Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए

Intraday Trading Tips: क्या होती है डे ट्रेडिंग? कुछ घंटों में ही मिल सकता है मोटा मुनाफा, ध्यान रखें जरूरी टिप्स
How to start Day Trading: इंटरनेट और आनलाइन ट्रेडिंग हाउसेज की पहुंच बढ़ने से अब शेयर बाजार में घर बैठे पैसे लगाना और मुनाफा कमाना आसान हो गया है.
How to do Intraday Trading: इंटरनेट और आनलाइन ट्रेडिंग हाउसेज की पहुंच बढ़ने से अब शेयर बाजार में घर बैठे पैसे लगाना और मुनाफा कमाना आसान हो गया है.
How to start Day Trading or Intraday Trading: इंटरनेट और आनलाइन ट्रेडिंग हाउसेज की पहुंच बढ़ने से अब शेयर बाजार में घर बैठे पैसे लगाना और मुनाफा कमाना आसान हो गया है. हालांकि निवेशकों की सोच अलग अलग होती है. कुछ निवेशकों का लक्ष्य लंबी अवधि का होता है और वे अपना पैसा अलग अलग लक्ष्य पूरा करने के लिए लांग टर्म के लिए निवेश करते हैं. वहीं, कुछ निवेशक शॉर्ट टर्म गोल लेकर बाजार में पैसा लगाते हैं. इन्हीं में से कुछ इंट्राडे इन्वेस्टर्स या डे ट्रेडर्स होते हैं. इंट्राडे ट्रेड में अगर सही स्टॉक की पहचान हो जाए तो शेयर बाजार में डेली बेसिस पर पैसा लगाकर मुनाफा कमाया जा सकता है.
क्या है इंट्राडे ट्रेडिंग
असल में बाजार में एक ही ट्रेडिंग डे पर शेयर खरीदने और बेचने को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहते हैं. इसमें सुबह पैसा लगाकर दोपहर तक अच्छी कमाई की जा सकती है. यहां शेयर खरीदा तो जाता है लेकिन उसका मकसद निवेश करना नहीं, बल्कि एक दिन में उसमें होने वाली बढ़त से मुनाफा कमाना होता है. ध्यान रहे कि इसमें जरूरी नहीं है कि आपको फायदा ही हो. डे-ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो इसके लिए पहले आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होता है.
चुनें सही स्टॉक: ऐसे शेयर चुनें, जिन्हें बेचना भी आसान हो. जिन शेयरों में हाई लिक्विडिटी हो और आप उन्हें आसानी से सेल कर सकें. क्यों कि अगर आपके शेयर का कोई बॉयर नहीं होगा तो आप नुकसान में पड़ जाएंगे. लेकिन लिक्विड स्टॉक में भी 2 या 3 ही स्टॉक चुनेंं.
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हॉयर ट्रेडिंग वॉल्यूम: हॉयर ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले शेयरों का ही चुनाव करें. ऐसे शेयरों में ज्यादा से ज्यादा इन्वेसटर्स का रूझान होता है.
शेयर बाजार से अपडेट रहें: अपको डे ट्रेडिंग करते समय शेयर बाजार से अपडेट रहना जरूरी है. जानना जरूरी है कि बाजार को लेकर किस तरह कीर खबरें चल रही हैं. इससे आपको सही शेयर Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए चुनने में मदद मिलेगी और आपद जोखिम से बच जाएंंगे.
मार्केट का ट्रेंड देखें: वोलेटाइल स्टॉक से दूर रहें और अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों में करें खरीददारी. शेयर का चुनाव करने के पहले बाजार का ट्रेंड जरूर देख लें, Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए मार्केट के ट्रेंड के खिलाफ न जाएं.
एक्सपर्ट से सलाह लें: निवेश के पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें. उसके बाद रिसर्च के बाद जिन शेयरों को लेकर कांफिडेंट हैं, उनमें निवेश करें.
तय करें टारगेट: शेयर खरीदने के पहले यह तय करें कि किस भाव में खरीदना है और उसका लक्ष्य कितना है.
जैसे ही लक्ष्य पूरा हो, प्रॉफिट बुकिंग करें.
स्टॉप लॉस स्ट्रैटेजी: इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस जरूर लगाएं. पेनी स्टॉक में निवेश करने से बचें.
(Source: इसमें अलग अलग ब्रोकरेज हाउस की रिपोर्ट के आणार पर टिप्स दिए गए हैं.)
कितने पैसों की पड़ती है जरूरत
इंट्रा डे में आप किसी शेयर में कितनी भी रकम लगा सकते हें. शेयर बाजार में नियम है कि जिस दिन शेयर खरीदा जाता है, उस दिन पूरा पैसा नहीं देना होता है. नियम के तहत जिस दिन शेयर खरीदा जाता है, उसके 2 ट्रेडिंग दिनों के बाद पूरा भुगतान करना होता है. फिर भी आपको शेयर के भाव का शुरू में 30 फीसदी रकम निवेश करना होता है.
कैसे मिलता है फायदा
इसका उदाहरण 1 अगस्त के कारोबार में देख सकते हैं. आज एयरटेल में निवेश करने वालों की चांदी रही है और शेयर में 5 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ मिली है. असल में आज एजीआर इश्यू पर निवेशकों की नजर थी. सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाया चुकाने के लिए टेलिकॉम कंपनियों को 10 साल का समय दिया है. जिसके बाद एयरटेल में 5 फीसदी तेजी आ गई. ऐसे ट्रेड Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए का ध्यान रखना डे ट्रेडर्स के लिए जरूरी है.
एक्सपर्ट का मानना है कि शेयर बाजार का अधिकांश कारोबार डे ट्रेडिंग का ही होता है, लेकिन फिर भी सावधानी के साथ कारोबार करना चाहिए. शेयर का चुनाव करने के पहले बाजार का ट्रेंड जरूर देखना चाहिए. मार्केट के ट्रेंड के खिलाफ न जाएं. शेयर खरीदने के पहले यह तय करें कि किस भाव में खरीदना है और उसका लक्ष्य कितना है. स्टॉप लॉस जरूर लगाएं.
(Discliamer: हम यहां इंट्राडे कारोबार के बारे में जानकारी दे रहे हैं, न कि निवेश की सलाह. शेयर बाजार के अपने जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.)
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इंट्रा-डे ट्रेड के लिए स्टॉक्स का चुनाव कैसे करें
शेयर बाजार (Share Bazaar) में इंट्रा-डे (Intra day) या एक ही दिन में खरीद-बिक्री करने का चलन बढ़ ही रहा है। डे-ट्रेडर (Day Trader) के लिए सही शेयरों का चयन सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें यदि थोड़ी-सी चूक हो जाए तो कुछ ही घंटों में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे समय, शेयरों का सही विकल्प आपको औसत रिटर्न आन इनवेस्टमेंट आरओआई से अधिक कमाने में मदद कर सकता है।
इंट्रा-डे ट्रेड के लिए स्टॉक्स का चुनाव कैसे करें
प्ले इट सेफ- लिक्विड स्टॉक्स में ही ट्रेड करें
कभी सोचा है कि किसी खास दिन सही शेयर लेने के लिए एक ट्रेडर को दी गई सबसे अच्छी टिप क्या हो सकती है? आप इसे एक शब्द में लिख सकते हैं - लिक्विडिटी! लिक्विड स्टॉक का लाभ यह है कि आप उन्हें बड़ी मात्रा में खरीद सकते हैं और कीमत पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़े बिना भी बेच सकते हैं। अक्सर ऐसा होता है कि कम लिक्विड स्टॉक को खरीदने वालों की संख्या ज्यादा नहीं होती और इसलिए अधिक मात्रा में खरीदने और बेचने का मौका नहीं मिल पाता। हालांकि, कुछ ट्रेडर्स का मानना है कि तेजी से कीमतों में बदलाव के कारण कम लिक्विड या जो शेयर लिक्विड नहीं होते, उनमें अधिक अवसर मिलते हैं। आंकड़े ऐसा नहीं कहते। यदि स्टॉक्स लिक्विड नहीं हैं तो कम अवधि में चालें बनती हैं। अधिकांश लाभ का फायदा नहीं उठा पाते और यह शेयर इसी तरह डाउनसाइड भी तेजी से फिसलते हैं।
अच्छे सहसंबंध वाले शेयरों में ट्रेडिंग करें
ऐसे शेयर चुनें जिनका प्रमुख सेक्टरों और सूचकांकों के साथ ज्यादा संबंध है। यह सलाह इंट्रा-डे ट्रेडर के लिए सबसे अच्छे सुझावों में से एक है। सही स्टॉक वे हैं जिनका प्रमुख क्षेत्रों और सूचकांकों के साथ उच्च सह-संबंध होता है। आप देखें, शेयर की कीमत इंडेक्स या सेक्टर के ऊपर जाने पर बढ़ती है। यह बताता है कि ग्रुप की भावना के साथ कदम बढ़ाने वाले और सह-संबंध रखने वाले स्टॉक विश्वसनीय होते हैं और सेक्टर के अपेक्षित मूवमेंट को फॉलो करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत होता है, तो यह अमेरिकी बाजारों पर निर्भर सभी इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) कंपनियों को प्रभावित करेगा। मजबूत रुपया आईटी कंपनियों के लिए कम कमाई का संकेत देता है। तद्नुसार, कमजोर रुपए का अर्थ है कि ऊपर उल्लेखित कंपनियों के लिए हायर एक्सपोर्ट इनकम।
रिसर्च के बाद ही चुनें अपने स्टॉक्स
क्वालिटी रिसर्च सही स्टॉक लेने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आप जिन शेयरों को ट्रेड करने जा रहे हैं, उनके बारे में जानने से ज्यादा भरोसेमंद कुछ Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए नहीं हो सकता। दुर्भाग्य से, अधिकांश ट्रेडर स्टॉक चुनने से पहले पर्याप्त रिसर्च नहीं करते। यह या तो रिसर्च के महत्व के प्रति अज्ञानता के कारण हैं या लापरवाही की वजह से। ज्यादातर मामलों में ये दोनों कारण हैं। यदि आपके पास पर्याप्त जानकारी हो तो आपके ट्रेड की स्पीड बढ़ जाती है। आपकी क्षमता बढ़ जाती है। इंट्रा-डे ट्रेडर के रूप में आप निश्चित ट्रेडिंग घंटों में छोटे मूल्य में उतार-चढ़ाव का लाभ उठाकर संपत्ति बना सकते हैं। इस प्रकार, एक अच्छा आरओआई हासिल करने के लिए त्वरित निर्णय लेना अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
खुद ही चार्ट पढ़ने की क्षमता विकसित करें
आपको पता है कि इंट्रा-डे ट्रेडर के तौर पर कारोबार शुरू करने के लिए आपको पहले दिन से ही टेक्निकल चार्ट्स पर निर्भर रहना होगा और यदि आप उन चार्ट्स को खुद ही पढ़ने लगते हैं तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा। बिजनेस की इस लाइन में आप चार्ट के माध्यम से मुश्किल फैसले ले सकते हैं। चार्ट यह समझने के लिए बैरोमीटर का काम करते हैं कि क्या हो रहा है, क्या काम करता है और क्या नहीं। इस तरह, चार्ट पढ़ने की क्षमता एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्किलसेट है। यह ध्यान में रखते हुए कि आपने चार्ट पढ़ने और समझने का Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए कौशल विकसित किया है, यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जिन शेयरों पर आपने नजर रखी है, वह निश्चित चार्ट पैटर्न प्रोजेक्ट करते हैं। ऐसे स्टॉक में ट्रेड करना उचित नहीं है जिसके बारे में पर्याप्त इतिहास न हो और न ही आपको ऐसे शेयरों का विकल्प चुनना चाहिए जो एक स्पष्ट पैटर्न नहीं दिखाते हो। लंबे इतिहास वाले स्टॉक आपको किसी पैटर्न के दोहराने के पैटर्न और ट्रेड में मदद कर सकते हैं।
बाजार को चुनौती न दें- उस दिन के ट्रेंड के साथ चलें
बड़ी संख्या में व्यापारी विरोधाभासी परिदृश्यों को फॉलो कर सकते हैं। लेकिन, अधिकांश व्यापारिक दुनिया बाजार की लहरों की सवारी पसंद करती है। इस प्रक्रिया में बाजार में किसी ट्रेंड को पहचानकर और उसकी सवारी करके की जाती है। आपको एक स्पष्ट तस्वीर देने के लिए, जब आप नोटिस करते हैं कि मार्केट बढ़ रहा है, तो आपको उन शेयरों को चुनना चाहिए जो आपको अधिक विस्तारित अवधि के लिए अपनी पोजिशन होल्ड रखने की अनुमति देते Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए हैं। इसके विपरीत, यदि बाजार गिर रहा है, तो आपको छोटी पोजिशन पर विचार करना चाहिए।
इंट्रा डे ट्रेडिंग अलग तरह का है गेम
इंट्रा-डे ट्रेडिंग बिल्कुल ही अलग तरह का खेल है। टॉप पर बाहर आने के लिए, आपको उन नियमों और ट्रेंड्स को जानना होगा जो बाजार को परिभाषित करते हैं। सदियों पुरानी विद्या कहती है कि निरंतर ज्ञान हासिल करने की कोशिश आपके कौशल और जागरूकता को बढ़ाती है। संपूर्ण ट्रेड निष्पादित करने के लिए ज्ञान और कौशल का होना महत्वपूर्ण है। आखिरकार, आप मुनाफा कमाने के लिए ट्रेडिंग कर रहे हैं। जैसे, यह सुनिश्चित करने का पक्का तरीका है कि आप उन शेयरों के बारे में सब कुछ जान लें जो आप खरीदने और ट्रेड करने जा रहे हैं।
Stocks for intraday trading: ये 6 शेयर आज दे सकते हैं अच्छा मुनाफा
आज इन शेयरों में निवेश करने पर मुनाफा मिलने की उम्मीद
- Date : 29/08/2022
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अमेरिकी शेयर बाजारों में आई गिरावट को देखते हुए भारत के शेयरबाजारों में भी असमंजस का माहौल दिखाई दे रहा है। ऐसे में विश्लेषकों की सलाह पर ध्यान देना चाहिए।
Stocks for investing in Intra-day trading: पिछले 26 अगस्त को अमेरिकी शेयर बाजारों में काफी गिरावट आई जिसका असर भारत के निवेशकों में भी Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए दिखाई दे रहा है। हालांकि, भारत के शेयर बाजारों में कोई गिरावट नहीं आई और निफ्टी-फिफ्टी सूचकांक 36 अंक ऊपर जाकर 17,558 पर बंद हुआ। इसी तरह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भी सेंसेक्स 58,833 पर बंद हुआ। निफ्टी बैंक इंडेक्स 36 अंक बढ़त के साथ 38,987 पर बंद हुआ था। ऐसे में एवीपी के तकनीकी अनुसंधान विशेषज्ञ मेहुल कोठारी; आनंद राठी टेक्निकल रिसर्च की उपाध्यक्ष वैशाली पारेख; प्रभुदास लीलाधर; और राजेश भोसले जैसे शेयर बाजार के विश्लेषक आज इंट्रा डे के कारोबार के लिए इन 6 शेयरों को खरीदने की सलाह दे रहे हैं।
इन शेयरों में मेहुल कोठारी ने रेमंड के शेयरों को 995 रुपए का लक्ष्य रख कर 963 रुपए पर, और जिंदल स्टील के शेयरों को 440 रुपए का लक्ष्य रख कर 421 रुपए पर खरीदने की सलाह दी है। साथ ही, इन दोनों शेयरों के लिए क्रमशः 945 रुपए और 408 रुपए का स्टॉप लॉस भी निर्धारित किया गया है। एजिस लॉजिस्टिक्स के शेयर 300 रुपए का लक्ष्य Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए रख कर 264 रुपए पर, और महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयर 225 रुपए का लक्ष्य रख कर 206 रुपए पर खरीदे जा सकते हैं। राजेश भोसले के अनुसार टाइटन कंपनी के शेयर को 2533 पर खरीदकर 2620 का लक्ष्य रखा जा सकता है, जबकि इसका स्टॉप लॉस 2480 रुपए रखा जाना चाहिए। एनटीपीसी के शेयर 163.40 रुपए पर खरीदकर 171 रुपए का लक्ष्य रख सकते हैं, जिसका स्टॉप लॉस 158.80 रुपए होना चाहिए।
इंट्राडे स्टॉक क्या होता है और इससे कैसे लाभ हो सकता है?
एक ही कारोबारी दिन के भीतर शेयर को खरीदने और बेचने को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहा जाता है। इन शेयरों को निवेश करने के उद्देश्य से न खरीदकर स्टॉक इंडेक्स के उतार–चढ़ाव का फायदा उठाकर लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदा जाता है। शेयरों की खरीद-बिक्री से लाभ कमाने के लिए शेयरों की कीमतों में उतार–चढ़ाव पर लगातार निगाह रखी जाती है। हालांकि इंट्रा डे के लिए शेयरों को चुनना अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है।
अगर बाजार आपके अनुमान के अनुसार काम करता है तो आप अच्छा लाभ पा सकते हैं। ज्यादा तरलता वाले स्टॉक चुने। जिस शेयर में विक्रेता और खरीदार ज्यादा होते हैं, उसे हाई लिक्वीडीटी शेयर कहते हैं। तो अगर आप एक दिन में Intraday Stocks में क्या नहीं होना चाहिए लाभ कमाना चाहते हैं तो इन बातों पर खास ध्यान दें। दो या तीन तरल या लिक्वीडिटी वाले शेयर चुनना फायदेमंद हो सकता है। प्रवेश और लक्ष्य मूल्य निर्धारित कर लें। हानि का प्रभाव काम करने के लिए स्टॉप-लॉस का उपयोग करें। लक्ष्य तक पहुंचने पर अपना लाभ समेट लें। एक निवेशक बनने के बजाय व्यापारी बनें। अपने इच्छित शेयरों के बारे में अच्छी तरह से पता लगाएं और सबसे ज़रूरी बात किसी भी परिस्थिति में बाजार के खिलाफ न जाएं।
ये सारे शेयर्स Buy कर लेना
Stocks for investing in Intra-day trading: पिछले 26 अगस्त को अमेरिकी शेयर बाजारों में काफी गिरावट आई जिसका असर भारत के निवेशकों में भी दिखाई दे रहा है। हालांकि, भारत के शेयर बाजारों में कोई गिरावट नहीं आई और निफ्टी-फिफ्टी सूचकांक 36 अंक ऊपर जाकर 17,558 पर बंद हुआ। इसी तरह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भी सेंसेक्स 58,833 पर बंद हुआ। निफ्टी बैंक इंडेक्स 36 अंक बढ़त के साथ 38,987 पर बंद हुआ था। ऐसे में एवीपी के तकनीकी अनुसंधान विशेषज्ञ मेहुल कोठारी; आनंद राठी टेक्निकल रिसर्च की उपाध्यक्ष वैशाली पारेख; प्रभुदास लीलाधर; और राजेश भोसले जैसे शेयर बाजार के विश्लेषक आज इंट्रा डे के कारोबार के लिए इन 6 शेयरों को खरीदने की सलाह दे रहे हैं।
इन शेयरों में मेहुल कोठारी ने रेमंड के शेयरों को 995 रुपए का लक्ष्य रख कर 963 रुपए पर, और जिंदल स्टील के शेयरों को 440 रुपए का लक्ष्य रख कर 421 रुपए पर खरीदने की सलाह दी है। साथ ही, इन दोनों शेयरों के लिए क्रमशः 945 रुपए और 408 रुपए का स्टॉप लॉस भी निर्धारित किया गया है। एजिस लॉजिस्टिक्स के शेयर 300 रुपए का लक्ष्य रख कर 264 रुपए पर, और महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयर 225 रुपए का लक्ष्य रख कर 206 रुपए पर खरीदे जा सकते हैं। राजेश भोसले के अनुसार टाइटन कंपनी के शेयर को 2533 पर खरीदकर 2620 का लक्ष्य रखा जा सकता है, जबकि इसका स्टॉप लॉस 2480 रुपए रखा जाना चाहिए। एनटीपीसी के शेयर 163.40 रुपए पर खरीदकर 171 रुपए का लक्ष्य रख सकते हैं, जिसका स्टॉप लॉस 158.80 रुपए होना चाहिए।
इंट्राडे स्टॉक क्या होता है और इससे कैसे लाभ हो सकता है?
एक ही कारोबारी दिन के भीतर शेयर को खरीदने और बेचने को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहा जाता है। इन शेयरों को निवेश करने के उद्देश्य से न खरीदकर स्टॉक इंडेक्स के उतार–चढ़ाव का फायदा उठाकर लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदा जाता है। शेयरों की खरीद-बिक्री से लाभ कमाने के लिए शेयरों की कीमतों में उतार–चढ़ाव पर लगातार निगाह रखी जाती है। हालांकि इंट्रा डे के लिए शेयरों को चुनना अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है।
अगर बाजार आपके अनुमान के अनुसार काम करता है तो आप अच्छा लाभ पा सकते हैं। ज्यादा तरलता वाले स्टॉक चुने। जिस शेयर में विक्रेता और खरीदार ज्यादा होते हैं, उसे हाई लिक्वीडीटी शेयर कहते हैं। तो अगर आप एक दिन में लाभ कमाना चाहते हैं तो इन बातों पर खास ध्यान दें। दो या तीन तरल या लिक्वीडिटी वाले शेयर चुनना फायदेमंद हो सकता है। प्रवेश और लक्ष्य मूल्य निर्धारित कर लें। हानि का प्रभाव काम करने के लिए स्टॉप-लॉस का उपयोग करें। लक्ष्य तक पहुंचने पर अपना लाभ समेट लें। एक निवेशक बनने के बजाय व्यापारी बनें। अपने इच्छित शेयरों के बारे में अच्छी तरह से पता लगाएं और सबसे ज़रूरी बात किसी भी परिस्थिति में बाजार के खिलाफ न जाएं।
सेबी के नए मार्जिन नियम आज से लागू, यहां जानिए अपने हर सवाल का जवाब
कैश मार्केट में मार्जिन से जुड़े ने नियम 1 सितंबर से लागू हो गए हैं. सेबी ने इसे कुछ समय टालने की अपील ठुकरा दी है
सेबी मार्जिन के दो तरह के नियमों को लागू करना चाहता है. पहला नियम कैश मार्केट में अपफ्रंट मार्जिन से संबंधित है.
मैं मार्जिन को पूरी तरह से नहीं समझता, क्या मुझे इसके बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
मार्जिन का मतलब उस रकम से है, जो आपके ट्रेडिंग अकाउंट में होती है. सामान्य रूप से निवेशक को अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जमा रकम से शेयर खरीदने की इजाजत होनी चाहिए. लेकिन, व्यवहार में मामला थोड़ा अलग है. कई ब्रोकिंग कंपनियां अपने क्लाइंट को शेयर खरीदने के लिए रकम उधार देती हैं. इसे लिवरेज या मार्जिन ट्रेडिंग कहते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग में यह ज्यादा देखने को मिलता है.
फिर, 1 सितंबर से क्या बदलने जा रहा है?
पहले हम यह समझते हैं कि शेयरों की डिलीवरी किस तरह होती है. अभी बाजार में डिलीवरी के लिए टी+2 (ट्रेडिंग प्लस दो दिन) मॉडल का पालन होता है. इसका मतलब है कि अगर आप सोमवार को शेयर खरीदते या बेचते हैं तो यह बुधवार को डेबिट या क्रेडिट होगा. इसी तरह शेयर का पैसा भी बुधवार को आपके अकाउंट में आएगा या उससे जाएगा. इस मॉडल में ब्रोकर्स क्लाइंट के अकाउंट में पैसा नहीं होने पर भी शेयर खरीदने की इजाजत देते हैं. यह इस शर्त पर किया जाता है कि आप पैसा टी+1 या टी+2 दिन में चुका देंगे.
अब सेबी ने जो नया नियम बनाया है, उसमें ब्रोकर को सौदे की कुल वैल्यू का 20 फीसदी क्लाइंट से अपफ्रंट लेना होगा. इसका मतलब यह है कि सौदे के वक्त क्लाइंट (रिटेल निवेशक) को 20 फीसदी रकम चुकाना होगा. उदाहरण के लिए अगर रिटेल निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक लाख रुपये मूल्य के शेयर खरीदता है तो ऑर्डर प्लेस करने से पहले उसके ट्रेडिंग अकाउंट में कम से कम 20,000 रुपये होने चाहिए. बाकी पैसा वह टी+1 या टी+2 दिन में या ब्रोकर के निर्देश के मुताबिक चुका सकता है. सेबी के नए नियम के मुताबिक शेयर बेचते वक्त भी आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन होना चाहिए.
शेयर बेचने के लिए मेरे ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन क्यों होना चाहिए?
सेबी ने सोच-समझकर यह नियम लागू किया है. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. मान लीजिए आप सोमवार को 100 शेयर बेचते हैं. ये शेयर आपको अकाउंट से बुधवार को डेबिट होंगे. लेकिन, अगर आप मंगलवार (डेबिट होने से पहले) को इन शेयरों को किसी दूसरे को ट्रांसफर कर देते हैं तो सेटलमेंट सिस्टम में जोखिम पैदा हो जाएगा.
ब्रोकिंग कंपनियों के पास ऐसा होने से रोकने के लिए हथियार होते हैं. 95 फीसदी मामलों में ऐसा नहीं होता है. सेबी ने यह नियम इसलिए लागू किया है कि 5 फीसदी मामलों में भी ऐसा न हो.
यह नियम कुछ ज्यादा सख्त लगता है, क्या इसका कोई दूसरा तरीका नहीं है?
इसका दूसरा तरीका है. सेबी ने बगैर मार्जिन शेयर बेचने की इजाजत दी है. लेकिन, इसमें शर्त यह है कि ब्रोकर के पास ऐसा सिस्टम होना चाहिए, जिसमें शेयर बेचने के दिन वह शेयरों को क्लाइंट के अकाउंट से अपने अकाउंट में ट्रांस्फर कर लें. लेकिन, इसमें कुछ ऑपरेशनल दिक्कतें हैं.
इस नियम का बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
विश्लेषकों और इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि नए नियमों से ट्रेडिंग वॉल्यूम घटेगा. लेकिन, कुछ लोगों का मानना है कि पिछले 25 साल में जब भी नए नियम लागू किए गए, बाजार ने उसके हिसाब से खुद को ढाल लिया. नए नियम बाजार में जोखिम घटाने और निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए लागू किए जाते हैं.
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सेबी के नए मार्जिन नियम आज से लागू, यहां जानिए अपने हर सवाल का जवाब
कैश मार्केट में मार्जिन से जुड़े ने नियम 1 सितंबर से लागू हो गए हैं. सेबी ने इसे कुछ समय टालने की अपील ठुकरा दी है
सेबी मार्जिन के दो तरह के नियमों को लागू करना चाहता है. पहला नियम कैश मार्केट में अपफ्रंट मार्जिन से संबंधित है.
मैं मार्जिन को पूरी तरह से नहीं समझता, क्या मुझे इसके बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
मार्जिन का मतलब उस रकम से है, जो आपके ट्रेडिंग अकाउंट में होती है. सामान्य रूप से निवेशक को अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जमा रकम से शेयर खरीदने की इजाजत होनी चाहिए. लेकिन, व्यवहार में मामला थोड़ा अलग है. कई ब्रोकिंग कंपनियां अपने क्लाइंट को शेयर खरीदने के लिए रकम उधार देती हैं. इसे लिवरेज या मार्जिन ट्रेडिंग कहते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग में यह ज्यादा देखने को मिलता है.
फिर, 1 सितंबर से क्या बदलने जा रहा है?
पहले हम यह समझते हैं कि शेयरों की डिलीवरी किस तरह होती है. अभी बाजार में डिलीवरी के लिए टी+2 (ट्रेडिंग प्लस दो दिन) मॉडल का पालन होता है. इसका मतलब है कि अगर आप सोमवार को शेयर खरीदते या बेचते हैं तो यह बुधवार को डेबिट या क्रेडिट होगा. इसी तरह शेयर का पैसा भी बुधवार को आपके अकाउंट में आएगा या उससे जाएगा. इस मॉडल में ब्रोकर्स क्लाइंट के अकाउंट में पैसा नहीं होने पर भी शेयर खरीदने की इजाजत देते हैं. यह इस शर्त पर किया जाता है कि आप पैसा टी+1 या टी+2 दिन में चुका देंगे.
अब सेबी ने जो नया नियम बनाया है, उसमें ब्रोकर को सौदे की कुल वैल्यू का 20 फीसदी क्लाइंट से अपफ्रंट लेना होगा. इसका मतलब यह है कि सौदे के वक्त क्लाइंट (रिटेल निवेशक) को 20 फीसदी रकम चुकाना होगा. उदाहरण के लिए अगर रिटेल निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक लाख रुपये मूल्य के शेयर खरीदता है तो ऑर्डर प्लेस करने से पहले उसके ट्रेडिंग अकाउंट में कम से कम 20,000 रुपये होने चाहिए. बाकी पैसा वह टी+1 या टी+2 दिन में या ब्रोकर के निर्देश के मुताबिक चुका सकता है. सेबी के नए नियम के मुताबिक शेयर बेचते वक्त भी आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन होना चाहिए.
शेयर बेचने के लिए मेरे ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन क्यों होना चाहिए?
सेबी ने सोच-समझकर यह नियम लागू किया है. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. मान लीजिए आप सोमवार को 100 शेयर बेचते हैं. ये शेयर आपको अकाउंट से बुधवार को डेबिट होंगे. लेकिन, अगर आप मंगलवार (डेबिट होने से पहले) को इन शेयरों को किसी दूसरे को ट्रांसफर कर देते हैं तो सेटलमेंट सिस्टम में जोखिम पैदा हो जाएगा.
ब्रोकिंग कंपनियों के पास ऐसा होने से रोकने के लिए हथियार होते हैं. 95 फीसदी मामलों में ऐसा नहीं होता है. सेबी ने यह नियम इसलिए लागू किया है कि 5 फीसदी मामलों में भी ऐसा न हो.
यह नियम कुछ ज्यादा सख्त लगता है, क्या इसका कोई दूसरा तरीका नहीं है?
इसका दूसरा तरीका है. सेबी ने बगैर मार्जिन शेयर बेचने की इजाजत दी है. लेकिन, इसमें शर्त यह है कि ब्रोकर के पास ऐसा सिस्टम होना चाहिए, जिसमें शेयर बेचने के दिन वह शेयरों को क्लाइंट के अकाउंट से अपने अकाउंट में ट्रांस्फर कर लें. लेकिन, इसमें कुछ ऑपरेशनल दिक्कतें हैं.
इस नियम का बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
विश्लेषकों और इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि नए नियमों से ट्रेडिंग वॉल्यूम घटेगा. लेकिन, कुछ लोगों का मानना है कि पिछले 25 साल में जब भी नए नियम लागू किए गए, बाजार ने उसके हिसाब से खुद को ढाल लिया. नए नियम बाजार में जोखिम घटाने और निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए लागू किए जाते हैं.
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