माह 2022 में देश का आयात सालाना आधार पर 8.66 प्रतिशत बढ़कर 61.61 अरब व्यापार घाटा डॉलर हो गया है। सितंबर, 2021 में व्यापार घाटा 22.47 अरब डॉलर रहा था। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर, 2022) में निर्यात 16.96 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 231.88 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 38.55 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 380.34 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
रत्न-आभूषण पर कितना रहा असर
इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात सितंबर माह में 10.85 प्रतिशत घटकर 8.4 अरब डॉलर रह गया। इसी तरह, सिलेसिलाए परिधानों का निर्यात 18 प्रतिशत घटकर एक अरब डॉलर रह गया। प्लास्टिक का निर्यात भी 12.2 प्रतिशत घटकर 66.66 करोड़ डॉलर पर आ गया।
वहीं, रत्न और आभूषण, पेट्रोलियम उत्पाद, चमड़ा, दवा, रसायन और चावल के निर्यात में महीने के दौरान सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है। मंत्रालय ने कहा कि सितंबर, 2022 के लिए सेवाओं के निर्यात का अनुमानित मूल्य 25.65 अरब डॉलर है। यह सितंबर 2021 की तुलना में 18.72 प्रतिशत अधिक है।
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