बाजार को समझें

4. निवेशित रहने की जरूरत: जब आप छोटी रकम से निवेश की शुरुआत करेंगे, तो फिर हर महीने निवेश को बढ़ाते रहें. अपने पोर्टफोलियो को संतुलित बनाकर रखें. जब आप लगातार कुछ साल तक बाजार में निवेशित रहेंगे तो फिर आप लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. अक्सर बाजार में लंबे समय के निवेशित रहने वालों का फायदा होता है. (Photo: Getty Images)
बेस्ट स्टॉक मार्केट बुक्स (बिगिनर्स के लिए)
परंतु जब बात स्टॉक मार्केट इन्वेस्टिंग की आती है तो लोग शेयर मार्केट के बेसिक्स और स्टॉक मार्केट से पैसे कैसे कमाए की सही जानकारी प्राप्त किए और सही समय दिए ही स्टॉक मार्केट से पैसे कमाने के लिए कूद पड़ते हैं। बाद में बाजार को समझें उनको नुकसान होता हैं और वे स्टॉक मार्केट को जुंवा समझने लगते हैं।
दोस्तों, मैं नहीं चाहता की आपके साथ भी ऐसा कुछ हो और आप शेयर मार्केट में निवेश के द्वारा अच्छा पैसा कमाने से चूक जाएं। इसलिए मैं इस आर्टिकल में आपके लिए लेके आया हूँ Best Share Market Books in Hindi जो आपकी स्टॉक मार्केट से पैसा कमाने में बहुत अधिक मदद करने वाली हैं।
यह 100% सत्य है कि किसी भी चीज को तैयारी के साथ किया जाए तो उसका रिजल्ट आपकी आशा के अनुरूप मिलता है। इसलिए आपको स्टॉक मार्केट में निवेश करने से पहले स्टॉक मार्केट की सही जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए जो कि शायद आपको Share Market Books in Hindi के अलावा कहीं ओर से मिल पाएगी।
SEBI के इस नए रूल से महंगी हो जाएगी शेयर ट्रेडिंग, यहां समझें इस नियम का मतलब
SEBI के एक नियम में ब्रोकरेज कॉस्ट बढ़ जाएगी। यह नियम 7 अक्टूबर (शुक्रवार) से लागू हो गया है। इस नियम में यह कहा गया है कि ब्रोकर (Brokers) को अपने क्लाइंट्स के ट्रे़डिंग अकाउंट्स को हर महीने या हर तिमाही के पहले शुक्रवार को स्कॉवयर-ऑफ करना होगा। यह क्लाइंट्स की तरफ से चुने गए ऑप्शन (मासिक या तिमाही) पर निर्भर करेगा। आइए इस नियम के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आपके लिए इस नियम का मतलब यह है कि आपके ट्रेडिंग अकाउंट में जो भी बैलेंस (इस्तेमाल नहीं किया गया) होगा, उसे ब्रोकर आपकी तरफ से चुने गए दिन को आपके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर देगा। ब्रोकरेज फर्म जीरोधा (Zerodha) के फाउंडर नितिन कामत (Nithin Kamath) का अनुमान है कि यह पैसा 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है।
शेयर मार्केट का फंडा क्या है – शेयर बाजार को कैसे समझें?
ज ब कभी बाज़ार में निवेश करने का मुद्दा उठता है तो सवाल यहीं से शुरू होता है कि हम सब रिस्क या खतरा उठाने के लिए कितने तैयार रहते हैं? एक आसान-सा प्रयोग करक देखिए और आपको अपने इस सवाल का जवाब मिल जाएगा। किन्हीं जुड़वां बच्चों से एक ही सवाल पूछिए ‘देखो बच्चों तुम्हारे सामने तीन विकल्प हैं। पहले में तुम्हें 30 रुपए का इनाम निश्चित ही मिलेगा, दूसरे में इनाम में 500 रुपए मिल सकते हैं, लेकिन में मिलने की संभावना 20 फीसदी ही है और तीसरे में 50 रुपए मिलने की 50 प्रतिशत संभावना है। अब बताओ, तुम क्या चुनोगे?’ आपके इस एक ही सवाल के जवाब आपको अलग-अलग मिलेंगे। खतरा उठाने की वृत्ति दो लोगों में, भले वे दोनों एक ही परिवार के हों, बेहद अलग होती है। अलग-अलग व्यक्तियों में, अलग-अलग समय पर खतरा उठाने की अलग-अलग वृत्ति होती है। बाजार को समझें आज इस लेख में हम जानते हैं कि शेयर मार्केट का फंडा क्या है – शेयर बाजार को कैसे समझें ? आइए विस्तार से जानें :–
शेयर मार्किट के फायदे और नुक्सान को समझें
इन सभी तरह के निवेशों के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। कोई कंपनी किसी निवेशक को किसी मामले में अच्छी लगती है, तो दूसरे को नहीं लगती। जो कंपनी अच्छा डिविडेंड देती है, उसे सावधानी से निवेश करने वाला निवेशक पसंद करेगा, लेकिन वह निवेशक पसंद नहीं करेगा जो यह मानता है कि कंपनी का काम शेयर धारकों को नकद पैसे बांटना नहीं है बल्कि कमाई को व्यवसाय में लगाकर, कंपनी का विकास करना है। वह शेयर बाज़ार की तरफ देखता है तो यह देखता है कि कौन से शेयर की कीमत बढ़कर, उसके निवेश पर ज्यादा लाभ देगी। इसी तरह जिन शेयरों में उतार-चढ़ाव ज्यादा तेज होता है, सावधान निवेशक उसे खतरनाक मानता है।
बहरहाल निवेश में खतरे को लेकर आपका रवैया चाहे जो भी हो, जब आप खरीदने के लिए शेयर चुनते हैं तो कुछ सरल, सामान्य नियमों का ध्यान रखें। आप शेयरों की एक सूची बनाइए-‘सबसे तेज चढ़ने वाले’, ‘सबसे अधिक डिविडेंड देने वाले’ या ‘तेज शेयर’। शेयर मार्केट का फंडा क्या है
शेयर मार्किट के उतार चढ़ाव को समझें
शुरू के थोड़े वक्त में ऐसा होता है कि निवेशकों की सामूहिक मनोस्थिति शेयरों की कीमतों में फर्क लाती है। ज्यादातर ऐसा होता है कि अच्छा नतीजा आने से शेयर की कीमत गिर जाती है, क्योंकि बाज़ार में वैसी ही अपेक्षा बनी हुई थी, इसलिए जब ऐसा होता है तो बाज़ार उसे कम करके आंकता है। कोई भी एक नई खबर कीमत को ऊपर या नीचे लाने का कारण बन जाती है। जब किसी प्रतिकूल खबर की आशंका हो तो उससे भी कीमत बढ़ जाती है, क्योंकि माना जाता है कि इस कंपनी का बुरा वक्त बीत रहा है और अब कुछ अच्छा घटित होगा। भले आपको लगे कि इस बात पर कैसे भरोसा किया जाए पर यह सच है कि बाज़ार में हर निवेशक के नजरिये का संयुक्त असर पड़ता है।
हर सामान्य आदमी इस बाज़ार के बारे में परेशान रहता है, क्योंकि यहां की कोई बात उसे समझ में नहीं आती है। उन सब को मेरी सलाह है कि आप अपने मन की सुनिए। निवेश के बारे में सबसे सही फैसला आपकी अपनी समझ ही कर सकती है। वैसे शेयर न खरीदें, जिन्हें आपकी बुद्धि और समझ पसंद नहीं कर रही हो और इस बात का ध्यान रखें कि आपका सारा पैसा एक ही कंपनी में निवेश न किया गया हो। बाज़ार में उड़ती अफवाहों पर ध्यान मत दीजिए। अफवाहें बना-बनाया खेल बिगाड़ देती हैं ।।
Investment Tips: शेयर मार्केट से करोड़पति कैसे बनें? आपका भी है यही सवाल? ये 7 जवाब
पैसा कमाना हर किसी को अच्छा लगता है. कहा जाता है कि शेयर बाजार में बहुत पैसा है. कुछ लोगों को उदाहरण दिया जाता है कि इन्होंने महज 5000 रुपये से निवेश की शुरुआत की थी, और आज शेयर बाजार से करोड़ों रुपये बना रहे हैं. आखिर उनकी सफलता का राज क्या है, आज हम आपको बताएंगे? (Photo: Getty Images)
दरअसल, आप भी कुछ आसान टिप्स को फॉलो कर शेयर बाजार से पैसे बना सकते हैं. शेयर बाजार में कुछ बातों का ध्यान रखकर आप लखपति से करोड़पति बन सकते हैं. लेकिन अक्सर लोग पैसे बनाने की होड़ में नियम और रिस्क को भूल बाजार को समझें जाते हैं, या फिर कहें जानबूझकर नजरअंदाज कर देते हैं. और फिर उनकी उनकी शिकायत होती है कि शेयर बाजार से बड़ा नुकसान हो गया. (Photo: Getty Images)
शेयर की कीमतों के ट्रेंड को कैसे समझें?
शेयरों के चुनाव में रुझानों की बड़ी भूमिका होती है. जिसने ये रुझान या ट्रेंड समझ लिए, उन्हें पैसा बनाने में वक्त नहीं लगता है.
चूंकि सूचनाओं के इस सफर में वक्त लगता है जो कुछ घंटे से कई दिन तक का हो सकता है. लिहाजा, शेयर कीमतों में बदलाव भी कम रफ्तार से होता है. कुछ मामलों में तो खबर के बाजार में पहुंचने से पहले ही उसे पूरी तरह मान लिया जाता है. यही कारण है कि कंपनी के प्रॉफिट घटने या उछलने जैसी बड़ी खबरों पर भी मूल्यों पर कुछ खास असर नहीं दिखता है.
2. ये ट्रेंड क्या हैं?
ये ट्रेंड तीन तरह के होते हैं-अपट्रेंड, डाउनट्रेंड और साइडवेज ट्रेंड. साइडवेज ट्रेंड तब देखने में आते हैं जब बाजार में अनिश्चितता होती है. अपट्रेंड तब होता है जब बाजार में धीरे से कोई सकारात्मक खबर आती है. वहीं, बुरी खबर आने पर डाउनट्रेंड देखने को मिलता है. अगर शुरुआत में ही आप ट्रेंड पकड़ लें तो गिरावट और तेजी के बुनियादी कारणों को जाने बगैर पैसा बना सकते हैं.